कौंच एक परिचय – जिनकी मर्दाना ताकत बिल्कुल खत्म हो चुकी है वो एक बार जरुर प्रयोग करे

(कृपया पूरा लेख पढ़ें कौंच को आप अच्छे से समझ सकेंगे) कौंच एवं कौंच बीज चूर्ण को आयुर्वेद में रसायन के रूप में प्रयोग किया जाता है | पुराने समय से ही कौंच एवं कौंच पाक आदि का इस्तेमाल देशी रसायन के रूप में किया जाता रहा है | आयुर्वेद में सर्दियों के मौसम में गोंद के लड्डू, ग्वारपाठे के लड्डू, मेथी के लड्डू आदि का प्रयोग सेहत एवं स्वास्थ्य के लिए किया जाता है |

कौंच पाक एवं कौंच बीज आदि के फायदों के लिए सबसे पहले कौंच क्या है , ये समझना जरुरी है | इस आर्टिकल में हम आपको कौंच क्या है ? कौंच बीज के फायदे और कौंच पाक के फायदे एवं इसे घर पर बनाने की विधि के बारे में बताएँगे |

कौंच / कपिकच्छु के फायदे

भारत के समस्त मैदानी प्रदेशों में पायी जाने वाली एक जंगली बेल है | यह वर्षा ऋतू में मैदानी क्षेत्रों में अपने आप उग आती है , ज्यादातर हिमालय के निचले हिस्सों में होती है जंहा मैदानी प्रदेश होता है | इसके पत्ते 6 से 9 इंच लम्बे लट्टूवाकार और स्पष्ट पर्शिविक सिराओं से युक्त होते है |

पतों का आकार अर्धहृदयत होता है | कौंच के फुल 1 इंच लम्बे नील और बैंगनी रंग के होते है , इसकी फली 5 से 10 सेमी लम्बी होती है जिसके प्रष्ठ भाग पर सघन रोम और पर्शुक होते है, अगर ये त्वचा को छू जावे तो इनसे खुजली , दाह और सुजन की समस्या हो सकती है , इसी फली में अन्दर 5 से 6 काले रंग के बीज होते है जिन्हें कौंच बीज कहा जाता है |

कौंच युक्त एवं अन्य 20 आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों के एक्सट्रेक्ट से निर्मित कामसुधा योग एक अच्छी यौनशक्ति वर्द्धक दवा है | यह शीघ्रपतन, धातु रोग एवं स्वप्नदोष जैसी समस्याओं के लिए महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक दवा है |

कौंच का रासायनिक संगठन

इसके बीजो में 9.1 % आद्रता रहती है , प्रोटीन 25.03 , सूत्र 6.75 और खनिज पदार्थ 3.95 % होते है | औषध उपयोग में कौंच के बीज , पत्ते, रोम, जड़ और फली सभी प्रयोग में आते है | कौंच में एल्केलाईड पाया जाता है जिसके कारण इसका सिमित मात्रा में उपयोग करना चाहिए , अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह विष साबित होता है |

कपिकच्छु के बीजो में डोपा (1.5%) , ग्लुताथायोंन , लेसिथिन, गैलिक एसिड, ग्लूकोसाइड , निकोटिन, प्रुरियेनिन आदि पाए जाते है | इसके बीज से एक गाढ़ा तेल निकलता है | कौंच बीजों का विशेष उपयोग कामोतेज्जना, मूत्र विकारो एवं शारीरिक दौर्बल्यता में किया जाता है |

कौंच के गुण धर्म

कौंच का रस मधुर, तिक्त | यह स्वाभाव में गुरु और स्निघ्ध | इसका वीर्य उष्ण होता है अर्थात कौंच के बीज की तासीर गरम होती है | पाचन के पश्चात कौंच के बीज का विपाक मधुर होता है | यह वातशामक और कफपित्त वर्द्धक है | आयुर्वेद चिकित्सा में  इससे वानरी गुटिका , माषबलादी आदि औषध योग बनाये जाते है |

मर्दाना ताकत को बढ़ाने के लिए करे ये प्रयोग / कौंच बीजों के फायदे

  1. कौच के बीजों को सबसे पहले दूध में पक्का ले और इनका छिलका उतार दे | फिर इसे धुप में सुखा दे , अच्छी तरह सूखने के बाद इनका महीन चूर्ण बना ले | अश्वगंधा और सफ़ेद मुसली को भी सामान मात्रा में लेकर इनका भी चूर्ण बना ले | अब कौंच बीज चूर्ण , अस्वगंधा चूर्ण और सफ़ेद मुसली के चूर्ण को आपस में अच्छी तरह मिला ले | रोज सुबह और शाम 5 ग्राम की मात्रा में दूध में मिश्री मिलाकर इसका सेवन करे | इससे शीघ्रपतन, नंपुसकता आदि रोगों से छुटकारा मिलेगा एवं शरीर में मर्दाना शक्ति का विकास होगा
  2. कौंच के बीज , शतावरी, गोखरू, तालमखाना, नागबला और अतिबला – इन सभी को बराबर की मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना ले | इसका इस्तेमाल रोज रात को सोने से पहले 5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने दूध के साथ करे | इसके इस्तेमाल से आपके सहवास का समय बढेगा और नामर्दी, शीघ्रपतन , धातु दुर्बलता में बेहतरीन परिणाम मिलेगा |
  3. अगर आप वियाग्रा का इस्तेमाल अपनी मर्दाना ताकत बढ़ाने के लिए करते है, तो इसे छोड दे और अभी से कौंच का इस्तेमाल करना शूरू कर दे | आप बाजार में मिलने वाले कौंच पाक का इस्तेमाल करे  यह पूर्णतया सुरक्षित है एवं इसके बेहतर परिणाम भी है | कौंच पाक में कौंच बीज, सफ़ेद मुसली, वंस्लोचन, त्रिकटु, अश्वगंधा, चातुर्जात, दूध , शहद और घी जैसे पौष्टिक  द्रव्य है जो आपकी नामर्दी को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखते है | कौंच पाक के इस्तेमाल से शीघ्रपतन, अंग का ढीलापन, धातु दुर्बलता, शारीरिक दुर्बलता, शुक्राणुओं की कमी आदि से छुटकारा मिलेगा और यह आपके पाचन, स्मृति और शारीरिक बल को बढ़ाएगा |

कौंच पाक बनाने की विधि

कौंच पाक को अधिकतर सर्दियों में उपयोग करना चाहिए | इसे बनाने के लिए कौंच बीजो का इस्तेमाल होता है | मर्दाना ताकत , नपुंसकता, धातु दुर्बलता, वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, शीघ्रपतन एवं शारीरिक दुर्बलता आदि में इसका सेवन करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होंगे |

बाज़ार से इसे खरीदने से अच्छा है की आप इसे घर पर ही तैयार करले | इसे बनाने की विधि भी आसान है और यह पूर्णतया लाभकारी होगी एवं बाज़ार में मिलने वाले कौंच पाक से बेहतर भी रहेगी | इसके निर्माण के लिए निम्न सामग्री चाहिए –

कौंच बीज – 250 ग्राम

गाय का दूध – 4 किलो

गाय का घी – 500 ग्राम

अकरकरा चूर्ण – 5 ग्राम

रस सिन्दूर – 5 ग्राम

केसर – 3 ग्राम

प्रक्षेप के लिए – दालचीनी, लौंग, इलायची, चव्य, चित्रक, पीपलामूल, आदि सामान मात्रा में 40 ग्राम |

विधि – सबसे पहले कौंच के बीजों को ऊपर बताई गई मात्रा में 8 से 10 घंटो के लिए भिगों दें , अच्छी तरह भीगने के बाद बीज के ऊपर के छिलके को हटा दें एवं बीजों को धूप में सुखा दें | जब बीज अच्छी तरह सुख जाए तब इन्हें बारीक़ पीसकर चूर्ण बना ले | अब इस चूर्ण को दूध में डालकर उबालें एवं इसका मावा तैयार कर ले |

एक कडाही में घी डालकर इसमें इस मावे को भून ले | अच्छी तरह भुनने के बाद इसमें एक किलो चीनी से तैयार चासनी डालकर मिलादें | ऊपर से प्रक्षेप द्रव्य और अकरकरा चूर्ण – 5 ग्राम, रस सिन्दूर – 5 ग्राम और केसर – 3 ग्राम डालकर इसकी बर्फी काटले |

सेवन विधि – 20 से 40 ग्राम तक पाचन शक्ति के अनुसार सुबह और शाम दूध के साथ सेवन करे |

इस प्रकार से कौंच पाक का निर्माण होता है | वैसे शास्त्रोक्त कौंच पाक इससे भिन्न है , लेकिन इस प्रकार से तैयार करने से भी यह योग पुरुषों के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है | यह परम पौष्टिक, शक्ति को बढाने वाला, शारीरिक कमजोरी को दूर करने वाला, नपुंसकता और धातु दुर्बलता आदि में काफी चमत्कारिक सिद्ध होता है |

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धन्यवाद |

17 thoughts on “कौंच एक परिचय – जिनकी मर्दाना ताकत बिल्कुल खत्म हो चुकी है वो एक बार जरुर प्रयोग करे

  1. सुहेल says:

    सर जी कौंच को दिहाती भाषा में खजुआ भी बोलते क्या ये वही है काले कौंच और सफ़ेद कौंच में ज्यादा फायदेमंद क्या है सफेद या काला मुझे लिंग मे ढीलापन सही से खड़ा नहीं होता है जिसके कारण मैं सम्भोग करने में असमर्थ हूं मै कैसे इस्तेमाल करूं विस्तार से बताने का कष्ट करें आप की कृपा होगी धन्यवाद

    • स्वदेशी उपचार says:

      सफ़ेद कौंच के बीज लें ; इन्हें गाय के दूध में पकाएं जब बाहर का छिलका फुला हुआ दिखाई दे तब इन्हें आंच से उतार कर, ठंडा करके छिलका उतार लें | कुछ समय सूखने के लिए छोड़े | अच्छी तरह सूखने के पश्चात पाउडर बना कर उपयोग में लें |
      धन्यवाद ||

  2. Kaptan duhan says:

    क्या कौंच बीज का सेवन छीलके समेत कर सकते हैं या छीलके उतारना जरूरी होता है। मैंने भूलवश छीलके समेत पावडर बना दिया। इसका कोई नुकसान तो नहीं।

    • स्वदेशी उपचार says:

      मुनवर खान जी,
      अगर आप मधुमेह से पीड़ित है एवं कौंच पाक का सेवन करना चाहते है तो कृप्या सबसे पहले अपने नजदीकी आयुर्वेदिक वैद्य से सम्पर्क करें एवं अपने रोग एवं रोग की स्थिति से अवगत करवाके उनकी राय अनुसार ही औषध ग्रहण करें |

      बैगर आपकी स्थित जाने हम यहाँ पर आपको कौंच पाक सेवन की सलाह नहीं दे सकते |

      धन्यवाद |

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