गिलोय घन वटी कैसे खाएं एवं फायदे | Giloy Ghan Vati Kaise Khaye evm Fayde

Giloy Ghan Vati kaise khaye : आज इस आर्टिकल में हम आपको गिलोय घन वटी को खाने का तरीका बताएँगे | लेकिन इससे पहले हम ये जान लेते है कि गिलोय घन वटी क्या है एवं इसके किस रोग में क्या फायदे है |

गिलोय घन वटी गिलोय के सत्व से तैयार होने वाली आयुर्वेदिक क्लासिकल मेडिसिन है | यह ज्वर, जीर्ण ज्वर, शारीरिक कमजोरी, गठिया रोग, मलेरिया, स्वाइनफ्लू, चिकनगुनिया, त्वचा सम्बन्धी विकार एवं मूत्रसंस्था गत विकारों में बहुत लाभदायक औषधि है |

मधुमेह, रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, सामान्य कमजोरी को दूर करने एवं शरीर में स्फूर्ति को बढ़ाने में भी अत्यंत उपयोगी आयुर्वेदिक फार्मूलेशन है | गिलोय का उपयोग पुरातन समय से ही हमारे चिकित्सा शास्त्र में होते आया है | आज के परिद्रश्य में भी गिलोय एवं गिलोय से बनी औषधियां विभिन्न रोगों में प्रभावी रूप से कार्य करती है |

इस आर्टिकल में विभिन्न रोगों में Giloy Ghan Vati Kaise Khaye , इसके स्वास्थ्य लाभ, घटक द्रव्य एवं बनाने की विधि के बारे में जानेंगे |

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गिलोय घन वटी के घटक द्रव्य एवं बनाने की विधि / Ingredients & Method of Preparation

Giloy Ghan Vati Kaise Khaye

यह 500mg की मात्रा में गोली के रूप में बाजार में उपलब्ध होती है | इसका मुख्य घटक गिलोय का सत्व है जिसको गिलोय के तने से प्राप्त किया जाता है | इसके घटक द्रव्य निम्न है –

गिलोय घन वटी बनाने की विधि : सबसे पहले अंगूठे जीतनी मोटी गिलोय की ताजा डंडियों को इक्कठा कर लिया जाता है | अब इन्हें इमामदस्ते में डालकर हल्का कूट लिया जाता है | जिससे लुग्दी जैसा बन जाता है | अब इसे पानी में डालकर हाथों से मसलकर रख दिया जाता है | कुछ घंटो तक इसे एसे ही रखकर गिलोय के टुकड़ों को निकाल लिया जाता है |

अब पानी के तल में गिलोय का सारतत्व इकट्ठा हो जाता है | इस जल को अग्नि पर चढ़ा कर पानी को उड़ा दिया जाता है | निचे बचे हुए घटक को कुछ दिनों की धुप देकर सुखा लिया जाता है जिससे इसमें नमीं न रहे | इस प्रकार से प्राप्त घटक गिलोय का एक्सट्रेक्ट प्राप्त होता है |

इस एक्सट्रेक्ट अर्थात घन सत्व के साथ बबूल का गोंद मिलाकर खरल में मर्दन किया जाता है | जिससे यह गोलियां बनने लायक हो जाता है | अब इसकी गोलिया बना कर सुखा लिया जाता है | इस प्रकार से गिलोय घन वटी का निर्माण होता है |

विभिन्न रोगों में गिलोय घन वटी को कैसे खाएं / How to eat Giloy Ghan Vati in various diseases

यहाँ हमने विभिन्न रोगों में गिलोय घन वटी को खाने का तरीका बताया है | यह महज ज्ञान वर्द्धन के लिए लिखा गया आर्टिकल है | आप अपने वैद्य के परामर्श से रोगानुसार इसका सेवन निर्देशित मात्रा में कर सकते है | यहाँ बताई गई विधियाँ लेखक की आयुर्वेद चिकित्सा की जानकारियों के आधार पर है | यह तरीका स्वास्थ्य सलाह नहीं है | अत: गिलोय घन वटी का सेवन वैद्य के परामर्श से ही करें |

  1. सामान्य बुखार में गिलोय घन वटी को कैसे खाएं :– बुखार में गिलोय घन वटी को एकल औषधि के रूप में लिया जा सकता है | लेकिन अधिक लाभ के लिए गिलोय घन वटी 500 mg के साथ गोदंती भस्म 500 mg एवं महासुदर्शन क्वाथ 5 ML की मात्रा में दिन में दो बार सेवन की जा सकती है | यह आपकी बुखार को उतरने में लाभदायक है |
  2. जीर्ण ज्वर में गिलोय घन वटी को कैसे खाएं : – जीर्ण ज्वर में रोगी को पहले लंघन करवाके गिलोय घन वटी की 1 – 1 गोली दिन में तीन बार शहद के साथ एवं साथ में महासुदर्शन घन वटी 500 mg और गोदंती हरताल भस्म 250 mg का इस्तेमाल करने से लाभ मिलता है |
  3. वातरक्त (Gout) :- यह रोग वात एवं रक्त के कुपित होने से होता है | एसे में खट्टे, नमकीन एवं अधिक मसालेदार भोजन को छोड़कर गिलोय घन वटी के साथ गिलोयघृत, शतावरी घृत एवं महामंजिष्ठादी क्वाथ का उपयोग किया जाता है |
  4. शारीरिक कमजोरी में Giloy Ghan Vati ko Kaise Khaye :- गिलोय सम्पूर्ण शारीरिक क्षमता को बढ़ाने में उपयोगी औषधि है | शारीरिक कमजोरी में गिलोयघन वटी को दिन में दो बार 1 – 1 गोली की मात्रा में सेवन करवाया जाता है | साथ में रोगी की शारीरिक क्षमता के अनुसार अन्य औषध योगों का इस्तेमाल वैद्य निर्धारित करते है |
  5. गठिया रोग : गठिया रोग में योगराज गुग्गुलु, अजमोदादी चूर्ण एवं रस्नासप्तक क्वाथ के साथ गिलोय घन वटी का सेवन भी किया जा सकता है | इस रोग में आमवात की अधिकता के कारण जोड़ो में दर्द एवं सुजन रहने लगती है जिसे गिलोय घन वटी आमवात को कम करती है |
  6. मलेरिया में Giloy ghan Vati Kaise Khaye :- इसे आयुर्वेद में विषम ज्वर के नाम से भी जानते है | सभी प्रकार के ज्वरों में गिलोय घन वटी बहुत फायदेमंद औषधि है | मलेरिया में गिलोय घन वटी के साथ, प्रवाल पिष्टी, गोदंती भस्म मिलाकर सेवन करना बहुत लाभदायक होता है | साथ में सुदर्शन क्वाथ का सेवन भी किया जा सकता है |

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Giloy Ghan Vati Kaise Khaye – इस सारणी से समझें

रोगगिलोय घन वटी के साथ अन्य दिए जाने वाले औषधीय योग
ज्वर गिलोय घन वटी 500 mg, प्रवाल पिष्टी, गोदंती हरताल भस्म आदि
जीर्ण ज्वर गिलोय घन वटी के साथ, गोदंती हरताल, महासुदर्शन घन वटी, संजीवनी वटी आदि
वात रक्त में गिलोयघृत, शतावरी घृत, महामंजिष्ठादी क्वाथ के साथ गिलोय घन वटी
शारीरिक कमजोरी गिलोय घन वटी, बल्य रसायन औषधियां
गठिया रोग Giloy Ghan Vati के साथ महायोगराज गुग्गुलु, त्रिफला चूर्ण,
अजमोदादी चूर्ण, रस्नासप्तक क्वाथ आदि को खाया जाता है
मलेरिया गिलोय घन वटी के साथ प्रवाल पिष्टी, गोदंती भस्म, महासुदर्शन क्वाथ, संजीवनी वटी, संस्मानी वटी आदि
स्वाइन फ्लू संसमनी वटी, गिलोय घन वटी, सुदर्शन घन वटी, संजीवनी वटी, सितोपलादि चूर्ण एवं रासनासप्तक क्वाथ

गिलोय घन वटी के रोगोपयोग / Benefits of Giloy Ghan Vati in Hindi

  • ज्वर
  • जीर्णज्वर
  • मधुमेह
  • मूत्रसंसथान विकार
  • स्वाइनफ्लू
  • बर्डफ्लू
  • आमवात
  • संधिवात
  • चिकन गुनिया
  • त्वचा विकार
  • रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी
  • मलेरिया
  • डेंगू
  • वातपित्तज विकार

सामान्य सवाल – जवाब / FAQ

गिलोय घन वटी किससे बनती है ?

यह गिलोय के एक्सट्रेक्ट से बनती है |

गिलोय घन वटी को कितने दिनों तक सेवन किया जा सकता है ?

सामान्यत: इसका सेवन एक सप्ताह से लेकर 45 दिन तक नियमित सेवन किया जा सकता है | यह निर्धारण आयुर्वेदिक चिकित्सक करता है |

गिलोय घन वटी के क्या नुकसान है ?

इसके कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है | निर्देशित मात्रा में सेवन करने से कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता |

कहाँ से खरीद सकते है ?

इसे सभी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर एवं ऑनलाइन माध्यम से घर बैठे भी खरीद सकते है |

क्या इम्युनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय घन वटी को खाया जा सकता है ?

निश्चित रूप से आप अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से इम्युनिटी बढ़ाने के लिए इसका सेवन कर सकते है Giloy Ghan Vati Kaise Khaye के लिए वैद्य का परामर्श आवश्यक है |

References (External Link)

  1. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/33953674/
  2. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC8091047/

धन्यवाद ||

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