हृदयार्णव : हृदय की कमजोरी एवं ह्रदय की धड़कन बढ़ जाने जैसी समस्याओं में यह औषधि बहुत गुणकारी है | हृदय की सभी प्रकार समस्याओं में इस औषधि का प्रयोग किया जाता है | इसमें पारा, गंधक जैसे अवयव होते हैं | आइये जानते हैं इस दवा के बारे में :-
औषधि का नाम (Name of Medicine) | हृदयार्णव (Hridayarnava) |
प्रकार (Type) | गोली / वटी |
परिकल्पना (Thesis) | रस परिकल्पना |
मुख्य द्रव्य (Main Content) | पारा, गंधक, ताम्र भस्म |
औषधीय गुण (Medicinal Properties) | हृदय को सबल करने वाला |
उपयोग (Uses) | हृदय रोगों में |
सेवन की विधि (How to use) | एक एक गोली मकोय और त्रिफला चूर्ण के क्वाथ के साथ |
नुकसान (Side effects) | पित्तजनित हृदय रोगों में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए |
हृदयार्णव (Hridayarnav) : क्या है / What is Hridayarnava ?
यह रस रसायन परिकल्पना की आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग हृदय रोगों में किया जाता है | इस रसायन का प्रभाव हृदय पर बहुत होता है | यह हृदय को सबल बना के सभी व्याधियां दूर करने की क्षमता रखता है | लेकिन इसका उपयोग पित्त जनित हृदय रोगों में कम किया जाता है क्योंकि ताम्र की उग्रता के कारण समस्या बढ़ सकती है | इस लेख में हम हृदयार्णव रस के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे |
हृदयार्णव रस के घटक / Contents of Hridayarnava Ras
- शुद्ध पारा
- गंधक (शोधित)
- ताम्र भस्म
- त्रिफला रस
- मकोय रस
बनाने की विधि / How to prepare Hridayarnava Ras
इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले पारा, गंधक एवं ताम्र भस्म की कज्जली बनाते हैं | अब इस कज्जली में त्रिफला रस और मकोय रस डाल कर एक एक दिन मर्दन करें | अब इसकी छोटी छोटी चने के आकार की गोलिया बना लेते हैं |
सेवन कैसे करें / How to use Hridayarnava ras
इसकी एक एक गोली मकोय के रस एवं त्रिफला रस के साथ सुबह शाम लें | पित्त जनित हृदय रोगों में इसका उपयोग प्रवाल पिष्टी या मोती पिष्टी के साथ करें |
हृदयार्णव रस के फायदे एवं प्रभाव / Hridayarnav ras uses and benefits
इस रसायन के सेवन से हृदय की गति नियमित हो जाती है एवं हृदय सबल होता है | छाती में दर्द होना, हृदय का धक् धक् करना, मन में डर रहना, सिने में जलन होना, नींद की कमी, पसली में दर्द जैसी समस्याओं में इसका उपयोग करना बहुत गुणकारी होता है | हृदयार्णव रस का उपयोग करने से इन सभी समस्याओं में बहुत लाभ मिलता है |
अधिक व्यायाम, भय, शोक, अत्यंत गर्मी आदि के कारण हृदय की गति अनियमित हो जाती है एवं हार्ट फ़ैल का खतरा हो जाता है | ऐसे में हृदय में जोर का दर्द उठता है एवं रोगी बेचैन होकर तड़पने लगता है | इस भयंकर अवस्था में मृन्गश्रंग भस्म के साथ हृदयार्णव रस का उपयोग करने से रोगी को जल्द लाभ मिलता है |
हृदय कमजोर होने पर रोगी को ज्यादा परिश्रम नहीं करना चाहिए एवं उचित आराम करना चाहिए | हृदय रोगों में हृदयार्णव रस के साथ मकरध्वज, मुक्तापिष्टी एवं सोना भस्म आदि औषधियों का उपयोग करना भी लाभदायक होता है |
नुकसान एवं सावधानियां / Side effects and precautions
हृदय के लिए अत्यंत गुणकारी इस दवा के कारण कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं | पित्त जनित रोगों में इसका उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए क्योंकि इसमें ताम्र भस्म होती है जो काफी उग्र होती है | इसके कारण पित्त जनित हृदय रोगों में इसका उपयोग करने से समस्या बढ़ सकती है | ऐसे में इसका उपयोग मोती पिष्टी या प्रवाल पिष्टी के साथ करना चाहिए | बिना चिकित्सक की सलाह के इस दवा का उपयोग कभी नहीं करना चाहिए |
Frequently asked questions / सवाल जवाब
हृदयार्णव रस का उपयोग कैसे करें ?
इसका उपयोग हृदय रोगों में किया जाता है | इसकी एक गोली दिन में दो बार खाने के बाद त्रिफला रस के साथ सेवन करें |
हृदयार्णव रस का उपयोग गर्भवती महिलाओं के द्वारा किया जा सकता है या नहीं ?
गर्भवती महिलाओं को इसका उपयोग बिना चिकित्सक की सलाह के नहीं करना चाहिए |
क्या इसका उपयोग करने से नशा होता है ?
इसके उपयोग से किसी प्रकार का नशा नहीं होता है |
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