दाद खाज खुजली, फोड़े फुंसी, घाव जैसे रोग रक्त अशुद्धि और शरीर में अत्यधिक गर्मी के कारण होते हैं | खाज का मलहम इस तरह के चर्म रोगों के लिए बहुत गुणकारी औषधि है | मसालेदार भोजन और उष्ण खाद्य पदार्थों का सेवन करने से रक्त में गर्मी अधिक हो जाती है | इसके कारण फोड़े फुंसी और दाद जैसी समस्याएं हो जाती है | इन सभी समस्याओं में यह मलहम अच्छा काम करता है |
इस लेख में खाज का मलहम कैसे बनाते हैं, इसके घटक द्रव्य क्या हैं और इसके फायदे के बारे में बतायेंगे |
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खाज का मलहम क्या है ?
आयुर्वेद में चर्म रोगों के लिए घृत, तेल और मलहम का उपयोग किया जाता है | इसमें मलहम खाज खुजली, दाद और फोड़े फुंसी जैसी समस्याओं में अधिक गुणकारी माना जाता है | जब तेल और घृत लगाने से उचित लाभ नहीं मिल रहा हो तो मलहम का उपयोग करना चाहिए | यह सभी प्रकार के वर्ण रोगों एवं त्वचा विकारों में अच्छा लाभ देता है |
खाज का मलहम के घटक द्रव्य क्या हैं ?
इस मलहम को बनाने के लिए निम्न जड़ी बूटियों और द्रव्यों का उपयोग किया जाता है :-
- पारा
- गंधक
- सफ़ेद और काला जीरा
- काली मिर्च
- हल्दी और दारूहल्दी
- सिंदूर
- मैनशील
- गौघृत (गाय का घी)
खाज का मलहम कैसे बनाते हैं / बनाने की विधि क्या है ?
उपरोक्त सामग्री लेकर आप यह मलहम आसानी से घर पर बना सकते हैं | इसके लिए निम्न विधि का उपयोग करें :-
- सर्वप्रथम गंधक और पारा की कज्जली बना लें |
- अब अन्य जड़ी बूटियों का महीन चूर्ण बना लें |
- चूर्ण और कज्जली को अच्छे से मिला लें |
- अब इस मिश्रण को खूब घोंट लें |
- जब यह अच्छी तरह मिल जाये और एकमेक हो जाए तो इसमें थोडा गाय का घी मिला लें |
- इसके बाद इसे 2 दिन तक खरल में घोंटे |
- जब यह मलहम की तरह दिखने लगे तो शीशी में डाल कर रख लें |
खाज का मरहम (मलहम) कैसे लगाएं / उपयोग करें ?
जहाँ पर खाज खुजली, घाव या दाद हो रहा हो पहले उसे नीम के पानी से अच्छे से धो लें और साफ़ कपडे से पोंछ ले | अब थोड़ा सा खाज का मलहम ऊँगली पर लगा कर घाव पर अच्छे से हल्के हल्के मलें | इस तरह से दिन में 3 – 4 बार ऐसा करें |
खाज के मलहम के फायदे और उपयोग
इस मलहम का उपयोग सभी तरह की खाज खुजली और वर्ण में किया जाता है | जब अन्य किसी दवा से असर न हो रहा हो तो इस मलहम का उपयोग करने से अच्छा लाभ देखने को मिलता है | आइये जानते हैं इसके फायदे :-
- यह घाव पर तुरंत असर करता है |
- इसको लगाने से जलन कम हो जाती है |
- कभी कभी नस के ऊपर फोड़ा हो जाता है, यह बहुत पीड़ादायक होता है |
- ऐसे में खाज का मलहम लगाने से फोड़ा मुलायम होने लगता है और दर्द भी कम होता है |
- उपदंश (गर्मी) के कारण होने वाले फोड़े फुंसियो में इसका उपयोग फायदेमंद रहता है |
- दाद में भी यह बहुत उपयोगी दवा है |
नुकसान और सावधानियां
इस मलहम में अशुद्ध पारा और गंधक का उपयोग होता है, जो विषैले होते हैं | अतः इसका उपयोग हमेशां सावधानीपूर्वक करना चाहिए | ध्यान रखें की यह आँखों पर ना लगे अगर गलती से ऐसा हो जाए तो आँख में तुरंत गाय का घी डालें और जब तक विष आँख से निकल ना जाए तब तक डालते रहें | इसका उपयोग खाने के लिए कभी भी नहीं करें | अगर छोटा बच्चा गलती से इसको खा ले तो उसे तुरन्त उल्टी करवाएं |
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