बुखार की 10 बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा – Bukhar ki 10 Best Ayurvedic Medicine

ज्वर (बुखार) एक सामान्य रोग है | अगर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो सर्दी जुखाम एवं बुखार जैसे रोग होने की संभावना भी ज्यादा रहती है | खासकर सर्दियों एवं वर्षा ऋतू में इस रोग का प्रकोप बढ़ जाता है | अगर यह रोग ज्यादा दिन तक रहे तो शरीर बहुत कमजोर हो जाता है | इस लेख में हम बुखार से बचने के लिए एवं इसे ठीक करने वाली 10 बेहतरीन आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में बतायेंगे | बुखार की आयुर्वेदिक दवा का उपयोग करके आप पेरासिटामोल जैसी हानिकारक अंग्रेजी दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव से बच सकते हैं |

बुखार की आयुर्वेदिक दवा
बुखार की आयुर्वेदिक दवा

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बुखार की 10 सबसे असरदार आयुर्वेदिक दवा – Bukhar ki 10 best ayurvedic medicine

आयुर्वेद औषधियों का महाकुम्भ है | हर छोटे बड़े रोग के लिए आयुर्वेद में दवाओं के अनेकों विकल्प मौजूद रहते हैं | ज्वर या बुखार के लिए भी इस समृद्ध चिकित्सा प्रणाली में बहुत सी दवाएं मौजूद हैं | इन दवाओं का इस्तेमाल अलग अलग तरह से रोगी की प्रकृति एवं रोग को ध्यान में रख कर किया जाता है | यहाँ पर हम बुखार की 10 ऐसी ही चुनिंदा दवाओं के बारे में बतायेंगे जो ज्वर में तुरंत राहत देती हैं एवं शरीर में ज्वर के कारण होने वाली कमजोरी को भी दूर कर देती हैं |

1. आनंद भैरव रस (ज्वर) बुखार की प्रशिद्ध आयुर्वेदिक दवा है – Bukhar ki Ayurvedic Dawa Anand Bhairav Ras (Jwar)

यह एक शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधि है जो दो प्रकार की होती है | आनंद भैरव रस (ज्वर) एवं आनंदभैरव रस (कास) | इसमें आनंद भैरव रस ज्वर, का उपयोग बुखार एवं अतिसार जैसे रोगों के लिए किया जाता है वहीं आनंद भैरव रस कास का उपयोग खांसी एवं कफ की समस्या को ठीक करने के लिए किया जाता है |

बुखार की आयुर्वेदिक दवा - आनंद भैरव रस
बुखार की आयुर्वेदिक दवा
  • उपयोग (Uses) :- बुखार, सर्दी खांसी एवं अतिसार |
  • घटक द्रव्य (Ingredients) :- सोंठ, शुद्ध हिंगुल, छोटी पीपल, काली मिर्च, जायफल
  • सेवन या अनुपान :- साधारण बुखार में इसकी एक गोली सुबह शाम शहद के साथ सेवन करें |

2. बुखार की आयुर्वेदिक दवा “गोदंती भस्म” – Bukhar ki Ayurvedic Dawa “Godanti Bhasma”

यह भस्म प्रकरण की बहुत ही प्रशिद्ध दवा है | गोदंती भस्म बुखार एवं बुखार के कारण आयी कमजोरी एवं शिरोरोग में बहुत फायदेमंद औषधि है | इसके अलावा यह स्त्रियों में श्वेत प्रदर, बालकों में ज्वर एवं सुखी खांसी में भी उपयोगी है | यह मलेरिया की सुप्रशिद्ध दवा है |

बुखार की आयुर्वेदिक दवा - गोदन्ती भस्म
बुखार की आयुर्वेदिक दवा – गोदन्ती भस्म
  • उपयोग (Uses) :- मलेरिया, सुखी खांसी, दाह रोग, शिरोवेदना एवं बुखार
  • घटक द्रव्य (Ingredients) :- गोदंती (जिप्सम), चंदनादि अर्क, ग्वारपाठा
  • सेवन या अनुपान :- मलेरिया बुखार में गोदंती भस्म २ रत्ती, फिटकरी भस्म २ रत्ती एवं सफ़ेद जीरे का चूर्ण शहद के साथ सेवन करें |

3. बुखार की आयुर्वेदिक दवा “इंद्रशेखर रस” / Bukhar Ki Ayurvedic Dwa “IndraShekhar Ras”

इंद्रशेखर रस गर्भिणी को होने वाले बुखार की प्रशिद्ध दवा है | गर्भिणी के लिए यह औषधि बहुत ही गुणकारी है | यह ज्वर, खांसी, श्वास, संग्रहणी, रक्तातिसार एवं सर दर्द के लिए उपयोग में ली जाती है |

  • उपयोग (Uses) :- गर्भिणी का बुखार, श्वास, खांसी, रक्त अतिसार एवं सर दर्द
  • घटक द्रव्य (Ingredients) :- अभ्रक, भस्म, प्रवाल भस्म, शुद्ध शिलाजीत, लौह भस्म, रस सिंदूर
  • सेवन या अनुपान :- एक एक गोली सुबह शाम मधु या जल के साथ |

4. कफ़ ज्वर (बुखार) की आयुर्वेदिक दवा है कफ़ कुठार रस / Kaf kuthar Ras

अगर छाती में कफ़ जम गया हो एवं उसकी वजह से बुखार हो रहा हो तो कफ़ कुठार रस सबसे उत्तम दवा का काम करता है | इसमें लौह एवं अभ्रक भस्म है जो कफ़ को पिघलाकर बाहर निकाल देते हैं |

  • उपयोग (Uses) :- कफ़ निसारक, कफ़ ज्वर, श्वास |
  • घटक द्रव्य (Ingredients) :- लौह भस्म, अभ्रक भस्म, शुद्ध पारा, सोंठ, काली मिर्च |
  • सेवन या अनुपान :- छाती में कफ़ संचय होने के कारण उत्पन्न बुखार में एक एक गोली सुबह शाम शहद या जल के साथ दें |

5. कस्तूरीभैरव रस से करें सन्निपात ज्वर (बुखार) का इलाज |

शुद्ध बच्छनाग, हिंगुल, जायफल, जावित्री एवं कस्तूरी जैसे द्रव्यों के योग से बना यह रसायन सभी प्रकार के बुखार में फायदेमंद दवा का काम करता है | वात-कफ़ जन्य बुखार एवं सन्निपात ज्वर में यह बहुत उपयोगी है |

  • उपयोग (Uses) :- सन्निपात बुखार, खांसी, कफ़ एवं वात जन्य बुखार |
  • घटक द्रव्य (Ingredients) :- शुद्ध बच्छनाग, हिंगुल, जायफल, जावित्री, काली मिर्च एवं सुहागे की खील |
  • सेवन या अनुपान :- एक गोली सुबह शाम पान एवं अदरक के रस के साथ |

6. कालारि रस भी बुखार की आयुर्वेदिक दवा है Bukhar ki Ayurvedic Dawa “Kalari Ras”

यह बुखार की बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा है | इसमें शुद्ध पारा, गंधक, बच्छनाग एवं सोंठ जैसे उत्तम द्रव्यों का उपयोग किया जाता है | यह सभी प्रकार के ज्वर में उपयोग में लिया जाता है |

  • उपयोग (Uses) :- साधारण बुखार, सन्निपात ज्वर, विषम ज्वर |
  • घटक द्रव्य (Ingredients) :- शुद्ध पारा, गंधक, बच्छनाग, लौंग, पीपल, धतूरे के बीज, जायफल, काली मिर्च, अकरकरा |
  • सेवन या अनुपान :- एक एक गोली तुलसी रस या अदरक रस के साथ सेवन करें |

7. कफ़जन्य बुखार (ज्वर) की आयुर्वेदिक दवा “कास कुठार रस” / Kaf Janya Bukhar ki Ayurvedic dawa “Kaas Kuthar Ras”

शरीर में कफ़ संचय होकर उत्पन्न बुखार में यह औषधि अमृत समान है | यह ठण्ड लगने एवं शीत ऋतू में होने वाले बुखार में विशेष उपयोगी है |

  • उपयोग (Uses) :- कफ़ जन्य बुखार, शीतोपचार से के कारण होने वाला बुखार |
  • घटक द्रव्य (Ingredients) :- शुद्ध सिंगरफ, काली मिर्च, त्रिकुटा, सुहागे की खील एवं शुद्ध गंधक |
  • सेवन या अनुपान :- एक या दो रत्ती सुबह शाम अदरक के रस एवं शहद के साथ दें |

8. बुखार की आयुर्वेदिक दवा “पंचवक्त्र रस” / Bukhar ki Ayurvedic dwa “Panchvaktra Ras”

इस रसायन का उपयोग पित्त प्रधान बुखार में नहीं किया जाता है क्योंकि यह तीक्ष्ण एवं उष्णवीर्य होता है | सन्निपात ज्वर, बदन दर्द एवं साधारण बुखार में इसका सेवन करने से आशातीत लाभ देखने को मिलता है |

  • उपयोग (Uses) :- साधारण बुखार, सन्निपात ज्वर, वात एवं कफ़ प्रधान ज्वर, बदन दर्द |
  • घटक द्रव्य (Ingredients) :- शुद्ध पारा, बच्छनाग, सुहागे की खील, काली मिर्च एवं पीपल |
  • सेवन या अनुपान :- एक एक गोली सुबह शाम शहद एवं सोंठ के चूर्ण के साथ |

9. नव ज्वरहर बटी / Nav Jwarhar Bati

जैसा की इस दवा का नाम है यह ज्वर (बुखार) की प्रारंभिक अवस्था में उपयोग में ली जाने वाली दवा है | अगर बुखार पुराना हो जाये एवं विषम या जीर्ण ज्वर में परिवर्तित हो जाये तो इस दवा का ज्यादा लाभ देखने को नहीं मिलता है | अतः इस आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल नवीन बुखार में ही किया जाना चाहिए |

  • उपयोग (Uses) :- नवीन ज्वर, दीपन-पाचन |
  • घटक द्रव्य (Ingredients) :- शुद्ध पारा, बच्छनाग, सुहागे की खील, काली मिर्च, आंवला, हर्रे, बहेड़ा |
  • सेवन या अनुपान :- एक एक गोली सुबह शाम मधु के साथ |

10. विषमुष्टयादि बटी / vishamushtyadi bati

इस बती के उपयोग से नवीन बुखार, विषम ज्वर, मंदाग्नि, उदर वात, उदर शूल एवं पागल कुते का विष आदि शीघ्र दूर ठीक हो जाते हैं |

  • उपयोग (Uses) :- पागल कुते का विष, बुखार, पेट दर्द, मंदाग्नि|
  • घटक द्रव्य (Ingredients) :- कुचला (एरंडतेल में भुना हुवा), काली मिर्च एवं इन्द्रायण फल स्वरस |
  • सेवन या अनुपान :- एक या दो गोली दिन में 2 से 3 बार जल या पान के रस के साथ |

Reference :-

Antimicrobial Properties of Anand Bhairav Ras (Reasearchgate)

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