खदिरारिष्ट आयुर्वेद की क्लासिकल सिरप फॉर्म की मेडिसिन है | यह आसव एवं अरिष्ट कल्पना की दवा है | जो मुख्य रूप से चर्म रोग एवं रक्त विकारों में प्रमुखता से प्रयोग में ली जाती है | यह उत्तम रक्तशोधक गुणों से युक्त होती है | एक्जीमा, कोढ़, खाज – खुजली, दाद आदि रोगों में लाभ देती है |
आयुर्वेद में खदिरारिष्ट को उत्तम कुष्ठनाशक औषधि माना गया है | त्वचा के अधिकतर रोग रक्त की अशुद्धि के कारण पनपते है | ऐसे में यह दवा रक्त को शुद्ध करती है | जिससे सोरायसिस, दाद, खाज-खुजली एक्जीमा, आँतों के कीड़े एवं पाचन सुधरता है |
खदिरारिष्ट सिरप का निर्माण लगभग 16 आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों के सहयोग से किया जाता है | यह अरिष्ट कल्पना की दवा है जो संधान प्रक्रिया से तैयार की जाती है |
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खदिरारिष्ट के घटक / Ingredients of Khadirarishta in Hindi
इसमें निम्न औषध जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है | इस टेबल के माध्यम से आप खदिरारिष्ट के घटक द्रव्यों को जान सकते है |
क्रमांक | घटक नाम | मात्रा |
---|---|---|
01 | खैरसार | 2.4 किलो |
02 | देवदारु | 2.4 किल |
03 | बावची | 576 ग्राम |
04 | दारुहल्दी | 966 ग्राम |
05 | हरीतकी | 320 ग्राम |
06 | विभितकी | 320 ग्राम |
07 | आमलकी | 320 ग्राम |
08 | जल (क्वाथ के लिए) | 98 लीटर |
प्रक्षेप द्रव्य | प्रक्षेप द्रव्य | प्रक्षेप द्रव्य |
09 | धाय के फुल | 966 ग्राम |
10 | कंकोल | 48 ग्राम |
11 | इलायची | 48 ग्राम |
12 | तेजपता | 48 ग्राम |
13 | नागकेशर | 48 ग्राम |
14 | लौंग | 48 ग्राम |
15 | दालचीनी | 48 ग्राम |
16 | जायफल | 48 ग्राम |
17 | पीपल | 192 ग्राम |
18 | पुराना गुड | 9.6 किलो |
19 | चीनी | 4.6 किलो |
बनाने की विधि / Method of Manufacturing
यह अरिष्ट कल्पना की दवा है | अरिष्ट कल्पना की दवा से तात्पर्य है कि इन दवाओं का निर्माण क्वाथ तैयार करके संधान प्रक्रिया के द्वारा किया जाता है |
इसे बनाने के लिए सबसे पहले खदिर और देवदारु का महीन चूर्ण बना कर 98 लीटर जल में काढ़ा तैयार किया जाता है|
जब जल एक चौथाई बचता है तब इसे आंच से उतार कर ठंडा कर लिया जाता है | अब बाकी बची सभी जड़ी बूटियों का मोटा चूर्ण करके इस क्वाथ में डालकर ऊपर से धाय के फुल, गुड एवं चीनी डालकर एक महीने के लिए संधान पात्र में बंद करके निर्वात स्थान पर रख दिया जाता है |
निर्वात स्थान वह जगह होती है जहाँ पर सीधी धुप एवं हवा का आभाव रहता है | एक महीने पश्चात संधान परिक्षण करके दवा को कांच की शीशी में सहेज लिया जाता है |
बाजार में बैद्यनाथ खदिरारिष्ट, पतंजलि, धूतपापेश्वर, डाबर आदि फार्मेसियों का आसानी से उपलब्ध हो जाता है |
खदिरारिष्ट के फायदे / Health Benefits of Khadirarishta in Hindi
यह दवा लाल और काले कोढ़ के चकते, कपालकुष्ट, महाकुष्ट, दाद, खाज – खुजली एवं अन्य स्किन प्रोब्लम्स में काफी लाभदायक सिद्ध होती है | यहाँ हमने खदिरारिष्ट के विभिन्न रोगों में फायदों को विस्तृत रूप से समझाया है –
प्रशिद्ध रक्तशोधक है खदिरारिष्ट
खदिरारिष्ट आयुर्वेद चिकित्सा की प्रमुख रक्तशोधक दवा है | इसमें खदिर, देवदारु एवं बावची जैसी जड़ी – बूटियां है जो रक्त को शुद्ध करने में कारगर होती है | खदिरारिष्ट आमपाचक औषधि है अर्थात यह टोक्सिन को दूर करने में समर्थ दवा है |
इसका सेवन करने से रक्त में उपस्थित टोक्सिन ख़त्म होते है साथ ही आँतों में बनने वाली अशुद्धियों भी रूकती है |
कील – मुंहासों में खदिरारिष्ट के फायदे
खदिरारिष्ट मुंहासों में बनने वाले बैक्टीरिया को खत्म करती है | इसके नियमित सेवन से रक्त शुद्ध होता है | शरीर में विषाक्त पदार्थ बनने कम होते है एवं बैक्टीरिया का विकास रुकता है | यह प्रक्रिया मुंहासों से निजात दिलाती है |
वाइट हेड्स और ब्लैक हेड्स में भी खदिरारिष्ट पूर्णत: प्रभावी दवा है | नियमित सेवन से इन समस्याओं से छुटकारा मिलता है | यह कफहर औषधि है अत: तेलिय त्वचा में भी लाभदायक सिद्ध होती है |
त्वचा विकारों में इसका सेवन नियमित 3 से 6 सप्ताह तक करना चाहिए | अच्छे परिणाम मिलते है |
एक्जीमा में खदिरारिष्ट के फायदे
अगर एक्जीमा की शिकायत है तो खदिरारिष्ट प्रभावी आयुर्वेदिक दवा साबित होती है | एक्जीमा रोग में बाह्य लेल्प के लिए नीम, हल्दी एवं दारुहल्दी के साथ इस दवा का आंतरिक सेवन फायदेमंद रहता है | यह एक्जीमा में चलने वाली खाज – खुजली, मवाद आदि से राहत दिलाती है |
आँतों में कीड़ो की समस्या
यह हम पहले भी बता चुके है की यह आयुर्वेदिक औषधि शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलती है | आँतों में अगर कीड़ो की समस्या है तो इसका सेवन काफी लाभदायक सिद्ध होता है | नियमित सेवन से आंत्र कृमियों की समस्या दूर होती है |
नुकसान / Side effects
इस आयुर्वेदिक दवा के कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं देखे गए है | हालाँकि आयुर्वेद की आसव – अरिष्ट कल्पनाओं की दवाओं में सेल्फ जनरेटेड अल्कोहल होती है लेकिन चिकित्सा निर्देशित मात्रा में लेने से इनके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते |
सेवन की विधि एवं मात्रा
खदिरारिष्ट का सेवन 10 से 20 मिली की मात्रा में बराबर जल मिलाकर करना चाहिए | अनुपान के रूप में गुनगुना जल प्रयाप्त है |
खदिरारिष्ट के बारे में सामान्य पूछे जाने वाले सवाल – जवाब
धन्यवाद ||
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