कुमारी आसव / कुमार्यासव / Kumaryasava – उपयोग, फायदे एवं निर्माण विधि का सम्पूर्ण वर्णन पढ़ें

कुमार्यासव / कुमारी आसव / Kumaryasava 

कुमार्यासव / Kumaryasava in Hindi – आयुर्वेद की यह औषधि आसव निर्माण विधि से तैयार की जाती है | इसका मुख्य घटक द्रव्य घृतकुमारी (ग्वारपाठा) है | घृतकुमारी मुख्य द्रव होने के कारण इसे कुमारी आसव नाम से भी जाना जाता है | अधिकतर लोग पूछते है कि कुमारी आसव किस काम में आती है तो यह पेट के सभी विकारों, महिलाओं की मासिक समस्या, प्रमेह, पेट के कीड़े एवं रक्तपित रोग में अत्यंत काम आती है |

कुमार्यासव

यह उत्तम पाचन गुणों से युक्त होती है | यकृत के रोग एवं तिल्ली की समस्या में यह बेजोड़ आयुर्वेदिक दवा साबित होती है | इसका निर्माण लगभग 47 औषध द्रवों के सहयोग से आयुर्वेद की आसव कल्पना के तहत निर्माण किया जाता है | बाजार में यह पतंजलि कुमार्यासव, बैद्यनाथ कुमारी आसव, डाबर कुमार्यासव आदि नामो से मिल जाती है | अस्थमा, मूत्र विकार, महिलाओं के प्रजनन विकार एवं पत्थरी की समस्या में भी इसका सेवन लाभदायक होता है |

कुमार्यासव के घटक द्रव्य 

कुमारी आसव अर्थात Kumaryasava को बनाने के लिए निम्न द्रव्यों की आवश्यकता होती है | यहाँ हमने इन सभी द्रवों की सूचि उपलब्ध करवाई है –

घटक द्रव्य मात्रा
घृतकुमारी स्वरस12.288 लीटर
गुड4.800 किलो
मधु2.400 किलो
लौह भस्म2.400 किलो
शुण्ठी24 ग्राम
पिप्पली24 ग्राम
मरिच (कालीमिर्च)24 ग्राम
लवंग (लौंग)24 ग्राम
दालचीनी24 ग्राम
इलायची24 ग्राम
तेजपात24 ग्राम
नागकेशर24 ग्राम
चित्रकमूल24 ग्राम
पिप्पलीमूल24 ग्राम
विडंग24 ग्राम
गजपिप्पली24 ग्राम
चव्य24 ग्राम
हपुषा24 ग्राम
धनियाँ24 ग्राम
सुपारी24 ग्राम
कुटकी24 ग्राम
नागरमोथा24 ग्राम
आमलकी24 ग्राम
हरीतकी24 ग्राम
विभिताकी24 ग्राम
रास्ना24 ग्राम
देवदारु24 ग्राम
हरिद्रा24 ग्राम
दारु हरिद्रा24 ग्राम
मुर्वा24 ग्राम
गुडूची24 ग्राम
मुलेठी24 ग्राम
दंतीमूल24 ग्राम
पुष्कर्मुल24 ग्राम
बलामूल24 ग्राम
अतिबला24 ग्राम
कौंच बीज24 ग्राम
गोक्षुर24 ग्राम
शतपुष्पा24 ग्राम
हिंगूपत्री24 ग्राम
अकरकरा24 ग्राम
उटीगण बीज24 ग्राम
श्वेत पुनर्नवा24 ग्राम
लालपुनर्नवा24 ग्राम
लोध्र त्वक24 ग्राम
स्वर्णमाक्षिक भस्म24 ग्राम
धातकीपुष्प384 ग्राम

कुमार्यासव बनाने की विधि 

कुमारी आसव को बनाने के लिए सबसे पहले घृतकुमारी स्वरस के साथ गुड एवं मधु (शहद) को मिलाकर संधान पात्र में डाल दिया जाता है | संधान पात्र में इन सभी को अच्छे से मिश्रित करने के बाद इसमें लौह भस्म और स्वर्णमाक्षिक भस्म को मिलाकर अच्छे से मिश्रित कर लिया जाता है |


  • अब बाकी बचे सभी औषध द्रव्यों को कूटपीसकर यवकूट कर लिया जाता है | इस बाकी बचे औषधियों के यवकूट चूर्ण को संधान पात्र में डालकर फिर से अच्छे से मिश्रित किया जाता है |
  • अब अंत में धातकीपुष्प को डालकर इस संधान पात्र के मुख को अच्छी तरह बंद करके निर्वात स्थान पर महीने भर के लिए रख दिया जाता है |
  • महीने भर पश्चात संधान परिक्षण विधि से इसका परिक्षण किया जाता है | उचित संधान हो जाने के पश्चात इसे छान कर कांच की शीशियो में भरकर लेबल लगा दिया जाता है |
  • इस प्रकार से कुमार्यासव का निर्माण होता है | आयुर्वेद की सभी आसव कल्पनाओं की औषधियों में प्राकृत एल्कोहोल होती है अत: इनका इस्तेमाल बराबर पानी मिलाकर करना चाहिए |

कुमार्यासव / कुमारी आसव के फायदे  kumari asav ke fayde

कुमारी आसव निम्न रोगों में लाभदायक होती है –

  • पाचन सम्बन्धी सभी विकारों में इसका प्रयोग किया जा सकता है ; क्योंकि यह उत्तम पाचक गुणों से युक्त होती है |
  • पेट का फूलना, पेट के कीड़े और पेट दर्द में इसका प्रयोग लाभ देता है |
  • महिलाओं के प्रजनन सम्बन्धी विकारों में इसका उपयोग किया जाता है |
  • महिलाओं के कष्टार्तव (मासिक धर्म में रूकावट) के रोग में यह फायदेमंद औषधि साबित होती है |
  • जिन महिलाओं का मासिक धर्म बिलकुल अल्प या बंद हो गया हो उनको भी इसके उपयोग से लाभ मिलता है |
  • घृतकुमारी मुख्य द्रव्य होने के कारण यह उत्तम बल वर्द्धक एवं रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला रसायन है |
  • शरीर के अंदरूनी घावों को ठीक करने का कार्य करता है |
  • कमजोर जठराग्नि को मजबूत करके अरुचि एवं अजीर्ण जैसी समस्या में लाभ देता है |
  • श्वास एवं क्षय रोग में भी लाभदायक आयुर्वेदिक सिरप है |
  • अपस्मार जैसे रोग को दूर करने में फायदेमंद है |
  • मूत्र विकारों का शमन करती है |
  • अश्मरी (पत्थरी) में उपयोगी दवा है |
  • उचित सेवन से वीर्यविकारों का भी शमन करती है |
  • यकृत के रोग एवं तिल्ली की व्रद्धी में भी फायदेमंद औषधि है |
  • रक्तपित की समस्या में फायदेमंद है |

कुमार्यासव सेवन की विधि 

इसका सेवन 20 से 30 ml चिकित्सक के परामर्शनुसार सुबह एवं सायं को करना चाहिए | हमेशां बराबर मात्रा में पानी मिलाकर भोजन के पश्चात इसका सेवन किया जाता है | अगर उचित मात्रा में सेवन किया जाए तो इस आयुर्वेदिक औषधि के कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है | रोगानुसार सेवन के लिए चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है |

कुमार्यासव सिरप की प्राइस / Price List of Kumari Asava in India 

  1. Patanjali Divya Kumari Asava Price (450ML) – Rs 70
  2. Dabur Kumaryasava (450ML) – Rs 135
  3. Baidyanath Kumari Asav (450ML) – Rs 140
  4. Dhootpapeshwar Kumari Asava (450ML) – Rs 190
  5. Sandu Kumari Asav Price (450ML) – Rs 188

धन्यवाद |

कुमारी आसव बाजार में विभिन्न फार्मेसी द्वारा निर्माण किया जाता है | अगर आप अच्छी क्वालिटी का कुमार्यासव खरीदना चाहते है तो निचे दिए लिंक के माध्यम से इसे सीधे घर बैठे मंगवा सकते है |

28 thoughts on “कुमारी आसव / कुमार्यासव / Kumaryasava – उपयोग, फायदे एवं निर्माण विधि का सम्पूर्ण वर्णन पढ़ें

  1. ritik says:

    मुझे साइनस प्रॉब्लम हे नाक में एलर्जी हे मेने कुमरिअसाव को खाने के बाद लेना सुरु किया तोह मुझे फेस एंड बॉडी पैर खुजली हो रही हे इसका क्या कारन हो सकता हे हम आपकी सही सलाह चाहते है

  2. Sunil says:

    मै गैस और पाचन की समस्या से परेशान हूं। करीब ३-४ साल से लेकिन मुझे खूनी पाइल्स है। तो क्या मै कुमार्यासव का सेवन कर सकता हूं। आप मुझे सजेस्ट करे क्या करना चाहिए!

    • स्वदेशी उपचार says:

      कुमारी आसव निश्चित तौर पर भूख न लगने की समस्या को दूर करती है | यह सभी प्रकार के पाचन विकारों, यकृत एवं प्लीहा के दोषों को भी दूर करने में कारगर है | लेकिन आपके एक कमेंट के आधार पर हम व्यक्तिगत सलाह देने में असमर्थ है | कृप्या आप हमें कॉल कर सकती है या अपने नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह ले सकती है |

      धन्यवाद |

  3. अवध बिहारी पान्डेय says:

    मेरा प्रोस्टेट बढ़ा हुआ है मैं प्रोस्टीज शीतप्रभा वटी और चंद्रप्रभा वटी पुनर्नवाद्यासव के साथ ले रहे हैं,एक माह से दवा ले रहे हैं अपेक्षित परिणाम मिल सकता है कृपया सुझाव देने की कृपा करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *