लेटिन नाम – Cassia Occidentalis
कुल – Caesalpiniaceae
अंग्रेजी नाम – Negro Coffee
स्थानीय नाम – कसौंदी
संस्कृत – अरिमर्द, कासारी, कर्कश
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कासमर्द का परिचय / Kasmard in Hindi
यह एक प्रकार की फैली हुए छोटी झाड़ी होती है | ये बरसात में बहुत उग आते है | इसकी शाखाएं मुलायम रेखा वाली और हलके बैंगनी रंग की होती है | पते गोल, बरछी के आकार के ऊपर के तरफ मखमली और नीचे के बाजू कुछ खुरदरे रहते है |
इसके फुल गुच्छों में रहते है | फलियाँ लम्बी, मोटी और चपटी होती है | एक को काली कसौदी कहा जाता है | यह अधिक उत्तम होता है |
स्वरुप – क्षुप 2 से 3 फ़ीट ऊँचा होता है | यह अधिकतर वर्षा ऋतू में पैदा होता है |
काण्ड – परिखा युक्त होता है |
पत्र – इसके पत्र 6 से 12 इंच लम्बे होते है | इन पत्रों में 4 से 5 जोड़े लटवाकर होते है | पत्तों की जड़ों में फूली हुई ग्रंथि होती है |
पुष्प – इसके फुल पीतवर्णी 2 से 4 इंच व्यास के मंजिरियों में लगे रहते है |
फली – 4 से 5 इंच लम्बी चपटी होती है |
बीज – प्रत्येक फली में 10 से 30 बीज होते है | बीच में परदे होते है शरद ऋतू में पुष्प और हेमंत में फल आते है |
प्रयोज्यांग – पत्र, बीज और मूल |
औषधीय गुण
आयुर्वेद के अनुसार कसौंदी के पत्तों का शाक रुचिकर, वीर्यवर्धक, खांसी को नष्ट करने वाली, सभी प्रकार विषों को दूर करने वाली, बवासिर में हितकारी, मधुर, कफ, वात विनाशक, पाचक कंठ शोधक, पित्त नाशक ग्राही और हलका है | खांसी में यह विशेष रूप से लाभदायक है |
कासमर्द की जड़ दाद, बिच्छू के विष और श्लीपद में उपकारी है | इसके पते सुस्वादि, कामोद्दीपक और विषनाशक होते है | गले के विकार, त्रिदोष जन्य बुखार और पित्तविकार में भी लाभदायक होता है |
रस – तिक्त एवं मधुर
गुण – लघु
वीर्य (तासीर) – उष्ण
विपाक – कटु
त्रिदोष प्रभाव – कफवात नाशक एवं पित्तसारक |
कासमर्द के फायदे / Health Benefits of Kasmard in Hindi
- रूचि कारक
- वृष्य
- कास में फायदेमंद (खांसी)
- विषनाशक औषधि अत: सांप या बिच्छू आदि के विष में उपयोगी औषधि |
- पाचक गुणों से युक्त होने के कारण पाचन सम्बन्धी विकारों में फायदेमंद |
- कंठशोधक कर कार्य करती है |
- अपने कफनिस्सारक गुणों के कारण श्वास रोग में फायदेमंद होती है |
- ज्वर अर्थात बुखार में भी यह औषधीय जड़ी – बूटी विशेष लाभकारी है |
- कब्ज की समस्या में लाभदायक जड़ी – बूटी है | कासमर्द अपने पाचक गुणों के कारण कब्ज एवं गैस आदि की समस्या में फायदेमंद होती है |
- कुक्करखांसी (काली खांसी) में भी यह विशेषकर फायदेमंद होती है |
कासमर्द के स्वास्थ्य उपयोग
- कुक्कर खांसी अर्थात काली खांसी में इसके पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर चाटने से खांसी में आराम मिलता है | इसे 5 से 10 मिली की मात्रा में सेवन करना चाहिए |
- कब्ज – अगर कब्ज से काफी परेशान है तो कासमर्द के फुलों गुलकंद बना कर सेवन करने से जीर्ण से जीर्ण कब्ज ठीक हो जाता है |
- बुखार – ज्वर होने पर इसके बीजों का चूर्ण शराब के साथ सेवन करवाया जाता है |
- रतोंधी – रात के समय दिखाई दे तो कसौंदी के पत्तों को पानी में पीसकर समभाग गेंहू का आटा मिलाकर रोटी बना लें | इसका सेवन करने से रतोंधी में लाभ होता है | इसके पत्तों का रस आँखों में डालने पर भी आराम मिलता है |
- घाव – कासमर्द के पत्तों को पीसकर घाव वाले स्थान पर लेप करने से घाव जल्दी भरने लगते है |
- दाद – कसौंदी की ताजी जड़ को पीसकर इसमें कागजी निम्बू का रस मिलाकर दाद वाले स्थान पर नियमित लगाने से दाद जल्द ही ठीक हो जाता है |
- दमा और पेट के कीड़ों की समस्या में कासमर्द के पत्तों की तरकारी बना कर खिलाने से दमा की बीमारी एवं पेट के कीड़े ठीक हो जाते है |
- पीलिया रोग – पीलिया की समस्या में इसके 2 से 3 पते कालीमिर्च के चूर्ण के साथ मिलाकर पिलाने से पीलिया में आराम मिलता है |
- हूपिंग कफ यानि कुक्कर खांसी की समस्या में इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से लाभ मिलता है |
- कासमर्द के सूखे फूलों को पीसकर सूंघने से मृगी रोग में लाभ होता है |
- इसके पत्तों को पीसकर ज्यूस बनाकर पिने से हिचकी समाप्त होती है |
धन्यवाद ||