अंजीर के आयुर्वेदिक गुण, फायदे एवं स्वास्थ्य उपयोग

अंजीर कैल्शियम, फाइबर एवं विटामिन्स भरपूर फल है | स्वास्थ्य लाभों की दृष्टि से यह फल अत्यंत फायदेमंद है | बाजार में सुखाया हुआ फल आसानी से मिल जाता है | इसमें प्रोटीन 0.579 ग्राम, फाइबर 2 ग्राम के लगभग, फैट 0.22 एवं विटामिन्स, मिनरल्स, सोडियम आदि उपयोगी तत्व होते है |

इसके सूखे फल में 83% के लगभग शुगर की मात्रा होती है अत: यह अत्यंत मीठा फल है | इसका फल तृप्ति दायक एवं पुष्टिकारक होता है | यहाँ इस आर्टिकल में हमने अंजीर से सम्बंधित सभी जानकारियों को आपके समक्ष प्रस्तुत किया है |

अंजीर का सामान्य परिचय

लेटिन नाम – Ficus Carica

कुल – Moraceae

अंग्रेजी नाम – Common Fig

संस्कृत – काको, दुमब्रिका, फल्गु, राजोद्रुमब

उपयोगी अंग – फल

मात्रा – 1 से 2 नग

वानस्पतिक परिचय :- अंजीर का पेड़ 20 से 30 फ़ीट तक ऊँचा होता है |(यहाँ निचे इसकी फोटो देखिये) यह अरब, ईरान, टर्की, अफ्रीका एवं भारत में होता है | हमारे देश में अब यह अधिकतर सभी प्रांतो में उगाया जाने लगा है | इसके पते वट वृक्ष के पत्तों के समान होते है | अंजीर के फल प्राय गूलर के फल के आकार के होते है | कच्चे फल हरे रंग के और पके हुए फल पिले या बैंगनी रंग के होते है | इसको काटने पर यह अंदर से काफी लाल रंग का होता है |

अंजीर
अंजीर का पेड़

स्वरुप – वृक्ष मध्यम प्रमाण का 20 से 30 फ़ीट ऊँचा होता है |

पत्र – वट वृक्ष के पत्र के समान चौड़े, गोल एवं हृदयकृति के होते है | ये ऊपर से चिकने एवं निचे की तरफ से रोमश अर्थात हलके रोमों युक्त होते है |

पुष्प – इसके फूल दीर्घवृन्त के हरे रंग के स्त्री पुष्पासन होते है |

फल – गूलर के समान होते है |इसके फल बाजार में पका कर सुखाये हुए डोरी में पिरोये हुए मिलते है |

अंजीर के औषधीय गुण

आयुर्वेदिक मत से यह अत्यंत शीतल, तत्काल रक्तपित नाशक, सिर व खून की बीमारी में तथा नकसीर में लाभकारी होता है | यूनानी मतानुसार यह पहली दर्जे में गर्म और दूसरे दर्जे में तर है | इसकी जड़ पौष्टिक तथा धवल रोग जिसे श्वेत कुष्ठ कहा जाता के लिए फायदेमंद है | यह दाद एवं खुजली की समस्या में भी फायदेमंद होती है |

इसका फल मीठा, ज्वरनाशक, पौष्टिक, रेचक, कामोद्दीपक, विषनाशक, सूजन में लाभदायक, पथरी को दूर करने वाला ओर कमजोरी, लकवा, प्यास, यकृत एवं तिल्ली की बीमारी व सीने के दर्द के लिए फायदेमंद है |

गुण धर्म

रस – मधुर

गुण – गुरु एवं स्निग्ध

वीर्य – शीत अर्थात इसकी तासीर ठंडी होती है |

विपाक – मधुर

त्रिदोष प्रभाव – वात एवं पित्त शामक |

अंजीर के फायदे या स्वास्थ्य उपयोग

यह फल तृप्तिदायक एवं पुष्टिकारक होता है | पेट की रुक्षता को दूर करके मलबद्धता को ख़त्म करता है | अंजीर पीलिया, यकृत रोग, अर्श, प्लीहावृद्धि, खांसी, श्वास एवं रक्त विकार में फायदेमंद रहता है | इसके सूखे फल अधिक कारगर साबित होते है | अत स्वास्थ्य उपयोग की दृष्टि से सूखे फलों का ही अधिक इस्तेमाल किया जाता है |

पुष्टिकारक

आयुर्वेद के अनुसार अंजीर शारीरिक पुष्टि प्रदान करने वाला औषधीय फल है | इसमें पाए जाने वाले तत्व जैसे – फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन, सोडियम, फैटी एसिड एवं सैचुरेटेड फैट आदि शरीर को बल प्रदान करने का कार्य करती है |

पुष्टि के लिए अंजीर 1 एवं बादाम 5 – 10 दूध में उबाल कर नियमित सुबह सेवन करने से शरीर को बल एवं पुष्टि की विरद्धि होती है |

श्वास रोग में अंजीर का प्रयोग

श्वास एवं कास अर्थात खांसी की समस्या अधिकतर कफ की अधिकता एवं कमजोर श्वसन प्रणाली के कारण होती है | अंजीर श्वास एवं खांसी में उत्तम कार्य करती है | श्वसन विकारों के रोगी को नियमित अंजीर व् गोरखइमंलि प्रत्येक 6 – 6 ग्राम लेने से श्वांस के रोग में आराम मिलता है |

यह प्रयोग हृदयावरोध की समस्या को भी ठीक करता है | श्वांस रोग में दूसरा प्रयोग 1 अंजीर के टुकड़े को पानी में उबाल लें एवं साथ में लौंग एवं कालीमिर्च का पाउडर छिड़कर प्रयोग में लेने से भी खांसी एवं श्वांस में आराम मिलता है |

हृदयविकार

ह्रदय को बल प्रदान करने एवं हृदय विकारों से बचने में अंजीर फायदेमंद फल है | इसके पत्तों का भी प्रयोग चूर्ण बना कर हृदय विकारों में करने से लाभ मिलता है | एक अध्यन के अनुसार इसके पत्तों का एक्सट्रेक्ट लिपिड प्रोफाइल और hdl को काम करने का कार्य करती है |

  • विद्रधि की समस्या में अंजीर को चटनी की तरह पीसकर पानी मिलाकर इसकी पुल्टिस तैयार करलें | इस पुल्टिस को प्रभावित स्थान पर बांधने से विद्रधि में आराम मिलता है |
  • कंठशोथ (गले में सूजन) – गले में सूजन हो तो इसे उबाल कर गले के बाहर लेप करने से लाभ मिलता है |
  • यकृत एवं प्लीहा वृद्धि में अंजीर को जामुन के सिरके में भिगोकर प्रयोग करने से यकृत एवं प्लीहा वृद्धि में लाभ मिलता है |
  • खुनी बवासीर – अगर बवासीर की समस्या है तो दो सूखे अंजीर को रात के समय पानी में भिगो दें | इन्हे सुबह पानी से निकाल कर खा लें | इसी प्रकार सुबह दो अंजीर पानी में भिगोकर रात के समय प्रयोग में लेने से खुनी बवासीर ठीक होने लगता है |
  • सफ़ेद कोढ़ के आरम्भ में ही अंजीर के पत्तों का रस लगाने से उसका बढ़ना बंद होकर आराम मिलता है |
  • अंजीर लकड़ी पानी के अंदर घोलकर गाद के निचे बैठ जाने के बाद उसका निथरा हुआ पानी निकाल कर फिर से उसमे इसकी राख को घोल कर ऐसा लगभग 7 बार करने से एवं इस पानी को रोगी को पिलाने से रुधिर का जमाव बिखर जाता है |
  • सूखे एवं हरे अंजीर को पीसकर जल में औंटाकर गुनगुना लेप करने से गांठो व फोड़ो की सूजन नष्ट हो जाती है |
  • अंजीर और गोरख इमली का चूर्ण समान भाग लेकर प्रात: काल छह माशे की खुराक में खाने से दमे के रोग से छुटकारा मिलता है |

सामान्य सवाल – जवाब

अंजीर खाने से कौन – कौन से फायदे होते है ?

अंजीर फलों का सेवन भिगोकर नियमित रूप से करने पर हृदय विकार, अस्थमा, कब्ज, अपच, भूख की कमी, बवासीर एवं यकृत और प्लीहा के रोगों में लाभ मिलता है | यह कैल्शियम, आयरन, सोडियम, फाइबर, मैग्नेशियम एवं प्रोटीन का उत्तम स्रोत है अत: शारीरिक पुष्टि एवं बल का वर्द्धन करता है |

अंजीर कब और कैसे खाना चाहिए ?

इसका सेवन किसी भी ऋतू में किया जा सकता है वैसे आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म, वर्षा एवं हेमंत ऋतू में इसका सेवन करना चाहिए क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है | अंजीर को दूध में उबाल कर खाना चाहिए या रात्रि में एक गिलास पानी में अंजीर के सूखे फलों को भिगो कर सुबह खाना चाहिए |

इसके कौन – कौन सी आयुर्वेदिक दवाएं बनती है ?

आयुर्वेद चिकित्सा में अंजीर के सहयोग से जन्मघुटी एवं प्रदरनाशक योग आदि दवाओं का निर्माण किया जाता है |

धन्यवाद ||

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