आयुर्वेद चिकित्सा में भस्मों का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के चिकित्सार्थ किया जाता है | यहाँ हमने विभिन्न भस्मों की लिस्ट उपलब्ध करवाई है | इन भस्मों का संक्षिप्त परिचय आप यहाँ देख सकते है |
Ayurvedic Bhasma List in Hindi
1 . अभ्रक भस्म – उत्तम रसायन, वृष्य एवं वीर्य को बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधि है | आयुर्वेद में रसायन उसे कहा जाता है जो जवानी को बनाये रखे | कफज विकार जैसे – खांसी, जुकाम, अस्थमा एवं टीबी जैसे रोगों में यह फायदेमंद रहती है |
2. अकिक पिष्टी – हृदय दुर्बलता, बढ़ी हुई तिल्ली, यकृत सम्बन्धी विकार एवं नेत्र विकारों आदि रोगों में प्रमुखता से काम में ली जाती है | यह शरीर में बढे हुए वात एवं पित का शमन करती है | रसायन एवं वाजीकरण औषधि भी है |
3. कसीस भस्म – यह सर्वाधिक सौम्य भस्म मानी जाती है | रक्त वर्द्धक एवं पित नाशक गुणों से युक्त होती है | आँखों के रोग, खुजली, रक्त की कमी, कुष्ठ एवं यकृत – प्लीहा व्रद्धी में प्रमुखता से प्रयोग करवाई जाती है |
4. कहरवा पिष्टी – पितविकार, हृदय की दुर्बलता, रक्तातिसार एवं रक्त प्रदर जैसे रोगों में उपयोगी भस्म है | यह बवासीर एवं मूत्र विकारों में भी प्रयोग करवाई जाती है |
5. कपर्दक भस्म – यह भस्म संग्रहणी , अम्लपित, आफरा, प्यास की अधिकता एवं पेट के विकारों में लाभदायी है | अजीर्ण – अपच, खट्टी डकार, आफरा एवं पाचन सम्बन्धी विकारों में लाभदायी |
6. कांस्य भस्म – यह त्वचा को कोमल बनाकर रूखापन मिटाती है | अपने लघु, तिक्त, उष्ण एवं लेखन गुणों के कारण कृमि रोगों, कुष्ठ एवं भूख की कमी में उपयोग की जाती है | इसके अलावा आँखों की रोशनी बढाने वाली, रक्तविकार दूर करने वाली, प्रदर एवं प्रमेहादी रोगों में भी उत्तम कार्य करती है |
7. कुक्कुटांडत्वक भस्म – यह पुरुषों के यौन विकारों जैसे स्वप्नदोष एवं धातु दुर्बलता में बहुत उपयोगी आयुर्वेदिक भस्म है | इसे वंग भस्म के साथ मिलाकर मलाई के साथ सेवन करने से प्रमेह एवं मूत्ररोग मिटते है | यह स्त्रियों के प्रदर रोगों में भी फायदेमंद है |
8. गोदंती भस्म – यह आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक औषधि है | जुकाम, बुखार, खांसी एवं श्वास रोग में फायदेमंद है | यह स्त्रियों के श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर एवं कब्ज आदि में लाभदायक है |
9. ताम्र भस्म – पेट के रोग, दस्त, हिचकी, अम्लपित, प्रमेह, अजीर्ण, अपच, एनीमिया एवं कीड़ो की समस्या में प्रयोग की जाती है | यह सभी प्रकार के ज्वर, यकृत विकार एवं हैजा जैसे रोगों में लाभदायक है |
10. त्रिवंग भस्म – इसे नाग, वंग एवं यशद इन तीन भस्मों के योग से निर्मित की जाती है | यह मूत्रवाहिनी नली एवं प्रमेह आदि रोगों में लाभदायक है | स्त्रियों के श्वेत प्रदर, गर्भस्राव एवं गर्भास्य की कमजोरी में लाभदायक है |
11. नाग भस्म – इस भस्म के सेवन से प्रमेह, नेत्ररोग, गुल्म, मन्दाग्नि एवं आमाशय की वृद्धि से होने वाले रोगों में लाभ मिलता है | मधुमेह में इसका प्रयोग शिलाजीत के साथ योग स्वरुप करने से अत्यंत लाभ मिलता है |
12. पारद भस्म – यह उत्तम रसायन एवं वाजीकरण आयुर्वेदिक औषधि है | इसके सेवन से शरीर में बल, वीर्य एवं मैथुन शक्ति की वृद्धि होती है | यह प्रमेह, कफज विकार एवं पाचन विकारों में फायदेमंद है |
13. प्रवाल भस्म – यह भी उत्तम रसायन एवं वाजीकरण औषधि है | इसके सेवन से शरीर में वीर्य एवं बल की वृद्धि होती है | यह कफ का नाश करने वाली, खांसी को दूर करने वाली, रक्त पित को दूर करने वाली एवं कांतिजनक औषधि है | पितविकारों की उत्तम आयुर्वेदिक दवा है | यह शीत वीर्य अर्थात ठंडी तासीर की होती है |
14. बंग भस्म – यह उष्ण वीर्य अर्थात गरम तासीर की आयुर्वेदिक दवा है | उष्ण तासीर की होने के कारण दीपन एवं पाचन है | बल एवं वीर्य को बढाने वाली और वात को नष्ट करने वाली औषधि है |
15. मयूरपिच्छ भस्म – मोर के पंख की चन्द्रिका से निर्मित आयुर्वेदिक दवा है | इसे मयूर चन्द्रिका भस्म भी कहा जाता है | हिचकी, दमा एवं वमन में उपयोगी औषधि है |
16. स्वर्ण भस्म : स्वर्ण पत्रों से निर्मित होने वाली यह भस्म सभी त्रिदोष व्याधियों में उपयोग होती है | स्वर्ण भस्म के बारे में आप और अधिक यहाँ से जान सकते है |
इनके अलावा आयुर्वेदिक भस्मों की सूचि हमने यहाँ टेबल के माध्यम से उपलब्ध करवाई है ताकि रीडर को आसानी हो
आयुर्वेदिक भस्मों की सूचि टेबल
क्रमांक | भस्मों के नाम |
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1 | अभ्रक भस्म |
2 | अकिक भस्म |
3 | कसीस भस्म |
4 | गोदंती भस्म |
5 | कुक्कुतांडत्वक भस्म |
6 | कासीस गोदंती भस्म |
7 | कहरवा पिष्टी |
8 | कपर्दक भस्म |
9 | कांस्य भस्म |
10 | नाग भस्म |
11 | तूतिया भस्म |
12 | त्रिवंग भस्म |
13 | जहरमोहरा पिष्टी |
14 | पन्ना भस्म |
15 | ताम्र भस्म |
16 | वंग भस्म |
17 | पारद भस्म |
18 | हीरा भस्म |
19 | प्रवाल पिष्टी |
20 | पुखराज भस्म |
21 | पीतल भस्म |
22 | वैक्रांत भस्म |
23 | संखिया भस्म |
24 | मंडूर भस्म |
25 | मोती भस्म |
26 | मयूर चन्द्रिका भस्म |
27 | माणिक्य भस्म |
28 | रजत भस्म |
29 | स्वर्ण भस्म |
30 | लौह भस्म |
31 | स्फटिका भस्म |
32 | मुक्तशुक्ति भस्म |
33 | माणिक्य भस्म |
34 | शंख भस्म |
35 | श्रंग भस्म |
36 | हरताल भस्म |
37 | स्वर्ण माक्षिक भस्म |
धन्यवाद |
Meri beti age-14 uske pet me dard rahta hai ,maine uska bahut janch karaya par koee ,rog nahi nikla,fir bhi pet me dard rahta hai,kabhi kabhi tej dard rahta hai.koeee upay ayurvedic ho to bataye.
17 sal ka ladka h mera or uski yaaddast kamjor h iska upay
I am very soft kaun si dava kahan use hoti hai
Shila sindoor 2 GM kahrwa pisty 4 GM praval pisty 5 GM amritasatwa 10 GM or swarn bhasm 1 GM matra mix karke 60 pudiya banao or 1 subha 1 sham khali pet shahad k sath de …labh hoga
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Napusktase.ling.khada.nahi.hota.hai..umra60salki.hai
mere umar 32 saal hai. mujhe sex ki weakness hai. mujhe ayurvadic medicine lai sakta hon