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हस्त मुद्रा से उपचार
हमारा भौतिक शरीर 5 महाभूतों से बना है – पृथ्वी , अग्नि , जल , वायु और आकाश | हमारे दोनों हाथों की अंगुलियाँ और अंगूठे इन्ही पांचो महाभूतों के प्रतिक है | मानव शरीर की भी अपनी मुद्रामयी भाषाएँ है , इन्ही मुद्राओं के द्वारा हमारा शरीर स्वस्थ रहता है | मुद्रा चिकित्सा की खोज आज से हजारों साल पहले हमारे ऋषि – मुनिओं द्वारा की गई थी | हमारे ऋषि – मुनिओं ने इन मुद्राओं की उपयोगिता को समझ लिया और इन्हें अपना कर लम्बे समय तक निरोगी और सुखी जीवन जीया | आपको पता होगा की जब व्यक्ति नाचता है तब उसका शरीर विभिन्न मुद्राएँ बनाता है जो उसके स्वस्थ रहने में सहायक होती है |
हस्त मुद्रा को करने के लिए आपको एक ध्यान की अवस्था में बैठना होता है और अपने हाथो से इन मुद्राओं को बनाना होता है | इन आसनों में अधिक परिश्रम भी नहीं करना पड़ता और न ही अधिक समय लगाना पड़ता है | प्रत्येक हस्त मुद्रा को आप 5 – 5 मिनट अपना कर भी स्वस्थ रह सकते है |
इन 5 प्रकार की हस्त मुद्रा ओं को आपना कर आप स्वस्थ रह सकते है
1 . पृथ्वी मुद्रा
अंगूठा और अनामिका ( तीसरी ) का अग्रभाग मिलाकर दबाएँ , शेष अंगुलियाँ फैली रहने दे | यह मुद्रा स्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ रखने वाली , मष्तिष्क को पुष्ट करने वाली और रोगी को निरोगी करने में सक्षम होती है | पृथ्वी मुद्रा हमारे शरीर के पृथ्वी महाभूत से जुडी होती है इसलिए यह शरीर को सुद्रढता प्रदान करती है | जिस प्रकार पृथ्वी हमारे शरीर का पोषण करती है उसी प्रकार यह मुद्रा करने से हमारे शरीर का पोषण होता है एवं शारीरिक कमजोरी दूर होती है | आप ऊपर दी गई फोटो को देख कर आसानी से पृथ्वी मुद्रा कर सकते है |
2 . हृदय मुद्रा
हृदय मुद्रा करने से पहले अपने शरीर को आराम की स्थिति में ले आये | अब अपनी तर्जनी अंगुली को अंगूठे के तल में स्पर्श करे , मध्यमा अंगुली अंगूठे का अग्रभाग दबाती रहे और इसके साथ अनामिका भी सहयोग रहना चाहिए | इस प्रकार की मुद्रा हृदय मुद्रा कहलाती है | यह मुद्रा हृदय के रोग मिटाती है | एंजाइना , दमा ,श्वास को दूर करती है और हृदय की रक्तधमनियों में आये अवरोध को ख़त्म करती है | फोटो को देख कर आप आसानी से हृदय मुद्रा कर सकते है |
3 . सूर्य मुद्रा
सूर्य मुद्रा करने के लिए अपने अंगूठे के प्रथम तल में अनामिका अंगुली का अग्रभाग स्पर्श करके अच्छी तरह दबावे और बाकी अंगुलियों को फैली रहने दे | सूर्य मुद्रा करने से शरीर का कोलेस्ट्रोल कम होकर मोटापे से निजात मिलती है | यह मुद्रा शरीर में अग्नि तत्व को बढ़ाने वाली मुद्रा है | मानसिक रोग और थाईराइड के रोग में भी काफी फायदेमंद है |
4 . वरुण मुद्रा
वरुण मुद्रा करने से शरीर में वात के कारण होने वाले सभी रोग खत्म होते है | यह मुद्रा रक्त विकार, त्वचा रोग , सूखापन , अनिद्रा , भय आदि रोगों को ख़त्म करके शरीर सौष्ठव्य प्रदान करती है | जोड़ो के दर्द , गठिया रोग , कम्पवात , गैस , लकवा , हिस्टीरिया आदि रोगों में वरुण मुद्रा करने से किसी भी प्रकार की औषधि के बैगर तुरंत आराम मिलता है | वरुण मुद्रा करने के लिए अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली को अंगूठे के अग्रभाग पर स्पर्श करके दबाव बनाये | लगातार 5 मिनट तक करे |
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5 . ज्ञान मुद्रा / ध्यान मुद्रा / योग मुद्रा
ज्ञान मुद्रा को ध्यान मुद्रा और योग मुद्रा भी कहते है | इसे बनाने के लिए अपनी तर्जनी अंगुली को अंगूठे के अग्रभाग पर रखकर दबावे , शेष अँगुलियों को फैली रहने दे | इस मुद्रा को लगातार करते रहने से स्मरण – शक्ति तेज होती है | मष्तिष्क की दुर्बलता को दूर करने में यह कारगर मुद्रा है | बिना किसी औषधि के स्मरण – शक्ति तेज करने और अपने मष्तिष्क को मजबूत बनाने के लिए ज्ञान मुद्रा को अपनाना चाहिए | यह मुद्रा उपासना , ध्यान , योग शाधना और आध्यात्मिक उर्जा को जगाने के लिए महत्वपूर्ण विद्या है | इसके इस्तेमाल से मन , मष्तिष्क और स्नायु संस्थान का तनाव बीना किसी औषधि के दूर होता है |
इस प्रकार इन 5 मुद्राओं के इस्तेमाल से शरीर के पांचो महाभूतों का समुचित संवर्धन होता है | अगर आप को यह जानकारी अच्छी लगे तो कृपया इसे सोशल साईट पर भी share करे ताकि अन्य लोगो तक भी पंहुच सके | आप हमारे Facebook पेज से जुड़कर भी स्वास्थ्य से सम्बंधित जानकारियों से अपडेट रह सकते है |
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