कफ कर्तरी रस जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह आयुर्वेदिक औषधि कफ को काट काट कर बाहर निकाल देती है इस कारण इसका नाम कफ कर्तरी रस रखा गया है। यह आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसिन है, जिसे विशेष रूप से शरीर से कफ को बाहर निकालने के लिए उपयोग में लिया जाता है। यदि छाती में बहुत ज्यादा कफ जमा हो गया हो और अन्य औषधीयो के सेवन से भी नहीं निकल रहा हो तो कफ करतरी रस को कुछ दिन लगातार सेवन करने से ही बहुत ज्यादा मात्रा में कफ बाहर निकल जाता है।
यह आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसिन है। इस रस के सेवन से दूषित कफ बिना कष्ट के सरलता के साथ थोड़ा खांसने से ही शरीर से बाहर निकल जाता है। कफ कर्तरी रस श्वास रोगों में अत्यन्त उपयोगी दवा है यहां तक कि दो-तीन मात्रा ओषधि खाते ही दमा का वेग शांत हो जाता है।
यदि आप भी कफ कर्तरी रस को बनाने की विधि, सेवन विधि तथा कफ करतरी रस के फायदे क्या-क्या है के बारे में जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें। आज हम इस आर्टिकल में आपको कफ करतरी रस के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाएंगे। तो चलिए जानते हैं
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कफ कर्तरी रस के घटक द्रव्य | Ingredients of Kaf Kartari Rasa
कफ कर्तरी रस को बनाने के लिए जिन औषधियों को प्रयोग में लिया जाता है वह इस प्रकार है-
- जावित्री – 2 तोला
- इलायची- 2 तोला
- पुराना वांस – 4 तोला
- पुनर्नवा मूल- 4 तोला
- कटरी फल – 2 तोला
- तंबाकू के डंटलो की अंतरधूम राख – 2 तोला
- अपामार्ग का पंचांग – 2 किलो
- सुहागा
- पारद
- गंधक
नोट – कफ कर्तरी कफ रस में पारद और गंधक को कजली बनाकर उपयोग में लिया जाता है।
कफ कर्तरी रस को बनाने की विधि | Manufacturing Process
कफ करतरी रस को बनाने के लिए सर्वप्रथम सभी औषधियों को बताई गई मात्रा के अनुसार इकट्ठी कर ले। अब
- सबसे पहले सुखे अपामार्ग का पंचांग 1 किलो लेकर लोहे की एक बड़ी कड़ाही में डाल दें।
- ऊपर से उपरोक्त दवाएं डालकर ऊपर से बचा हुआ किलो सुखा अपामार्ग पंचांग को डाल दें।
- अब चूल्हे में अग्नि लगा दे।
- इसके पश्चात बांस के डंडे से इधर उधर करके अच्छी प्रकार से जला दे, ताकि अच्छी तरह राख हो जाए।
- कोयला न रहने दे, इस प्रकार जला दे।
- फिर भी यदि कोई औषध ठीक से न जल पावे तो अपामार्ग पंचांग डालकर जला ले और औषधियो की राख कर ले।
- अब औषधियों की राख को कपड़े से छानकर पीसकर रख ले।
- इसके पश्चात इस तैयार औषध का वजन हो, उस वजन से 8भाग भुना हुआ सुहागा और सोलहवां भाग शुद्ध पारद और गंधक की कज्जली को अच्छी प्रकार मिला लें।
- अच्छी तरह से कूटकर सुरक्षित रख ले।
कफ कर्तरी रस के फायदे व उपयोग | Uses and Benefits of Kafkartari Rasa
- कफ कर्तरी रसायन को पान में रखकर खाने के पश्चात रोगी से धीरे-धीरे इसका रस चूसने को कहे और खाने के बाद इस औषध से अभूतपूर्व लाभ देखने को मिलता है।
- यह ओषधि सांस के रोगों में अत्यंत उपयोगी है।
- यदि दो तीन दिन लगातार कफ कर्तरी रस का उपयोग दमा के रोगी के लिए किया जाए तो जल्द ही दमा का वेग शांत हो जाता है।
- दमा का वेग शांत हो जाने पर प्रतिदिन दो मात्रा औषधि रोगी को सेवन कराएं।
- कफ करतरी रस के सेवन से दूषित कफ बिना कष्ट के सरलता के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है।
- कफ करतरी रस के सेवन से इतना कफ बाहर निकलता है कि रोगी दुर्बल अवश्य हो जाता है परंतु जल्द ही उसे आराम भी मिलता है।
- इस औषधि के सेवन से इतना प्रभावशाली गुण उत्पल होता है कि कई वर्ष तक के लिए दमा के वेग शांत हो जाते हैं।
- यह ओषधि कफ को काट काट कर शरीर से बाहर निकाल देती है।
- कफ कर्तरी रस केवल कफ को भी शरीर से बाहर निकालती है यह अन्य कोई भी दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं होने देता।
- कफ कर्तरी रस गले की सूजन और खराश दोनों को कम करती है।
- यह रसायन सर्दी में होने वाले जुखाम व खांसी के लिए उत्तम औषधि है।
- इसके सेवन से कफ के कारण बंद नाक की समस्या खत्म हो जाती है अर्थात नाक बंद होने की समस्या खत्म हो जाती है।
कफ कर्तरी रस की सेवन विधि व मात्रा
- कफ कर्तरी रस को 2 से 3 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम सेवन करें।
- कफ कर्तरी रस की 2 से 3 ग्राम की मात्रा नागर बेल के पान के साथ सेवन करें तो उत्तम लाभ मिलता है।
- इस रसायन को आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार भी सेवन कर सकते हैं।
- यह कफ को निकालने वाला रसायन है अतः आप इसे गुनगुने पानी के साथ भी सेवन करने से लाभ प्राप्त करेंगे।