उदयादित्य रस: आयुर्वेद में कुष्ट रोग को दूर करने के लिए अनेक जड़ी बूटियां और उनसे बने उत्पादों के बारे में वर्णन मिलता है। एलोपैथी में जहां कुष्ठ रोग को केवल कुछ हद तक ही ठीक किया जा सकता है, वहीं आयुर्वेद में कुष्ठ रोग को जङ से खत्म करने के लिए अनेक उत्पाद उपलब्ध हैं। उदयादित्य रस श्वेत कुष्ठ को नष्ट करने के लिए अति विशिष्ट रस है। यह श्वेत कुष्ठ को जड़ से खत्म करने की ताकत रखता है।
उदयादित्य रस का प्रयोग कुष्ठ रोग में केवल तीन या सात दिन तक प्रतिदिन सेवन करने से ही हमें विशिष्ट लाभ होता है तथा कुष्ठ रोग जल्द ही खत्म होता नजर आता है। इसका प्रयोग विशेष कर उन रोगियों पर किया जाता है जो दृढ़ कष्ट सहन करने वाले होते हैं क्योंकि इस रस का उपयोग करने पर कठोर जलन और दर्द का सामना करना पड़ता है अतः यह सफेद कुष्ठ को जड़ से खत्म करने की ताकत रखता है परंतु इसके लिए रोगी को धैर्य और दर्द सहने की क्षमता भी रखनी पड़ती है।
आज हम इस आर्टिकल में आपको उदयादित्य रस बनाने की विधि, सेवन विधि तथा इसके साथ ही उदयादित्य रस के गुण व उपयोग के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक देंगे अतः आप यह जानने के लिए इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढें।
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उदयादित्य रस के घटक द्रव्य | Ingredients of Udayaditya Rasa
उदयादित्य रस को बनाने के लिए निम्न औषधियों को उपयोग में लिया जाता है।
- शुद्ध पारद
- शुद्ध गन्धक
- ग्वारपाठा
- पलाश की राख
- मुलतानी मिट्टी
- गोबर का रस
- कठूमर
- चित्रक
- त्रिफला
- अमलतास
- वायविडंग
- वाकुची – बीज
उदयादित्य रस बनाने की विधि
हम आपको यहां उदयादित्य रस बनाने की विधि के बारे में बता रहे आप चाहे तो बताईं गई जड़ी-बूटियों को लाकर घर पर भी बना सकते हैं।इसके अलावा उदयादित्य रस आजकल हर किसी आयुर्वेद मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध है तो आप चाहे वहां से भी खरीद कर उपयोग में ले सकते हैं। तो चलिए जानते हैं उदयादित्य रस बनाने की विधि के बारे में-
- सबसे पहले पारद और गन्धक को लेकर कज्जली तैयार कर लें।
- कज्जली तैयार होने पर इस कज्जली को ग्वारपाठे के रस में घोंट कर गोला बना लें।
- अब इस गोले को सुखा लें।
- सुखे हुए गोलें को मिट्टी की हंडिया में रख कर उसको पारद से दुगुने वजन की शुद्ध ताबे की कटोरी को उल्टी रख कर ढक दें।
- अब इसे मुलतानी मिट्टी लगाकर बंद कर दें।
- इसके पश्चात हण्डिया के खाली आधे भाग को पलाश की राख से भर दें।
- तथा इसके साथ ही आवश्यकता अनुसार उसमे थोडा – थोड़ा गोबर का रस डालते जाये।
- इस प्रकार चूल्हे पर हांडी को रखकर दो प्रहर तक पकाएं।
- अब ठंडा होने पर राख को हटाकर तांबे की कटोरी सहित दवा को बाहर निकाल लें।
- अब इस दवा को तांबे की कटोरी के सहित खरल में बारीक पीस ले।
- अब इस तैयार चूर्ण को कठूमर, चित्रक, त्रिफला, अमलतास, वायविडंग, वाकुची-बीज इनके अलग-अलग क्वाथ में एक-एक दिन भावना दे।
- अर्थात इन सभी औषधीय का अलग-अलग क्वाथ तैयार कर ले और उसके बाद इस चूर्ण में एक-एक दिन अलग-अलग भावना दे।
- इस चूर्ण को भावना देकर अच्छी तरह घोटकर, सुखाकर, महीन पीस कर रख लें।
उदयादित्य रस के गुण व उपयोग
- इस रस के सेवन से सफेद कुष्ठ में अति शीघ्र ही लाभ देखने को मिलता है।
- इस रस के सेवन से जल्द ही अर्थात तीन या सात दिन में ही कुष्ठ पर स्फोट (छाला) पङता है।
- इस छाले पर नीले पंचांग, गुञ्जा, कासीस, धतूरा, हंसपादिका, हुलहुल, अमलपरणी इनको समान भाग लेकर जल से पीसकर एक सप्ताह तक बार-बार इस लेप को लगाते रहते हैं ऐसा करने पर धीरे-धीरे स्फोट अर्थात छालें शांत होने लगते हैं।
- यह लेप उग्र प्रवृत्ति का होता है इसलिए इसको लगाने के कारण कुष्ठ स्थान पर छाले उत्पन्न करता है और इन छालों में कुष्ठ कारक दोष दूषित जल के रूप में होता है जो धीरे-धीरे शरीर से बाहर निकल जाते हैं और विकार नष्ट हो जाता है।
- परंतु इन स्फोट अर्थात छालों के निकलने पर इनमें बड़ी जलन और खुजली होती है। जिसका दर्द रोगी को बहुत वेदना देता है अतः कष्ट सहन करने वाले रोगी को ही इसका सेवन करवाना चाहिए।
- जहां तक हो सके उदयादित्य रस कष्ट सहन करने वाले दृढ़ प्रकृति के रोगियों को ही सेवन कराना चाहिए।
- उदयादित्य रस तीन या सात दिन तक प्रतिदिन केवल एक बार ही सेवन करना चाहिए।
- कुष्ठ रोग में स्फोट अर्थात छालें उत्पन होने पर उदयादित्य रस का प्रयोग अवश्य ही बंद कर देना चाहिए क्योंकि छालें उत्पन्न होने पर धीरे-धीरे वह फूटकर दूषित पानी बाहर निकल जाता है और कुष्ठ विकार नष्ट हो जाते हैं।
- उदयादित्य रस आयुर्वेद में कुष्ठ रोग की विशिष्ट दवा के रूप में जानी जाती है।
उदयादित्य रस की सेवन विधि
- 125mg से 250mg तक की दवा की मात्रा लेकर खैर के क्वाथ में समान भाग वाकुची चूर्ण डाल कर गाढ़ा होने तक पका कर इसमें से 3 माशा की मात्रा में लेकर इसके साथ खायें तथा ऊपर से थोड़ा अर्क दुग्ध या त्रिफला – क्वाथ पीवें।
- इसके अतिरिक्त आप चिकित्सक से परामर्श लेकर उदयादित्य रस का सेवन कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आएगी और आपके काम आएगी। यदि आप भी कुष्ट रोग को जड़ से खत्म करना चाहते हैं तो आयुर्वेद के उदयादित्य रस का सेवन अवश्य करें। उदयादित्य रस का सेवन आप चिकित्सक की देख रेख में या परामर्श से ही करें अन्यथा किसी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
धन्यवाद।