चन्दनादि अर्क बनाने की विधि, फायदे एवं सेवन की खुराक | (चन्दन अर्क) Chandan Arka in Hindi

चन्दनादि अर्क: चन्दन को सभी भारतीय भली भांति जानते हैं । इस बहुमूल्य औषधीय जड़ी – बूटी के बारे में सभी ने अवश्य ही सुना होगा । सौन्दर्य प्रसादन में, औषधीय उपयोग एवं सुगंध बाजार में चन्दन सबसे महंगा बिकने वाला औषधि है । इस औषधीय वनस्पति से बहुत से उपयोग किये जाते हैं । चन्दन का इस्तेमाल आयुर्वेद में दवाइयां बनाने में प्रमुख रूप से किया जाता है । साथ ही पूजन में भी चन्दन का इस्तेमाल होता है ।

चन्दन बहुत ही ठंडी तासीर की जड़ी – बूटी होती है । आयुर्वेद में इसका मूत्र संबधी समस्याओं, गुर्दे की पत्थरी, त्वचा के विकार, पेशाब में जलन आदि रोगों में विशेष रूप से बहुत उपयोगी होती है । आज के इस लेख में हम चन्दन से अर्क बनाने की विधि, इसके फायदे, और सेवन की मात्रा के बारे में आपको जानकारी देंगे ।

चन्दनादि अर्क क्या होता है?

चन्दनादि अर्क

चन्दन से तैयार किये जाने वाले अर्क को चन्दनादि अर्क कहा जाता है । यह चन्दन से भी शीतल होता है । क्योंकि अर्क की तासीर शीतल होती है और चन्दन भी शीतल ही होता है अत: चन्दनादि अर्क अत्यंत शीतल औषधि होता है । अर्क एक प्रकार का एक्सट्रेक्ट होता है जो जड़ी – बूटी के गुणों को वाष्पीकरण द्वारा जलियांश में इक्कठा किया जाता है । चन्दन का अर्क बनाने के लिए भी इसी प्रकार से तैयार किया जाता है । इसे ही चन्दनादि अर्क कहते हैं ।

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चन्दनादि अर्क कैसे बनता है ?

इसे बनाने के लिए उत्तम चन्दन का चूर्ण, मौसमी गुलाब के फुल, केवड़ा, वेदमुश्क और कमल के फुल इन सबको बराबर लेकर आठ गुने जल में डालकर एक्सट्रेक्ट मशीन में हलकी आंच पर गरम करते हुए अर्क को खिंच लिया जाता है । इस अर्क से एक बहुत ही सौम्य खुशबु प्राप्त होती है । साथ ही चन्दन की खुशबु महकती है ।

इस प्रकार से चन्दन का अर्क निकाला जाता है । इसमें अगर वेदमुश्क के फुल न मिलें तो मौलश्री के फुल इसकी जगह इस्तेमाल किये जा सकते हैं ।

चन्दनादि अर्क के फायदे | Benefits of Chandanadi Ark

यह अर्क शीतवीर्य होने के कारण पित्तजन्य विकारों में अत्यंत लाभदायक है ।

पेशाब में जलन, पेशाब का रुक – रुक के आना और पेशाब के साथ रक्त आता हो तो इसमें प्रयोग करने से अत्यंत लाभदायक साबित होता है ।

इन मूत्र विकृतियों में चन्दनादि अर्क के साथ थोड़ी मात्रा में धागे वाली मिश्री मिलाकर प्रयोग करवाने से ये उपरोक्त सभी मूत्र विकार नष्ट हो जाते हैं ।

जीर्ण प्रमेह में कबाबचीनी का तेल चन्दनादि अर्क में 5 बूंद मिलाकर सेवन करने से कष्ट साध्य प्रमेह भी तुरंत ही ठीक हो जाता है ।

आयुर्वेद में चन्दनादि अर्क के इस्तेमाल से मोतियों की पिष्टी बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है । जिससे इन पिष्टी के गुणों में उतरोतर वृद्धि हो जाती है ।

प्रवाल पिष्टी, मोती पिष्टी, मुक्ताशुक्ति आदि के साथ गुलाब जल की जगह चन्दनादि अर्क का इस्तेमाल करने से ये सभी पिष्टियाँ उत्तम गुणों वाली बन जाती हैं ।

चन्दनादि अर्क की सेवन विधि (Dosage of Chandanadi Ark)

आमतौर पर 2 से 4 तोला तक की मात्रा में सुबह – शाम अकेले या दूध की लस्सी के साथ मिलाकर दिया जाता है । अन्य तरह से इसमें मिश्री मिलाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है । विशिष्ट स्थतियों में इस्तेमाल के लिए वैद्य सलाह लेकर वैद्य द्वारा निर्दिष्ट अनुपान एवं मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए ।

नुकसान

इस प्राकृतिक औषधीय अर्क के कोई भी ज्ञात साइड इफेक्ट्स नहीं हैं । फिर भी इसे एक निश्चित एवं निर्धारित मात्रा में सेवन करना चाहिए । अधिक मात्रा में प्रयोग करने से बहुमुत्रता जैसी समस्या हो सकती है ।

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