गुल्मकालानल रस (Gulmakalanal Ras) के फायदे, घटक, सेवन विधि एवं नुकसान जानें

गुल्मकालानल रस: कई बार आंतों के अन्दर गांठ जैसा अनुभव होता है तथा उसमें दर्द भी होता है। उसे आयुर्वेद में गुल्म रोग  कहा जाता है अर्थात गांठ का होना। इस गांठ का अनुभव नाभि के ऊपर, कभी नाभि के नीचे, कभी पेट में दाएं तरफ तो कभी पेट में बाई तरफ एहसास होता है तथा कभी कम दर्द होता है तो कभी ज्यादा दर्द होता है। आयुर्वेद का गुल्मकालानल रस सभी प्रकार के गुल्म रोगों की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है। आयुर्वेद के अनुसार गुल्म(गांठ) कई प्रकार की होती है। जैसे – 

  • रक्त से बनी हुई गांठ अर्थात ऐसी गांठ जो शरीर के किसी हिस्से में खून के एक स्थान पर इकट्ठा होने के कारण बन जाती है। 
  • कई बार शरीर में वायु के अधिक भरने के कारण वायु से एक गोला बन जाता है। यह वायु का गोला कभी ऊपर तो कभी नीचे की ओर गांठ के सम्मान संचार करता रहता है। 
  • कई बार आंतों के भीतर मल का ग्रंथि के रूप में गोला बन जाता है यह भी एक प्रकार से गुल्म का ही रूप है।

यदि आप भी गुल्म रोग की अर्थात किसी भी प्रकार की गांठ की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा गुल्मकालानल रस के बारे में जानना चाहते हैं तो इसके लिए आप इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़े।

गुल्मकालानल रस के घटक द्रव्य | Ingredients of Gulmakalanal Ras in Hindi

गुल्मकालानल रस बनाने के लिए कुछ प्रसिद्ध औषधियों को काम में लिया जाता है। जिनकी लिस्ट इस प्रकार है-

  • शुद्ध पारद – (2 तोला) 
  • शुद्ध गन्धक- (2 तोला) 
  • शुद्ध टंकण भस्म- (2 तोला) 
  • ताम्र भस्म- (2 तोला) 
  • शुद्ध हरताल -(2 तोला) 
  • यवक्षार – (10 तोला) 
  • नागरमोथा चूर्ण (1 तोला) 
  • सोंठ चूर्ण (1 तोला) 
  • पीपल चूर्ण (1 तोला) 
  • कालीमिर्च चूर्ण (1 तोला) 
  • गजपीपल चूर्ण (1 तोला) 
  • बच का चूर्ण (1 तोला) 
  • कुठ का चूर्ण (1 तोला) 
  • पित्तपापङा का क्वाथ 
  • नागरमोथा का क्वाथ 
  • सोंठ का क्वाथ 
  • अपामार्ग का क्वाथ 
  • पाठे का क्वाथ 

गुल्मकालानल रस बनाने की विधि | How to Make Gulmakalanal Ras

गुल्मकालानल रस: सबसे पहले पारद और गन्धक की कज्जली बना कर तैयार कर लें। अब इसमें ऊपर बताई गई मात्रा के अनुसार सभी चूर्ण और भस्मों को मिला लें। सभी औषधियों को मिलाने के बाद पित्तपापङा, नागरमोथा, सोंठ, अपामार्ग और पाठे के क्वाथ की अलग-अलग भावना देकर खरल में खूब घोट लें। अब इसकी गोलियां बनाकर तैयार कर लें फिर इन्हें छाया में सुखा कर रख लें। इस प्रकार हमारा गुल्मकालानल रस बनकर तैयार है। 

Note: इसे घर पर बनाने के लिए सभी औषधियों का होना बहुत जरूरी है। कई बार सभी औषध द्रव्य आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाते है अतः आप इसे किसी भी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर से खरीद कर इसका उपयोग कर सकते हैं। 

गुल्मकालानल रस की सेवन विधि | How to take Gulmakalanal Ras

गुल्मकालानल रस का सेवन सभी प्रकार के गुलाम रोगों को दूर करने में किया जाता है। 

  • इसका सेवन आप चिकित्सक के परामर्श के अनुसार करके जल्द ही किसी भी प्रकार के गुल्म रोग में लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 
  • इसके अतिरिक्त गुल्मकालानल रस की 1-2 गोली सुबह – शाम सेवन कर सकते हैं। 

गुल्मकालानल रस के गुण व फायदे | Gulmakalanal Ras Benefits in Hindi

गुल्मकालानल रस आयुर्वेद की गुल्म रोगों की रोकथाम के लिए प्रसिद्ध मेडिसन है। जो वातज, पित्तज, कफज और रक्तज सभी प्रकार के गुल्म रोगों में सेवन की जा सकती है। तो चलिए जानते हैं गुल्मकालानल रस के अन्य गुण व उपयोग-

  1. रक्त गुल्म जो अक्सर महिलाओं में होता है। इसका उत्पत्ति स्थान बीजाशय या गर्भाशय होता है। अतः इसकी चिकित्सा के लिए शास्त्रों की आज्ञा के अनुसार दसवां मांस में  ही उसकी चिकित्सा करनी चाहिए और इसमें गुल्मकालानल रस का उपयोग सर्वश्रेष्ठ रहता है। 
  2. यदि गुल्म रोग शरीर में अत्यधिक वायु के बढ़ने के कारण हुआ है तो गुल्मकालानल रस का उपयोग काफी लाभदायक होगा। 
  3. वातज गुल्म (गांठ) की गति कभी नाभि की ओर तो कभी बस्ती की तरफ होती है, तो कभी-कभी  पसली की तरफ रहती है। वायु के कारण बनने वाला गुल्म कभी बड़ा तो कभी छोटा मालूम होता है। इस प्रकार के गुल्म में कभी तेज दर्द होता है तो कभी कम दर्द होता है। कभी-कभी ऐसी स्थिति में हल्का बुखार, सीने में दर्द, पसलियों में दर्द, कधां और मस्तिक में भी दर्द होता है तथा पेट में अत्यधिक वायु भरने के कारण दर्द रहता है और कई बार यह भोजन करने के बाद शांत हो जाता है। ऐसी स्थिति में यदि गुल्मकालानल रस का उपयोग गाय के घी के साथ किया जाए तो बहुत जल्द फायदा मिलता है। 
  4. शरीर में पित्त के बढ़ने के कारण बनने वाले गुल्म (गांठ) की प्रारंभिक अवस्था में जब बुखार, प्यास, मुख और अंगों में लाली आदि की उत्पत्ति न हुई हो, तब तक दूषित पित्त को मल द्वारा बाहर निकालने के लिए गुल्मकालानल रस का उपयोग करवाया जाता है जो बहुत सी सर्वश्रेष्ठ सिद्ध रहता है। 
  5. गुल्मकालानल रस को बनाते समय पारद और गन्धक की कज्जली बनाई जाती हैं। जो एक प्रकार से योगवाही रसायन बनकर तैयार होता है यह कफज गुल्म को दूर करता है।
  6. गुल्मकालानल रस में ताम्र भस्म का उपयोग किया जाता है जो अपने तीक्ष्ण, उष्ण वीर्य और क्षार गुण के कारण कफ को दूर करती है जिससे कफज गुल्म ठीक हो जाता है। 
  7. कफज गुल्म में गुल्मकालानल रस को गोमूत्र के साथ सेवन करने से गुल्म गलकर शरीर से बाहर निकल जाता है। 
  8. पित्तज गुल्म में गुल्मकालानल रस को शंख भस्म के साथ मिलाकर नींबू की शंकजी के साथ सेवन करने से गुल्म का छेदन और भेदन करता है। 
  9. गुल्मकालानल रस में सोंठ और कालीमिर्च का उपयोग किया जाता है जो दीपन और पाचन दोनों का काम करती है। 
  10. पाठे का कवाथ होने से यह मूत्रल और कफघन होता है। 

निष्कर्ष (Conclusions) 

उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आएगी और आपके काम आएगी।यदि आप भी किसी प्रकार की गुल्म (गांठ) की व्याधि से पीड़ित हैं तो एक बार चिकित्सक से सलाह मशविरा करके आयुर्वेदिक मेडिसन गुल्मकालानल रस का सेवन अवश्य करें। आपको जल्द ही स्वास्थ्य लाभ मिलेगा और गुल्म रोग से छुटकारा मिलेगा। 

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