लक्ष्मी विलास रस : यह आयुर्वेदिक औषधियों में प्रसिद्द वीर्यवान एवं गुणवान औषधि है | इसका उपयोग जीर्ण ज्वर, हृदय को बल देने एवं हृदय उतेजक के रूप में कार्य करती है | संनिपतज एवं जीर्ण विकारों में यह औषधि अत्यंत लाभदायक है |
यह त्रिदोष ज्वर विकार, श्वास, खांसी, तीव्र ज्वर, नाड़ी एवं हृदय का वेग आदि में तुरंत आराम देती है | फेफड़ों की सुजन में भी लाभदायक है |
आज इस आर्टिकल में हम आपको लक्ष्मी विलास रस के बारे में पूर्ण विवरण उपलब्ध करवाएंगे जैसे इसके स्वास्थ्य लाभ, लक्ष्मी विलास रस के घटक द्रव्य, बनाने की विधि एवं सेवन का तरीका आदि |
तो चलिए सबसे पहले जानते है लक्ष्मी विलास रस को बनाने में कौन – कौन सी जड़ी बूटियां काम आती है अर्थात इसके घटक द्रव्यों के बारे में
लक्ष्मी विलास रस के घटक द्रव्य | Ingredients of Laxmi Vilas Ras in Hindi
क्रमांक | घटक का नाम | मात्रा |
---|---|---|
01. | शुद्ध हिंगुल | 10 ग्राम |
02. | शुद्ध गंधक | 10 ग्राम |
03. | शुद्ध वत्सनाभ | 10 ग्राम |
04. | सुहागे की खील | 10 ग्राम |
05. | कुटकी | 10 ग्राम |
06. | अतिस | 10 ग्राम |
07. | पीपल | 10 ग्राम |
08. | इंद्रजौ | 10 ग्राम |
09. | अभ्रक भस्म | 10 ग्राम |
10. | सेंधा नमक | 10 ग्राम |
11. | दंतीमूल स्वरस | आवश्यकता अनुसार |
12. | त्रिफला | आवश्यकता अनुसार |
कैसे बनता है लक्ष्मी विलास रस : 1 से लेकर 10 नंबर तक की सभी जड़ी – बूटियों को समान मात्रा में लेकर इन्हें कूट-पीसकर चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को एक खरल में डालकर ऊपर से दंती मूल का स्वरस मिलाकर 3 दिन तक घोंटा जाता है | अच्छी तरह घोंटने के पश्चात फिर से खरल में 3 दिन तक त्रिफला क्वाथ के साथ घोंटा जाता है | जब अच्छी तरह भावना लग जाये तब इसकी 250 mg की मात्रा की गोलियां बना ली जाती है | यह लक्ष्मी विलास रस तैयार हो जाता है |
हालाँकि बनाने की विधि बहुत ही आसन प्रतीत होती है लेकिन बैगर वैद्य एवं फार्मासिस्ट इसका निर्माण घर पर नहीं किया जा सकता | क्योंकि इस औषधि में भस्म, धातुएं एवं गंधक जैसी जड़ी – बूटियां है जो बैगर शुद्ध किये उपयोग करने से शारीरिक हानि हो सकती है | अत: यहाँ हमारे द्वारा बताई गई जानकारी महज आपके ज्ञान वर्द्धन के लिए है एवं वैद्यों के लिए उपयोगी है |
अत: लक्ष्मी विलास रस को घर पर बनाने का कष्ट न करें |
लक्ष्मी विलास रस के उपयोग | Lakshmi Vilas Ras Uses in Hindi
निम्न रोगों में इसका उपयोग किया जाता है
ज्वर : इस औषधि का प्रयोग वात – पित्त एवं कफज बुखार में किया जाता है | यह दवा तीनो प्रकार की बुखार को खत्म करने का कार्य करती है | जीर्ण अवस्था में आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका उपयोग बताते है |
हैजा : हैजा की शिकायत में भी लक्ष्मी विलास रस का उपयोग फायदेमंद रहता है | हैजा होने पर ज्वर की स्थिति बन आती है एसे में वैद्य लक्ष्मी विलास रस का सेवन करवाके रोग से मुक्ति दिलाते है |
विषम ज्वर : विषम ज्वर में यह अत्यंत लाभदायक औषधि है | साथ ही विषम ज्वर के साथ अगर अतिसार की समस्या भी है तो लक्ष्मी विलास रस अधिक फायदेमंद साबित होता है |
इस औषधि का सबसे अधिक प्रयोग ज्वर में ही किया जाता है | यह पसीना लाकर ज्वर अर्थात बुखार को उतार देती है | यह बुखार के जीवाणुओं को रक्त से निकाल कर शरीर को निरोगी बनाती है |
संग्रहणी : संग्रहणी रोग में आमयुक्त दस्त की समस्या रहती है | एसी स्थिति में आँतों में दर्द रहता है दस्त के साथ खून भी आता है | एवं ज्वर की स्थिति भी बनी हुई रहती है | इस अवस्था में लक्ष्मी विलास रस का उपयोग किया जाता है |
पाचन गड़बड़ी : पाचन विकृत होने से अन्य रोगों का सामना करना पड़ता है | अगर पाचन ख़राब होकर बुखार, अतिसार आदि की समस्या हो तो यह दवा लाभदायक सिद्ध होती है |
स्त्रियों को बच्चा पैदा होने के पश्चात हवा लग जाती है | एसी स्थिति में स्त्रियों में वात प्रकुपित होकर बुखार, सिरदर्द, अंगो का दर्द, अधिक प्यास आदि समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है | इस समस्या में लक्ष्मी विलास रस फायदेमंद साबित होता है |
लक्ष्मी विलास रस के फायदे | Benefits of Lakshmi Vilas Ras in Hindi
- यह दवा फेफड़ों के संक्रमण को कम करती है एवं शरीर में बिगड़े हुए कफ को सुधरती है |
- सभी प्रकार की बुखार में लक्ष्मी विलास रस फायदेमंद है | यह बुखार को जल्द ही खत्म करती है |
- सभी प्रकार के वात से उत्पन्न विकारों में फायदेमंद है |
- अगर ज्वर पुराना है अर्थात जीर्ण ज्वर की स्थिति है तो इसके साथ गोदंती भस्म का सेवन फायदेमंद रहता है |
- बुखार के पश्चात आने वाली शारीरिक कमजोरी में यह दवा फायदेमंद है |
- पाचन को सुधारने में इसका उपयोग होता है | ज्वर की स्थिति में पाचन गड़बड़ाया हुआ हो तो इसका सेवन करवाया जाता है |
- प्रसव पश्चात स्त्रियों को हवा लगने की समस्या में इसका प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक बताते है |
- यह शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है |
- निमोनिया, अस्थमा, कफज विकार आदि में फायदेमंद है |
- हृदय विकारों में भी इसका उपयोग किया जाता है |
लक्ष्मी विलास रस के प्रकार | Different Types of Lakshmi Vilas Ras in Hindi
यह दवा 3 प्रकार की ग्रंथों में बताई गई है | इनका प्रकार ग्रंथों के आधार पर निर्धारित करता है | यहाँ हमने 3 प्रकार के लक्ष्मी विलास रस के बारे में आपको संक्षिप्त जानकारी उपलब्ध करवाई है | ये तीनों प्रकार सारसंग्रह, भैस्ज्य रत्नावली एवं रसेन्द्र सार संग्रह के अनुसार है | इन तीनों लक्ष्मी विलास रस के घटक एवं बनाने की विधि अलग है अत: इनका उपयोग भी भिन्न – भिन्न रोगों में किया जाता है |
- लक्ष्मी विलास रस (लघु) : यहाँ वर्णित जानकारी इसी लक्ष्मी विलास रस के बारे में है | यह ज्वर, हैजा, विषम ज्वर, अतिसार, संग्रहणी, खुनी दस्त, आम शूल, सूतिका रोग एवं वात व्याधियों में उपयोगी है | यहाँ लिखा गया लेख इसी दवा के बारे में है | आगे नए लेख में हम अन्य प्रकारों के बारे में भी आपको अवगत करवाएंगे |
- लक्ष्मी विलास रस (नारदीय) : भैषज्य रत्नावली में इस दवा का वर्णन प्राप्त होता है | इसके घटक भी लघु से अलग है एवं बनाने की विधि भी भिन्न है | नारदीय लक्ष्मी विलास को ही आयुर्वेद की वीर्यवान एवं गुणवान औषधि माना जाता है | यह आमवात (गठिया) रोग, खांसी, हृदय कमजोरी, पार्श्वशूल (पीठ दर्द), ज्वर, अर्श एवं भगंदर आदि में रोगों में उपयोगी है |
- लक्ष्मी विलास रस (रसेन्द्र कास) : यह भी इसका तीसरा प्रकार है | इसका वर्णन आयुर्वेदिक ग्रन्थ रसेन्द्र सार संग्रह के कास अध्याय में मिलता है | यह पित्तज कास अर्थात सुखी खांसी की सबसे उत्तम दवा है | खांसी की समस्या में इसका उपयोग बहुत अधिक फलदाई होता है | साथ ही स्वास, टीबी एवं भूख की कमी में भी फायदेमंद है |
सेवन की विधि | How to Take
इसका सेवन वैद्य निर्देशानुसार ही करना चाहिए | इसका उपयोग 1 से 2 गोली सुबह – शाम शहद या अदरक स्वरस के साथ करना चाहिए | सेवन के समय खट्टे एवं तले हुए भोज्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए | साथ ही वैद्य अगर दूसरा अनुपान बताये तो उसके अनुसार इसका सेवन करना चाहिए |
लक्ष्मी विलास रस के नुकसान | Side Effects of Lakshmi Vilas Ras
इस औषधि के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है | लेकिन निश्चित एवं निर्धारित मात्रा से अधिक इसका सेवन नहीं करना चाहिए | अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द, सिरदर्द एवं जी मचलाना जैसी समस्याएँ हो सकती है | अत: वैद्य सलाह से ही किसी भी आयुर्वेदिक दवा का सेवन करना चाहिए | गर्भिणी स्त्रियों को बिना परामर्श इसका सेवन नहीं करना चाहिए |
सामान्य सवाल जवाब | FAQ
लक्ष्मी विलास रस कितने प्रकार का आता है ?
यह तीन प्रकार का उपलब्ध है | 1. लक्ष्मी विलास रस लघु 2. लक्ष्मी विलास रस नारदीय एवं 3. लक्ष्मी विलास रस रसेन्द्र कास
यह कौन – कौन सी कम्पनी का आता है ?
इस दवा को अधिकतर सभी आयुर्वेदिक फार्मेसी निर्माण करती है | पतंजलि लक्ष्मी विलास रस, बैद्यनाथ, डाबर, धूतपापेश्वर, श्री मोहता, सुपचार, धन्वन्तरी आदि |
लक्ष्मी विलास रस का सेवन कितने दिनों तक करना चाहिए ?
वैद्य सलाह से इस दवा को 15 से 45 दिनों तक सेवन किया जा सकता है | यह आपका वैद्य निर्धारित करता है कि आपको दवा कब तक लेनी है |
क्या लक्ष्मी विलास रस से नशा होता है ?
जी नहीं, इस दवा के सेवन से कोई भी नशा नहीं होता | इसमें एसे कोई भी घटक नहीं है जो मानसिक परिवर्तन ला सकें |
लक्ष्मी विलास रस का मूल्य क्या है |
भिन्न – भिन्न फार्मेसी की दवाओं का मूल्य भी भिन्न – भिन्न है | जैसे पतंजलि लक्ष्मी विलास रस का मूल्य 112 रूपए है |
धन्यवाद |