रास्नादि गुग्गुल : यह एक शास्त्रोक्त औषधि है इसका उपयोग साइटिका, आमवात, गठिया , संधिवात अथार्त जोड़ो के दर्द में किया जाता है यह कर्णरोग, शिरोरोग, नाडी व्रण और भगन्दर में तुरंत आराम देती है |
यह गुग्गुलु के प्रयोग से बनने वाली औषधि है | अर्थात इसमें मुख्य घटक द्रव्य गुग्गुल होता है | गुगल के बारे में तो शायद आप जानते ही होंगे | वही गुगल जो धुप, पूजन आदि करने के काम आता है | यह वही गुगल है इसे औषध उपयोग में लेने से पहले शुद्ध कर लिया जाता है |
आज हम आप को रास्नादि गुग्गुल के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध करवाएंगे जैसे इसके स्वास्थ्य लाभ, रासनादी गुग्गुल के घटक द्रव, बनाने की विधि एव सेवन का तरीका आदि |
तो चलिए सबसे पहले आपको अवगत करवाते है | रास्नादि गुग्गुल के घटक द्रव्यों से अर्थात इसमें कौन – कौन सी जड़ी – बूटियां पड़ती है |
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रास्नादि गुग्गुल के घटक द्रव्य | Ingredients of Rasnadi Guggul in Hindi
क्रमांक | घटक का नाम | मात्रा |
---|---|---|
01. | रास्ना | 10 ग्राम |
02. | गिलोय | 10 ग्राम |
03. | एरंड मूल | 10 ग्राम |
04. | सोंठ | 10 ग्राम |
05. | देवदारु | 10 ग्राम |
06. | गुग्गुल | 50 ग्राम |
07. | घी | आवश्यकता अनुसार |
रास्नादी गुग्गुल कैसे बनता है : अर्थात इसे बनाने की विधि के बारे में आपको संक्षिप्त विवरण उपलब्ध करवाते है | इस दवा को बनाने के लिए सबसे पहले हम 1 से लेकर 5 नम्बर तक की सारी जडी-बुटीयों को सामान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लेते है | इस चूर्ण को हम पतले कपडे कि सहायता से छान लेते है | अब हम इस में शुद्ध किया हुआ गुग्गुल ऊपर बताई गई मात्रा के अनुसार मिला लेते है | इस के बाद में हम आवश्यकताअनुसार घी डालकर अच्छी तरीके से मिला कर इस की 250 से 500 mg की वटी अर्थात गोलिया बना लेते है | इस प्रकार से रास्नादि गुग्गुलु का निर्माण होता है |
रास्नादि गुग्गुल को बनाने की विधि बहुत ही आसान है | भले ही यह आसान प्रतीत होती हो लेकिन किसी भी आयुर्वेदिक दवा का निर्माण निपुण वैद्य या फार्मासिस्ट की निगरानी में होना अतिआवश्यक होता है |
रास्नादि गुग्गुल के 10 चिकित्सकीय उपयोग | Clinical uses of Rasnadi Guggul in Hindi
- सिरदर्द (Headache)
- माइग्रेन (Migraine)
- आर्थराइटिस (Arthritis)
- गाउट (Gout)
- ओस्टो आर्थराइटिस (OsteoArthritis)
- आफरा (Abdominal Gais)
- आँतों की गैस (Intestinal Gais)
- कर्ण विकार (Hearing wishal sound)
- पेटदर्द (Abdominal Pain)
- भगंदर (Piles and Fistula)
इनके अलावा भी यह दवा विभिन्न रोगों में चिकित्सकीय उपयोग में ली जाती है | जैसे आमवात, साइनस की समस्या, साइटिका, शरीर में बढ़ी हुई वात की स्थिति एवं कमरदर्द आदि में |
रास्नादि गुग्गुल के फायदे | Benefits of Rasnadi Guggul
- साइटिका रोग में रस्नादि गुग्गुल फायेदेमंद होती है |
- आमवात रोग में भी इस का उपयोग किया जाता है |
- गठिया रोग के इलाज में भी चिकित्सक इस का सेवेन करने की सलाह देते है |
- संधिवात एवम जोड़ो में दर्द के लिए भी फायेदेमंद है क्यूकी सोठ और एरण्डमूल जडीबुटी दर्द निवारण में काम में ली जाती है |
- गुगल जड़ी – बूटी बढ़ी हुई वात को शांत करके दर्द निवारण का कार्य करती है अत: सभी प्रकार के दर्द में यह दवा फायदेमंद है |
- रास्ना जड़ी – बूटी भी वात को खत्म करती है अत: सभी प्रकार की वात व्याधियों में यह फायदेमंद है |
- हल्की विरेचक के रूप में भी कार्य करती है | कब्ज की समस्या में भी इसके सेवन से आराम मिलता है |
- यह पाचन को सुधारती है | अत: पाचन विकारों में भी इसका उपयोग करना चाहिए |
- सिरदर्द की समस्या में रास्नादि गुग्गुल फायदेमंद है | साथ ही माइग्रेन में भी यह फायदेमंद है |
- यह गैस को ख़त्म करती है | इसमें पड़ने वाली औषधीय जड़ी – बूटी, देवदारु, रास्ना एवं एरंड की जड़ शरीर में बनी हुई अतिरिक्त गैस को ख़त्म करने का कार्य करती है | अत: आँतों की गैस एवं पेट के आफरे में इसका उपयोग किया जाता है |
- रास्नादि गुग्गुल में गिलोय भी होती है | गिलोय इम्युनिटी वर्द्धन का कार्य करती है | अत: इस दवा के सेवन से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बनी रहती है |
- जोड़ो में होने वाले दर्द में इस दवा का सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा सुझाया जाता है |
सेवन की विधि एवं नुकसान की जानकारी | Doses & Side Effects
इस का सेवेन चिकित्सक की परामस से किया जाना चाहिए | इस के सेवेन के लिए आमतोर पर 250 से 500 mg की टेबलेट लेने की सलाह दी जाती है | इस का सेवेन बच्चे और बुजर्ग भी कर सकते है |
वैसे इस औषधि के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है | लेकिन किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन बैगर वैद्य सलाह से नहीं करना चाहिए | अधिक मात्रा एवं गलत अनुपान के साथ सेवन करने से जी मचलाना एवं घबराहट जैसे दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते है |
सामान्य सवाल – जवाब | FAQ
रास्नादि गुग्गुल के लाभ क्या है ?
यह समस्त वात विकारों, जोड़ों के दर्द, साइटिका, पेटदर्द, सिरदर्द, गैस, भगंदर एवं घुटनों के दर्द आदि में लाभदायक है |
रास्नादि गुग्गुल आयुर्वेद में कहाँ वर्णित है ?
आयुर्वेदिक ग्रन्थ योग रत्नाकार में इसका वर्णन मिलता है |
रास्नादि गुग्गुल की प्राइस क्या है ?
यह निर्भर करता है आप कौन सी कम्पनी की रास्नादि गुग्गुल ले रहें है | जैसे रास्नादि गुग्गुल पतंजलि का मूल्य लगभग 110 रूपए के पास है |
कहाँ उपलब्ध होती है ?
इसे आप ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों माध्यम से आसानी से प्राप्त कर सकते है | यह बिना डॉ के पर्चे के मिलने वाली दवा है |