virya shodhan vati in hindi | वीर्य शोधन वटी | घटक, फायदे, नुकसान

Virya Shodhan Vati in Hindi : जैसा नाम से ही प्रतीत हो रहा है | वीर्य शोधन वटी अर्थात शुक्र को शुद्ध करने वाली यह दवा आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि है | इसका उपयोग वीर्य विकारों एवं शुक्र का शोधन करने के लिए उपयोग में ली जाती है |

पुरुषों एवं महिलाओं दोनों में इस औषधि के अपने अलग गुण है | पुरुषों में रक्त की अशुद्धि के कारण या नशे के व्यसन के कारण, अधिक सहवास, लम्बे समय तक बुखार आदि के कारण वीर्य में विकृति आ जाती है एसी स्थिति में वीर्य शोधन वटी बहुत लाभ देती है |

इसका उपयोग नित्य सुबह – शाम रोगानुसार भिन्न – भिन्न अनुपान के साथ सेवन करने से वीर्य का शोधन होता है | विकार रहित शुक्र स्वस्थ बच्चों को जन्म देने के लिए आवश्यक होता है | अत: आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से वीर्य की अशुद्धता में इसका सेवन करना चाहिए |

साथ ही Virya Shodhan Vati स्तंभन दोष को दूर करती है | यह स्तंभन विकारों को दूर करके सहवास में लम्बे समय तक टिकने अर्थात स्तंभन शक्ति को बढाती है | शुक्रवाहिनी के वातप्रकोप एवं शिथिलता को दूर करती है एवं इस वटी के उपयोग से विभिन्न प्रकार के प्रमेह, धातु दोष, मूत्ररोग एवं निर्बलता दूर होती है |

चलिए अब जानते है Virya Shodhan vati in hindi के घटक द्रव्य, इसे बनाने की विधि एवं फायदे नुकसान आदि के बारे में

Virya Shodhan Vati in Hindi

वीर्य शोधन वटी के घटक द्रव्य / Ingredients of Virya Shodhan Vati in Hindi

निम्न सारणी से आप इसके घटक द्रव्य देख सकते है –

बनाने की विधि : सबसे पहले चाँदी वर्क, वंगभस्म, सुवर्णमाक्षिक भस्म, गिलोय सत्व आदि सभी को 10 – 10 ग्राम की मात्रा में लेकर कपूर 3 ग्राम लें | अब इन सभी को खरल में डालकर इनमे शिलाजीत का जल मिलाकर खरल में घोंटे

अच्छी तरह घोंटने के पश्चात इनकी 1 – 1 रति अर्थात लगभग 125 mg की गोलियां बना लें एवं इन्हें सुखाकर रख लें | इस प्रकार से तैयार वटी वीर्य शोधन वटी कहलाती है |

सुवर्ण माक्षिक भस्म के स्थान पर प्रवाल पिष्टी भी मिलाई जा सकती है | इसमें सुवर्णमाक्षिक इसलिए मिलाई जाती है ताकि इसकी उष्णता कम हो सके | उष्णता कम होने से यह अधिक गुणवान औषधि बन जाती है |

वीर्य शोधन वटी के फायदे / Health Benefits of Virya Shodhan vati in hindi

यह वटी शुक्र में रहे हुए दूषित घटकों का शोधन करती है | उष्णता को कम कर स्तंभन गुणों को बढाती है अर्थात सहवास में लम्बे समय तक टिकने में समर्थ बनाती है | शुक्रवाहिनी के वातप्रकोप एवं स्थिलता को दूर करती है एवं इस दवा के सेवन से विभिन्न प्रकार के प्रमेह, धातुदोष, मूत्ररोग, निर्बलता आदि विकार दूर होकर शक्ति की व्रद्धी करती है |

यहाँ निचे हमने इसके फायदों को बिन्दुवार समझाया है –

  1. Virya Shodhan vati in hindi ज्वर आदि रोगों के कारण रक्त में आई उष्णता को दूर करने के लिए उपयोग में ली जाती है | पुरुष एवं स्त्रियों दोनों में इसके समान प्रभाव दिखाई पड़ते है | क्योंकि रक्त की उष्णता को दूर करने के लिय यह लाभदायक है |
  2. स्वप्न दोष होने एवं रोगी के चिडचिडे स्वभाव में भी वीर्य शोधन वटी अत्यंत लाभ देती है |
  3. यह कीटाणुनाशक की तरह भी कार्य करती है |
  4. वीर्यवृद्धक, शुक्रशोधक एवं रौप्य रसायन के रूप में भी इस दवा का प्रयोग वैद्य करवाते है | क्योंकि शुक्र को शुद्ध करने एवं रक्त को सुद्ध करके शरीर में वीर्य की वर्द्धि करने में यह रसायन अत्यंत फायदेमंद है |
  5. पुरुष एवं स्त्रियों दोनों में बुखार आदि के कारण आई कमजोरी एवं रक्त की उष्णता में इसका प्रयोग बहुत लाभ करता है |
  6. रक्त विकार को दूर करने वाली अन्य औषधियों जैसे चोपचिन्यादी चूर्ण, सरिवासव, रक्तशोधक क्वाथ आदि के साथ वीर्य शोधन वटी का प्रयोग भी रक्त को शुद्ध करने के लिए करते है |
  7. शुक्र एवं शुक्रस्थान में विकृति होने पर वीर्य शोधन वटी का प्रयोग वैद्य के परामर्श से करने से इन समस्याओं में आराम मिलता है | क्योंकि इस औषदी का मुख्य कार्य शुक्र का शोधन करना ही है |
  8. शुद्ध शिलाजीत एवं गिलोय सत्व होने के कारण इसमें शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास करने के गुण भी आ जाते है |
  9. नपुंसकता नाशक औषधि कामसुधा योग के साथ भी वीर्य शोद्धन वटी का उपयोग कर सकते है | क्योंकि कामसुधा नपुंसकता को दूर करती है एवं वीर्य शोधन वटी वीर्य का शोधन करती है जिससे रोग का समूल नाश होता है |
  10. रक्त में उष्णता होने से धातुएं भी दूषित हो जाती है एसे में वीर्य शोधन वटी का प्रयोग वैद्य के निर्देशानुसार सेवन करना फायदेमंद रहता है |

नुकसान / Side Effects

अगर निर्देशित मात्रा में सेवन किया जाये तो वीर्य शोधन वटी कोई नुकसान नहीं पहुंचाती | इसका सेवन विभिन्न रोगों में भिन्न – भिन्न अनुपान के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सक सेवन करवाते है | इसकी मात्रा एक – एक वटी लगभग 125 mg की निर्देशित मात्रा में सेवन करने से कोई नुकसान नहीं है | निर्देशित मात्रा से अधिक में सेवन करने से सीने में जलन एवं असामान्य स्थिति उत्पन्न हो सकती है |

वीर्य शोधन वटी की सेवन विधि

इसका सेवन निमित सुबह – शाम एक – एक गोली लगभग 125mg की मात्रा में वैद्य द्वारा निर्देशित की जाती है | साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सक आपके रोग के अनुसार इसके साथ अन्य औषधीय योग का सेवन भी करवाते है | जैसे कामसुधा योग, विदार्यादी चूर्ण, शतावर्यादी चूर्ण आदि का सेवन रोगानुसार करवाया जाता है |

Virya Shodhan vati Price in Hindi

  1. Baidyanath Virya shodhan Vati 60 tablet Price – Rs 270
  2. Vyas Virya Shodhan Vati 200 Tab – Rs 614

FAQ / सामान्य सवाल – जवाब

वीर्य शोधन वटी क्या काम आती है ?

यह शुक्र का शोधन करने एवं स्तंभन गुणों को बढ़ाने के लिए काम आती है |

बैद्यनाथ वीर्य शोधन वटी के ingredients क्या है ?

किसी भी विशिष्ट आयुर्वेदिक उत्पाद के घटक लगभग समान होते है चाहे उस उत्पाद को किसी भी फार्मेसी ने बनाया हो | यहाँ ऊपर हमने इसके घटक द्रव्य बताये है |

वीर्य शोधन वटी का सेवन कैसे किया जाता है ?

इसका सेवन 1 – 1 गोली के रूप में सुबह – शाम मिश्री मिले दूध या शहद के साथ किया जा सकता है |

वीर्य शोधन वटी के क्या फायदे है ?

यह वीर्य का शोधन करने, स्तंभन गुणों को बढ़ाने एवं रसायन वाजीकरण की तरह कार्य करने में अत्यंत फायदेमंद औषधि है |

कहाँ मिलेगी ?

सभी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर यह आसानी से उपलब्ध हो जाती है |

धन्यवाद |

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