मिर्गी जिसे अपस्मार या अग्रेजी में epilepsy कहते हैं एक बहुत ही उलझा हुवा रोग है | आधुनिक चिकित्सा के इतने विकास के बाद भी इस समस्या का कोई ठोस कारण और हल पता नहीं चल पाया है | प्राचीन समय में जानकारी के आभाव में और अंधविश्वास की अधिकता के कारण लोग इस बीमारी को भुत प्रेत या भगवान के प्रकोप के रूप देखते थे | हालांकि आयुर्वेद में अपस्मार का वर्णन है और इसके उपचार की विधि और दवा के बारे में भी बताया गया है फिर भी आज तक भी लोग मिर्गी को भुत प्रेतों से जोड़ के देखते हैं |
इस लेख में हम आयुर्वेद मतानुसार मिर्गी क्या है, इसका इलाज कैसे हो और मिर्गी की आयुर्वेद दवा के बारे में बतायेंगे |
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मिर्गी या अपस्मार रोग क्या है / What is Epilepsy ?
आधुनिक चिकित्सा के अनुसार यह रोग तंत्रिकातंत्र के विकार से जुड़ा है | इन विकारों के कारण रोगी की चेतना चली जाती है और उसे दौरे पड़ते हैं तथा अन्य प्रकार की परेशानियाँ देखने को मिलती हैं | आयुर्वेद में इस रोग का वर्णन अपस्मार के रूप में किया गया है | चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि में इस रोग का वर्णन किया गया है एवं कारण और उपचार भी बताया गया है |
सामान्यतः आयुर्वेद में किसी भी रोग को वात पित्त एवं कफ़ दोषों में असंतुलन के रूप में समझा जाता है | इसी आधार पर इसे आयुर्वेद में चार प्रकार का बताया गया है | वातज अपस्मार, पित्तज अपस्मार, कफज अपस्मार और त्रिदोष अपस्मार |
इस रोग में रोगी को अचानक दौरा पड़ता है, यह दौरा 2 सेकंड से लेकर 3-4 मिनट तक का हो सकता है | इसके अलावा मुंह में झाग आना, हाथ पैर कांपना, झटके लगना, बेहोश हो जाना जैसी समस्याएं इस रोग के कारण देखने को मिलती हैं |
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इस लेख में हम आयुर्वेद में बताये अनुसार मिर्गी की दवाओं और योग प्राणायाम की सहायता से इसका उपचार कैसे किया जा सकता है यह बताने का प्रयास करेंगे | आयुर्वेद में निम्न दवाओं को अपस्मार के लिए उपयोग में लिया जाता है :-
- अश्वगंधारिष्ट
- सारस्वतारिष्ट
- सारस्वत चूर्ण
- ब्राह्मी घृत
- कल्याण घृत
- योगेन्द्र रस
- महाकल्याण घृत
- चतुर्मुख चिन्तामणि रस
- ताप्यादी लौह
- पंचगव्य घृत
इन सभी दवाओं का उपयोग करके मिर्गी की समस्या को दूर किया जा सकता है |
अश्वगंधारिष्ट है मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा
अश्वगंधा एक अत्यंत उपयोगी जड़ी बूटी है | इसका उपयोग अनेकों दवाओं में किया जाता है | अश्स्वगंधारिष्ट में प्रधान द्रव्य अश्वगंधा है जो दिमाग की विकृति और कमजोरी के लिए उपयोगी होता है | क्योंकि मिर्गी की समस्या मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र से जुडी हुयी है इसलिए इस दवा के सेवन से अपस्मार रोग में बहुत फायदा होता है |
अश्वगंधारिष्ट की 5 ml मात्रा का सेवन दिन में दो तीन बार करना चाहीए | इससे धीरे धीरे दिमाग की कमजोरी दूर होती है और इस रोग से राहत मिलती है |
सारस्वतारिष्ट से मिर्गी/ अपस्मार का इलाज
यह औषधि मेधा, बल, स्मरण शक्ति और कांति बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी है | स्त्रियों में मासिक धर्म की अनियमितता के कारण उन्माद और मिर्गी की समस्या में इस दवा का सेवन करना बहुत फायदेमंद रहता है | यह रजो विकार को ठीक करता है और मन को प्रसन्न करता है | जिससे स्त्रियों को होने वाली समस्याओं में तुरंत असर होता है |
इसकी 2 से 3 तोला मात्रा को दिन में दो तीन बार खाने के बाद जल के साथ दें | इससे महिलाओं में रजो विकारों के कारण होने वाले अपस्मार रोग में जल्द राहत मिलती है |
ब्राह्मी घृत :- अपस्मार / मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा
दिमाग की कमजोरी के लिए ब्राह्मी का उपयोग प्राचीन काल से ही होता रहा है | यादाश्त बढाने के लिए यह बहुत उपयोगी है | गाय के घी के साथ ब्राह्मी घृत और भी अधिक उपयोगी हो जाता है | मिर्गी के रोगियों को ब्राह्मी घृत का सेवन कराने से बहुत लाभ मिलता है | इससे दिमाग को बल मिलता है, यादाश्त बढती है और दिमाग की कमजोरी के कारण दौरे पड़ने की समस्या दूर हो जाती है |
लगातार 2 से 3 महीने इस घी का सेवन करने पर मिर्गी की समस्या दूर हो सकती है | इसका सेवन मिश्री या धारोष्ण गौदुग्ध के साथ करना चाहिए |
कल्याण घृत से करें मिर्गी, उन्माद, अपस्मार जैसी समस्याओं का उपचार
मानसिक तनाव, चिंता, मिर्गी आना जैसी सभी समस्याओं में कल्याण घृत बहुत उपयोगी दवा का काम करता है | औषधियों के साथ पाक सिद्ध यह घी दिमाग की कमजोरियों के लिए बहुत फायदेमंद है | मिर्गी की समस्या में इसे भूतभैरव रस के साथ सेवन करने से बहुत जल्दी राहत मिलती है |
योगेन्द्र रस है अपस्मार रोग में कारगर आयुर्वेदिक दवा
इसमें रस सिंदूर, स्वर्ण भस्म, कान्त लौह और मोती भस्म जैसे उत्तम रसायनों का योग होता है | योगेन्द्र रस हिस्टीरिया, उन्माद और मिर्गी की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है | शरीर में इन्द्रियो में आई कमजोरी के लिए यह बहुत फायदेमंद है | इसका विशेष प्रभाव मन मस्तिष्क, वातवाहिनी नाड़ी और रक्त वाहिनी नाड़ियो पर अधिक होता है | इसकी एक एक गोली दिन में दो बार शहद या अदरक के रस के साथ सेवन करें |
चतुर्मुख रस से मिर्गी का इलाज
मानसिक क्षोभ में यह रसायन अमृत के सामान उपयोगी है | मूर्छा आना, हिस्टीरिया और मिर्गी जैसे रोगों में इस दवा का सेवन करने से शीघ्र लाभ मिलता है | इसकी एक एक गोली सुबह शाम त्रिफला चूर्ण या शहद के साथ सेवन करें |
ताप्यादि लौह से अपस्मार में फायदे
लौह प्रकरण की यह औषधि अत्यंत उपयोगी है | क्षय और प्रमेह रोगों में इसके सेवन से विशेष फायदा होता है | इसके सेवन से इन्द्रियों को बल मिलता है एवं मानसिक विक्षोभ भी दूर होता है | मिर्गी की समस्या में इसका सेवन करना लाभकारी होता है | महिलाओं के लिए यह बहुत ही उपयोगी दवा है | इसके सेवन से रक्त की कमी दूर हो जाती है |
योग / प्राणायाम से करें मिर्गी का इलाज
योग एवं प्राणायाम आयुर्वेद का सम्पूर्ण जगत को दिया गया वरदान है | अगर आप नित्य योग प्राणायाम करते हैं तो रोग आपसे कोसों दूर रहेंगे | यह मानसिक और शारीरिक क्षमता को बढाता है और मन को शांत रखता है | मिर्गी की समस्या तंत्रिका तन्त्र एवं दिमाग की कमजोरी से जुडी होती है | इसलिए योग प्राणायाम करने से मिर्गी में बहुत लाभ देखने को मिलता है | शीर्षासन, भुजंग आसन, अनुलोम विलोम और भ्रामरी को अपनाकर दिमाग की कमजोरी को दूर किया जा सकता है |
धन्यवाद
सन्दर्भ/ Reference
- Yoga and epilepsy: What do patients perceive?
- Nonpharmacological treatment of epilepsy
- Insights about multi-targeting and synergistic neuromodulators in Ayurvedic herbs against epilepsy: integrated computational studies on drug-target and protein-protein interaction networks
- The effects of herbal medicine on epilepsy
- An Important Indian Traditional Drug of Ayurveda Jatamansi and Its Substitute Bhootkeshi: Chemical Profiling and Antioxidant Activity
- STUDY OF DOSHIC INVOLVEMENT IN APASMARA (EPILEPSY) AND ITS UTILITY
- Recent Advances in Antiepileptic Herbal Medicine
- अपस्मार