वसंत कुसुमाकर रस :- आयुर्वेद की रस रसायन प्रकरण की शास्त्रोक्त दवा है | यह टेबलेट फॉर्म में बाजार में धूतपापेश्वर, पतंजलि, बैद्यनाथ आदि कंपनियों की मिल जाती है | आज इस आर्टिकल में हम Vasant Kusumakar Ras in Hindi के बारे में आपको सम्पूर्ण विवरण उपलब्ध करवाएंगे |
यह दवा वीर्य विकार जैसे नपुंसकता, शीघ्रपतन एवं धातु की कमजोरी में विशेष लाभदाई है | इसे वृष्य एवं वाजीकरण रसायन कहा जा सकता है | साथ ही पित्त के असामंजस्य को ठीक करके रक्त – पित्त, रक्त प्रदर आदि रोगों को दूर करने में फायदेमंद है |
वसंत कुसुमाकर रस हृदय को बल देने वाला, मानसिक विकारों को दूर करने वाला, पाचन को सुधारने वाला, फेफड़ो के लिए लाभकारी, काम शक्ति का वर्द्धन करने वाला, वीर्य को रोकने वाला एवं मधुमेह को ठीक करने वाला रस रसायन है |
यहाँ इस आर्टिकल में हम वसंत कुसुमाकर रस के घटक द्रव्य, बनाने की विधि, फायदे, उपयोग एवं नुकसान के बारे में विस्तृत रूप से बता रहें है | तो चलिए सबसे पहले जानते है इसके घटक द्रव्यों के बारे में
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वसंत कुसुमाकर रस के घटक द्रव्य / Ingredients of Vasant Kusumakar Ras
इस दवा में निम्न घटक द्रव्य मिलते है अर्थात इन औषध द्रव्यों के सहयोग से Vasant Kusumakar Ras का निर्माण होता है | इस टेबल के माध्यम से देख सकते है –
घटक द्रव्य का नाम | मात्रा |
---|---|
प्रवाल भस्म | 48 ग्राम |
रस सिंदूर | 48 ग्राम |
मोती पिष्टी | 48 ग्राम |
अभ्रक भस्म | 48 ग्राम |
चाँदी भस्म | 24 ग्राम |
सुवर्ण भस्म | 24 ग्राम |
लौह भस्म | 36 ग्राम |
नाग भस्म | 36 ग्राम |
वंग भस्म | 36 ग्राम |
भावनार्थ निम्न जड़ी – बूटियों का रस | |
कमल फूलों का रस | भावनार्थ |
हल्दी का रस | भावनार्थ |
गन्ने का रस | भावनार्थ |
केले के कंद का रस | भावनार्थ |
चन्दन क्वाथ | भावनार्थ |
मालती के फूलों का रस | भावनार्थ |
अडूसा रस | भावनार्थ |
शतावरी रस | भावनार्थ |
वसंत कुसुमाकर रस कैसे बनता है ? / Making Process
इस दवा का निर्माण सिद्ध योग संग्रह में बताये गए अनुसार किया जात है | वसंत कुसुमाकर रस बनाने के लिए सबसे पहले प्रवाल पिष्टी, रससिंदुर, मोती पिष्टी, अभ्रक भस्म प्रत्येक को 4 – 4 तोला लें | अब चाँदी भस्म, स्वर्ण भस्म को 2 – 2 तोला, लौह भस्म, वंग भस्म, नाग भस्म प्रत्येक को 3 – 3 तोला ले लिया जाता है |
ऊपर बताई गई मात्रा में लेने के पश्चात पत्थर के खरल में सबको डालकर सबसे पहले अडूसे स्वरस के साथ सात भावना देनी होती है | अडूसे स्वरस की भावना अच्छी तरह देने के पश्चात इसी प्रकार से हल्दी रस, कमल के फूलो के रस, शतावरी रस, मालती के फूलों के रस, चन्दन क्वाथ, केले के कांड का रस, गन्ने का रस इन सभी के साथ फिर से 7 – 7 भावना देकर 125 mg की गोलियां बना ली जाती है |
इस प्रकार से तैयार दवा वसंत कुसुमाकर रस पुकारा जाता है |
वसंत कुसुमाकर रस के फायदे (उपयोग) / Benefits of Vasant Kusumakar Ras in Hindi
यह वृष्य एवं वाजीकरण रसायन है अत: पुरुषों के यौन विकार जैसे वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन, नपुंसकता आदि में अच्छे परिणाम देती है | साथ ही हृदय को बल देती है | शरीर को बल प्रदान करती है | तो चलिए जानते है इसके फायदे एवं स्वास्थ्य उपयोग
मधुमेह रोग में वसंत कुसुमाकर रस के फायदे / Diabetes
यह दवा मधुमेह रोग में अत्यंत लाभकारी है | मधुमेह में ब्लड सुगर बढ़ने एवं इन्सुलिन हार्मोन के कम उत्सर्जन के कारण होने वाली समस्याओं में इसका प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा में प्रमुखता से किया जाता है | आयुर्वेद के अनुसार यह सभी प्रकार के प्रमेह रोगों में लाभकारी होती है | लेकिन विशेषकर ब्लड शुगर में इसका विशेष फायदा होता है |
मधुमेह में इसे चंद्रप्रभा वटी एवं त्रिकटु चूर्ण के साथ सेवन करवाने से अच्छा लाभ मिलता है |
शारीरिक बल वर्द्धन / Strengthen Body
सामान्य तौर पर यह शारीरिक शक्ति का वर्द्धन करने का कार्य करती है | लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि सिर्फ शरीर में बल बढ़ाने या मोटा होने के लिए इसका इतेमाल किया जाये | शारीरिक बल वर्द्धन का तात्पर्य है कि अगर व्यक्ति में किसी रोग के कारण शारीरिक कमजोरी आई है तो उसमे इसका अन्य औषधियों के साथ सेवन करवाया जाता है |
यह जीर्ण रोग के कारण आई कमजोरी में लाभदायक सिद्ध होती है | शरीर में नयी उर्जा कर संचार करके जीवनीय शक्ति का वर्द्धन करती है | उदहारण के लिए मधुमेह के कारण अगर शरीर कृष या कमजोर है तो इसका इस्तेमाल करवाया जाता है |
पुरुषों के यौन विकारों में वसंत कुसुमाकर रस के फायदे / Sexual Disorder
यह वाजीकरण रसायन है अर्थात इसके सेवन से शरीर में कामशक्ति का संचार होता है | यह वीर्य के पतलेपन को दूर करके शीघ्रपतन एवं धातु विकारों को दूर करने का कार्य करती है | इस रस – रसायन औषधि का इस्तेमाल अन्य आयुर्वेदिक योगों के साथ सहयोग स्वरुप इस्तेमाल करने से यौन विकारों में अत्यंत लाभ मिलता है |
अप्राकृतिक मैथुन अर्थात हस्तमैथुन आदि के कारण व्यक्ति का वीर्य पतला हो जाता है एसे में वसंत कुसुमाकर रस सेवन करने से वीर्यवाहिनी शिरा एवं अंडकोष को ताकत मिलती है, जिससे वीर्यवाहिनी शिरा में वीर्य को धारण करने के गुण बढ़ते है एवं शीघ्रपतन एवं स्वप्न प्रमेह जैसी समस्याएं अपने आप ठीक हो जाती है |
महिलाओं के रक्तप्रदर रोग / Metrorrhagia
जिन महिलाओं को रक्त प्रदर की समस्या है या जिनका मासिक धर्म लम्बे समय तक चलता है जिसमे रक्त का ह्रास अधिक होता है | एसी समस्याओं में भी Vasant Kusumakar Ras काफी लाभ देता है |
वसंत कुसुमाकर को प्रवाल पिष्टी के साथ सेवन करने से रक्त गाढ़ा बनता है एवं रक्त प्रदर की समस्या से निजात मिलती है |
नुकसान / Side Effects
इस दवा के निर्माण में विभिन्न खनिजादी भस्म का इस्तेमाल किया गया है | अत: वैद्य निर्देशित मात्रा से अधिक सेवन नुकसान दायक हो सकता है | गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए इसका सेवन वर्जित है |
सिमित मात्रा में सेवन करने से यह पूर्णतय सेफ दवा है | लेकिन फिर भी रस – रसायन होने के कारण बैगर आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श इसका सेवन नहीं करना चाहिए |
सेवन की विधि / Doses
1 – 1 गोली सुबह शाम या आयुर्वेदिक वैद्य के परामर्शानुसार इसका सेवन करना चाहिए | विभिन्न रोगों में इसे अन्य औषधियों के साथ सेवन करवाया जाता है | इस टेबल के माध्यम से आप समझ सकते है |
रोग | अनुपान |
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वीर्य विकार / नपुंसकता | धारोष्ण गोदुग्ध |
मानसिक विकार | आंवले का मुर्रबा के साथ |
रक्त पित्त | शहद एवं वासा रस के साथ |
प्रमेह रोग में | गिलोय रस एवं शहद के साथ |
मधुमेह रोग में सेवन | जामुन की गुठली एवं शिलाजीत |
श्वांस एवं खांसी में | चौंसठ प्रहर पिप्पली एवं शहद मिलकर |
हृदय रोग में | अर्जुन छाल के काढ़े के साथ सेवन |
धन्यवाद ||
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