प्रोढ़ावस्था में अमृत तुल्य औषधि है संखिया भस्म(Sankhiya Bhasma)

यह संख(Sankha Bhasma) भस्म नहीं है | आम तौर पर जानकारी के अभाव में लोग संखिया भस्म एवं संख भस्म में भर्मित हो जाते हैं | संखिया एक जानलेवा खनिज विष है | इसे मल्ल भी कहा जाता है | सामान्यतः यह चार रंग (काला, लाल, पिला एवं सफ़ेद) का होता है | संख भस्म की तरह इससे बनी भस्म भी बहुत गुणकारी एवं स्वास्थ्यवर्धक होती है | लेकिन यह बहुत खतरनाक जहर होने के कारण इसका शोधन करना बहुत जरुरी होता है |

sankhiya bhasma (संखिया भस्म)
sankhiya bhasma (संखिया भस्म)

संखिया की परख या जाँच करने के लिए कभी भी चखना नहीं चाहिए, बिना शोधन इसका सेवन करने से जान भी जा सकती है |


इस लेख में हम संखिया भस्म (नाकि संख भस्म ) के बारे में निम्न रोचक एवं उपयोगी बातों को जानेंगे |

  • संखिया क्या है एवं इसकी भस्म कैसे बनाई जाती है ?
  • क्या संखिया एवं संख भस्म एक ही हैं ?
  • इस भस्म के क्या क्या उपयोग हैं ?
  • इसका सेवन कैसे करें ?
  • संखिया भस्म के फायदे बताएं |
  • पतंजलि एवं बैद्यनाथ की संखिया भस्म के फायदे एवं कीमत (Price) |
  • इसका सेवन करते समय सावधानियां एवं होने वाले दुष्प्रभाव क्या हैं ?

संखिया भस्म (Sankhiya Bhasma) क्या है एवं इसे बनाने की विधि |

मल्ल खनिज से बनने वाली भस्म को संखिया भस्म कहते हैं | भस्म के लिए उपयोग करने से पहले इसका शोधन करना जरुरी है | शोधन करने के लिए सबसे पहले इसके छोटे छोटे टुकड़े कर लें | अब इसे एक कपड़े में बांध लें एवं मिटटी की हांड़ी में गर्म दूध में डाल कर कम से कम 3 घंटे तक चलावें | अब इसे कपड़े से निकाल कर गर्म पानी से धो लें | इस विधि से इसका विष प्रभाव समाप्त हो जाता है |

जानें कैसे बनती है संखिया भस्म (यह संख भस्म बनाने की विधि नहीं है )

  • आवश्यक घटक :- मुली की राख, शोधित संखिया |
  • सबसे पहले मिटटी की हंडी को आधा मुली की राख से भर लें |
  • अब उसमें शोधित संखिया के टुकड़े डाल दें |
  • संखिया भस्म बनाने के लिए अब इसके ऊपर मिटटी डाल कर हांड़ी को पूरा भर दें |
  • हंडी को चूल्हे पर रख धीमी आंच पर 12 घंटे तक गर्म करें |
  • इस तरह से इसकी भस्म तैयार हो जाती है |

जानें संखिया भस्म के फायदे एवं उपयोग (Benefits and Uses of Sankhiya Bhasma)

संख भस्म एवं उसके फायदे के बारे में आप सभी परिचित होंगे | संखिया भस्म भी आयुर्वेदिक भस्मों में बहुत उपयोगी औषधि है | प्रोढ़ावस्था (40 से 50 साल) में अमृत के समान काम करती है | इससे कम उम्र के व्यक्ति के लिए इसका उपयोग ज्यादा फायदेमंद नहीं होता है | यह रक्त विकार, गठिया, मलेरिया, कोढ़ एवं नपुंसकता जैसे रोगों में बहुत उपयोगी है |

उपयोग कैसे करें :- सर्दी के मौसम में अष्टमांश रत्ती भस्म का सेवन करें एवं साथ में प्रयाप्त मात्रा में घी, दूध एवं मख्खन का भी सेवन करें | ध्यान रखें इसका सेवन चिकित्सक की सलाह से ही करें ज्यादा मात्रा में सेवन करने से जान को भी खतरा हो सकता है |

फायदे एवं स्वास्थ्य लाभ :-

  • इसका सेवन करने से जठराग्नि बढती है |
  • भूख बढाने के लिए उत्तम है |
  • यह भस्म भोजन से पहले ग्रहण करने से पाचन में फायदा मिलता है |
  • भोजन के पश्चात् सेवन करने से उल्टी, दस्त से छुटकारा मिलता है |
  • यह लाल रक्त कणिकाओं को बढ़ाती है इसलिए पीलिया में इसका उपयोग बहुत लाभप्रद होता है |
  • संखिया भस्म के साथ लौह भस्म का सेवन करने से खून की कमी दूर हो जाती है |
  • इसका उपयोग करना दमे (अस्थमा) में बहुत फायदेमंद होता है |
  • निरंतर उपयोग करने से दमे की समस्या खत्म हो जाती है |
  • त्वचा विकारों में हितकारी है, रंग सुधारती है |

मलेरिया रोग की अचूक दवा है यह भस्म (Sankhiya Bhasma)

आयुर्वेद में भस्म प्रकरण की दवाओं का बहुत महत्व है | मलेरिया जैसे जानलेवा रोग में यह भस्म बहुत फायदेमंद रहती है | मलेरिया रोग में इसका उपयोग लौह एवं कुनेन में मिलाकर किया जाता है | खासकर पुराने मलेरिया में तो यह एक बहुमूल्य औषधि का काम करती है | यह शरीर का पौषण एवं ताकत बढ़ाती है |

नपुंसकता में संखिया भस्म के फायदे |

प्रोढ़ावस्था में होने वाली यौन कमजोरी में यह औषधि बहुत फायदेमंद होती है | इसका सेवन करने से नशों की दुर्बलता कम होती है एवं वीर्यस्तम्भन में वृद्धि होती है | नव युवको के लिए इसका सेवन हितकारी नहीं है | कम उम्र में उत्पन्न यौन विकारों के लिए त्रिवंग भस्म एवं बंग भस्म बहुत फायदेमंद रहती हैं |

यह भी पढ़ें :- त्रिवंग भस्म है नपुंसकता का अचूक इलाज |

सावधानियां एवं दुष्प्रभाव (Precautions and Side Effects)

मध्यम उम्र व्यक्ति के लिए यह औषधि बहुत उपयोगी है | लेकिन इसका सेवन करते समय कुछ सावधानियां बहुत जरुरी है नहीं तो यह जानलेवा हो सकता है |

  • इसका सेवन बहुत कम मात्रा में जितना चिकित्सक ने बताया है करें |
  • ज्यादा सेवन करने से पेट में सुजन एवं दस्त हो जाते हैं |
  • भूल कर भी शोधन किये बिना संखिया का सेवन न करें यह बहुत घातक जहर है |
  • अगर इसका ज्यादा सेवन कर लिया हो तो तुरंत औषधि की सहायता से वमन विरेचन कराएं |
  • अगर संखिया का विष चढ़ गया हो तो बिल की गिरी का सेवन कराएँ |
  • नीम के पत्तो का रस पिलाने से भी संखिया का विष उतारा जा सकता है |

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जी नहीं, संखिया भस्म एक खनिज विष (मल्ल) से बनाई गयी भस्म है यह संख भस्म नहीं है |

आप इन्हें ऑनलाइन या किसी आयुर्वेदिक दवा खाने से प्राप्त कर सकते हैं |

यह भस्म 40 साल से 50 साल के व्यक्ति के लिए अमृत समान है, मलेरिया में बहुत उपयोगी है |

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