Ayurvedic Medicine List in Hindi – आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति विश्व की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में गिनी जाती है | व्यक्ति को 100 साल तक निरोगी जीवन जीने के तरीके आयुर्वेद के माध्यम से ही प्राप्त हो सकते है |
जब कभी व्यक्ति बीमार पड़ जाता है तो उसे ठीक होने के लिए विभिन्न औषधियों का सेवन करना पड़ता है | आयुर्वेद में आज बहुत सी दवाएं निर्मित की जा चुकी है | इनमे से कुछ शास्त्रोक्त दवाएं है एवं कुछ फार्मा कंपनियों की पेटेंट दवाएं है |
इस आर्टिकल में हम आयुर्वेद की शास्त्रोक्त दवाओं की सूचि आप सभी को उपलब्ध करवाएंगे | शास्त्रोक्त दवाएं वे होती है जिनका वर्णन आयुर्वेदिक ग्रंथो में मिलता है | इन Ayurvedic aushadhi ke naam in Hindi (आयुर्वेदिक मेडिसिन नाम लिस्ट) और उनके उपयोग के बारे में बताएँगे |
तो चलिए जानते है सूचिबद्ध दवाओं की लिस्ट एवं उनके उपयोग | यहाँ आपको निम्न प्रकार से Ayurvedic Medicine List in Hindi प्राप्त होगी
- Ayurvedic Rasa Aushadhi (Medicine) List in Hindi
- All Ayurvedic Churna List
- All Ayurvedic Vati List in Hindi
- Ayurvedic Asava – Arishta List in Hindni & Uses
- All Avleha List in Hindi
- Ayurvedic Bhasma List in Hindi
- Rasayan Aushadhi List
- Guggulu Aushadhi list in hindi
- Arka Aushaddhi List
- All Loha Medicine List
- Ayurvedic Ghrita Medicine List
- Ayurvedic Kwath Medicine List
- All Ayurvedic Malham List
- Ayurvedic Medicated Oil List
- Kshar List
आप इन्हे इस प्रकार से समझ सकते है कि आयुर्वेद में दवाओं के बहुत से प्रकार होते है | जैसे कुछ आयुर्वेदिक दवा चूर्ण रूप में होती है , वहीँ कुछ गोलियों एवं कुछ पीने के सिरप रूप में अत: हमने इन्हे अलग – अलग बाँट कर आपको उपलब्ध करवाया है ताकि आपको समझने एवं पढ़ने में आसानी हो | तो चलिए देखते है आयुर्वेदिक मेडिसिन नाम लिस्ट एवं उनका उपयोग
Post Contents
1 . आयुर्वेद की सभी रस औषधियों की सूचि / Rasa Aushadhi List in Hindi
इस सूचि में आप आयुर्वेद चिकित्सा में काम आने वाली सभी रस औषधियों अर्थात दवाओं के नाम एवं उनके उपयोग के बारे में जानेंगे | इसे आप पीडीऍफ़ / PDF Download भी कर सकते है टेबल के अंत में Download का Option मिलेगा |
Sr No | Aushadhi ke Naam | Upayog |
1 | अग्निसंदीपन रस | यह मंदाग्नि, अजीर्ण, अम्लपित्त एवं शूल आदि में उपयोगी है |
2 | अजीर्णरि रस | मंदाग्नि, अजीर्ण, कब्ज एवं पेट फूलना आदि में उपयोगी |
3 | अजीर्णकंटक रस | जठराग्नि तेज करने एवं कब्ज , गैस आदि में |
4 | अग्नितुंडी वटी रस | आफरा, पेट के कीड़े, अजीर्ण एवं कमजोरी |
5 | अर्धांगवातारी रस | पित्तदोष, मोटापा, मंदाग्नि एवं कफ को बाहर निकालने में उपयोगी |
6 | अग्निकुमार रस | अग्नि को बढ़ाने वाली, कब्ज, आँतों में मल इक्क्ठा होना एवं पेट भारी होने |
7 | अग्निसुनू रस | शूल, गुल्म, पांडुरोग, उदररोग, अर्श एवं ग्रहणी |
8 | अगस्ति सुतराज रस | सूजन, दाह, अतिसार, वमन एवं पेट दर्द में उपयोगी |
9 | अर्द्धनारिनाटेश्वर रस | सुन्नपात, तंद्रा, निद्रा न आना, सिरदर्द एवं श्वास में उपयोगी |
10 | अमीर रस | संधिगत वात, वातवाहिनी के विक्षोभ एवं गठिया रोग में उपयोगी |
11 | अमृतकलानिधि रस | रस, पित्त एवं कफदोषजन्य रोग |
12 | अमृतार्णव रस | अतिसार, पतले दस्त होना, संग्रहणी एवं बवासीर में |
13 | अपूर्वमालिनी बसंत रस | जीर्ण ज्वर एवं धातुगत ज्वर में |
14 | अश्विनी कुमार रस | उदर रोग, पक्वाशय की शिथिलता, कोष्ठशुक्ल एवं पतले दस्त |
15 | अर्श कुठार रस | अर्श में उपयोगी |
16 | आनंदभैरव रस | सभी प्रकार की बुखार में उपयोग |
17 | अश्वकंचुकि रस | यकृत एवं उदर रोगों में उपयोगी |
18 | आमवातारी रस | वात दोष, आमवात, हाथ – पैर एवं समूचे शरीर की सूजन |
19 | इंदुशेखर रस | ज्वर, दुर्बलता, प्रदर एवं हृदय रोग में उपयोगी |
20 | इच्छाभेदी रस | विरेचक औषधि |
21 | उन्माद गजकेशरी रस | पागलपन, मिर्गी, हिस्टीरिया, अनिद्रा एवं बेहोशी में उपयोगी |
22 | उन्मत रस | मिर्गी, मूर्च्छा एवं अन्य मानसिक विकारों में |
23 | उन्मादगजांकुश रस | पागलपन में |
24 | उपदंशकुठार रस | उपदंश रोग में फायदेमंद |
25 | एकांगवीर रस | लकवा, एकांगवात, अर्धांगवात एवं पक्षाघात में इसका उपयोग किया है |
26 | कर्पूर रस | अरुचि, खट्टी डकारें एवं मुंह और कंठ की जलन में उपयोगी |
27 | कफकेतु रस | बुखार, छाती में दर्द, छाती में कफ का जमना एवं कफ ज्वर |
28 | कफ कुठार रस | खांसी, सांस लेने में कठिनाई एवं छाती में दर्द |
29 | कनक सुन्दर रस | अतिसार, संग्रहणी एवं ज्वरातिसार में लाभदायक |
30 | कफचिंतामणि रस | वात एवं कफ के रोग नष्ट होते है |
31 | कल्याणसुन्दर रस | फेफड़े के रोग, न्यूमोनिया और उरस्तोय |
32 | कस्तूरीभैरव रस | सभी प्रकार के ज्वर , शीतांग एवं जलन |
33 | कल्पतरु रस | वायु एवं कफ से उतपन्न बुखार में उपयोगी |
34 | कस्तूरी भूषण रस | खांसी, श्वांस, क्षय एवं मंदाग्नि में उपयोगी |
35 | कृमिकुठार रस | अनिद्रा, पाण्डु एवं शोथ और कृमि रोग में |
36 | कामदुधा रस | मूत्र विकार, मुंह आना, बवासीर में खून गिरना एवं पित्त विकार |
37 | कृमिमुद्गर रस | पेट के कीड़ों को समूल नष्ट करने |
38 | क्रव्याद रस | प्लीहा, ग्रहणी, रक्तस्राव, अर्श , शूल एवं विषम ज्वर |
39 | कामधेनु रस | बल वीर्य वर्द्धक, कामोद्दीपपक एवं पौष्टिक |
40 | कामाग्नि संदीपन रस | ओज एवं बल वृद्धि |
41 | कालारी रस | साधारण ज्वर, सन्निपातज ज्वर एवं विषम ज्वर में उपयोगी |
42 | कामिनीविद्रावण रस | वीर्य स्तम्भक |
43 | कालकूट रस | खांसी, श्वांस, आँखों की तन्द्रा, हिचकी, एवं कफ की अधिकता में उपयोगी |
44 | कामलाहार रस | एनीमिया, पीलिया, शोथ एवं मूत्रकृच्छ |
45 | कासकुठार रस | सन्निपातज ज्वर एवं सभी कफ प्रधान जन्य रोगों में |
46 | कासकेशरी रस | श्वास रोग, कफ ज्वर, वात ज्वर में उत्तम लाभ |
47 | कासकर्तारी रस | फेफड़े एवं श्वास प्रणाली एवं गले में जमा कफ |
48 | कुमुडेश्वर रस | टीबी, हृदय की कमजोरी, उदर वायु, पार्श्वशूल कमजोरी |
49 | कुमार कल्याण रस | बच्चों की खांसी, संग्रहणी, वमन एवं श्वास में उपयोगी |
50 | कुष्टकुठार रस | कुष्ठ रोग में उपयोगी |
51 | कुष्ठकालानल रस | सभी प्रकार के कुष्ठ रोग में |
52 | खञ्जनिकारी रस | लकवा, गठिया, आतशक, धनुष्ट्कर एवं न्यूमोनिया, खांसी श्वास |
53 | गदमुरारी रस | पुराने विषम ज्वर, रस गत ज्वर, पित्त गत ज्वर |
54 | गंगाधर रस | अतिसार, मंदाग्नि, संग्रहणी, दस्त और आमातिसार |
55 | गंधक रसायन | कुष्ठ, रक्त विकार जन्य फोड़ा – फुंसी में उपयोगी |
56 | गण्डमाला कंडन रस | गलगण्ड, गण्डमाला एवं गाँठ वाले फोड़े फुंसियों में लाभदायक है |
57 | गर्भपाल रस | गर्भावस्था में होने वाले विकारों में उपयोगी |
58 | गर्भ चिंतामणि रस | गर्भावस्था के सभी विकारों में उपयोगी |
59 | गर्भविनोद रस | वमन, जी मचलाना, गले में जलन, ज्वर एवं अतिसार आदि में लाभदायक |
60 | ग्रहणीकपाट रस | संग्रहणी |
61 | ग्रहणी गजकेशरी रस | रक्त शूल, प्रवाहिका, आंवयुक्त ग्रहणी रोग, पुराना अतिसार और पीड़ायुक्त भयंकर हैजा में उपयोगी |
62 | गुल्मकुठार रस | गुल्म, हृदय के दर्द, पसली के दर्द और उदर शूल में उपयोगी |
63 | गुल्म कलानल रस | गुल्म रोग में उपयोगी |
64 | चतुर्मुख रस | समस्त वायु रोग एवं शारीरिक कमजोरी में उपयोगि |
65 | चतुर्भुज रस | दिमागी कमजोरी में उपयोगी |
66 | चंद्रामृत रस | खांसी, बुखार, जुकाम, गले की खराबी |
67 | चन्द्रकला रस | रक्तपित, मूत्रकृच्छ, दाह, वमन एवं अजीर्ण में उपयोगी |
68 | चंद्रशेखर रस | जीर्ण ज्वर, खांसी, श्वांस एवं वमन |
69 | चन्द्रांशु रस | गर्भाशय दोष, योनि शूल, योनि में पीड़ा एवं जलन में उपयोगी |
70 | चिंतामणि चतुर्मुख रस | शारीरिक क्षीणता, मानसिक दुर्बलता में उपयोगी |
71 | चिंतामणि रस | मानसिक दुर्बलता, अनिद्रा, हृदय रोग, भ्रम |
72 | चंद्रोदय रस | यह उन्मांद, अपस्मार, बद्धकोष्ठ एवं जीर्ण ज्वर |
73 | जवाहर मोहरा | हृदय योग, हृदय एवं फेफड़ो की कमजोरी |
74 | चौंसठप्रहरी पीपल | हृदय कमजोरी, अम्लपित्त, हिचकी, खून की कमी, अर्श एवं दर्द |
75 | जलोदरारी रस | यकृत विकार, उदर रोग, पेट फूलना |
76 | जयमंगल रस | पुराना बुखार |
77 | तारकेश्वर रस | शुक्र की कमी, एवं वीर्यवाहिनी की अशक्तता के कारण आयी नपुंसकता में |
78 | ज्वरांकुश रस | मलेरिआ बुखार |
79 | ज्वरमुरारी रस | अजीर्ण, अपचन और अतिसार |
80 | त्रिभुवन कीर्ति रस | सर्दी, जुकाम, सुखी खांसी |
81 | त्रिलोक्यचिंतामणि रस | सभी प्रकार के वात रोग |
82 | तालकेश्वर रस | खुजली, चर्म विकार |
83 | त्रिमूर्ति रस | आमवात, शोथ रोग, कफ – विकार |
84 | त्रिविक्रम रस | पत्थरी एवं पत्थरी के कारण होने वाले दर्द में लाभदायक |
85 | दन्तोदभेदगदांतक रस | बच्चों के दांत निकलने के समय के विकारों |
86 | नवज्वरेभ्सिंह रस | ज्वर |
87 | नवरत्न राजमृगांक रस | शोथ, पाण्डु, आफरा एवं अरुचि |
88 | नृपतिवल्लभ रस | संग्रहणी, अतिसार, मंदाग्नि, ज्वर एवं आंव |
89 | नष्टपुष्पांतक रस | रसायन |
90 | नित्यानंद रस | हाथीपांव |
91 | नारायण ज्वरांकुश रस | ज्वर, सन्निपातज, विषूचिका एवं विषम ज्वर |
92 | नागर्जुनर्भ रस | अनिद्रा, हृदय की कमजोरी, निम्न रक्तचाप |
93 | निद्रोदय रस | नींद न आने में उपयोगी |
94 | नीलकंठ रस | वमन रोकने की यह खास दवा |
95 | प्रमेह गजकेशरी रस | प्रमेह में उपयोगी |
96 | प्रतापलंकेश्वर रस | प्रसव के बाद होने वाली खांसी में उपयोगी |
97 | प्रदर रिपु रस | वीर्य विकारों में उपयोगी |
98 | प्रदरांतक रस | प्रदर रोग |
99 | प्रंचामृत रस | क्षय रोग की उत्तम दवा |
100 | पांडुपंचानन रस | कब्ज एवं पाचन ठीक करने |
101 | प्रवाल प्रंचामृत रस | उदर रोग, अजीर्ण, अम्लपित्त, संग्रहणी, गुल्म |
102 | पीयूषवल्ली रस | संग्रहणी, अतिसार, उदर विकार, आंव शूल |
103 | पुष्पधन्वा रस | रसायन कामोत्तेजक, बल एवं वीर्य को बढ़ाने वाला |
104 | पूर्ण चंद्र रस | धातु विकारों में |
105 | बसंत तिलक रस | अपस्मार, विशूचिका एवं उन्माद |
106 | बहुमूत्रान्तक रस | यह वायु रोगों की उत्तम औषधि है |
107 | वसंतकुसुमाकर रस | स्त्री – पुरुषों के जननेन्द्रिय से सम्बंधित विकार |
108 | बलरोगान्तक रस | बच्चों के आम दोष, दस्त, खांसी, सर्दी – जुकाम |
109 | वातारी रस | वातरोग, उरूस्तम्भ एवं आमवात |
110 | वातकुलान्तक रस | अपस्मार, अपतन्त्रक एवं पक्षाघात |
111 | वातविध्वंस रस | शितांग, सन्निपातज, वायु एवं कफ के विकार |
112 | वातरक्तांतक रस | रक्त दूषित, खाज, खुजली, फोड़े, फुंसी |
113 | वातगजांकुश रस | मोटापा, अवबाहुक एवं हनुस्तंभ |
114 | बनगेश्वर रस | प्रमेह |
115 | सिद्ध मकरध्वज | सभी रोगों में लाभ देने वाली औषधि |
116 | बालार्क रस | मलेरिया |
117 | बेताल रस | विषम ज्वर एवं सन्निपातज ज्वर |
118 | बोलबद्ध रस | बवासीर, खांसी, पेचिस एवं प्रदर रोग |
119 | महाज्वरांकुश रस | पारी से आने वाला ज्वर, जीर्ण ज्वर, मलेरिया |
120 | भुवनेश्वर रस | आमातिसार पेचिश, मरोड़ एवं संग्रहणी, मंदाग्नि |
121 | मन्मथ रस | नपुंसकता एवं नामर्दी में उपयोगी |
122 | महामृत्युंजय रस | सभी बुखारों एवं मलेरिया |
123 | लघुमालिनी बसंत रस | यह सभी प्रकार के जीर्ण ज्वर में उपयोगी |
124 | महालक्ष्मीविलास रस | फेफड़ो की दुर्बलता, बार – बार होने वाली सर्दी – जुकाम |
125 | बसंतकुसुमाकर रस | हृदय एवं मस्तिष्क को बल मिलता है |
126 | मृगांक रस | पुरानी खांसी, बुखार |
127 | मूत्रकृच्छान्तक रस | मूत्रकृच्छ से सम्बन्थि विकारों |
128 | मुक्तापंचामृत रस | खांसी, श्वास, पुराने बुखारऔर फेफड़ों की कमजोरी |
129 | मृतसंजीवनी रस | सन्निपातज, विषम ज्वर, शीतपूर्व और दाहपूर्व ज्वर |
130 | महावातविध्वंसन रस | वात रोग, शरीर के अंगो में आई कमजोरी |
131 | योगेंद्र रस | अनिद्रा, बैचेनी घबराहट, रक्तचाप कम व् अधिक होना दोनों |
132 | याकूति रस | नाड़ीक्षीणता, शरीर का ठण्ड पड़ जाना |
133 | रसकपूर | अग्नि, बल, वीर्य और कामशक्ति की वृद्धि होती है |
134 | रत्नगिरि रस | वातज्वर, कफ – ज्वर, मंदाग्नि |
135 | रक्तपित्तकुलकन्दन रस | रक्तपित, रजस्राव, रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर, |
136 | रसपिपरी (कस्तूरी युक्त) | बच्चों के लिए अमृत तुल्य है | |
137 | रसराज | वात विकार, विशेषत शारीरिक अंगो की अशक्तता |
138 | रामबाण रस | बदहजमी, मंदाग्नि, आंव और संग्रहणी |
139 | राजमृगांक रस | टीबी की प्रथम एवं द्वितीय अवस्था में उपयोगी |
140 | लवंगाभ्रक रस | अतिसार, ग्रहणी रोग, अग्निमांद्य एवं प्रवाहिका |
141 | लाघवानन्द रस | पाण्डु रोग, मंदाग्नि |
142 | लक्ष्मीनारायण रस | महिलाओं के प्रसूता ज्वर में विशेष लाभकारी है |
143 | लक्ष्मीविलास रस नारदीय | न्यूमोनिया, मियादी बुखार, एन्फ्लूएंजा, फ्लू, बुखार एवं जुकाम |
144 | लक्ष्मीविलास रस रजत युक्त | सन्निपात, कास, प्रतिक्षय आदि में लाभदायक | |
145 | लीलविलास रस | वमन, हृदय – दाह, कृमि, पाण्डु, प्रदर |
146 | लोकनाथ रस | अनिद्रा, अतिसार, संग्रहणी, मंदाग्नि, पित्तरोग, कफ रोग |
147 | श्वासकुठार रस | खांसी, श्वास, हिचकी एवं जुकाम में उपयोगी |
148 | श्वासचिंतामणि रस | पुराने और कठिन श्वास रोग, खांसी, जुकाम ज्वर |
149 | श्वास कास चिंतामणि रस (स्वर्ण युक्त) | नए-पुराने और कठिन श्वास रोग,, खांसी, जुकाम, ज्वर |
150 | शक्रवल्ल्भ रस | पौष्टिक रसायन, शारीरिक क्षीणता, दुर्बलता, शीघ्रपतन, नपुंसकता में उपयोगी |
151 | शशिशेखर रस | एनीमिया, पीलिया, हलीमक, स्नायविक दुर्बलता |
152 | शिर:शूलादिवज्र रस | सिरदर्द, |
153 | शीतज्वरारी रस | ज्वर, दाह पूर्व ज्वर एवं विषम ज्वर |
154 | शिवतांडव रस | कफदोष में उपयोगी |
155 | शुलगाजकेशरी रस | शूल, गुल्म, उदररोग, मंदाग्नि, संग्रहणी |
156 | शुलकुठार रस | अग्निप्रदीपक, पाचन शक्ति वर्द्धक |
157 | सन्निपातभैरव रस | ज्वर, सन्निपात के तीव्र विकार |
158 | शूलनाशन रस | वातजन्य शूल, पेटदर्द |
159 | शोथकालानल रस | यकृत एवं तिल्ली की समस्या में उपयोगी |
160 | समिरगजकेशरी रस | प्रबल वात एवं कफनाशक |
161 | सर्वांगसुन्दर रस | पुरानी खांसी, ज्वर, जीर्ण ज्वर, संग्रहणी, बाल रोग |
162 | सर्वतोभद्र रस | दीपन एवं पाचन गुणों से युक्त |
163 | स्वछंद भैरव रस | सर्दी लगकर भुखार आने, जुकाम, नवीन ज्वर |
164 | सिद्धप्राणेश्वर रस | पेचिश एवं अतिसार में उपयोगी |
165 | स्वर्णबसंत मालती रस | पुराना बुखार, खांसी, शारीरिक कमजोरी |
166 | शुलान्तक रस | शूल रोग, अम्लपित्त एवं वमन, आमशूल |
167 | सुधानिधि रस | सभी प्रकार की सूजन में उपयोगी |
168 | सिद्धदरदामृत रस | बल वीर्यवर्द्धक, ओजवर्द्धक |
169 | स्मृतिसागर रस | स्मरण शक्ति बढ़ाने में उपयोगी |
170 | सिन्दूरभूषण रस | बलवर्द्धक और शरीर के किसी भी हिस्से के दर्द में उपयोगी |
171 | सुतिकारी रस | प्रसूताओं के ज्वर, हाथ, पांव में जलन, खांसी, प्यास की अधिकता |
172 | सूतशेखर रस न. १ | अम्लपित्त की प्रसिद्द औषधि |
173 | सुतिकाभरण रस | सभी प्रकार के सूतिका रोग में उपयोगी |
174 | सोमनाथ रस | बहुमूत्र, प्रमेह, स्त्रियों के रोगों में उत्तम लाभ मिलता है |
175 | सूतिका विनोद रस | प्रसूता के प्रस्तुत ज्वर, अजीर्ण, शूल एवं विबंद में उपयोगी |
176 | सोम योग (श्वास हर) | सभी प्रकार के श्वास रोग, न्यूमोनिया, कासरोग, कफ आदि |
177 | सोमेश्वर रस | प्रमेह, अर्श रोग, विद्रधि और चिरकालीन सोमरोग, |
178 | हृदयार्णव रस | हृदय रोगों में लाभदायक |
179 | हिंगुलेश्वर रस | तीव्र ज्वर, जोड़ो के दर्द, वातज्वर एवं बुखार में उपयोगी |
180 | हरिशंकर रस | पेशाब में जलन, पेशाब में खून आना एवं जलन में उपयोगी |
181 | हेमाभृ सिंदूर | हृदय की दुर्बलता, मस्तिष्क विकार, वातवाहिनियों के संकुचन में |
182 | हिरण्य गर्भ पोटली | वातकफात्मक संग्रहणी, अग्निमांद्य एवं पुराने जुकाम में |
183 | हेमगर्भ पोटली रस | पुरानी खांसी, शारीरिक क्षीणता, संग्रहणी |
184 | हेमनाथ रस | प्रमेह रोग, बहुमूत्र प्रमेह, कमरदर्द, नपुंसकता, शीघ्रपतन, पैरों की हड़कन |
185 | क्षुधासागर रस | भूख की कमी, अपच से हुए दस्त, कमजोर अमाशय |
186 | क्षयान्ताक रस | प्रमेह, पाण्डु, सिरदर्द, उदर रोग, अग्निमांद्य, सोमरोग एवं टीबी रोग में |
187 | क्षुद्बोधक रस | भूख न लगने, जी मचलने, पेट का भारीपन, वमन, अपच दस्त एवं कब्ज में उपयोगी |
2 . सभी आयुर्वेदिक चूर्ण औषधि की लिस्ट / Ayurvedic Churna List in Hindi
इस लिस्ट में आप आयुर्वेद में काम आने वाले सभी शास्त्रोक्त चूर्ण के नाम, उनका उपयोग आदि के बारे में जानेंगे | इस टेबल के माध्यम से आप आयुर्वेदिक चूर्ण की लिस्ट देख सकते है एवं इसे PDF Download भी कर सकते है |
Sr No. | Churna Name | Uses of Churna in Hindi |
01 | अग्निमुख चूर्ण | दीपन – पाचन, खट्टी डकारें, अरुचि, उदरशूल एवं मंदाग्नि में उपयोगी |
02 | अश्वगन्धादि चूर्ण | वीर्य विकार, शुक्र की कमी, शीघ्रपतन, प्रमेह |
03 | अजमोदादि चूर्ण | सभी प्रकार के शूल (दर्द), सूजन, आमवात, गठिया, सर्वाइकल, कमर दर्द आदि में उपयोगी |
04 | अविपत्तिकर चूर्ण | इसके सेवन से कब्जियत दूर होती, भूख बढ़ती है , अम्लपित्त की उत्तम आयुर्वेदिक दवा है | |
05 | कर्पूरादि चूर्ण | अरुचि, खांसी, वमन, हृदय की कमजोरी |
06 | कमलाक्षादि गुग्गुलु | पौष्टिक, बलकारक, कामोत्तेजक और शरीर की कमजोरी को दूर करने वाला है |
07 | कुंकुमादि चूर्ण | बाजीकारक, बल बढ़ाने वाला एवं दीपन और पाचन गुणों से युक्त है |
08 | कृष्णादि चूर्ण | छोटे बच्चों के लिए विशेष लाभकारी |
09 | कामदेव चूर्ण | शुक्र विकार, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष एवं धातु दुर्बलता में उपयोगी |
10 | कर्कटी बीज | पेशाब की रूकावट, पेडू में सूजन, |
11 | एलादी चूर्ण | वमन, प्यास की अधिकता, कंठ सुखना आदि |
12 | कृमिघ्न चूर्ण | पेट के कीड़े, कब्ज एवं जी मचलाना |
13 | गोक्षुरादि चूर्ण | वृष्य, बल – वीर्य, एवं कामोत्तेजक है |
14 | गंगाधर चूर्ण | प्रवाहिका, अतिसार एवं संग्रहणी |
15 | चित्रकादि चूर्ण | दीपन – पाचन एवं अग्निवर्द्धक |
16 | चोपचिन्यादि चूर्ण | फोड़े-फुंसी, मुंह के छाले, भगन्दर, पीनस |
17 | चंदनादि चूर्ण | रक्त-प्रदर, श्वेत प्रदर, रक्तातिसार, |
18 | जातिफलादि चूर्ण | ग्रहणी, क्षय, हैजा, अपचन एवं आफरा आदि , पेट की मरोड़, दर्द होकर दस्त आना, मंदाग्नि आदि में उपयोगी है |
19 | त्रिफला चूर्ण | कब्ज, प्रमेह रोग, मूत्र का रोग, शोथ, सूजन |
20 | तालीसादि चूर्ण | खांसी, जीर्ण ज्वर, अग्निमांद्य, संग्रहणी, अरुचि, आदि |
21 | तीक्ष्णविरेचन चूर्ण | कब्ज को नष्ट करने |
22 | दंतपरभा चूर्ण | मुंह के छालों, दांत का दर्द, दांत में खून आना, |
23 | दड़ीमाष्टक चूर्ण | आमातिसार, अग्निमांद्य, अरुचि, खांसी, हृदय की पीड़ा, पसली का दर्द आदि में फायदेमंद है |
24 | दशनसंस्कार चूर्ण | दांतो के समस्त विकार नष्ट होते है |
25 | दशांगलेप | विसर्प रोग, कुष्ठ, ज्वर, शोथ, जलन, विस्फोट, दुष्टव्रण आदि विकारों में उपयोगी |
26 | द्राक्षादि चूर्ण | अम्लपित्त, छर्दि, मूर्छा, अरुचि, प्रदर, पाण्डु, कामला |
27 | धातुपौष्टिक चूर्ण | पौष्टिक, वीर्य को गाढ़ा |
28 | नारसिंह चूर्ण | वाजीकरण, बलवर्द्धक एवं रसायन गुणों से युक्त है |
29 | नमक सुलेमानी चूर्ण | रुचिवर्द्धक, उत्तम दीपन एवं पाचन गुणों से युक्त |
30 | नारायण चूर्ण | पेट के सभी प्रकार के रोगों में उपयोगी |
31 | निम्बादि चूर्ण | वातरक्त, सफ़ेद कोढ़, आमवात एवं उदर शूल |
32 | पंचसकार चूर्ण | कब्ज को दूर करने एवं पाचन को सुधारने की उत्तम आयुर्वेदिक दवा |
33 | पंचकोल चूर्ण | आफरा, गुल्म, प्लीहा वृद्धि एवं अरुचि में फायदा |
34 | पंचसम चूर्ण | पेट के रोग, पेट का दर्द, पेट का फूलना, गुल्म, तिल्ली एवं कब्ज |
35 | प्रदर नाशक चूर्ण | सभी प्रकार के प्रदर रोग में उपयोगी |
36 | पामारी प्रलेप | खुजली पर मालिश करने |
37 | पुनर्नवा चूर्ण | शरीर में किसी भी भाग में सुजन होने पर प्रयोग में ली जाती है |
38 | पुष्यानुग चूर्ण | योनी रोग, योनीक्षत, बवासीर |
39 | बाकुचीकाध्य चूर्ण | गुल्म, शूल, अजीर्ण, शोथ एवं कब्ज |
40 | बज्रक्षार चूर्ण | गुल्म, शूल, अजीर्ण, कब्ज |
41 | बल्चातुर्भाद्र चूर्ण | बच्चों के ज्वर, अतिसार, खांसी, वमन एवं दन्त निकलने के समय उपयोगी |
42 | बिल्वादी चूर्ण | अतिसार, प्रवाहिका, डीएसटी के साथ खून आने में उपयोगी |
43 | वृह्त्सम्शारकर चूर्ण | खांसी, ज्वर, अरुचि, प्रमेह, गुल्म, श्वास एवं अग्निमान्ध्य में उपयोगी |
44 | व्योषादी चूर्ण | प्यास, अरुचि, ज्वारातिसर, प्रमेह, संग्रहणी, गुल्म, प्लीहा आदि में उपयोगी |
45 | विदार्यादी चूर्ण | उत्तम पौष्टिक एवं बलवीर्यवर्द्धक चूर्ण |
46 | लवणभास्कर चूर्ण | मन्दाग्नि, अजीर्ण, उदर रोग, क्षय एवं अर्श में उपयोगी |
47 | बिल्वफलादि चूर्ण | अतिसार की बेहतरीन दवा |
48 | भुनिम्बादी चूर्ण | ज्वारातिसर, गृहणी, कामला, पांडू, प्रमेह एवं अरुचि में उपयोगी |
49 | मदनप्रकाश चूर्ण | पौष्टिक, रसायन और बाजीकरण |
50 | मधुयष्टदी चूर्ण | कब्ज को दूर करने में कारगर |
51 | मंजिष्ठादी चूर्ण | दस्त और पेशाब साफ लाने एवं रक्त साफ करने वाला आयुर्वेदिक चूर्ण |
52 | मधुर विरेचन चूर्ण | कोष्ठ-शुद्धि के लिए तथा आंव में उपयोगी |
53 | मरिच्यादी चूर्ण | खांसी, जुकाम व श्वास रोग की उत्तम दवा |
54 | महाखांडव् चूर्ण | रोचक, दीपक एवं पाचक |
55 | मलशोधक चूर्ण | दस्तावर, कोष्ठ को साफ करने वाला |
56 | मीठा स्वादिष्ट चूर्ण | मन्दाग्नि, अजीर्ण एवं जी मचलाना |
57 | महासुदर्शन चूर्ण | सभी प्रकार ज्वर में उपयोगी, |
58 | याव्क्षरादी चूर्ण | पेशाब की जलन, दर्द, रुक – रुक के आना में उपयोगी |
59 | रसादि चूर्ण | वमन, अम्लपित, हिचकी और विदाग्धाजिर्ण में उपयोगी |
60 | यवानीखांडव चूर्ण | अजीर्ण, मन्दाग्नि, पेट में वायु का गोला, भूख की कमी, |
61 | लघुमाई चूर्ण | आमशुल, आमातिसार और विशेषत: रक्तातिसार में उपयोगी |
62 | रक्त्चंद्नादी चूर्ण | सभी प्रकार के वात – विकार में उपयोगी |
63 | लघु सुदर्शन चूर्ण | ज्वर, कमर का दर्द, पसली का दर्द |
64 | लाई चूर्ण | संग्रहणी, शूल, आफरा, अतिसार |
65 | लवंगादी चूर्ण | अग्निप्रदीपक, बलकारक, पौष्टिक एवं त्रिदोष नाशक |
66 | शतपुष्पादि चूर्ण | पाचक को पित्त को प्रदीप्त करने में उपयोगी |
67 | शांतिवर्द्धक चूर्ण | मन्दाग्नि, भूख न लगना, जी मचलाना |
68 | शातावार्यादी चूर्ण | पौष्टिक, श्रेष्ट बाजीकरण और उत्तम वीर्यवर्धक |
69 | सिरदर्दनाशक चूर्ण | पित्त एवं रक्तजन्य विकारों में उपयोगी |
70 | सारस्वत चूर्ण | उन्माद, अपस्मार, मस्तिष्क की कमजोरी, स्मरणशक्ति की हीनता |
71 | समुद्रादी चूर्ण | सभी प्रकार के उदर रोग, गुल्म रोग, अजीर्ण एवं वायु – प्रकोप में उपयोगी |
72 | शिवाक्षार पाचन चूर्ण | अजीर्ण, आफरा, हिचकी |
73 | सुखविरेचन चूर्ण | कब्ज को नष्ट करने वाला |
74 | सितोपलादि चूर्ण | खांसी, श्वांस, क्षय एवं हाथ पैरों की जलन |
75 | हिंग्वाष्टक चूर्ण | खट्टी डकारें, भूख न लगना, पेट की गैस, अजीर्ण एवं अपचन आदि में उपयोगी |
76 | हृदय चूर्ण | दिल की कमजोरी, अनियमित धड़कन |
77 | हिंग्वादी चूर्ण | पार्श्वशूल, हृदयशूल, बस्तीशूल, वात – कफज गुल्म, आफरा |
78 | दंतमंजन लाल | सुबह – शाम प्रयोग करने से पीप निकलना, दन्त कृमि, मसुडो के सुजन में उपयोगी |
3. आयुर्वेदिक वटी लिस्ट / Ayurvedic Vati List in Hindi
वटी अर्थात टेबलेट आयुर्वेद चिकित्सा में औषध को आसानी से ग्रहण की जा सके इसके लिए गोलियों का निर्माण भी किया जाता है | यहाँ हम आयुर्वेद में चलने वाली सभी शास्त्रोक्त वटी / गोलियों के नाम एवं उनके उपयोग की लिस्ट उपलब्ध करवा रहें है – देखें टेबल आयुर्वेदिक मेडिसिन नाम लिस्ट एवं उपयोग
Sr. No. | Vati / Bati Name | Uses |
01 | अमर सुंदरी वटी | उन्माद, मिर्गी, श्वास, खांसी एवं बवासीर में उपयोगी |
02 | अमरसुंदरी वटी कस्तूरी युक्त | उपरोक्त वर्णित लाभ तीव्र कार्यकारी |
03 | अरोग्यवृद्धनी वटी | अंतर, हृदय, यकृत- प्लीहा एवं बस्ती, वृक्क, गर्भाशय, हिचकी आदि में उपयोगी |
04 | अग्निवर्द्धक वटी | मन्दाग्नि, पेट फूलना, दस्त, कब्ज आदि में फायदेमंद है | |
05 | अमृतप्रभा वटी | उदर रोगों, अरुचि, अर्श, पांडू रोग, अधिमान, शूल रोग एवं गृहणी रोग में फायदेमंद |
06 | आनंददा वटी | बल, वीर्य तथा पाचक अग्नि की वृद्धि करती है |
07 | आम्वातरी रस | पांडू, अरुचि, ग्रंथिशुल, आमवात, यकृत, प्लिहोदर, शूल, गण्डमाला, कृमि |
08 | अमृत मंजरी गुटिका | अग्निमान्ध्य, अजीर्ण, भयंकर, आमवात, विशुचिका, क्षय, कीटाणुनाशक, कफदोश |
09 | आदित्य गुटिका | शूल, अग्निमान्ध्य, पेट फूलना, अजीर्ण आदि रोगों में फायदेमंद |
10 | अपतंत्रकारी वटी | हिस्टीरिया रोग में विशेषत: उपयोगी |
11 | एलादी वटी | रक्तपित, बुखार, सुखी खांसी, जी घबराना |
12 | कंकायण वटी | खुनी और बादी दोनों प्रकार के बवासीर में फायदेमंद |
13 | कफ्घ्नी वटी | नवीन कफ में इसका प्रयोग लाभदायक है |
14 | कर्पुरादी वटी | मुंह के छाले, दांतों के रोग, मुंह से बदबू आना |
15 | कृमिघातिनी गुटिका | कृमि – विकार, ज्वर, मन्दाग्नि, अतिसार, वमन, पेट फूलना |
16 | कुटजघन वटी | अतिसार, गृहणी एवं ज्वर के दौरान पेट चलना आदि में लाभदायक |
17 | कासवटी | गले, फेफड़ो तथा श्वास क्षेत में जमे हुए कफ में फायदेमंद |
18 | कासकर्तरी गुटिका | खांसी, साँस रोग, टीबी की खांसी, हिचकी रोग |
19 | कहरवा वटी | रक्तपित, मूत्रकृच्छ, मूत्राघात एवं दाह रोग, पित्त रोग आदि में फायदेमंद |
20 | खर्जुरादी वटी | रक्त का बहना, खांसी होना, मुंह सुखना, प्यास, जलन, पिपासा, पित्तप्रकोप में फायदेमंद |
21 | गंधक वटी | अरुचि, रक्त विकार, पेट में वायु, अजीर्ण, पेट दर्द, कब्जियत |
22 | गुदुच्यादी मोदक | हाथ – पैरों की जलन, क्षय, रक्तपित्त, प्रमेह, प्रदर रोग, मूत्रकृच्छ |
23 | गुडूचीघन वटी (संशमनी वटी) | हर प्रकार के ज्वर में उपयोगी |
24 | चंद्रप्रभा वटी | जननेंद्रिय एवं वीर्य विकारों में फायदेमंद |
25 | चित्रकादी वटी | पाचन शक्ति बढाने की उत्तम दवा |
26 | चन्द्रकला वटी | शुक्रमेह और स्वप्न दोष |
27 | छर्दीरिपु वटी | वमन, छर्दी में फायदेमंद |
28 | जातिफलादी वटी | कफ-वात, प्रधान संग्रहणी, अतिसार, पेट दर्द, पेट में मरोड़ |
29 | जातिफलादी वटी स्तंभक | उत्तम वीर्य स्तंभक |
30 | जयंती वटी | पित्तज्वर, संनिपताज ज्वर, विषम ज्वर, ज्वरयुक्त रक्त पित्त |
31 | जम्बीर-लवण वटी | मन्दाग्नि, अरुचि, पेट दर्द, अजीर्ण और आफरा |
32 | जयावटी | विषम ज्वर, शरीर का दर्द, बद्धकोष्ठता |
33 | तक्रवटी | संग्रहणी, पेट की गड़बड़ी, आंतो की कमजोरी, पाचन |
34 | दाड़िमपाक वटी | अतिसार, पक्वातिसर, रक्तातिसार |
35 | दुग्धवटी | संग्रहणी, मन्दाग्नि, पांडू रोग |
36 | द्रक्षादी गुटिका | अम्लपित्त, कंठ, हृदय दाह, तृष्णा, मूर्च्छा, भ्रम, मन्दाग्नि |
37 | धनञ्जय वटी | अजीर्ण, शूल, मन्दाग्नि, पेट का फूलना, अपचन पेट का दर्द, |
38 | नाग गुटिका | जुकाम, ज्वर, गला, छाती का दर्द, मुंह में पानी आना |
39 | नवज्वरहर बटी | दीपन एवं पाचन गुणों से युक्त |
40 | प्रभाकर वटी | हृदय रोग, हृदय की अनियमितता, धड़कन |
41 | प्लिहारी वटी | पेट की बढ़ी तिल्ली, |
42 | पंचतिक्तघन वटी | विषम ज्वर, मलेरिया |
43 | प्राणदा गुटिका | मुत्र्क्रिच्छ, विषम ज्वर, गुल्म, शास, मन्दाग्नि, पांडू, कृमि |
44 | बाल वटी | बच्चे को विकृत दूध अथवा कफ वृद्धि के कारण दूध का पाचन न होने की समस्या में |
45 | बालजीवन गुटिका | बच्चों की पसली चलना, कब्जियत, अफरा, श्वास, कास, पेशाब रुकना |
46 | वृद्धिबाधिका वटी | अंडवृद्धि, आंत्रवृद्धि, अंडकोष में वायु भर जाना, दर्द होना, रक्त एवं जल भरना |
47 | विषमुश्त्यादी वटी | नवीन ज्वर, चेष्टा तंतुओ की विकृति, विषम ज्वर |
48 | वृद्धिहरी गुटिका | समस्त प्रकार के वृद्धि रोग, विशेषत: वातज तथा कफज, कृमि रोग |
49 | व्योषादी वटी | सर्दी, जुकाम, पीनस, नजला व् सर्दी से होने वाले उपद्रव से यथा सिरदर्द, |
50 | ब्राह्मी वटी | दिमाग की कमजोरी, हृदय दुर्बलता |
51 | भागोतर गुटिका | खांसी एवं दमे में उत्तम लाभ मिलता है |
52 | मधुकाध्य गुटिका | रक्तपित्त, खांसी, छर्दी, अरुचि मूर्च्छा, हिचकी, भ्रम |
53 | महाशंख वटी | पाचन एवं अग्निदीपक दवा |
54 | मरिच्यादी वटी | स्वर भंग, गले की खराबी, सर्दी, जुकाम |
55 | मधुमेह नाशिनी गुटिका | मधुमेह रोग में शीघ्र लाभ देती है |
56 | मदनमंजरी वटी | स्वप्नदोष, बहुमूत्र प्रमेह, पेशाब के साथ या पेशाब में घुलकर धातु का गिरना |
57 | महाभ्र वटी | प्रसुत रोगों में उत्तम लाभदायक |
58 | मुक्तादी वटी | बच्चों के जीर्ण ज्वर, |
59 | मेह्मुद्गर वटी | प्रमेह रोग, पेशाब के साथ वीर्य गिरना |
60 | रेचक वटी | प्रमेह रोग, पेशाब के साथ वीर्य निकलना, स्वप्नदोष एवं मूत्रकृच्छ |
61 | रत्नप्रभा वटी | असाध्य रोगों में प्रभावी |
62 | रज: प्रवर्तनी वटी | रुके हुए मासिक धर्म एवं अनियमित मासिक धर्म में उपयोगी |
63 | रविसुन्दर वटी | कफजन्य मन्दाग्नि, अजीर्ण, आमाजिर्ण, पेट में गुल्म के कारण दर्द |
64 | लवण वटी | पाचन, शूल, उदर वात, संग्रहणी एवं अमातिसर में फायदेमंद |
65 | लावंगादी वटी | पुरानी खांसी, कफ |
66 | लशुनादी वटी | मन्दाग्नि, उदर-वायु, पेट दर्द, जी मचलाना, सिर भारी रहना |
67 | शम्बुकादी वटी | अजीर्ण, अपचन, आंत बढ़ना, वेदना, सिरदर्द, मूर्छा, भ्रम |
68 | शंख वटी | अरुचि, अपचन, |
69 | शिलाज्त्वादी वटी | बहुमूत्र, मधुमेह, इन्द्रिय स्थिलता, शुक्रदोष, वीर्य की क्षीणता |
70 | शुक्रमातृका वटी | प्लीहा, पिपासा, पीनस, गुल्म रोग, अम्लपित्त, आमवात, गलग्रह, वृद्धि रोग |
71 | सुरणबटक | वात, कफज गृहणी रोग, प्लीहा रोग, हिचकी, प्रमेह, फीलपांव, शोध |
72 | सर्पगंधाधन वटी | हाई ब्लड प्रेशर, हिस्टीरिया, अनिद्रा, उन्माद, अपस्मार |
73 | सुखविरेचन वटी | खुलकर पेट साफ होता है |
74 | सबीर वटी | कुष्ठ, शरीर में चकते पडना या रक्तविकार, उपदंश जन्य संधिवात |
75 | संजीवनी वटी | उष्ण, स्वेदल और मूत्रल है |
76 | संचेतनी वटी | हृदय, मस्तिष्क व नाड़ियों को चेतना देती है |
77 | सौभाग्य वटी | ज्वर, आमदोष, अतिसार, कफदोष, मन्दाग्नि, शूल वात प्रकोप |
78 | सरिवादी वटी | रक्तपित्त, क्षय, श्वास, अर्श, हृदय रोग, नपुंसकता, जीर्ण ज्वर, अपस्मार, कर्ण रोग, प्रमेह, स्त्री रोग |
79 | हिन्ग्वादी वटी | इसके सेवन से पाचन संसथान व् उदर रोगों में विशेष लाभ मिलता है |
80 | हिंगूकर्पुरादी वटी | ज्वर, नाडी की गति नियमित करती है |
81 | क्षार वटी | गृहणी, अग्निमंध्य, अर्श, रक्त-गुल्म, गुल्म शूल |
82 | क्षुधाकारी वटी | अरुचि, उदर शूल, खट्टी डकारें आना |
83 | क्षुधावती गुटिका | अम्लपित, प्लीहा, पेट का फूलना, भूख न लगना |
4. सभी आसव – अरिष्ट के नाम / Ayurvedic Asava-Arishta Names in Hindi
आयुर्वेद चिकित्सा में आसव-अरिष्ट कल्पना की दवाओं का विशेष महत्व है | आसव – अरिष्ट को आप सिरप से समझ सकते है अर्थात यह आयुर्वेद की सिरप फॉर्म की दवाएं होती है | यहाँ हम सभी आसव – अरिष्ट कल्पना की दवाओं के नाम एवं उनके उपयोग के बारे में बताएँगे |
Sr No. | Asava-Arishta Name | Uses |
---|---|---|
01 | अभ्यारिष्ट | बवासीर, उदररोग, मन्दाग्नि, मुत्रघात, यकृत, गुल्म |
02 | अन्गुरासव | बाजीकरण, बलवृद्धक और पुष्टिकारक |
03 | अमृतारिष्ट | ज्वर के कारण आई दुर्बलता, विषम ज्वर, प्लीहा और यकृत जन्य ज्वर |
04 | अरविदासव | बच्चों की कमजोरी, चिडचिडापन, पतले दस्त आदि में फायदेमंद |
05 | अर्जुनारिष्ट | विशेषकर हृदयरोगों में उपयोगी |
06 | अशोकारिष्ट | स्त्रियों के लिए उत्तम दवा |
07 | अहिफेनासव | अतिसार, हैजा, नाड़ी का छूटना, वमन, दस्त एवं पेशाब की समस्या |
08 | अश्वगंधारिष्ट | कमजोरी दूर होकर शरीर एवं दिमाग में ताकत मिलती है | |
09 | उशिरासव | नाक, कान, आँखे, मल-मूत्र द्वार से होने वाले रक्त स्राव, बवासीर, स्वप्नदोष, पेशाब में धातु जाने आदि विकारों में |
10 | एलाध्यरिष्ट | शीत-वीर्य, पाचन, रक्त-प्रसादन, मूत्रल, दीपन एवं विषघ्न |
11 | कनकारिष्ट | उत्तम रक्तशोधक |
12 | कनकासव | श्वास, कास, यक्ष्मा, उर:क्षत, क्षय, पुराना ज्वर, रक्त-पित्त आदि में शीघ्र लाभ मिलता है |
13 | कुट्जारिष्ट | संग्रहणी, अतिसार, कृमि, आमांश, अग्निमान्ध्य, अरुचि दुर्बलता |
14 | कर्पुरासव | हैजा, अजीर्ण, बदहजमी, पेट के दर्द, जी मचलाना |
15 | कालमेघासवा | सभी प्रकार के ज्वर, पीलिया आदि में उपयोगी |
16 | कुमार्यासव न.1 | इसके सेवन से गुल्म, परिणाम शूल, अपस्मार, स्मृतिनाश, मुत्र्क्रिच्छ, जुकाम, श्वास, दमा, खांसी, अग्निमान्ध्य, कफ और मंदज्वर |
17 | कुमार्यासव न. 2 | उदर रोग, शूल, अजीर्ण, यकृत वृद्धि, प्लीहावृद्धि, गुल्म एवं भूख न लगने की समस्या में उपयोगी |
18 | कुमारीआसव न. 3 | खांसी, श्वास, क्षय, उदर रोग, बवासीर एवं वातव्याधि में उपयोगी |
19 | कुमार्यासव न. 4 | उदर रोग, गुल्म, जलोदर, कृमिरोग, पांडू, अशक्ति, शुक्रदोष |
20 | खदिरारिष्ट | सभी प्रकार के चर्म विकारों में उपयोगी |
21 | चव्यकारिष्ट | गुल्म, प्रमेह, जुकाम, क्षय खांसी, अष्ठिला एवं वातरक्त |
22 | चन्दनासव | पेशाब में धातु जाना, स्वप्नदोष, कमजोरी, पेशाब की जलन |
23 | चितचंदिरासव | सौम्यगुण युक्त, दीपन, पाचन, कब्जनाशक और श्रेष्ट बलकारक |
24 | जिरकाध्यरिष्ट | संग्रहणी, मन्दाग्नि, अतिसार, सूतिका, आफरा आदि रोगों में लाभ मिलता है |
25 | त्रिफलारिष्ट | हृदयरोग, अरुचि, प्रमेह, पांडू, शोथ, प्लीहा वृद्धि, चक्कर आना, कुष्ठ, खुजली, शाखागत वात, हिचकी |
26 | तक्रारिष्ट | सुजन, गुल्म, अर्श, कृमि, प्रमेह, गृहणी, अतिसार और उदर रोगों में शीघ्र लाभ मिलता है |
27 | दशमूलारिष्ट | धातुगत क्षय, खांसी, श्वास, अरुचि, पांडू एवं सभी प्रकार की वात व्याधियों |
28 | दंती अरिष्ट | बवासीर, गृहणी, पांडू, अरुचि |
29 | द्राक्षारिष्ट | शरीर में बल वर्द्धन, खांसी, जुकाम, कब्ज एवं फेफड़ों की कमजोरी |
30 | द्राक्षासव | गृहणी, रक्तदोष, कुष्ठ, कृमि, पांडू, बवासीर, काली खांसी, गले एवं मष्तिष्क रोग, दमा, खांसी |
31 | धान्यपंच्कारिष्ट | दीपन एवं पाचन, अतिसार, प्रवाहिका और संग्रहणी |
32 | नारिकेलासव | पौष्टिक, बल – वीर्य बढाने वाला और बाजीकरण है |
33 | पुनर्नवारिष्ट | पांडू, हृदयरोग, सुजन, गुल्म, भगंदर, अर्श |
34 | पर्पटाद्यारिष्ट | पीलिया,ह्लीम्क, खून की कमी, गुल्म, उदर रोग, प्लीहावृद्धि |
35 | पिपल्यासवा | गृहणी, खून की कमी, अर्श, क्षय, गुल्म, उदर रोग, |
36 | पत्रन्गासवा | रक्त प्रदर, श्वेत प्रदर, कमजोरी, दुष्टर्तव एवं दर्द के साथ मासिक धर्म आना |
37 | फलारिष्ट | गृहणी, अर्श, हृदयरोग, पांडू, प्लीहा, कमला, विषम ज्वर एवं भूह न लगने की समस्या में उपयोगी है |
38 | बबुलारिष्ट | सोमरोग, उर:क्षत, दमा, खांसी के साथ खून आना |
39 | वासरिष्ट | सुजन, कमजोरी, गर्भाशय की कमजोरी |
40 | विदंगासवा | उदरकृमि, विद्रधि, गुल्म, उरुस्तम्भ, अश्मरी, प्रमेह में उपयोगी |
41 | भृंगराजसव | धातु-क्षय, राजयक्ष्मा, खांसी, कृशता, स्मरण शक्ति की कमजोरी, नेत्र रोग, बांझपन, श्वास रोग |
42 | महामंजिष्ठाध्य रिष्ट | कुष्ठ रोग, वातरक्त, अर्दित, मोटापा, एवं त्वचा विकार |
43 | मंडूराध्य्रिष्ट | खून की कमी, हृदय रोग, कास, दमा, सुजन एवं पांडू रोग |
44 | मध्वारिष्ट | हृदयरोग, पांडू, गृहणी, कुष्ठ, अर्श, ज्वर, शोथ |
45 | मुस्तकारिष्ट | अतिसार, संग्रहणी, अजीर्ण, मन्दाग्नि, विशुचिका |
46 | लोध्रासव | पेशाब की समस्या |
47 | रोहितकारिष्ट | तिल्ली, यकृत, वायुगोला, मन्दाग्नि, हृदय रोग, एनीमिया, छाई, अरुचि, पीलिया एवं कृमि रोग |
48 | लावंगासव | अर्श, उदर रोग, कुष्ठ, सुजन, ग्रंथिरोग, |
49 | लोहासव | खून बढ़ाने की बेहतरीन टॉनिक |
50 | श्रीखंडासव | रक्तपित्त, प्यास की अधिकता, बाहयदोष, भगंदर |
51 | सुंदरीकल्प | स्त्रियों के सभी रोगों में विशेष लाभकारी |
52 | सारस्वतरिष्ट | आयु, वीर्य, बुद्धि, बल एवं स्मरण शक्ति को बढाने में सहायक |
5. Avleha List in Hindi / सभी अवलेहों की सूचि
आयुर्वेद चिकित्सा में प्रयोग होने वाले सभी अवलेह की सूचि आप यहाँ देख सकते है | अवलेह आयुर्वेद की वो दवाएं होती है जो चाटने योग्य हो | जैसे च्यवनप्राश आदि
Sr. No. | Paak & Avleha Name | Uses |
---|---|---|
01 | अगस्त्य हरीतकी अवलेह | दमा, क्षय, खांसी, ज्वर, अर्श, अरुचि, पीनस एवं संग्रहनी |
02 | अम्लपित्तहर पाक | अम्लपित्त में उपयोगी |
03 | अमृतभल्लातक | कफ, वातरोग, जीर्ण प्रतिश्याय, पक्षाघात |
04 | अमृतप्रशावलेह | खांसी, क्षय, दमा, दाह, तृषा एवं रक्तपित्त |
05 | अभ्यादी मोदक | कब्ज, मन्दाग्नि, विषमज्वर, उदररोग, पांडू और वातरोग |
06 | अष्टांगअवलेह | खांसी, श्वास, कफ ज्वर, न्युमोनिया |
07 | अश्वगंधा पाक | प्रमेह रोग, धातु की कमजोरी, स्वप्नदोष, पेशाब के साथ धातु जाना |
08 | आमल्क्याध्यव्लेह | खून की कमी, पीलिया, रक्तपित्त, पित्तविकार, अम्लपित्त आदि में उपयोगी |
09 | आर्द्रक पाक | अरुचि, स्मरण-शक्ति की कमी, सुजन, गृहणी, शूल, उदररोग एवं श्वास |
10 | आरग्वधलेह | बदहजमी, कब्जआदि में उपयोगी |
11 | एरंडपाक | लकवा, पंगुलवात, आमवात, शिरागत वायु, कटिवात, बस्तिवात, वृष्णवृद्धि, सुजन, पेट दर्द आदि में उपयोगी |
12 | आंवला मुर्रबा | दाह, सिर-दर्द, पित्तकोप, चक्कर, नेत्र जलन |
13 | कामेश्वर मोदक | निर्बल पुरुषों को बल देता है |
14 | कासकंदनावलेहा | खांसी पुरानी, मंद ज्वर, मन्दाग्नि, रक्त की कमी, कफ का जमना, छाती में दर्द आदि विकारों में लाभकारी |
15 | कंटकारीअवलेह | श्वास, कास, हिचकी, कफ जमना, सुखी खांसी, गीली खांसी |
16 | कल्याणाअवलेह | याददास्त बढाने वाला एवं स्वर को कोकिल की तरह मधुर बनाने वाला |
17 | कुष्मांड खांड | रक्त-पित्त, क्षय, खांसी, श्वास, छर्दी, अधिक प्यास आदि में उपयोगी |
18 | कुट्जावलेह | अतिसार, दु:साध्य संग्रहणी और पेचिश रोग में उपयोगी |
19 | गोखरू पाक | अर्श, प्रमेह, क्षय, मूत्रपिंड की सुजन, शरीर की कमजोरी, बस्तीशोथ, शुक्रजनित या प्रमेह रोग से उत्पन्न दुर्बलता आदि में उपयोगी |
20 | चित्रक हरीतकी | पुराने श्वास, जुकाम, खांसी, पीनस, कृमि रोग, गुल्म एवं अर्श |
21 | चंदनादीअवलेह | हृदय रोग, भ्रम, मूर्च्छा, वमन और भयंकर अम्लपित्त में उपयोगी |
22 | चोपचीनी पाक | उपदंश, घाव, कुष्ठ, वातव्याधि, भगंदर, जुकाम, सुजाक, कामशक्ति वर्द्धक |
23 | च्यवनप्राश | रोगप्रतिरोधक क्षमता वर्द्धक, बल, वीर्य, कांति, शक्ति एवं बुद्धि को बढाता है |
24 | जीवन कल्प | रक्ताल्पता अर्थात खून की कमी, आलस्य, पीलिया, श्वास, खांसी एवं शारीरिक क्षीणता में उपयोगी |
25 | जिरकादी अवलेह | प्रमेह, ज्वर, निर्बलता एवं भूख की कमी में उपयोगी |
26 | छुहारा पाक | शरीर को बल देने वाला |
27 | दाड़ीमावलेह | पित्त विकार, क्षय, रक्तपित्त, प्यास, अतिसार, संग्रहणी, कमजोरी, नेत्ररोग एवं शिरोरोग में उपयोगी |
28 | वासवालेह | खांसी, दमा, न्युमोनिया, रक्तपित्त, खुनी बवासीर, पुराना कफ जनित व्याधियां |
29 | हरिद्रा खंड | शीतपित्त, पेट दर्द, चकते, खाज – खुजली, एग्जिमा, जीर्ण ज्वर |
30 | सौभाग्य शुंठीपाक | बल और आयु को बढाने वाला, पुरुषों में बल एवं वीर्य का वर्द्धन करने एवं स्त्रियों के लिए अमृततुल्य औषधि |
6. All Ayurvedic bhasma List in Hindi / सभी आयुर्वेदिक भष्मों की सूचि
आयुर्वेद में विभिन्न रोगों के उपचारार्थ भस्मों का प्रयोग भी किया जाता है | भस्म वे दवाएं होती है जिनका मर्दन एवं मरण करके निर्मित की जाती है | अधिकतर खनिज द्रव्यों से निर्मित होती है | क्योंकि इन्ही के भस्म का विधान आयुर्वेद में अधिकतर मिलता है | देखें सूचि
Sr. No | Ayurvedic Bhasma Name |
---|---|
1 | अभ्रक भस्म |
2 | अकिक भस्म |
3 | कसीस भस्म |
4 | गोदंती भस्म |
5 | कुक्कुतांडत्वक भस्म |
6 | कासीस गोदंती भस्म |
7 | कहरवा पिष्टी |
8 | कपर्दक भस्म |
9 | कांस्य भस्म |
10 | नाग भस्म |
11 | तूतिया भस्म |
12 | त्रिवंग भस्म |
13 | जहरमोहरा पिष्टी |
14 | पन्ना भस्म |
15 | ताम्र भस्म |
16 | वंग भस्म |
17 | पारद भस्म |
18 | हीरा भस्म |
19 | प्रवाल पिष्टी |
20 | पुखराज भस्म |
21 | पीतल भस्म |
22 | वैक्रांत भस्म |
23 | संखिया भस्म |
24 | मंडूर भस्म |
25 | मोती भस्म |
26 | मयूर चन्द्रिका भस्म |
27 | माणिक्य भस्म |
28 | रजत भस्म |
29 | स्वर्ण भस्म |
30 | लौह भस्म |
31 | स्फटिका भस्म |
32 | मुक्तशुक्ति भस्म |
33 | माणिक्य भस्म |
34 | शंख भस्म |
35 | श्रंग भस्म |
36 | हरताल भस्म |
37 | स्वर्ण माक्षिक भस्म |
नोट – अन्य सभी Ayurvedic Medicine Name List या Ayurvedic Aushadhi List एवं आयुर्वेदिक मेडिसिन नाम लिस्ट की सूचि हम जल्द ही यहाँ पर अपडेट करेंगे |
सामान्य सवाल – जवाब / FAQ
आयुर्वेद चिकित्सा में बहुत सी शास्त्रोक्त कल्पनाएँ है | यहाँ पर अभी हमने कुछ कल्पनाओं की औषधियों के नाम उपलब्ध करवाएं है | अन्य की सूचि जल्द ही वेबसाइट पर अपडेट करेंगे |
यह एक प्रकार की दवाएं है जिनका निर्माण रस शास्त्र में वर्णित रस, उपरस, धातु, उपधातु एवं खनिज पदार्थो के सहयोग से किया जाता है | ये बिल्कुल सुरक्षित औषधियां है जिनका इस्तेमाल वैद्य के परामर्श से करना चाहिए | आप इन्हें इस प्रकार से समझ सकते है कि धातुओं आदि को शोद्धित करके उनका इस्तेमाल अत्यंत अल्प मात्रा में रोग के चिकित्सार्थ किया जाता है |
आसव एवं अरिष्ट में मुख्य अंतर अग्नि कर्म का है | अग्नि कर्म से तात्पर्य क्वाथ निर्माण से है | अर्थात आसव में क्वाथ का निर्माण नहीं किया जाता है ; बल्कि अरिष्ट दवाओं में क्वाथ (काढ़े) का निर्माण करके संधान परक्रिया पूरी की जाती है |
निश्चित रूप से भस्म औषधियां पूर्णत: सुरक्षित होती है | अगर वैद्य के परामर्शानुसार औषध लिया जावे तो कोई भी नुकसान नहीं होता | आयुर्वेद की सभी औषधियां सुरक्षित होती है बसर्ते इनको उचित प्रमाण, अनुपान, एवं प्रकृति के अनुसार लिया जाये |
धन्यवाद ||
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स्नेहल जी, जल्द ही बची हुई दवाओं की सूचि अपडेट करते है |
स्वदेशी उपचार विजिट करने के लिए धन्यवाद |
आयुर्वेद दवाओं, जड़ी – बूटियों एवं अन्य सम्बंधित जानकारियों के लिए आप ऑथेंटिक आयुर्वेदिक जानकारियां हमारी वेबसाइट से प्राप्त कर सकते है |
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Its very useful to doctor and patient also.
Bahut.achhi.jankari.
Jambeer dravasav