टाइफाइड एक जीवाणु संक्रमण है जो दूषित भोजन और पानी के कारण फैलता है। इसके लक्षण अक्सर सामान्य सर्दी-जुकाम से मिलते-जुलते हैं, लेकिन सही उपचार के अभाव में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। सौभाग्य से, आयुर्वेद में टाइफाइड से राहत पाने और शरीर को ठीक करने के लिए असरदार प्राकृतिक नुस्खे मौजूद हैं। आप इन नुस्खों का प्रयोग करके टाइफाइड के संक्रमण से राहत पा सकते हैं ।
इस रोग का विवरण आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित नहीं हैं क्योंकि यह बीमारी विदेशों से भारत में आई है । यह गंदे पानी का इस्तेमाल करने, मांस मच्छी का प्रयोग करने एवं संक्रमित मल के सम्पर्क में आने से हो सकती है । आयुर्वेद में इसकी चिकित्सा आन्तरिक ज्वर के समान की जाती है । इसके लिए निदान परिवर्जन, शोधन चिकित्सा एवं आहार चिकित्सा का इस्तेमाल किया जाता है ।
हालाँकि टाइफाइड रोग में अंग्रेजी एंटीबायोटिक के द्वारा बुखार को कण्ट्रोल करने एवं बैक्टीरियल इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए किया जाता है परन्तु अधिकतर मामलों में ये दवाएं विफल हो जाती हैं । आयुर्वेद की कृमिघन औषधियाँ, पाचन सुधारने वाली औषधियाँ एवं ज्वर नाशक औषधियों का इस्तेमाल वैद्य लोग उपचार के लिए करते हैं ।
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टाइफाइड के कारण | Causes of Typhoid Fever
- कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली: कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को टाइफाइड के जीवाणुओं से लड़ने में असमर्थ बना देती है।
- असंतुलित आहार: असंतुलित आहार पोषण की कमी और शरीर में विषाक्त पदार्थों के निर्माण का कारण बन सकता है, जो टाइफाइड के लिए उपयुक्त वातावरण बनाता है।
- अस्वच्छ जल और भोजन का सेवन: दूषित जल और भोजन टाइफाइड के जीवाणुओं को शरीर में प्रवेश कराने का मुख्य कारण है।
- संक्रिमित टॉयलेट का यूज़: संक्रिमित टॉयलेट का उपयोग करने एवं बिना साबुन से हाथ धोये मुंह आदि को छूना इसका संभावित कारण माना जाता है ।
- सी फ़ूड का सेवन: सी फ़ूड जो संक्रिमित जल में उपजा हो एवं पेशाब या मल से सक्रिमित हो का सेवन करने से टाइफाइड हो सकता है ।
टाइफाइड के लक्षण | Typhoid Symptoms
- तेज बुखार
- उल्टी और दस्त
- पेट दर्द
- कमज़ोरी और थकान
- भूख न लगना
- सिरदर्द
- बुखार हाई टेम्परेचर में आती है जो प्रतिदिन बढती ही जाती है
- रोगी के शरीर में अंगमर्द एवं पीड़ा का अनुभव होता है
- कफ एवं खांसी की शिकायत रहती है
- ज्वर में भ्रम की स्थिति भी हो सकती है
टाइफाइड के लिए आयुर्वेदिक घरेलू उपचार
- गिलोय का काढ़ा: गिलोय को बुखार कम करने और शरीर को डिटॉक्स करने के लिए जाना जाता है। गिलोय की तना को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और इसे दिन में दो बार पिएं।
- त्रिफला चूर्ण: त्रिफला में आंवला, हरड़ और बहेड़ा शामिल होते हैं, जो पाचन में सुधार करते हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करते हैं। एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में दो बार लें।
- लहसुन: लहसुन में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो टाइफाइड के जीवाणुओं से लड़ने में मदद करते हैं। कच्चा लहसुन की कुछ कलियों को सुबह खाली पेट खाएं या लहसुन को अपने भोजन में शामिल करें।
- हल्दी: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर डालकर दिन में दो बार पिएं।
- पाचन सुधारने के लिए: आयुर्वेद में आने वाली पाचन सुधारने वाली दवाओं का इस्तेमाल वैद्य सलाह अनुसार करना चाहिए
- कृमिघन औषधियाँ: आयुर्वेद में उदरकृमियों को खत्म करने वाली आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल भी वैद्य लोग इसके उपचार में करवाते हैं ।
- ज्वर नाशक औषधियाँ: आयुर्वेद की संजीवनी वटी, संस्मनी वटी एवं गिलोयघन वटी का इस्तेमाल करने से टाइफाइड में आई बुखार उतर जाती है ।
आहार सम्बन्धी सावधानियां
- खूब सारे तरल पदार्थ पिएं, जैसे कि गर्म पानी, नींबू पानी, और सब्जियों का सूप।
- हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाएं, जैसे कि खिचड़ी, दलिया, और सूप।
- तला हुआ भोजन, मसालेदार भोजन और वसायुक्त भोजन से बचें।
- आहार में मांस एवं समुद्री खाने से परहेज करें ।
धन्यवाद |