हरीतकी के 10 आयुर्वेदिक नुस्खे एवं घरेलु उपाय

हरीतकी जिसे हम आम भाषा में हरड़ के नाम से जानते हैं। प्राचीन समय से ही आंवला, हरड़ और बहेड़ा का उपयोग पाचन संबंधी रोगों को दूर करने में किया जाता रहा है। हरीतकी एक औषधीय पौधा है जो भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हरीतकी को न सिर्फ रोगों को दूर करने के लिए बल्कि दीर्घायु अर्थात लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन पाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

हरीतकी को अधिकतर अनेक रोगों की औषधि बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि, पाचन संबंधी, विषाणुनाशक, रक्तशोधक, और बाल स्वास्थ्य के लिए। इसे कई रोगों के इलाज में भी प्रयुक्त किया जाता है, और इसका नियमित सेवन सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

हरीतकी के आयुर्वेदिक नुस्खे

यदि आप जानना चाहते हैं कि हरीतकी को और किन-किन रोगों में उपयोग में लिया जाता है तो आप इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें। आज हम इस आर्टिकल में आपको हरीतकी के 10 आयुर्वेदिक नुस्खे के बारे में विस्तार पूर्वक बताएंगे जिन्हें आजमा कर आप अपने आप को दीर्घायु और स्वस्थ रख सकते हैं। तो चलिए जानते हैं

हरीतकी के 10 आयुर्वेदिक नुस्खे के बारे में

  1. अम्लपित रोग में- जिन लोगों को अक्सर भोजन करने के बाद अम्लपित अर्थात एसिडिटी की समस्या रहती है उनके लिए हरड़ एक वरदान से काम नहीं है। एसिडिटी को कम करने के लिए हरड़ और मुन्नका को पीस कर गोली बनाकर सुबह-शाम खाना खाने के बाद नियमित सेवन करने से कुछ ही दिनों में अम्लपित की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी।
  2. कब्ज में हरीतकी का उपयोग-जिन लोगों को अक्सर कब्ज की शिकायत रहती है। वह छोटी हरड़ अर्थात हरितकी, सौंफ, मिश्री को समान भाग पीसकर मिला ले। इस प्रकार यह एक प्रकार का चूर्ण तैयार हो जाता है। इस चूर्ण को रात को सोते समय पानी के साथ सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो जाएगी और भूख भी खुलकर लगेगी। याद रहे की पानी गुनगुना सेवन करें।
  3. गैस की समस्या को दूर करने में हरीतकी का उपयोग- अक्सर सुनने में आता है कि कुछ भी खाने के बाद कुछ लोगों में गैस बनने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसी स्थिति में छोटी हरड़ को पानी में सुबह-शाम दो बार नित्य भिगोना चाहिए और खाना खाने के बाद इन्हें मुंह में रखकर चूस लेनी चाहिए। ऐसा करने पर पेट में बिल्कुल भी गैस नहीं बनेगी और कुछ समय लगातार इसका उपयोग करने से गैस बनने की समस्या पूर्ण रूप से खत्म हो जाएगी।
  4. पसीना दूर करने में- जिन लोगों को पसीना अधिक आता हो और साथ ही में पसीने में बदबू आती हो उन्हें पिसी हुई हरीतकी के पाउडर को पानी में मिलाकर शरीर पर मालिश करनी चाहिए और उसके बाद पानी से स्नान कर लेना चाहिए। ऐसा करने पर अधिक पसीना आने की समस्या खत्म हो जाएगी।
  5. नकसीर में हरीतकी का सेवन-कई बार शरीर में अधिक गर्मी होने के कारण नकसीर आना शुरू हो जाती है या गर्मी के मौसम में भी कुछ लोगों में नकसीर आने की समस्या रहती है।ऐसे में बड़ी हरीतकी को मिट्टी के घड़े पर पानी डालकर घिसे ।घिसने से तैयार हुआ द्रव को सूंघना चाहिए। नित्य तीन दिन तक सुनने से नकसीर आना बंद हो जाएगी।
  6. गर्मी के मौसम में हरीतकी का उपयोग- हरीतकी को पीसकर समान मात्रा में गुड़ मिला ले और मटर के दाने के बराबर गोलियां तैयार कर ले। नित्य सुबह के समय गर्मी के मौसम में नाश्ते के बाद दो गोली खाकर पानी पिए।ऐसा लगातार करने पर गर्मी के मौसम में होने वाले गर्मी के विकारों को कम किया जा सकता है अर्थात गर्मी से उत्पन्न होने वाले विकार नहीं होंगे।
  7. पाचक और शक्तिवर्धक है हरीतकी- 50 ग्राम छोटी हरीतकी, 10 ग्राम पिसा हुआ काला नमक,नींबू के रस में 10 दिन तक भिगोकर रखें ।नींबू का रस प्राप्त मात्रा में होना चाहिए, 10 दिन बाद इनको सूखने के लिए निकाल कर रख दें। इस प्रकार तैयार की गई हरड़ को नित्य खाना खाने के बाद दो बार खाएं। इससे भोजन शीघ्र पचेगा तथा पाचन शक्ति भी बढ़ेगी।
  8. छाले में हरीतकी का सेवन- कुछ लोगों को अक्सर मुंह में छाले होने की शिकायत रहती है ऐसे में छोटी हरड़ को पानी में घिसकर छालों पर लगाने से जल्द ही छाले ठीक हो जाते हैं।
  9. त्रिदोष को दूर करने में सहायक हरीतकी- यदि कोई भी दोष वात, पित्त और कफ अपने सामान्य अवस्था से कम या ज्यादा हो तो हरड़ को प्रतिदिन सेक कर खाने से तीनों दोष अपनी सामान्य अवस्था में आ जाते हैं अर्थात प्रतिदिन हरीतकी  का सेवन कर सकते हैं इससे हमारे सभी दोष अपने सामान्य अवस्था में रहेंगे।
  10. अपच में हरीतकी का सेवन –अपच की समस्या उत्पन्न होने पर हरीतकी का लगातार सेवन करना चाहिए। इससे अपच की समस्या दूर हो जाती है और खाया पिया हुआ पच जाता है तथा शरीर पर असर करता है। इसके साथ ही भूख भी खुलकर लगनी शुरू हो जाती है।

हरीतकी का सामान्य सेवन 

  • हरीतकी का उपयोग आप किसी भी प्रकार से कर सकते हैं अर्थात कच्ची हरीतकी को चबाकर खाने से भूख बढ़ती है। 
  • पीसकर चूर्ण बनाकर लेने से माल साफ होता है ।
  • हरड़ को सेक कर उपयोग करने पर त्रिदोष नष्ट होते हैं।
  • पौष्टिक और शक्ति वर्धक रूप में खाना खाते समय हरड़ का उपयोग करना चाहिए ।
  • यदि जुकाम या किसी भी प्रकार का फ्लू है तो खाना खाने के बाद हरड़ का सेवन करना चाहिए।
  •  सामान्य मात्रा में 3 से 8 ग्राम तक एक बार में हरीतकी का सेवन कर सकते हैं।

हरीतकी के सेवन के समय सावधानी

वैसे तो कोई भी व्यक्ति हरीतकी का सेवन कर सकता है परंतु गर्म प्रकृति वाले, गर्भवती स्त्री और दुर्बल व्यक्ति को हरितकी के सेवन के समय सावधानी बरतनी चाहिए। किसी भी प्रकार की हानि प्रतीत होने लगे तो तुरंत हरितकी का सेवन बंद कर देना चाहिए।

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