स्वर्ण सिन्दूर बनाने की विधि तथा गुण व उपयोग (Swarna Sindoor Bhasma Details in Hindi)

स्वर्ण सिन्दूर भस्म, सोने के पत्तियों को पिघला कर बनाई जाती है और स्वर्ण सिंदूर भस्म को अन्य औषधीय के साथ मिलाकर काम में लिया जाता है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसके सेवन से अनेक रोगों का नाश होता है। स्वर्ण सिंदूर भस्म धातु, अग्नि, बल, आयु, कांति तथा काम शक्ति को बढ़ाने वाली होती है। 

swarna sindoor

यह एक उत्तम प्रकार की रसायन और वाजीकरण है। इस भस्म को रक्तपित्त, सूतिका रोग, श्वासरोग, ज्वर, आदि के इलाज में उपयोग में लिया जा सकता है। धातुओं का संतुलन बनाए रखने के लिए इसका विशिष्ट प्रयोग किया जाता है। हालांकि, इसे सावधानी से और विशेषज्ञ की सलाह से ही उपयोग करना चाहिए, क्योंकि इसका गलत इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है।

तो चलिए जानते हैं स्वर्ण सिंदूर बनाने की विधि के बारे में तथा इसके गुण व उपयोग के बारे में विस्तार पूर्वक-

स्वर्ण सिन्दूर क्या है? (What is Swarna Sindoor)

स्वर्ण सिंदूर सोने से तैयार की जाने वाली भस्म है। जिसे बनाने के लिए सोने के पतले पत्तों का उपयोग किया जाता है। इन सोने के पत्तों के साथ अन्य धातुओं को मिलाकर बालुका यंत्र में कूपीपक्व विधि से पुट देकर भस्म तैयार की जाती है। यही भस्म स्वर्ण सिंदूर के नाम से जानी जाती है । इसको बनाने की विधि के बारे में हमने निचे वर्णन किया है । आप इसके घटक, निर्माण विधि एवं सेवन विधि सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।

स्वर्ण सिन्दूर के घटक द्रव्य | Ingredients of Swarna Sindur

स्वर्ण सिन्दूर बनाने के लिए निम्न घटक दर्व्यों का उपयोग किया जाता है। जो इस प्रकार हैं – 

अन्य सामान 

  • बालुका यंत्र
  • हरे कांच की शीशी
  • पुट देने के लिए गाय के उपलें

स्वर्ण सिन्दूर बनाने की विधि 

  • सबसे पहले स्वर्ण सिंदूर बनाने के लिए बतायें गए सभी घटक द्रव्यों को इकट्ठा कर लें। 
  • अब पारद और सोने का वक्र लें तथा इनको मिलाकर खरल कर लें। 
  • जब पारद और सोना अच्छी तरह से मिल जाए तब इसमें गंधक मिलना चाहिए। 
  • अब गंधक मिलाने के बाद पारद, गंधक और सोने को अच्छी तरह से खरल कर लेना चाहिए। 
  • अब जब इसकी कज्जली बन जाए तो तीन बार लाल कपास के फूलों के रस और घृतकुमारी स्वरस में खरल करना चाहिए। 
  • इसके बाद कज्जली को सुखाकर हरे कांच की शीशी में डाल लेना चाहिए। 
  • अब इस हरे कांच की शीशी को बालुका यंत्र में डालकर कूपीपक्व विधि से मंद, कभी मध्य और कभी तेज अग्नि क्रम से देकर 5 दिन- रात तक पकावें। 
  • जब यह लगातार 5 दिन और रात तक पक जाए तो इसे ठंडा होने दें। 
  • ठंडा होने के बाद शीशी को निकाल ले और शीशी के गले में लगी हुई सिंदूर सामान लाल रंग की औषध निकाल लें। 
  • अब शीशी के तले वाले भाग में सोने की भस्म मिलेगी इसे निकालकर सुरक्षित रखकर विधिवत पुट देकर रख लें।
  • इस प्रकार हमारी स्वर्ण सिंदूर भस्म बनकर तैयार हो जाती है। 

स्वर्ण सिन्दूर के गुण व उपयोग

  1. खांसी में- यह भस्म सभी प्रकार की खांसी में चाहे वह कफ के कारण हो या पित्त बढ़ने के कारण सूखी खांसी हो सभी में विशिष्ट लाभ देने वाली है। 
  2. स्नायुविकार में – मस्तिक संबंधी कमजोरी के लिए यह बड़ा उत्तम रसायन है। स्वर्ण सिन्दूर भस्म मकरध्वज की तरह ही अनेक रोगों में फायदा पहुंचती है। इसके सेवन से बल-वीर्य, स्मरण शक्ति और कांति बढ़ती है। इसका नियमित सेवन करने से धातु संबंधी रोग ठीक हो जाते हैं। किसी रोग के बाद की कमजोरी और बुढ़ापे की दुर्बलता को दूर करने के लिए यह बहुत ही फायदेमंद है। साधारण कमजोरी को मिटाने के लिए यह बहुत विशिष्ट रसायन है। 
  3. ज्वर में – साधारण ज्वर, सन्निपात ज्वर, सर्दी- खांसी- जुकाम के कारण होने वाले ज्वर में और सूतीका रोग में यह बहुत ही बढ़िया काम करता है। इसके साथ ही लंबे समय तक रहने वाले ज्वर के बाद आने वाली कमजोरी को भी दूर करने के लिए इस रसायन का विशेष प्रयोग किया जाता है। 
  4. प्रमेह में स्वर्ण सिन्दूर का उपयोग – प्रमेह रोग में भी स्वर्ण सिंदूर भस्म और बंग भस्म को मिलकर मधु के साथ चटाने से आश्चर्यजनक लाभ देखने को मिलता है। 
  5. संग्रहणी में – संग्रहणी रोग में स्वर्ण सिंदूर भस्म को भुने हुए जीरे के चूर्ण के साथ मिलाकर शहद के साथ चाटने से जल्द ही यह रोग दूर हो जाता है और शरीर तंदुरुस्त हो जाता है। 
  6. काम- शक्ति की वृद्धि के लिए- स्वर्ण सिंदूर भस्म के सेवन से अनेक रोगों का विनाश होता है। धातु, अग्नि, बल व काम शक्ति की वृद्धि होती है। यह एक उत्तम रसायन और वाजीकरण है। 

 स्वर्ण सिन्दूर की सेवन विधि व मात्रा

  • स्वर्ण सिंदूर भस्म का प्रयोग शहद, मक्खन, मिश्री, मलाई आदि के साथ कर सकते हैं। 
  • स्वर्ण सिन्दूर का प्रयोग सुबह – शाम 250mg की मात्रा में भोजन करने के बाद करना चाहिए। 
  • इसके अतिरिक्त आप इसका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से कर सकते हैं। 

निष्कर्ष :

उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आएगी और आपके काम आएगी। स्वर्ण सिंदूर एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग आपको चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही करना चाहिए। 

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