पुष्पधन्वा रस के घटक द्रव्य, सेवन विधि और गुण व उपयोग

पुष्पधन्वा रस: पुष्पधन्वा रस का उपयोग पुरुष और स्त्री दोनों ही समान रूप से कामोत्तेजना को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। यह रसायन कामोत्तेजक, बल, वीर्य और शक्ति वर्धक एवं उत्तम वाजीकरण है। इसके नियमित सेवन से वीर्य स्त्राव, वीर्य विकार, बन्ध्यत्व आदि रोग नष्ट होते हैं तथा यह स्त्रियों के गर्भाशय को संतानोत्पत्ति के योग्य बनाता है तथा पुरुषों के शुक्र स्त्राव की दुर्बलता से पैदा हुई नपुसंकता को दूर करके वीर्य को गाढ़ा करता है तथा शुक्र स्तम्भन का कार्य करता है। कई बार किसी मनो – आघात या दुर्घटना के कारण कभी-कभी स्त्रियों में यह शिकायत हो जाती है कि उन्हें पुरुष संगम की इच्छा नहीं होती तथा युवावस्था आने पर उचित अंगों के विकास न होने से समागम की इच्छा नहीं होती है। ऐसी अवस्था में यदि पुष्पधन्वा रस का उपयोग निरंतर कुछ समय तक किया जाए तो स्त्रियों के अंगों की पुष्टि होती है तथा कामोत्तेजना की भी इच्छा होने लगती है।

पुष्पधन्वा रस

 

यदि आप इसके अतिरिक्त पुष्पधन्वा रस के अन्य गुण और उपयोग जानना चाहते हैं तथा इसका सेवन किस प्रकार किया जाता है तो यह जानने के लिए इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।

पुष्पधन्वा रस के घटक द्रव्य 

पुष्पधन्वा रस को बनाने के लिए कुछ भस्म और औषधियों को काम में लिया जाता है। जो इस प्रकार है-

  • रस सिंदूर 
  • नाग भस्म 
  • लोहा भस्म 
  • बंग भस्म 
  • अभ्रक भस्म 
  • धतूरे का रस 
  • भांग 
  • मुलेठी 
  • सेमल की मूसली 
  • नागर बेल

पुष्पधन्वा रस की निर्माण विधि

पुष्पधन्वा रस बनाने के लिए सबसे पहले सभी औषधियों को समान मात्रा में लेकर इकट्ठा कर ले। उसके बाद इस प्रकार बनाए पुष्पधन्वा रस-

  • सबसे पहले रस सिंदूर, नागभस्म, लोह भस्म  बंग भस्म, अभ्रक भस्म प्रत्येक औषधियों को समान मात्रा में ले। 
  • अब इन्हें कूटकर कपङछान करके चूर्ण बना ले। 
  • भस्म तो पहले से ही कुटी हुई होती है अतः उन्हें यूं ही मिला लें। 
  • अब धतूरे का रस, भांग, मुलेठी, सेमल की मूसली और नागर बेल के रस की एक-एक भावना दे। 
  • जब अच्छी तरह से भावना लग जाए और पूरा चूर्ण उसमें अच्छी तरह से घुटकर एक हो जाए तो 250-250mg की गोलियां बनाकर तैयार कर लें।
  • अब इन गोलियों को छाया में सुखाकर रख लें।
  • इस प्रकार हमारा पुष्पधन्वा रस बनकर तैयार हो जाता है। 

पुष्पधन्वा रस के गुण और उपयोग

पुष्पधन्वा रस का उपयोग स्त्री और पुरुष दोनों ही समान रूप से कर सकते हैं। यह दोनों को ही लाभ पहुंचाता है तथा स्त्री और पुरुष दोनों में ही काम उत्तेजना को बढ़ाता है। इसके साथ ही पुरुष व स्त्री दोनों को संतान सुख प्राप्त करने का लाभ देता है। तो चलिए जानते हैं पुष्पधन्वा रस के अन्य गुण और उपयोग-

  1. बांझपन को दूर करने में सहायक पुष्पधन्वा रस- कई बार स्त्रियों में कोई कमी न होने के बावजूद भी उन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पाता है अर्थात वह बांझ रह जाती है। ऐसी स्थिति में यदि पुरुष और स्त्री दोनों ही कुछ  समय तक लगातार पुष्पधन्वा रस का उपयोग करें तो वह जल्द ही संतान सुख को प्राप्त कर सकते हैं।
  2. शीघ्रपतन का नाश करता है- पुरुषों में कई बार वीर्य पतला हो जाता है तथा ऐसे में वीर्य स्राव होने लग जाता है। ऐसी स्थिति में पुरुषों को कुछ समय तक लगातार पुष्पधन्वा रस का उपयोग करना चाहिए। इससे वीर्य गाढ़ा होगा तथा वीर्य का स्तंभन होगा। तथा शीघ्रपतन न होकर वीर्य लंबे समय तक टीका रहेगा। 
  3. शुक्र की दुर्बलता को दूर करता है- कई बार पुरुषों में शुक्र धातु का बनना कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में पुरुषों में नपुंसकता बढ़ जाती है। जिसके कारण वह परेशान रहता है। ऐसी स्थिति में पुष्पधन्वा शुक्र की दुर्बलता को दूर करता है तथा शुक्र की वृद्धि करता है। 
  4. स्त्रियों के अंगो का संपूर्ण विकास करता है- कई बार देखने को मिलता है कि कुछ लडकियां बहुत ही कमजोर होती है तथा उनके संपूर्ण अंगों का सही प्रकार से योग्य विकास नहीं हो पाता है। जिससे वह काफी शर्मिंदगी महसूस करती है। ऐसी स्त्रियों को लगातार कुछ समय तक यदि पुष्पधन्वा रस का प्रयोग करवाया जाए तो उनका युवावस्था के सभी अंगों का विकास सुचारू रूप से होगा तथा स्त्रियों के बीजाशय का भी योग्य विकास होगा। जिससे वह आगे चल कर संतान सुख प्राप्त कर सकेगी। 
  5. उन्माद की स्थिति में भी कारगर है  पुष्पधन्वा रस- ज्यादा स्त्री – प्रसंग करने से वीर्य पतला हो जाता हैह ऐसे समय में काम की इच्छा होने पर सिर में दर्द होने लगता है और यह दर्द तब तक रहता है जब तक वीर्य का स्त्राव नहीं हो पाता अर्थात यदि किसी प्रेमी को अपनी प्रेमिका से सम्मिलन न होने के कारण उसको उन्माद हो गया हो तो इन दोनों अवस्थाओं में पुष्पधन्वा रस के उपयोग से बहुत ही आश्चर्यजनक लाभ देखने को मिलता है, क्योंकि यह रस वीर्य वाहिनी शिराओं को शक्ति प्रदान कर कर उसे वीर्य धारण करने में समर्थ बनाता है तथा जननेइंद्रियों की नसों में रक्त का संचार कर उसकी शिथिलता को दूर करके उन्हें पुष्ट करता है। 
  6. गर्भाशय का शोधन करने में उपयोगी- कई बार योनि से बदबूदार और पतला स्त्राव होता रहता है। इससे गर्भाशय दूषित हो जाता है। ऐसी स्थिति में पुष्पधन्वा रस का लगातार उपयोग करवाने पर गर्भाशय का शोधन हो जाता है और बहुत ही शीघ्र लाभ देखने को मिलता है। 
  7. बलवर्धक, उत्तेजक और रसायन है- पुष्पधन्वा रस में रससिंदूर का प्रयोग किया जाता है जो बलवर्धक, उत्तेजक और योग वाही है। इसके साथ ही इसमें नाग भस्म मिलाई जाती है जो स्तम्भक है, अभ्रक भस्म मानसिक कष्ट को दूर करने में सहायक होती है तथा धातु को पुष्ट करती है। लौह भस्म रक्त बढ़ाने वाली और बलवर्धक होती है तथा धतूरे का रस दर्द का नाश करता है। सेमल की मूसली वीर्य और शुक्र को बढ़ाने वाली होती है तथा मुलेठी जीवन प्रदान करने वाली होती है। नागर बेल बल प्रदान करती है। इस प्रकार पुष्पधन्वा रस बलवर्धक, उत्तेजक और एक योगवाही रसायन है।

पुष्पधन्वा रस की सेवन विधि और मात्रा व अनुपान 

  • पुष्पधन्वा रस की स्त्री और पुरुष दोनों 1-1 गोली सुबह-शाम शहद के साथ सेवन कर सकते हैं।
  • पुष्पधन्वा रस की एक-एक गोली गाय के घी या ओटाए हुए मिश्री वाले दूध के साथ भी सेवन कर सकते हैं। 
  • इसके अतिरिक्त आप पुष्पधन्वा रस की एक-एक गोली सुबह-शाम खाना खाने के बाद मक्खन मिश्री के साथ मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं। 
  • गंभीर अवस्था या रोग होने पर आप अपने नजदीकी चिकित्सक से परामर्श लेकर पुष्पधन्वा रस का सेवन कर सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion) 

उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आएगी और आपके काम आएगी ।आप भी एक बार आयुर्वेद के पुष्पधन्वा मेडिसिन का उपयोग करके अपने जीवन का आनंद ले सकते हैं। इसके साथ ही ऐसी स्त्रियां जो संतान सुख से वंचित है वह पुष्पधन्वा रस का लगातार उपयोग करके संतान सुख प्राप्त कर सकती हैं। 

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