टंकण भस्म के उपयोग, निर्माण विधि एवं खुराक: Tankan Bhasma uses in Hindi

Tankan Bhasma Uses in Hindi: टंकण भस्म को सुहागा की भस्म भी कहा जाता है । यह आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि है । जिसका प्रयोग कफ युक्त खांसी, श्वांस रोग, पेट दर्द एवं दाह जैसी स्वास्थ्य समस्याओं में किया जाता है । आज के इस लेख में हम आपको टंकण भस्म के उपयोग (Tankan Bhasma uses in hindi), बनाने की विधि एवं सेवन विधि के बारे में जानकारी देंगे ।

Tankan Bhasma uses in Hindi

सबसे पहले आपको इसकी सामान्य जानकारी से अवगत करवाते हैं –

दवा का नाम: टंकण भस्म
प्रकार: भस्म
सन्दर्भ ग्रन्थ: रसामृत ग्रन्थ
उपयोग: कफज विकार, वात हर
मैन्युफैक्चरर:बैद्यनाथ
मूल्य: Rs. 169

टंकण भस्म क्या हैं ? (What is Tankan Bhasma in Hindi)

टंकण अर्थात सुहागा जिसे बोरेक्स (Borax Powder) भी कहा जाता है । यह भस्म सुहागा से बनने वाली आयुर्वेदिक दवा है । आपने सुना भी होगा ‘सोने पे सुहागा’ अर्थ भले ही और निकले लेकिन सुहागा सोने को शुद्ध करने के लिए प्रयोग किया जाता है । इसी बोरेक्स पाउडर को शोद्धित एवं मारण करके टंकण भस्म का निर्माण किया जाता है ।

सुहागा को मारण करके तैयार किये जाने वाली औषधि को ही टंकण भस्म कहते है । चलिए अब आपको बताते है इसके घटक द्रव्यों के बारे में –

टंकण भस्म के घटक द्रव्य (Ingredients of Tankan Bhasma)

इस आयुर्वेदिक भस्म में सिर्फ सुहागा ही मुख्य घटक के रूप में रहता है । इसे शोद्धित करके इसकी भस्म बना ली जाती है ।

  • Borax Powder (सुहागा)

टंकण भस्म बनाने की विधि: टंकण भस्म बनाने के लिए सबसे पहले सुहागा लीजिये । इसे लौहे की कड़ाही में डालकर आंच पर चढ़ा दीजिये । थोड़े समय पश्चात सुहागा पिघलने लगेगा । अब पिघलने के बाद भी इसे आंच दीजिये । जैसे – जैसे आंच लगेगी सुहागा अर्थात टंकण सूखने लगेगा और इसमें उपस्थित सारा पानी उड़ जायेगा ।

जब यह सुखकर कड़ाही पर चिपक जाये तो कड़ाही को आंच से निचे उतर कर ठंडा कर लीया जाता है । इसके बाद इसे कूट पीसकर महीने बारीक़ चूर्ण कर लिया जाता है । यही तैयार चूर्ण टंकण भस्म कहलाता है ।

Tankan Bhasma Uses in Hindi | टंकण भस्म के उपयोग

टंकण भस्म का उपयोग विभिन्न रोगों के चिकित्सार्थ किया जाता है । सुहागे का फुला या टंकन भस्म कफज विकारों में उत्तम गुणकारी औषधि है । चलिए जानते है Tankan Bhasma uses हिंदी में –

  • गीली खांसी जिसमे बलगम साथ आता हो: इसमें टंकण भस्म का प्रयोग करने से कफ निकालने लगने लगता है और खांसी बंद हो जाती है ।
  • श्वांस रोग: फेफड़ों में कफ इक्कठा होने के कारण श्वांस रोग हो जाता है । जिसमे टंकण भस्म का उपयोग करने से फेफड़ों से कफ बाहर निकलता है एवं श्वांस रोग में आराम मिलता है ।
  • वात रोग: सुहागा भस्म शरीर में बढ़ी हुई वात को भी शांत करता है एसे में यह वात रोगों में भी उपयोगी भस्म है ।
  • जकड़ी हुई छाती: जुकाम लगने या कफ बढ़ने के कारण अगर छाती जकड़ी हुई मालूम होती है तो टंकण भस्म का प्रयोग करने से तीव्रता से कफ बाहर निकलकर छाती खुल जाती है एवं रोगी को जकड़न मालूम नहीं पड़ती ।
  • पाचन सुधार: पाचन सुधारने में भी टंकण भस्म उत्तम उपयोगी है । इस आयुर्वेदिक दवा का प्रयोग करने वाले रोगियों की पाचन शक्ति भी ठीक होती है एवं खाया अच्छे से पचने लगता है ।
  • रक्तप्रदर: महिलाओं में माहवारी के समय अधिक मात्रा में आने वाले रक्त को रोकने के लिए भी टंकण भस्म का उपयोग किया जाता है । यह अतिरिक्त रक्त प्रवाह को कण्ट्रोल करने में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा है ।
  • ब्रोंकाइटिस में उपयोगी: टंकण भस्म ब्रोंकाइटिस जिसमे सीने में घरघराहट की आवाजे आती हो को ठीक करने में भी विशेष उपयोगी है ।
  • पेट दर्द: पेट दर्द की समस्या में टंकण भस्म का प्रयोग करने से लाभ मिलता है । यह तीव्र पेट दर्द होने की समस्या में भी लाभ करता है । इसका उपयोग करने से तुरंत राहत मिलती है ।

टंकण भस्म के गुण धर्म

  1. रस – कटु, लवण
  2. गुण – लघु, रुक्ष एवं तीक्षण
  3. वीर्य – उष्ण तासीर
  4. विपाक – कटु (परिणामस्वरुप)
  5. दोषकर्म – कफ एवं वात शामक
  6. चिकित्सकीय प्रभाव – कफोत्सारक
  7. अंग प्रभाव – फेफड़े, पेट, मूत्राशय

खुराक / सेवन विधि / Dosage

इस आयुर्वेदिक भस्म की खुराक 125 mg से 250 mg सुबह – शाम शहद के साथ मिलाकर बताई गई है । आयुर्वेदिक चिकित्सक इसकी खुराक कम या ज्यादा आपके रोग एवं आपकी प्रकृति के आधार पर कर सकते है । टंकण भस्म का अनुपान रूप में शहद एवं घी का उपयोग किया जा सकता है ।

ध्यान दें – इस आयुर्वेदिक दवा का प्रयोग निर्धारित मात्रा में ही करें एवं चिकित्सक के सलाह पश्चात ही इस औषधि का उपयोग करना चाहिए । संभवत: यह नुकसान रहित है परन्तु सिमित मात्रा में ही यह लाभ करती है ।

धन्यवाद |

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