Dashmool Kwath Uses in Hindi: दशमूल क्वाथ आयुर्वेद की एक शास्त्रोक्त औषधि है । Dashmook Kwath स्त्री रोगों, जोड़ो के दर्द, कमर दर्द, बुखार एवं पक्षाघात आदि रोगों में प्रयोग होने वाला एक क्लासिकल काढ़ा है । आज के इस लेख में हम आपको दशमूल काढ़ा के स्वास्थ्य लाभ, गुण, उपयोग, फायदे, सेवन विधि एवं नुकसान आदि से अवगत करवाएंगे । अगर आप आयुर्वेद से अपना उपचार करना चाहते है एवं आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में विश्वसनीय जानकारियां चाहते है तो निश्चित ही आप सही वेबसाइट पर आयें है । यहाँ हम आपको आयुर्वेद से सम्बंधित जानकारिय मुहया करवाते है ।
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दशमूल क्वाथ क्या है ? (What is Dashmool Kwath in Hindi)
यह एक आयुर्वेदिक क्लासिकल दवा है । जिसका वर्णन भैषज्य रत्नावली में मिलता है । अर्थात दशमूल क्वाथ या काढ़े के निर्माण की विधि एवं शास्त्रों में इसका वर्णन भैषज्य रत्नावली में मिलता है । यह विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों के सहयोग से मिलकर तैयार होने वाली आयुर्वेदिक दवा है । जो स्त्री समस्याओं में अच्छा कार्य करती है ।
जैसा इसके नाम से ही पता चल रहा है दशमूल अर्थात जिसमें दश प्रकार की जड़ों का मिश्रण हो वह दशमूल कहलाती है । दशमूल काढ़े में वृहत पंचमूल और लघु पंचमूल इन दोनों प्रकार की जड़ों का इस्तेमाल होता है । निचे हमने इसमें प्रयुक्त होने वाले घटक द्रव्यों के बारे में भी आपको बताया है । चलिए सबसे पहले जानते है इसकी सामान्य जानकारी
दशमूल क्वाथ दवा की जानकारी | Details About Dashmool Kwath
दवा का नाम: | दशमूल क्वाथ (Dashmool Kwath) |
दवा का प्रकार: | क्वाथ (Decoction) |
उपयोग: | स्त्री प्रसूति विकार, बुखार, थकान, तनाव एवं जॉइंट्स पैन |
घटक: | वृहत पंचमूल और लघु पंचमूल |
फार्मूलेशन: | क्लासिकल |
खुराक: | 10 से 15 मिली |
दशमूल क्वाथ के घटक | Ingredients of Dashmool Kwath in Hindi
इस आयुर्वेदिक दवा के निर्माण में निम्न औषधीय जड़ी बूटियों का प्रयोग होता है :-
- पृष्णपर्णी
- शालपर्णी
- छोटी कटेरी
- बड़ी कटेरी
- गोखरू
- बेल
- अरणी
- गंभारी छाल
- सोनापाठा
- पाडल
दशमूल क्वाथ के गुण उपयोग | Dashmool Kwath Uses in Hindi
निम्न रोगों में दशमूल क्वाथ का स्वास्थ्य उपयोग किया जाता है :-
- सूतिका रोग: गर्भावस्था के पश्चात शिशु को जन्म देने के बाद माताओं में सूतिका रोग हो जाते है जैसे बुखार आदि तो इन सबसे से बचने के लिए दशमूल काढ़े का प्रयोग करवाया जाता है ।
- ज्वर: सन्नीपात ज्वर जिसमे तृष्णा एवं मोह या तन्द्रा हो जाये उस स्थिति में रोगी को दशमूल क्वाथ के साथ पीपर का चूर्ण मिलाकर सेवन करवाने से लाभ मिलता है ।
- पक्षाघात: पक्षाघात की समस्या में भी दशमूल क्वाथ का उपयोग किया जाता है । इसमें हिंग और सेंधा नमक मिलाकर उपयोग करने से लाभ होता है ।
- पीरियड्स की समस्या: महिलाओं में होने वाली मासिक धर्म के विकारों में आयुर्वेद चिकित्सक रोग के आधार पर दशमूल क्वाथ का सेवन करवाते है ताकि मासिक धर्म की अनियमितता एवं विकार दूर हो सकें
- खांसी: कास की शिकायत में भी dashmool kwath काफी उपयोगी है । इसका सेवन करने से खांसी दूर होती है ।
- तनाव रोग: तनाव की समस्या एक गंभीर स्थिति है जो अन्य रोगों का भी कारण बनती है | एसी एसी स्थिति में दशमूल क्वाथ का उपयोग करने से तनाव दूर होता है एवं स्वास्थ्य लाभ मिलता है ।
- ब्लड प्रेशर: अनियमित ब्लड प्रेशर को ठीक करने के लिए भी dashmool kwath का प्रयोग करना काफी फायदेमंद है ।
- जॉइंट्स पेन: जोड़ो के दर्द एवं गठिया की समस्या में दशमूल क्वाथ अर्थात काढ़े का सेवन करने से जोड़ो का दर्द दूर होता है एवं साथ ही गठिया रोग में आराम मिलत है ।
- सुजन की बुखार: अगर चोट या किसी अन्य कारण वस् आई सुजन के कारण शरीर में बुखार है तो दशमूल का क्वाथ बनाकर सुबह – शाम सेवन करने से सुजन कम होती है । यह बुखार में भी आराम देता है ।
- वातपित्तज ज्वर: वातपैतिक बुखार में Dashmool kwath और अडूसे का काढ़ा बना कर रोगी को पिलाने से बुखार उतर जाती है ।
- मसूडों के लिए: सरसों का तेल और दशमूल का काढ़ा बना कर कुल्ला करने से मसूडों को मजबूती मिलती है ।
- शरीर में सूनापन: अगर शरीर में सुन पन बन रही है तो दशमूल के काढ़े में पुष्कर मूल की जड़ मिलाकर प्रयोग करने से शरीर में सूनापन मिटता है ।
दशमूल क्वाथ की सेवन विधि खुराक | Dosage of Dashmool Kwath
इस क्वाथ का सेवन काढ़ा बनाकर किया जाता है । काढ़ा बनाने के लिए 100 मिली पानी लेकर उसमे 10 ग्राम दशमूल सुखा क्वाथ मिलाकर आंच पर चढ़ा कर गरम करें । जब 1/4 भाग बचे तब इसे निचे उतार कर ठंडा करके रोग अनुसार अनुपान साथ सेवन करने से लाभ मिलता है । काढ़े की सेवन की मात्रा रोग एवं रोगी की प्रकृति अनुसार भिन्न – भिन्न है । सामान्यत: इसे 10 से 15 मिली तक किया जाना चाहिए ।
नुकसान | Side Effects
इस औषधि के कोई भी ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है । परन्तु निर्देशित मात्रा से अधिक सेवन करने से शरीर में उष्णता बढ़ सकती है । अत: किसी भी आयुर्वेदिक दवा का सेवन सैदव निर्देशित मात्रा में ही करना चाहिए । दशमूल काढ़े का सेवन अगर अधिक मात्रा में किया जाये तो यह निम्न दुष्प्रभाव दिखा सकता है-
- शरीर में उष्णता एवं जलन महसूस हो सकती है ।
- अधिक मात्रा में लेने से जी मचलाना एवं सिरदर्द हो सकता है ।
- पेटदर्द की समस्या हो सकती है ।
- पेट में एंथन और मरोड़ हो सकती है ।
- बवासीर बढ़ सकता है ।
अत: आयुर्वेदिक चिकित्सक की निगरानी में ही दशमूल काढ़े का प्रयोग करें अथवा फार्मासिस्ट द्वारा निर्देशित मात्रा का ध्यान रखें ।
धन्यवाद |
Arjun churn ka kwath ke Sevan se pet me gas or kawj ho rha hai , kwath ke sath kon dawa le