शरीर की सर्विसिंग ! चौंकिए नहीं बिल्कुल सही पढ़ रहें है | जिस प्रकार से हम नियमित अपनी गाड़ी या मोटरबाइक की सर्विस करवाते है, ताकि उसके कल पुर्जे सही तरीके से कार्य करते रहें; वह कभी ख़राब न हो उसी प्रकार से शरीर रूपी यंत्र को भी सर्विसिंग की जरुरत होती है ताकि किसी प्रकार का रोग न हो |
वर्तमान समय में बढ़ते प्रदुषण, फसल में उपयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के जहर एवं व्यक्तियों की पूर्णत: बदली हुई जीवन शैली एक प्रमुख कारण है जो रोगों को बढ़ावा देती है | हम साल दर साल इन टोक्सिंस को शरीर में इक्कठा करते रहते है एवं जब ये toxin किसी रोग का कारण बनते है तो दवाओं के माध्यम से इन्हें दबा देते है |
अगर किसी चीज को दबाया जाता है तो भविष्य में वह किसी बड़े विस्फोट का कारण बनती है | यही प्रक्रिया हमारे शरिर पर लागु होती है | अगर हम रोगों को दवाओं से दबा कर रखेंगे तो निश्चित रूप से रोग बड़ा होकर हमारे सामने आयेगा फिर किसी भी प्रकार की दवा उस रोग को शांत नहीं कर सकती |
इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद में शरीर शोधन या यूँ कहिये शरिर की सर्विसिंग की विधा का जन्म हुआ | शरिर शोधन की यह कला आज से हजारों वर्ष पुरानी है | जिसे पंचकर्म नाम से जाना जाता है |
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क्या है पंचकर्म चिकित्सा या शरीर सर्विसिंग विधा ?
आयुर्वेद चिकित्सा वात, पित्त एवं कफ पर आधारित चिकित्सा पद्धति है | शरीर में जब ये सभी दोष समअवस्था में रहते है तो व्यक्ति निरोगी रहता है लेकिन जब इन दोषों में असाम्यवस्था आ जाती है तो रोग का कारण बनती है |
पंचकर्म चिकित्सा मुख्यत: शरीर पर किये जाने वाले वे 5 कार्य है जिनके माध्यम से शरिर का शोधन किया जाता है एवं त्रिदोषों को साम्यावस्था में लाया जाता है |
अगर साधारण शब्दों में समझा जाये तो यह आयुर्वेद चिकित्सा की एक शाखा है जिसमे शरीर का शोधन करके रोगों से व्यक्तियों को मुक्त रखा जाता है |
कैसे होता है पंचकर्म या शरीर शोधन
पंचकर्म में मुख्यत: 5 कर्म किये जाते है जिनके माध्यम से शरीर का शोधन होता है | इन कार्यों को करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक रोगी या स्वस्थ व्यक्ति की प्रकृति का पता लगाते है एवं यह जानकारी जुटाते है कि आपके शरीर में कौनसा दोष बढ़ा हुआ है | उसी के आधार पर आपकी पंचकर्म चिकित्सा निर्धारित की जाती है |
इसमें मुख्यत: निम्न शरीर शोधन की प्रक्रियाएं की जाती है |
- वमन
- विरेचन
- अनुवाशन
- निरुह
- नस्य
वमन: विजातीय तत्वों को शरीर से बाहर निकालने के लिए एवं कफ आदि दोषों के शमन के लिए वमन करवाया जाता है | Vomiting (उल्टी) को ही वमन कहा जाता है | इस कर्म में शरीर में स्थित अतिरिक्त टोक्सिंस एवं बढे हुए कफ, पित्त एवं वात का शमन होता है |
विरेचन: दस्त लगवाने को विरेचन कहा जाता है | इस कर्म में आयुर्वेदिक चिकित्सक आयुर्वेदिक औषधियों के द्वारा अपने रोगी को दस्त लगवाता है | विरेचन का मुख्य कार्य शरिर में स्थित toxin को बाहर निकालने, पित्त को संतुलित करने एवं मोटापे को घटाने के लिए किया जाता है |
अनुवाशन: यह एक बस्ती का प्रकार है एनिमा कह सकते है | इस प्रक्रिया में मेडिकेटिड घी के द्वारा एनिमा दिया जाता है | जिससे शरीर में रोगों का शमन हो |
निरुह: निरुह भी एनिमा का ही एक प्रकार है लेकिन इसमें मेडिकेटिड घी की जगह क्वाथ के द्वारा एनिमा दिया जाता है |
नस्य: नाक के माध्यम से औषधियों को देना एवं गले के उपरी हिस्से के रोगों एवं टोक्सिन को निकालने के लिए नस्य दिया जाता है |
कैसे करवा सकते है शरीर की सर्विसिंग अर्थात पंचकर्म
अगर आप शरीर की सर्विसिंग पंचकर्म के माध्यम से करवाना चाहते है तो आपको सबसे पहले अपने नजदीकी पंचकर्म हॉस्पिटल में जाना होगा | इसे केरलीय पंचकर्मा भी बोलते है |
पंचकर्म सेण्टर पर जाने के बाद वहां उपस्थित आयुर्वेदिक पंचकर्म स्पेशलिस्ट डॉक्टर से कंसल्ट करना होगा एवं उनके द्वारा निर्धारति विधि के माध्यम से आपको शरिर शोधन करवाना होगा |
कितना आएगा खर्चा ?
यह निर्भर करता है | मुख्यत: पंचकर्म चिकित्सा 7, 15 एवं 21 या 28 दिन तक भी चलती है | इसका निर्धारण आपका वैद्य ही करता है | अगर आप स्वस्थ है एवं Detoxification के लिए ही पंचकर्म करवाना चाहते है तो यह 7 दिन में पूरा हो जायेगा | लेकिन आपको किसी रोग की हिस्ट्री है एवं आप उस रोग से प्रभावित है तो वैद्य रोग के आधार पर परिक्षण करके पंचकर्म के दिन निर्धारति करते है |
शरीर सर्विसिंग की इस चिकित्सा में सर्वप्रथम आयुर्वेदिक तेलों के माध्यम से मसाज की जाती है | नियमित स्टीम दिया जाता है एवं उसके पश्चात प्रधान कर्म जैसे वमन, विरेचन आदि किया जाता है |
प्राइवेट सेन्ट्रो पर यह प्रक्रिया महँगी हो सकती है | इसके लिए 1 दिन का चार्ज कई जगह 1000 रूपए से शुरुआत होती है | लेकिन अगर आयुर्वेद का गवर्नमेंट अस्पताल है तो यह बहुत ही कम कीमत पर हो जाता है |
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