कपूर काचरी / Hedychium Spicatum in Hindi

सामान्य जानकारी

लेटिन नाम – Hedychium Spicatum

कुल – Zingiberaceae

अंग्रेजी नाम – Spiked Gingerlily

संस्कृत नाम – शठि, षड्ग्रन्था, सुव्रता, गंधमूलिका, गान्धारीका, पलाशी |

वानस्पतिक परिचय

भारत में हिमालय के प्रांतो पंजाब, हिमाचल, नेपाल और कुमाऊ में अधिकतर देखने को मिलते है | कपूर काचरी का बहुवर्षायु क्षुप होता है | यह हल्दी के पौधे के समान ही प्रतीत होता है | लगभग 3 फ़ीट ऊँचा क्षुप है |

पत्र – इसके पते 1 फुट लम्बे अनियत चौड़ाई के चिकने, आयताकार एवं भालाकार होते है |

फूल – कपूर काचरी के फूल 1 फुट लम्बे पुष्पध्वज पर आते है | फूल पर पुंकेशर हल्के लाल रंग के होते है |

फल – इसका फल गोलाकार, चिकना और त्रिकोष्ठयुक्त होता है |

कपूर काचरी के औषधीय गुण

रस – तिक्त, कषाय एवं कटु रस का होता है |

गुण – लघु एवं तीक्षण गुणों से युक्त |

वीर्य – शीत प्रकृति की वनस्पति है |

त्रिदोष प्रभाव – कफवात नाशक होता है |

आयुर्वेद के अनुसार यह ग्राही, शोथ, खांसी, घाव, श्वास, दर्द आदि का नाश करने वाला द्रव्य है | इसे एओसीनोफेलिया एवं श्वास की उत्तम औषधि माना जाता है | छर्दि नाशक प्रत्येक आयुर्वेदिक योग में इसका प्रयोग किया जाता है |

उपयोग एवं फायदे

  • दांतो के दर्द में कपूर काचरी का मंजन लाभदायक होता है |
  • वमन करवाने के लिए इसका चूर्ण गुलाब जल के साथ सेवन करवाने पर वमन आसानी से हो जाता है |
  • सिर पर फोड़े होने की समस्या में कपूर काचरी जलाकर इसका कोयला बना लें | इन कोयला को तेल में मिलाकर सिर में लगाना चाहिए |
  • अगर बाल झड़ रहें है तो बालों के तेल में इसका प्रयोग कर सकते है | लाभ मिलेगा |
  • शिरोरोग में इसके चूर्ण को नस्य में मिलाकर प्रयोग किया जाता है |
  • त्वचा विकारों में लेप एवं उबटन के रूप में इस्तेमाल करने से लाभ मिलता है |

औषधीय योग – शट्यादि चूर्ण, वोमिटेब एवं वमन कुठार रस इसके प्रयोग से बनने वाले औषधीय योग है |

प्रयोज्य अंग – कपूर काचरी कंद |

मात्रा – १ से ३ ग्राम तक सेवन किया जा सकता है |

धन्यवाद |

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