सालम पंजा के औषधीय गुण धर्म एवं फायदे

दुर्बलता एवं कमजोरी दूर करने के लिए सालम पंजा बहुतायत से प्रयोग होने वाली आयुर्वेदिक औषधि है | यह पुरुषों के लिए वीर्य वर्द्धक, बलकारक, पुष्टिकारक एवं यौन कमजोरियों का नाश करने वाली जड़ी – बूटी है |

आयुर्वेद में इसके सहयोग से विभिन्न दवाओं का निर्माण किया जाता है | सालमपाक, कामोद्दीपक चूर्ण जैसे वीर्यवर्द्धक दवाओं का निर्माण भी इसी के सहयोग से किया जाता है |

इस आर्टिकल में हम सालमपंजा का पौधा वानस्पतिक परिचय, इसके औषधीय गुण धर्म, उपयोग एवं सेवन के तरीके के बारे में बताएँगे |

सामान्य जानकारी

स्थानीय नाम – सालम पंजा, सालम मिश्री

संस्कृत – मुञ्जातक

लेटिन नाम – Dactylorhiza hatagirea

अंग्रेजी नाम – Marsh Orchid

कुल – Orchidaceae

वानस्पतिक परिचय

सालम पंजा का पौधा झाड़ी नुमा होता है | यह 1 से 3 फ़ीट ऊँचा होता है | इसका काण्ड पोला होता है जिसमे 2 – 6 इंच लम्बे, अनेक आयताकार पते लगे होते है |

इसका फुल पुष्पदंड पर लगा होता है | पुष्पदंड 1 से 6 इंच लम्बा होता है | इसी पुष्पदंड पर 2 इंच लम्बे बैंगनी रंग के फुल लगते है |

जड़ – औषध उपयोग में इसकी जड़ का ही प्रयोग किया जाता है | सालममिश्री का कंद गोल एवं लटवाकर होता है | रंग में यह धूसर और पीलापन लिए होती है |

उत्पति स्थान – भारत में यह पश्चिमी हिमालय में पाया जाता है |

सालमपंजा के औषधीय गुण

  • रस – मधुर
  • गुण – गुरु एवं स्निग्ध
  • वीर्य – शीत
  • विपाक – मधुर
  • त्रिदोष प्रभाव – वात एवं पित्त शामक

आयुर्वेद में इसे बल्य, तर्पक, वृहण, नाड़ीबल्य, शुक्रवर्द्धक, पाचक माना जाता है | पुरुषों में शुक्र की कमी एवं महिलाओं में प्रसव पश्चात की दुर्बलता को दूर करने वाली जड़ी – बूटी है |

सालम पंजा के फायदे या प्रयोग

  1. दस्त एवं अतिसार में इसबगोल की तरह प्रयोग करना चाहिए | दस्तों को रोकने के लिए इसे दही में मिलाकर चाटना चाहिए |
  2. श्वांस रोग – अस्थमा एवं श्वांस की समस्या में सालम मिश्री 3 ग्राम लेकर इसमें पिप्पली 1 ग्राम मिलाकर बकरी के दूध के साथ सेवन करवाने से श्वांस में आराम मिलता है |
  3. शारीरिक कमजोरी दूर करने सालम मिश्री 12 ग्राम, बादाम 35 ग्राम इनको घी में सेककर दूध एवं शकर के साथ १५ दिन तक सेवन करना चाहिए |
  4. प्रदर रोग में दोनों प्रकार के सालम एवं दोनों प्रकार की मूसली को मिलाकर 3 ग्राम तक की मात्रा में सुबह – शाम दूध के साथ सेवन करनी चाहिए |
  5. वात प्रकोप में पिप्पली एवं सालम मिश्री का महीन चूर्ण सेवन करना चाहिए |

शीघ्रपतन, नपुंसकता एवं वीर्य में शुक्राणुओं की कमी में बनायें कामोद्दीपक चूर्ण

सालमपंजा से कामोद्दीपक चूर्ण का निर्माण किया जाता है | यह चूर्ण शीघ्रपतन, शुक्राणुओं की कमी एवं नपुंसकता में अत्यंत फायदेमंद साबित होता है |

सालममिश्री, सफ़ेद तोदरी, कौंच के बीज, इम्मली के बीज, सरवाली के बीज, सफ़ेद बहमन, सफ़ेद मूसली, श्याह मूसली, तालमखाना, सेमलकंद, लाल बहमन, शतावरी, ढाक की फली, बबुल की फली, एवं गोंद इन सब द्रव्यों को समान मात्रा में लेकर

समान भाग मिश्री मिलाकर किसी बर्तन में रखें यह कामोद्दीपक चूर्ण तैयार है | इसका सेवन सुबह – शाम 5 से 10 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ महीने भर तक करना चाहिए |

सभी प्रकार की यौन कमजोरियों में फायदा मिलेगा |

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धन्यवाद ||

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