
पेरासिटामोल का आयुर्वेदिक विकल्प अपनाएं और साइड इफेक्ट्स से बचें !
मैं आयुर्वेदिक उपवैद्य हूँ | लगभग 8 वर्षों से विभिन्न आयुर्वेदिक दवा कंपनियों एवं आयुर्वेदिक हॉस्पिटल्स में कार्य कर चूका हूँ | इन वर्षों में मैंने आयुर्वेद से बड़ी आसानी से लोगों को ठीक होते देखा है |
इन रोगियों में बहुत से ऐसे रोगी थे जो अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति से अपना इलाज करा के थक चुके थे | इन्हे इन दवाओं से स्वास्थ्य एवं धन की काफी हानि हो चुकी थी | स्वास्थ्य नुकसान , आर्थिक नुकसान से काफी बड़ा नुकसान है |
अब बात आती है कि हम भारतीय आयुर्वेद के होते हुए इतना बड़ा स्वास्थ्य नुकसान क्यों उठाते है | इसका सबसे बड़ा कारण अगर आप ढूंढने लगेंगे तो दिमाग चकरा जायेगा |
आप अपने घर में देखें एक बैग होगा या कोई विशिष्ट जगह जहाँ पर आपको सभी रोगो का उपचार करने की दवाएं मिलेंगी | इनमे से कुछ सबसे महत्वपूर्ण पेरासिटामोल, डाइक्लोफेनाक, क्रोसिन, स्ट्रिजिन आदि |
अब आज से लगभग 15 साल पहले की स्थिति देखें या अपने परिजनों से पूछें कि क्या ये दवाएं वर्ष 2005 में ऐसे ही घरों में मिलती थी |
आपको जवाब मिलेगा नहीं | उस समय आवश्यकता पड़ने पर पहले घरेलु उपायों से उपचार किया जाता था या आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सक से दवा ली जाती थी |
लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है | व्यक्ति अपना इलाज खुद करता है | बुखार या दर्द है तो पेरासिटामोल, पेटदर्द हो रहा है तो डाइसाईक्लोवीन, एलर्जी या जुकाम आदि के लिए स्ट्रीजिन या अज़िथ्रो आदि |
इन सब दवाओं का इस्तेमाल व्यक्ति तुरंत राहत पाने के लिए करता है | आराम मिल भी जाता है लेकिन इनसे होने वाले दुष्प्रभाव को अनदेखा किया जाता है |
व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है | चलिए अब जानते है आपकी पसंदीदा पेरासिटामोल से होने वाले प्राणघातक दुष्प्रभावों के बारे में
पेरासिटामोल के प्राणघातक दुष्प्रभाव
इस टेबलेट की खासियत ही कि यह व्यक्ति में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को ख़त्म कर देती है | जिससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है | बार – बार सेवन करने पर दवा अपना असर दिखाना छोड़ देती है |
असर कम होने पर व्यक्ति इसकी अधिक खुराक लेता है जो उसे मौत के मुंह की तरफ धकेलता है | अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति की लगभग सभी दवाएं व्यक्ति की खुद से रोगों से लड़ने की शक्ति का नाश करती है |
यही मुख्य कारण है कि ये दवाएं अब धीरे – धीरे खतरनाक होती जा रही है | इसके विपरीत आयुर्वेद मुख्य रूप से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है, ताकि व्यक्ति संभावित संक्रमणों से बच सके |
प्राणघातक दुष्प्रभाव निम्न है –
- पेरासिटामोल लिवर डैमेज का सबसे बड़ा कारण है |
- शराब आदि नशे का सेवन करने वालों के लिए इसका सेवन अधिक नुकसानदायी साबित होता है | शराब से लीवर पहले ही प्रभावित रहता है पेरासिटामोल इसे अधिक दयनीय स्थिति में पहुंचा देती है |
- इसका अधिक सेवन एलर्जी, डायरिया और त्वचा के रोगों को जन्म देता है |
- यह दवा शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को खत्म करती है |
- अधिकतर लोग बात – बात में पेरासिटामोल का सेवन रोग को दबाने के लिए करते है | लेकिन एक समयंतराल के पश्चात रोग गंभीर बन कर उभरता है जिसे कण्ट्रोल करना मुश्किल होता है |
- बच्चों को इसका सेवन न करवाएं तो अच्छा है | क्योंकि इसके दुष्प्रभाव से बच्चों में अस्थमा जैसे रोग हो सकते है | साथ ही बचपन से बच्चा रोगो से लड़ने की शक्ति को खो देता है | जो आगे चलकर कई रोगो का कारण बनता है |
- पीलिया और लिवर के रोगियों को इसका सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए | अन्यथा गंभीर परिणाम उठाने पड़ सकते है |
- पेट में अल्सर हो सकती है |
- मुंह सुखना, पेशाब पीला आना, मरोड़ आदि सामान्य होने वाले दुष्प्रभाव है जो आप सभी इसका इस्तेमाल करते समय देखते है |
अब बात आती है कि अगर इस दवा का सेवन न करें तो इसका विकल्प क्या है | विकल्प बहुत है | बस देर है तो उन्हें अपनाने की ; चलिए जानते है
पेरासिटामोल का आयुर्वेद में विकल्प
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति रोग के कारण को खत्म करने वाली नुकसान रहित चिकित्सा पद्धति है | आयुर्वेद को अपनाकर व्यक्ति आजीवन निरोगी रह सकता है | अगर फिर भी रोग व्यक्ति को घेर लेते है तो समय रहते आयुर्वेदिक दवाओं, प्रक्रियाओं, आहार – विहार से रोगों को समूल नष्ट किया जा सकता है |
आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना ताकि व्यक्ति रोगों से बचा रहे और अगर रोग से पीड़ित हो जाये तो उपचार के माध्यम से रोगों को ख़त्म किया जाये |
पेरासिटामोल की जगह आयुर्वेद में विभिन्न जड़ी – बूटियां एवं दवाएं है जो दुष्प्रभाव रहित 100 % परिणाम देती है | जरुरत है इन जड़ी – बूटियों को अपने घर में जगह देने की !
शुद्ध गिलोय
अगर पेरासिटामोल के घातक नुक़्सानो से बचना है तो घर में गिलोय उगाएं | यह आसानी से उग आने वाली वनस्पति है | गिलोय को संस्कृत में अमृता कहा गया है | क्योंकि इसके औषधीय गुण इसे अमृत के समान उपयोगी बनाते है |
घर में किसी को बुखार है चाहे वह साधारण बुखार हो या वायरल फीवर | बस गिलोय का काढ़ा बनायें और 10 से 20 मिली की मात्रा में सुबह – शाम सेवन करें |
किसी भी प्रकार का बुखार हो आसानी से उत्तर जायेगा | साथ में अगर जुकाम या खांसी की समस्या है तो इस काढ़े में 5 पत्ते तुलसी और 2 कालीमिर्च मिलाकर उपयोग में लें | जुकाम और बुखार दोनों जाते रहेंगे |
गिलोय को आप किसी भी पंसारी की दुकान से खरीद कर प्रयोग कर सकते है | सभी आयुर्वेदिक जड़ी – बूटी विक्रेताओं के पास आसानी से उपलब्ध हो जाती है |
आप हमारे स्टोर से ऑनलाइन भी खरीद सकते है | हम शुद्ध आर्गेनिक गिलोय उचित मूल्य पर घर तक डिलीवर करते है |
नागरमोथा
यह आयुर्वेदिक वनस्पति सम्पूर्ण भारतवर्ष में खरपतवार के रूप में आसानी मिल जाती है | इसकी जड़ रोगों के उपचार में काम में आती है | बुखार में नागरमोथा की जड़ का काढ़ा बना कर सेवन करना चाहिए |
आयुर्वेद में इसे कफ एवं पित्तज ज्वर की उत्तम औषधि माना गया है | साथ ही इसमें पाए जाने वाले अन्य औषधीय गुण इसे त्रिदोष ज्वर नाशक औषधि बनाते है |
इसे भी आप किसी भी पंसारी या ऑनलाइन हर्ब स्टोर से खरीद सकते है | पेरासिटामोल की जगह इसे रखना आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होगा |
तुलसी
लगभग सभी भारतीय घरों में यह पवित्र वनस्पति आसानी से मिल जाती है | अगर तुलसी अभी तक भी आपके घर में नहीं है तो इसे लगालें | यह आपके परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगी और रोगों में फायदेमंद होगी |
तुलसी आपके पास है तो बुखार में पेरासिटामोल जैसी चीजों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी | तुलसी के 5 पते, गिलोय और 3 दाने कालीमिर्च इन सब को जल में औटाकर काढ़ा बना लें |
काढ़े का सेवन सुबह – शाम दो बार करें | बुखार जल्द ही उत्तर जायेगा |
ज्वर नाशक जड़ी – बूटियों का कॉम्बो
स्वदेशी उपचार शुद्ध एवं आर्गेनिक जड़ी – बूटियां खरीदने का विश्वनीय वेबपोर्टल है | हम होलसेल मूल्य पर उच्च गुणवत्ता युक्त जड़ी – बूटियां उपलब्ध करवाते है |
ज्वर के लिए आप हमारे स्टोर में उपलब्ध “ज्वर नाशक हर्ब्स कॉम्बो पैक” जड़ी – बूटियों के एक साथ मंगवा सकते है |
इसे आप जब भी घर में कोई बुखार आदि से पीड़ित हो तो घरेलु नुस्खे के रूप में पेरासिटामोल की जगह इस्तेमाल कर सकते है |
इस कॉम्बो पैक में आपको उच्च गुणवत्ता की निम्न जड़ी – बूटियां मिलेंगी
- शुद्ध गिलोय
- नागरमोथा
- तुलसी पत्र
- सोंठ
- कालीमिर्च
- भारंगी
- पिप्पली
सच्चाई से अवगत कराने वाला लेख है।