विजयसार जड़ी – बूटी (Vijaysar in Hindi) – फायदे एवं रोगोपयोग

विजयसार क्या है / What is Vijaysar in Hindi – विजयसार एक औषधीय पौधा है जो 15 फ़ीट तक ऊँचा होता है | यह भारत में गुजरात, बिहार, दक्षिणी भारत एवं अंडमान द्वीप समूहों पर पाया जाता है | विजयसार की लकड़ी मधुमेह , प्रमेह आदि रोगों में उपयोग की जाती है |

वानस्पतिक परिचय

  • इसका पौधा 10 से 15 फ़ीट ऊँचा सुन्दर वृक्ष होता है |
  • भारत में बिहार, गुजरात एवं दक्षिणी भागों में मिलता है |
  • इसकी छाल 1/3 इंच मोटी होती है | यह धूसर रंग की होती है |
  • इसके पते 3 से 5 इंच लम्बे विषमदल में 5 से 7 पत्रकयुक्त होते है |
  • विजयसार के फूल पीले एवं श्वेत मंजरी के रूप में लगे होते है |
  • फलियां 1 से 2 इंच व्यास की होती है जिसमे 1 से 2 कठिन बीज होते है |

इसकी छाल में चोट करने से लाल रस निकलता है जो सुखकर काले और कठिन रूप में हो जाता है | इसको उबालकर एवं सुखारक काम में लिया जाता है | यह गाढ़े लालरंग के चमकीले टुकड़ो में होता है जो माणिक समान लाल दिखाई देता है | इसको तोड़ने से भूरे रंग का चुरा निकलता है | चबाने पर दांतों में चिपकता है |

आयुर्वेदिक ग्रन्थ चरकसंहिता के सूत्रस्थान में इसे दन्तधावन के रूप में उपयोग बताया गया है | इसकी गणना सार – आसव की सूचि में की गई है |

इंद्रोकत रसायन, कुष्ठ रोग के अंतर्गत महाखादिर घृत, खालित्य रोग में महानील तेल और उरूस्तम्भ में श्योनाकादि प्रलेप में विजयसार का प्रयोग बताया गया है | इसकी छाल का प्रयोग शिरोविरेचन के रूप में गया है |

सुश्रुत संहिता में विजयसार को कफपित्तहर मानकर कुष्ठ रोग में बहुलता से इसका प्रयोग मिलता है | रक्तपित में इसके फूलों का प्रयोग बताया गया है | अशुद्ध जल की शुद्धि के लिए असन का प्रयोग किया जाता है |

विजयसार के विभिन्न नाम

हिंदी – विजयसार , बीजक

संस्कृत – असन, पितसार, सर्जक, बंधूकपुष्प, प्रियक,

मराठी – विबका

English – Indian Kino tree

Botanical Name – Pterocarpus marsupeum

Family – Fabaceae

औषधीय गुण – धर्म

बीजक: कुष्ठविसर्पश्वित्रमेहगुदक्रिमीन |

हन्ति श्लेष्मास्त्रपितश्चं त्व्चय: केश्यो रसायन: ||

भावप्रकाश निघण्टु वटादिवर्ग
  • रस – कषाय एवं तिक्त
  • गुण – लघु एवं रुक्ष
  • विपाक – कटु
  • वीर्य (तासीर) – शीत
  • दोषकर्म – कफ एवं पित्त का नाशकरने वाली औषधि
  • रोग – विसर्प (संक्रामक त्वचा रोग), रक्तविकार, मधुमेह आदि

रासायनिक संगठन – इसमें Pterocarpol, Marsupol, Lupeol एवं marsupin आदि तत्व पाए जाते है |

विजयसार के स्वास्थ्य फायदे या रोगोपयोग

चोट या विसर्प – त्वचागत रोगों में बीजक अत्यंत फायदेमंद औषधि है | चोट आदि के कारण या त्वचा के घाव, जलन आदि समस्या में इसके पत्तों का लेप किया जाए तो लाभदायक होता है | यह अपने संधानीय कर्म के कारण चोट के कारण होने वाली वेदना को ठीक करती है | भगनादि में इसके काण्ड के सार क्वाथ दूध या चीनी के साथ प्रयोग करवाते है |

रक्तविकार में विजयसार के फायदे

यह रक्तशोधक एवं रक्तपित्तशामक होता है | अपने इन्ही गुणों कारण वातरक्त, रक्तविकार एवं रक्तपित्त में उपयोगी है | बीजक का सार शहद के साथ प्रयोग करवाने से सभी रक्तविकार ठीक होने लगते है |

मधुमेह में विजयसार का उपयोग

मधुमेह जैसी समस्या में विजयसार की लकड़ी काफी फायदेमंद है | इसकी लकड़ी से बने बर्तन में पानी डालकर सेवन करने से मधुमेह कम होने लगता है |

साथ ही डायबिटीज में इसके काण्डसार का क्वाथ बना कर सेवन करवाना चाहिए | इससे मूत्र की मात्रा कम होती है एवं रक्त में बढ़ी हुई शर्करा कम होकर अन्य विकार दूर होते है |

पुरुषों में कामशक्ति वर्द्धन

विजयसार का स्वरस या चूर्ण का इस्तेमाल पुरुषों की यौनकमजोरियों को दूर करने के लिए किया जाता है | आयुर्वेद में इसे रसायनार्थ उपयोगी माना गया है |

कुष्ठ रोग

कुष्ठ रोग में बीजक अत्यंत फायदेमंद औषध द्रव्य है | इसके सार या जड़ से निर्मित क्वाथ का प्रयोग कुष्ठ के उपचार के लिए करवाया जाता है | मूलक्वाथ का प्रयोग कुष्ठ में अत्यंत लाभदायक है |

आँखों की रोशनी बढ़ाने में उपयोगी

बीजक या विजयसार आँखों के लिए अच्छी औषधि है | इसका नस्य प्रयोग करवाने से आँखों की रोशनी बढ़ती है | नस्य के लिए तिल तेल, विभीतक तेल, भृंगराज का स्वरस एवं विजयसार का क्वाथ इन सभी को संभाग लेकर नस्य के लिए प्रयोग में लेना चाहिए |

सभी प्रकार के उपदंश में खदिर और विजयसार का क्वाथ गुग्गुलु एवं त्रिफला के साथ प्रयोग करवाने से लाभ मिलता है |

धन्यवाद ||

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