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मधुमेह आहार व्यवस्था
मधूमेह न केवल भारत का एक मुख्य समस्यागत रोग है बल्कि विश्व के अनेक देशों में इसके रोगी अधिक हैं। वर्तमान समय में मधुमेह के रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है। यद्यपि इस रोग के निदान हेतु काफी प्रयत्न किये जा रहे है। वैज्ञानिकों तथा चिकित्सकों द्वारा अथक परिश्रम कर दवाइयाँ, इन्सुलिन आदि का निर्माण किया जा रहा है। परन्तु रोग के कारणों का सही-सही पता अब तक नहीं चल सका है। मधुमेह आहार इस रोग को जड़ से खत्म नही किया जा सकता लेकिन आहार व्यवस्था को सुधार कर मधुमेह को कंट्रोल किया जा सकता है।
मधुमेह आहार व्यवस्था द्वारा उपचार
आहार द्वारा मधुमेह रोग पर अंकुश लगाया जा सकता है। मधुमेह आहार व्यवस्था से उपचार करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि आहार से प्राप्त उर्जा रोगी व्यक्ति के कुल शारीरिक ऊर्जा माँग से 5 प्रतिशत कम होनी चाहिए। साथ ही निर्धारित मात्रा को तोल कर ही प्रयोग में लाना चाहिए।
कैलारी की व्यवस्था – मधुमेह आहार
रोगी की लम्बाई, आयु तथा शारीरिक वनज के अनुसार प्रस्तावित ऊर्जा मांग से 5 प्रतिशत कैलारी कम देनी चाहिए। यदि रोगी अधिक मोटापे से ग्रस्त है तो आहार कम कैलारीयुक्त होना चाहिए। परन्तु ध्यान रखें की कैलारी की मात्रा यकायक कम न करें। धीरे-धीरे कैलोरी की मात्रा घटायी जानी चाहिए। आहार में गुड़, शहद, शक्कर, मिठाई, जड़ एवं कंद वाली सब्जियां या अधिक शर्करायुक्त आहार नहीं दिया जाना चाहिए। सामान्य से अधिक वजन के रोगी को 1400k.cal तक कैलारी देनी चाहिए। सामान्य वजन के रोगी को 1700k.cal तक एवं कम वजन के व्यक्ति को 2400 k.cal तक कैलारी दी जानी चाहिए।
प्रोटिन की व्यवस्था – मधुमेह आहार
प्रोटिन की मात्रा को बढायी जानी चाहिए, क्योंकि मधुमेह की स्थिती में नकारात्मक नाइट्रोजन सन्तुलन ;छमहंजपअम छपजतवहमद ठंसंदबमद्ध हो जाता है। अतः मधुमेह के रोगीयों को सामान्य लोगों की अपेक्षा दुगूनी मात्रा में प्रोटिन की आवश्यकता होती है। अगर व्यक्ति का वजन अधिक है तो उसकी आहार व्यवस्था में 65g – 90g तक प्रोटिन दिया जाना चाहिए। सामान्य वजन के रोगी को 65g से 80g तक प्रोटिन दिया जाना चाहिए। कम वजन के व्यक्ति को 90g से 100g तक प्रोटिन की मात्रा दी जानी चाहिए।
मधुमेह आहार में कार्बोज की व्यवस्था
रक्त में कीटोसिस तथा कीटोनूरिया को रोकने के लिए कैलोरी पर नियंत्रण करना आवश्यक है। सामान्य वजन वाले व्यक्ति में 40 प्रतिशत तक कैलोरी की पूर्ती कार्बोज द्वारा होनी चाहिए। मोटे व्यक्तियों के लिए वसा की मात्रा को घटाकर कार्बोज की मात्रा से 60 प्रतिशत तक कैलारी प्राप्त होनी चाहिए। मोटे व्यक्तियों के शारीरिक वसा का भी आॅक्सीकरण होता है। मोटापे से ग्रसित रोगीयों के लिए 165g से 220g तक मात्रा होनी चाहिए। सामान्य वजन के रोगीयों में 180g से 220g तक एवं कमजोर शरीर वालों के लिए 290g से 340g तक कार्बोज की मात्रा होनी चाहिए। मधुमेह की स्थीति में दीर्घकाल तक आहार की एक निश्चित एवं नियंत्रित मात्रा लेना आवश्यक है, तभी रोग पर अंकुश लगाया जा सकता है। आप निम्न सारणी के माध्यम से मधुमेह के रोगी हेतु भोज्य तत्वों की मात्रा को अच्छी तरह समझ सकते हैं।
भोज्य तत्व | अत्यधिक वजन | सामान्य वजन | अल्प भार |
कैलोरी (k.cal) | 1400 | 1700 | 2400 |
कार्बोज (g) | 165-220 | 180-220 | 290-340 |
प्रोटीन (g) | 65-90 | 65-80 | 90-100 |
वसा (g) | 30-45 | 50-60 | 70-90 |
मधुमेह की अवस्था में आहार नियोजन करते निम्न
सावधानियां रखे
- अनाज में चावल और मक्का का प्रयोग नहीं करना चाहिए। गेहूं तथा चना, जौ मिलाकर उसके आटे की राटियों का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि मिश्रित आटे की रोटियां खाना मधुमेह मे लाभदायक होता है।
- मिठाईयों से पूर्णतया परहेज रखना चाहिए।
- वे सभी फल जिनमें कार्बोज की अधिकता होती है उन्हे वर्जित समझना चाहिए। जैसे- केला, अंगूर आदि। लेकिन आंवला, निम्बू, संतरा, खरबूजा, तरबूज, जामून, पपीता, नाशपाति, अमरूद आदि का प्रयोग करना चाहिए। फलों में उन सभी फलों का प्रयोग किया जा सकता है जिसमें 3-15 प्रतिशत तक कार्बोज उपस्थित हो।
- शक्कर, शहद, खजूर गूड़ इनका बिल्कूल भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- चाय, काॅफी को मिठा करने के लिए चीनी की जगह सैक्रन का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- भोजन में हर दिन विविधता होनी चाहिए।
- रोगी को उसके श्रम के अनूसार कैलोरी की मात्रा दी जानी चाहिए।
- भोजन में प्याज, लहसून आदि खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। क्योंकि ये रक्त में ग्लूकोज और कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम करते हैं।
- दूध, अंडा, मांस, मछली तथा दूध से बने पदार्थों को भोजन में शामिल करना चाहिए।
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