बवासीर बहुत ही पीड़ादाई रोग है | इसे अर्श एवं Piles के नाम से भी जानते है | वर्तमान में बवासीर से पीड़ित लोगों की संख्या काफी अधिक हो गई है | इन सब का कारण गलत खान – पान एवं गलत आहार – विहार है |
बवासीर की समस्या खान – पान एवं कब्ज का ही एक मुख्य परिणाम होता है | अत्यल्प भोजन करना, मांस – मछली, अधिक मिर्च – मसाला एवं कब्ज बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना आयुर्वेद के अनुसार इसका मुख्य कारण माना जाता है |
आधुनिक चिकित्सा अनुसार भी कब्ज आदि के कारण गुद नलिका में सुजन एवं कभी – कभी अधिक फुल कर फटना बवासीर कहलाता है |
आज इस आर्टिकल में हम बवासीर के उपचार में काम आने वाली आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में बताएँगे | जिनका उपयोग आयुर्वेद चिकित्सा में पाइल्स के इलाज के लिए किया जाता है |
ये दवाएं बाजार में पतंजलि (दिव्य), बैद्यनाथ, डाबर, स्वदेशी एवं धुतपापेश्वर आदि कंपनियों की आसानी से उपलब्ध हो जाती है |
Post Contents
बवासीर की 10 प्रमुख आयुर्वेदिक दवा / 10 Ayurvedic Medicine for Piles
1 – Nutree Pure’s Piles Away tablets
बवासीर के उपचार में नुट्री प्योर कंपनी की “पाइल्स अवे” दवा अच्छे परिणाम देती है | यह बवासीर में होने वाले दर्द, खून एवं खुजली की समस्या को कुछ ही डोज में ठीक कर देती है |
इसमें गुग्गुलु, नीम, दारू हल्दी, कांचनार , हरडे समेत कुल 10 आयुर्वेदिक द्रव्यों का मेल है जो बवासीर के उपचार में कारगर सिद्ध होते है |
सेवन – प्रतिदिन 1 टेबलेट सुबह – शाम खाना खाने के पश्चात या आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करना चाहिए |
2. Swadeshi Upchar’s – Arshantak GR Powder
स्वदेशी उपुचार की यह दवा बवासीर के लिए उत्तम साबित होती है | इस दवा के मात्र 20 दिन सेवन से ही बवासीर की समस्याओं से राहत मिलती है |
दवा के निर्माण में 7 प्रकार के अचूक आयुर्वेदिक द्रव्यों का इस्तेमाल किया गया है जो बवासीर का काल साबित होते है | कतीरा, अतिबला, रसोंत, सफ़ेद राल जैसे औषध द्रव्य इस दवा के निर्माण में प्रयोग किये गए है |
सेवन – दवा का सेवन रोज सुबह खाली पेट 1 चम्मच की मात्रा में गाय के कच्चे दूध के साथ किया जाना चाहिए या आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्शानुसार सेवन करें |
दवा का सेवन करते समय अधिक खट्टी, अधिक मिर्च – मसाला एवं चावल, बैंगन आदि से परहेज आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए |
3. Himalaya’s Pilex Capsules
हिमालय कंपनी की यह दवा पाइल्स के इलाज के अच्छी परिणाम दाई है | यह जलन, खून, खुजली एवं सुजन को कम करने में मददगार साबित होती है |
इस दवा के निर्माण में गुग्गुलु, नीम, दारूहल्दी, आंवला एवं विभितकी जैसे आयुर्वेदिक औषध द्रव्य काम में लिए गए है जो बवासीर में लाभदायक होते है |
सेवन – इसका सेवन रोज सुबह – शाम 1 – 1 टेबलेट खाली पेट करना चाहिए | साथ में पीलेक्स ऑइंटमेंट क्रीम का इस्तेमाल भी किया जाना चाहिए |
4. Patanjali Divya Arshkalp Vati
पतंजलि दिव्या अर्श कल्प वटी बवासीर के उपचार में सहायक औषधि है | यह रोग के मूल भुत कारण कब्ज एवं सुजन को कम करने का कार्य करती है |
पतंजलि की इस दवा के निर्माण में नीम के बीज, रसोंत, खून-खराबा एवं रीठा आदि औषध द्रव्यों का इस्तेमाल किया गया है |
सेवन – इसे प्रतिदिन 1 से 2 टेबलेट सुबह – शाम दो बार सेवन किया जाना चाहिए | अर्शकल्प वटी को पानी या मक्खन के साथ लिया जाना चाहिए | दवा के सेवन के समय तेलिय, अधिक मिर्च – मसाले युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बंद कर देना चाहिए |
5. Vaidrishi Arsh Kalp Kit
वैद्यऋषि की यह आयुर्वेदिक दवा भी बवासीर में लाभदायक है | यह वैद्यऋषि की प्रोप्राइटरी आयुर्वेदिक दवा है | यह बवासीर में होने वाले रक्त स्राव, सुजन एवं दर्द में राहत देती है |
दवा के निर्माण में कुटकी, नीम, दारुहल्दी, सोंठ, चित्रक एवं हरीतकी जैसे औषध द्रव्य उपयोग में लिए गए है, जो इसे बवासीर के लिए फायदेमंद बनाते है |
सेवन – वैद्यऋषि अर्शकल्प किट में कैप्सूल एवं ऑइंटमेंट शामिल है | कैप्सूल का सेवन सुबह – शाम प्रथम 3 दिन तक 2 कैप्सूल की मात्रा में खाली पेट किया जाना चाहिए |
कैप्सूल का सेवन खली पेट दूध या गुनगुने पानी के साथ किया जाना चाहिए | ऑइंटमेंट का स्थानिक प्रयोग किया जाना आवश्यक है |
6. Ayurvedic Jatyadi Tel For Piles
यह classical आयुर्वेदिक तेल है जो बवासीर में काफी फायदेमंद है | सामान्य रूप से इस तेल को प्रभावित स्थान पर पिच्चु बना कर लगाया जाता है, ताकि बवासीर की जलन एवं सुजन से राहत मिल सके |
आयुर्वेदिक जात्यादी तेल बवासीर के साथ – साथ अन्य स्किन इन्फेक्शन में भी प्रभाविर रूप से फायदेमंद रहता है | बाजार में यह पतंजलि, बैद्यनाथ, डाबर, धुतपापेश्वर एवं श्री मोहता आदि सभी आयुर्वेदिक फार्मेसीयों का आसानी से उपलब्ध हो जाता है |
उपयोग – जत्यादी तेल में कॉटन स्वब को भिगो कर गुदा मार्ग पर अच्छी तरह लगाया जाना चाहिए | इसका पिच्चु बना कर भी उपयोग में लिया जा सकता है |
मल त्याग के पश्चात सुबह – शाम जत्यादी तेल को लगाया जाना चाहिए | यह सुजन एवं खुजली को ठीक करके बवासीर के मस्सों को ठीक करने का कार्य करता है |
7. Kerala Ayurveda’s Pilogest
केरला आयुर्वेद की यह दवा Piles में होने वाले दर्द, सुजन एवं खुजली आदि से राहत देती है | यह शरीर में कब्ज बनाने को रोकती है एवं साथ ही पाचन को दुरस्त करती है |
इस दवा के निर्माण में त्रिफला , हल्दी एवं गुग्गुलु जैसे आयुर्वेदिक द्रव्यों का इस्तेमाल किया गया है |
सेवन – दवा का सेवन रोज रात को खाना खाने से पहले 2 कैप्सूल की मात्रा में या आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्शानुसार सेवन किया जाना चाहिए |
8. Kottakkal’s Pilocid
piles की यह मेडिसिन आर्य वैद्यशाला कोटक्कल की प्रोप्राइटरी दवा है | यह पाइल्स के उपचार में उपयोगी है | पाइल्स में होने वाले दर्द, खुजली, कब्ज और पाचन की गड़बड़ी को ठीक करती है |
यह आयुर्वेदिक ग्रंथों में बताये गए क्लासिकल चिरुविल्वादी क्वाथ एवं दस्प्रशाकादी क्वाथ आदि का कॉम्बिनेशन है |
सेवन – दवा का सेवन दिन में तीन बार 2 टेबलेट की मात्रा या आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्शानुसार किया जाना चाहिए |
9. बैद्यनाथ क्लासिकल अभ्यारिष्ट
बैद्यनाथ बवासीर की दवा में अभयारिष्ट आयुर्वेदिक सिरप का उपयोग भी प्रमुखता से किया जाता है | यह क्लासिकल आयुर्वेदिक अरिष्ट कल्पना है जो कब्ज एवं पाचन की गड़बड़ी को सुधारने में प्रमुख उपयोगी साबित होती है |
बवासीर के अन्य योगों के साथ इसका सेवन भी किया जाता है ताकि रोगी को मल की कठोरता से न गुजरना पड़े | इस क्लासिकल आयुर्वेदिक दवा का मुख्या घटक हरीतकी होता है जो सोम्य विरेचक माना जाता है |
यह अपने एंटीओक्सिडेंट गुण एवं विरेचक गुणों के कारण आँतों के संकोचन को दूर करके मल त्याग को आसन बनाती है | सुजन को कम करने एवं इन्फेक्शन को हटाने में कारगर साबित होती है |
सेवन – भोजनोपरांत 20 से 30 मिली की मात्रा में बराबर पानी मिलाकर दिन में दो बार सेवन किया जाना चाहिए | या फिर आयुर्वेदिक चिकित्सक अनुसार सेवन करें |
10. Amrutam’s Pileskey GOLD MALT
अमृतम कंपनी की यह आयुर्वेदिक दवा पाइल्स के इलाज में फायदेमंद है | इसका निर्माण गुग्गुलु, त्रिफला, हरसिंगार, अमलतास एवं विधारा बीज आदि के सहयोग से इस योग का निर्माण किया गया है | यह बवासीर में दर्द एवं सुजन से राहत देने में उपयोगी है |
सेवन – PilesKey Gold Malt का सेवन 1 से 2 चम्मच सुबह – शाम गुनगुने दूध के साथ सेवन किया जाना चाहिए | अच्छे परिणाम के लिए 1 से 2 चम्मच २०० मिली दूध के साथ सेवन करना लाभदायक रहता है |
11 . Baidyanath Arshoghani Bati
बैद्यनाथ अर्शोघ्नी वटी पाइल्स की प्रशिद्ध दवा है | आप इसे बैद्यनाथ बवासीर की दवा बोल सकते है | यह दोनों प्रकार की पाइल्स (खुनी एवं बादी) में कार्य करती है | इसमें नीम, बकायन, कहरवा पिष्टी आदि आयुर्वेदिक द्रव्यों का इस्तेमाल किया जाता है |
Price – 160 रूपए (30 टेब)
12. Baidyanath Pirrhoids Ointment (Bawasir Malham)
बैद्यनाथ बवासीर के लिए अपनी पेटेंट दवा पिरर्होयड्स ऑइंटमेंट निर्माण करता है | यह ऑइंटमेंट बवासीर के लिए मलहम के रूप में प्रयोग किया जा सकता है | इसे बवासीर के घाव पर दिन में 2 – 3 बार लगाना होता है | यह बादी एवं खुनी दोनों प्रकार की बवासीर में उपयोगी है |
Price – 40 रूपए (25ml)
बवासीर के इलाज में अपनाएं ये 5 रामबाण घरेलु उपचार
1 चन्दनादि क्वाथ
यह स्वानुहुत प्रयोग है जो बवासीर के उपचार में रामबाण साबित होता है | इस प्रयोग को करने के लिए सबसे पहले आपको इन औषधियों की आवश्यकता होगी –
लालचन्दन बुरादा, चिरायता, जवासा, सोंठ, इन्द्रजो, कोरया की छाल, खश, अनार के फल का छिलका, नीम की छाल, दारुहल्दी, लजैनी, अतिस और रसौंत इन सब को समभाग लेकर भूसा की तरह कूट ले |
50 ग्राम दवा को 1 लीटर जल में पकावें, जब जल चतुर्थांश बचे तब छान ले | इसे 3 भाग कर के प्रात:, सांय एवं मध्यान्ह में चीनी मिलाकर पीना चाहिए | इससे बवासीर में शीघ्र लाभ होता है |
2. कोष्ठ शुद्धि के लिए
प्रात: काल नियमित कोष्ठ शुद्धि के लिए नारायण चूर्ण , त्रिफला चूर्ण या गुलकंद का सेवन करना चाहिए | इन सब का प्रयोग सुखोष्ण जल के साथ किया जाना फायदेमंद रहता है |
ये सभी आयुर्वेदिक प्रयोग पाचन को सुधारकर कोष्ठ शुद्धि का कार्य करते है | इससे मल की कठोरता कम होती है एवं मल त्याग के समय होने वाले दर्द से छुटकारा मिलत है |
3. पाइल्स के लिए मरिचादी चूर्ण
कालीमिर्च – 1 तोले, पीपल – 2 तोले, सोंठ – 3 तोले, चिता – 4 तोले और जिमीकंद – 16 तोले | इन सभी बारीक़ पीसकर चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को गुड के साथ सेवन करने से बवासीर नष्ट होती है | यह पाइल्स में किया जाने वाला आसान एवं उपयोगी उपचार है |
4. वृह्तसुरण मोदक से पाइल्स का इलाज
सूखे जमीकंद का चूर्ण 16 तोले, चीते की जड़ की छाल – 6 तोले, सोंठ 4 तोले, कालीमिर्च 2 तोले, त्रिफला 4 तोले, पीपलामूल 4 तोले, तलिस पत्र – 4 तोले, शुद्ध भिलावा – 4 तोले, वायविडंग – 4 तोले, मुलेठी 8 तोले, विधारा के बीज – 16 तोले, दालचीनी – 2 तोले और इलायची 2 तोले |
इन सबको कूट-पीसकर छान लें एवं बारीक़ चूर्ण बना लें | अब जितना चूर्ण हो उससे दुगना पुराना गुड़ मिलाकर लड्डू बना लें | काम एवं धन की इच्छा रखने वाले पुरुष को ये लड्डू सेवन करने चाहिए |
जो मनुष्य इन लड्दुओ का सेवन करते है और ऊपर से भारी एवं पुष्ट भोजन नहीं करते, उनके अनेक उपद्रव शांत हो जाते है | ये बल बढाने में लाभदायक है | इनका सेवन करने से शस्त्र, क्षार एवं अग्नि कर्म के बिना ही बवासीर का पूर्णत: इलाज हो जाता है |
यह सुखी बवासीर को भी ठीक कर देती है | साथ ही कामशक्ति का वर्द्धन भी करती है |
5. कुटजाध्य घृत से खुनी बवासीर का इलाज
अगर आपको खुनी बवासीर की शिकायत है तो इस आयुर्वेदिक नुस्खे का प्रयोग करना चाहिए | इन्द्र्जो, कूड़े की छाल, नागकेशर, नील कमल, लोध्र और धाय के फुल | इन सब का कल्क बना लें | अब इसे गाय के घी में डालकर अच्छी तरह पका लें | घी अच्छी तरह पकने पर कल्क को निकाल कर फेंक दें एवं घी को छान कर रख लें |
कुटजाध्य घृत कहलायेगा | इस घी के सेवन से खुनी बवासीर खत्म हो जाती है एवं इसमें होने वाली पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है |
धन्यवाद |
Ye online aati hai .hme sir mangani hai
सर मुझे पाइल्स की दिक्कत है tu sari dava mangani hai