ग्वारपाठे के लड्डू – गोखरू एवं गोंद मिलाकर बनायें

ग्वारपाठे के लड्डू :- सर्दियों के मौसम में हमारे यहाँ लड्डू, पाक आदि स्वास्थ्य वर्द्धक पकवानों का चलन रहता है | आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में खाया गया आहार जल्दी लगता है एवं पूरी साल भर व्यक्ति चुस्ती एवं स्फूर्ति से परिपूर्ण रहता है |

ग्वारपाठे के लड्डू
ग्वारपाठे के लड्डू

इस कारणवश अधिकतर भारतीयों घरों में सर्दियों में गोंद के लड्डू एवं अन्य स्वास्थ्य वर्द्धक लड्डू या पाक का निर्माण प्राचीन समय से ही होता आया है | आज हम इसी को ध्यान में रखते हुए आपके लिए आयुर्वेदिक लड्डू बनाने की विधि एवं उसके फायदों की जानकारी देंगे |

ग्वारपाठे के लड्डू स्वास्थ्य की द्रष्टि से अति उत्तम बलवर्द्धक, स्त्रियों, बच्चों एवं बुजुर्गों सभी के लिए फायदेमंद, जोड़ों के दर्द एवं लीवर की समस्याओं में गुणकारी साबित होते है |

आज हम जो आपको विधि बताने जा रहें है वो सामान्यत: बनने वाले ग्वारपाठे के लड्डुओं से अलग है | इसमें हमने स्वास्थ्य की द्रष्टि से गोखरू एवं गोंद भी मिलाये है जो इन्हें और अधिक फायदेमंद बनाते है |

ग्वारपाठे के लड्डू बनाने की सामग्री

1. ग्वारपाठा गिरी – 3 Kg

2. गोखरू पाउडर – 1 Kg

3. गोंद – 150 gm

4. दूध – 6 Kg

5. गेंहू का आटा – 2.5 से 3 Kg

6. सूखे मेवे (काजू, बादाम, किसमिस) – 500 gm

7. गाय का घी – 1.8 Kg

8. देशी खांड / बुरा – 2 Kg या स्वादानुसार

ग्वारपाठे एवं गोखरू के लड्डू बनाने की विधि

ग्वारपाठे के लड्डू बनाने के लिए सर्वप्रथम उपरोक्त सामग्री को निर्देशित मात्रा में लें | अब एक कडाही में दूध को मंद आंच पर चढ़ा कर हल्का गरम करलें |

Total Time: 2 hours and 30 minutes

मावा बनाना

सबसे पहले कड़ाही को मन्दाग्नि पर चढ़ा कर दूध को हल्का गरम करलें | जैसे ही दूध थोडा गरम हो तो इसमें ग्वारपाठे की गिरी डालकर पलटे से चलाते रहें | कुछ समय में ग्वारपाठा मिला मावा तैयार हो जायेगा | इसे एक अन्य बर्तन में निकाल लें |

गोंद को सेंकना

अब कडाही में घी डालकर इसे गरम करलें | अच्छी तरह गरम होने के पश्चात इसमें गोंद को डाल कर भून लें |जब गोंद फुल कर कुच्छ हल्का रंग परिवर्तित करले तब इसे लोहे की छलनी से घी से निकाल लें एवं अलग बर्तन में रखें |

आटे एवं गोखरू को घी में सेकना

तीसरी स्टेप में आप आटे एवं गोखरू पाउडर को घी में डालकर पलटे से चलाते रहें | जब आटा घी छोड़ने लगे एवं रंग परिवर्तित हो जाये तब इसे पका हुआ समझना चाहिए |

खोया मिलाना

अब अच्छी तरह सीके हुए आटे एवं गोखरू में मावे को मिलाएं | मावा मिलाते समय आंच को मध्यम रखें और पलटे को चलाते रहें | जब सारा कुच्छ अच्छी तरह मिल जाये तो इसे आंच से निचे उतार लें |

देशी खांड एवं सूखे मेवे मिलाना

जब मिश्रण थोड़ा ठंडा हो जाए तो इसमें खांड / बुरा एवं सूखे मेवे स्वादानुसार मिलाने चाहिए | इस प्रकार से आपके स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्य वर्द्धक ग्वारपाठे के लड्डू तैयार है |

मिश्रण के लड्डू बनाना

अब ग्वारपाठे के इस मिश्रण के मध्यम आकर के लड्डू बांध लें | लड्डू मिश्रण के हलके गरम रहते हुए ही बाँध लेने चाहिए |

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ग्वारपाठे के लड्डू के परहेज एवं सेवन की मात्रा

इस स्वास्थ्य वर्द्धक आयुर्वेदिक लड्डू को बच्चों से लेकर बूढों तक सभी को खाना चाहिए | एक सामान्य व्यस्क को सुबह – शाम एक से दो लड्डू अपने सामर्थ्यनुसार सेवन करना चाहिए |

इनका सेवन करते समय खट्टी चीजों से परहेज करना चाहिए एवं अधिक मसालेदार भोजन से भी बचना चाहिए | गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक के परामर्शानुसार ही इनका सेवन करना चाहिए |

ग्वारपाठे एवं गोखरू लड्डू के फायदे

  • ये लड्डू आपके पाचन में सहायक होते है | ग्वारपाठा एवं गोखरू दोनों ही औषधि पाचक गुणों से परिपूर्ण है अत: ये लड्डू आपके पाचन को ठीक करने में उत्तम है |
  • एलोवेरा वातशूल एवं संधिशूल नाशक होता है | अत: जोड़ो के दर्द में इन लड्डुओं का विशेष फायदा होता है |
  • पुरुषों के लिय ये लड्डू कामशक्ति वर्द्धक होते है | गोखरू विशेष रूप से कामोदिपक गुणों से युक्त होता है | अत: इन लड्डुओं को खाने वाला काम गुण से परिपूर्ण होता है |
  • उदरविकारों जैसे अल्सर, अपच एवं कब्ज आदि में इनका सेवन करने से काफी फायदा मिलता है |
  • मूत्र विकारों में लाभ देता है |
  • जिन बुजुर्गों को जोड़ों में दर्द एवं शारीरिक जकड़न की शिकायत रहती है उन्हें विशेषकर इन लड्डुओं का सेवन सर्दियों में करना चाहिए |
  • ये लड्डू बल्य होते है ; अत: इनके सेवन से शरीर में बल की व्रद्धी होती है |
  • एलोवेरा के लड्डू हृदय विकारों में भी फायदेमंद रहते है | ये हृदय को बल देते है |
  • यकृत विकारों में अति उत्तम आयुर्वेदिक आहार है | गोखरू एवं ग्वारपाठा यकृत विकारों में लाभप्रद होते है |

धन्यवाद |

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