नागफनी – विशेषकर सूखे एवं बंजर प्रदेशों में अधिक पैदा होती है | नागफनी को थूहर या थोर आदि नामों से भी जाना जाता है | यह वनस्पति उत्तरी अमेरिका एवं कार्रिब्बीयन क्षेत्रों का देशज पौधा है | भारत में भी पश्चिमी रेगिस्तान एवं बंजर भूमि पर पैदा होता है |
आयुर्वेद की द्रष्टि से यह पौधा काफी लाभदायक है | विभिन्न रोगों के उपचार में नागफनी का प्रयोग इसमें उपस्थित औषधीय गुणों के कारण किया जाता है | पुराने समय में ग्रामीण इलाकों में इसके काँटों से कान भेदन का कार्य किया जाता था क्योंकि इसके काँटों में एंटीसेप्टिक गुण होते है जो कान को पकने एवं पीव पड़ने से बचाते है |
नागफनी की पहचान :- यह रेतीले शुष्क प्रदेशों में पैदा होता है | इसकी झाड के तने मोटे दलदार होते है और पते, जो डाली जैसे ही होते है |इसके पते नाग के फन की तरह या हाथ के पंजे की तरह होते है | इन पर तीक्षण कांटे लगते है |
Post Contents
नागफनी के अन्य नाम
हिंदी – नागफनी थूहर, थापा थूहर |
संस्कृत – बहुदुग्धिका, कंथारी, बहुशाला, दोंद वृक्षका, नागफना, शाखाकांटा, वज्रकंटक |
बंगाली :- फणी मनसा, बिनर, नागफना
गुजराती :- थोर, हाथलो
मराठी :- फणी निवडुंग, चपल नागफना
तमिल :- नागतली, नागदली |
तेलगु :- नागदल, नागजेमुद |
English : – Howthorn, Prickly Pear .
Scientific Name : – Opuntia Dilenaii
नागफनी के औषधीय गुण
आयुर्वेद के अनुसार यह वनस्पति स्वाद में कड़वी, उष्ण, मृदु विरेचक, अग्निवर्द्धक, पेट के आफरे को दूर करनेवाली, ज्वरनाशक और विषशामक है | पित्त, जलन, धवलरोग, वात एवं मूत्र सम्बन्धी शिकायत को दूर करती है |
रस – कटु एवं तिक्त |
गुण – दीपन पाचन एवं कफ शामक |
वीर्य – उष्ण |
विपाक – कटु |
यूनानी चिकित्सा के अनुसार नागफनी कड़वी, पाचक, पेट के आफरे को दूर करने वाली, मूत्रल और विरेचक होती है | इसको देने से बच्चों की वायु नलियों के प्रदाह मिटता है | धवल रोग, तिल्ली, यकृत के रोग, कटिवात और प्रदाह में भी यह लाभदायक है | इसका रस कानो के दर्द को दूर करने के काम में लिया जाता है |
नागफनी का वर्गीकरण
इस वनस्पति की लगभग 1750 प्रजातियाँ अभी तक ज्ञात है | (reference) आयुर्वेद चिकित्सा में इसे चार भागों में विभक्त किया गया है | ये चार प्रजातियाँ निम्न है जिनका उपयोग अधिकांशत: आयुर्वेद जगत में किया जाता है |
- थूहर (तिधारा) / Euphorbia Antiquorum
- थूहर (छोटा) / Euphoriba neribolia
- थूहर (नागफनी) / Opuntia Dilenaii
- थूहर (खुरासानी) / Euphorbia Tirucalli
नागफनी के फायदे / Nagfani Benefits in Hindi
इसके विभिन्न रोगों में प्रयोग किया जाता है | यहाँ हमने निम्न घरेलु उपयोगों के माध्यम से इसके फायदों एवं उपयोग का वर्णन किया है |
- इसके पतों को कूटकर पुल्टिस बनाकर बाँधने से दाह अर्थत जलन और पित्त की सुजन से छुटकारा मिलता है |
- थूहर के फल को भुनकर उसका रस निकाल कर पीने से कुक्कर खांसी मिटती है |
- नागफनी के फल का शरबत दिन में 3 से 4 बार, चार – चार माशे की मात्रा में लेने से पित्त के विकार दूर होते है |
- थूहर के दूध को 10 बूंद शक्कर में मिलाकर देने से विरेचन हो जाता है |
- इसके फल के पौने चार माशे का शरबत में चन्दन तेल की 15 बूंद डालकर पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है |
- नागफनी के पते का गुदा आँख पर बाँधने से आँख का दुखना मिटता है |
- इसके पतों के गुदा की लुगदी को गरम करके बाँधने से मसूड़ों के असाध्य रोग भी मिट जाते है |
धन्यवाद ||