गोदंती भस्म Godanti Bhasma in Hindi आयुर्वेद चिकित्सा की महत्वपूर्ण एंटीफीवर दवा है | यह बुखार, जीर्ण ज्वर (पुराना बुखार), मलेरिया आदि में महत्पूर्ण आयुर्वेदिक दवा साबित होती है | इसके अलावा योनिविकार जैसे श्वेतप्रदर एवं रक्तप्रदर, हाई ब्लड प्रेशर, सिरदर्द, श्वास – कास एवं कैल्शियम की कमी आदि में भी प्रमुखता से प्रयोग करवाई जाती है |
यह गोदंती अर्थात गाय के दांत के समान दिखाई देने के कारण कहा जाता है | दर:शल गोदंती भस्म जिप्सम {CaSO4 2H2O} से निर्मित होती है , जिप्सम जब टुकड़ो में रहता है तो गाय के दांत के समान दिखाई देता है | तभी इससे बनने वाली दवा को गोदंती भस्म कहा जाता है |
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गोदंती भस्म बनाने की विधि
भस्म का निर्माण करने के लिए सबसे पहले शुद्ध जिप्सम को लिया जाता है | अब इसे चूर्ण रूप करके घृत कुमारी स्वरस की भावना दी जाती है | भावना देने के पश्चात इसकी छोटी – छोटी टिकिया बना ली जाती है |
अब इन टिकियों को मिटटी के बर्तन में रख कर ऊपर से इसका मुख अच्छी तरह बंद करके कंडो की अग्नि देकर भस्म बना ली जाती है | इस प्रकार से गोदंती भस्म का निर्माण होता है |
बाजार में यह बनी बनाई बैद्यनाथ गोदंती भस्म, पतंजलि दिव्य गोदंती भस्म आदि आसानी से उपलब्ध हो जाती है | इसे हरताल गोदंती भस्म भी कहा जाता है |
गोदंती भस्म के उपयोग या फायदे
निम्न रोगों में गोदंती भस्म का उपयोग किया जाता है | यह विभिन्न रोगों में आयुर्वेदिक चिकित्सको द्वारा प्रमुखता से उपयोग में ली जाती है |
- ज्वर अर्थात बुखार
- जीर्ण ज्वर {पुराना बुखार}
- टाइफाइड बुखार में उपयोगी है |
- शारीरिक दर्द |
- कैल्शियम की कमी |
- श्वांस – कास एवं जुकाम में फायदेमंद |
- जोड़ो के दर्द |
- श्वेत प्रदर |
- रक्त प्रदर |
- गर्भाशय रक्त स्राव |
- योनि विकार |
- मलेरिया |
- विषम ज्वर |
- ऑस्टियोपोरोसिस
गोदन्ती भस्म का सेवन कैसे करें
इसका सेवन भोजन करने के पश्चात 125mg से 250mg तक की मात्रा में किया जा सकता है | अनुपान के रूप में शहद, जल या तुलसी स्वरस, मिश्री के साथ किया जा सकता है | महिलाओं में सफ़ेद पानी की समस्या में इसके साथ प्रवालपिष्टी मिलाकर सेवन किया जाता है |
अत: विभिन्न रोगों में सेवन करने का तरीका भी भिन्न हो सकता है | आयुर्वेदिक वैद्य के परामर्श से सेवन किया जाना चाहिए |
सावधानियां
गोदन्ती भष्म का सेवन वैद्य निर्देशित समय तक के लिए 125mg से 250mg तक सेवन करना नुकसान रहित है | लेकिन इससे अधिक मात्रा एवं नियमित महीने भर से अधिक सेवन करने पर लिवर के लिए नुकसान दायक हो सकती है |