Saubhagya Sunthi Pak एक आयुर्वेदिक औषधि है जो सूतिकारोग, भूख की कमी, आमवात, बुखार एवं खांसी आदि की समस्या में प्रयोग में ली जाती है | शास्त्रों में कहा गया है कि यह बुद्धि को बढाने वाली, तेज देने वाली, वीर्य एवं प्रसूति महिलाओं के लिए गुणकारी आयुर्वेदिक दवा है |
जैसा इसका नाम है सौभाग्य उसी प्रकार से यह महिलाओं के लिए भाग्योदय वाली औषधि साबित होती है | सूतिकावस्था में इसका सेवन करने से माताओं में दूध खुलकर आता है एवं इस समय होने वाली व्याधियाँ (जैसे योनी विकार, मासिक धर्म की समस्या, भूख की कमी, दूध न उतरना एवं प्रदर रोग) से भी बचाव होता है |
सौभाग्य शुंठी पाक चूर्ण एवं पाक दोनों फॉर्म बाजार में उपलब्ध है | अधिकतर ग्रेन्युलस अर्थात चूर्ण अवस्था में यह उपलब्ध हो जाता है | प्रसव पश्चात माताओं को आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशानुसार इसका सेवन करना चाहिए | यह माता एवं बच्चे को विभिन्न रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है |
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सौभाग्य शुंठी पाक के घटक द्रव्य
इस आयुर्वेदिक दवा में शुंठी (सुखी अदरक) मुख्य घटक होता है | शुंठी के अलावा इसमें लगभग 27 अन्य आयुर्वेदिक द्रव्यों का समावेश रहता है | हमने यहाँ भैषज्य रत्नावली के स्त्रिरोगाधिकार के अनुसार इसके घटक द्रव्यों का वर्णन किया है |
कशेरुश्रंगाटवराटमुस्तं द्विजिरकं जातिफलम सकोषम |
( भै. र. स्त्रीरोग / 396-398 )
लवंग शैलेयसनागपुष्पं पत्रं वरांग शटी धातकी च ||
एला शातःया धनिकेभपिप्पली सप्पिपली शोषणका शतावरी |
प्रत्येकमेषामिह कर्षयुग्म लौह्म तथाभ्र पलभागयुक्तम ||
महौषधाच्चर्णपलानी चष्टो पलानी त्रिंशत्सितशर्करया: |
पलानी चाष्टावपी सर्पिषश्च प्रस्थद्वयं क्षीरमिहं प्रयुक्तं ||
- कशेरु – 24 ग्राम
- श्रंगाटक – 24 ग्राम
- कमलगट्टा – 24 ग्राम
- मुस्ता – 24 ग्राम
- सफ़ेद जीरा – 24 ग्राम
- काला जीरक – 24 ग्राम
- जावित्री – 24 ग्राम
- जायफल – 24 ग्राम
- लौंग – 24 ग्राम
- नागकेशर – 24 ग्राम
- तेजपता – 24 ग्राम
- शैलेय – 24 ग्राम
- शटी – 24 ग्राम
- सुक्ष्मैला – 24 ग्राम
- धान्यक – 24 ग्राम
- दालचीनी – 24 ग्राम
- धातकी – 24 ग्राम
- शातःया – 24 ग्राम
- शतावरी – 24 ग्राम
- पिप्पली – 24 ग्राम
- कालीमिर्च – 24 ग्राम
- गजपिप्पली – 24 ग्राम
- पिप्पली – 24 ग्राम
- लौह भस्म – 48 ग्राम
- अभ्रक भस्म – 48 ग्राम
- सौंठ – 384 ग्राम
- गोघृत – 384 ग्राम
- शक्कर – 1.440 किग्रा
- गोदुग्घ – 1.536 किग्रा
सौभाग्य शुंठी पाक बनाने की विधि
सौभाग्य शुंठी पाक बनाने की विधि जानने से पहले हम आपको बताना चाहते है कि यह विधि भै. र. स्त्रीरोग के अनुसार वर्णित है | इसे अन्य विधियों से भी बनाया जाता है | जैसे विभिन्न फार्मेसी इसे अन्य शास्त्रियों योगों के आधार पर भी बनाती है | इनमे कुछ घटक द्रव्य एवं बनाने की विधि अलग हो सकती है |
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खोया बनाना
सबसे पहले सौभाग्य शुंठी पाक के मुख्य द्रव्य सौंठ के महीन चूर्ण को गाय के दूध में डालकर मन्दाग्नि पर खोया का निर्माण किया जाता है | (मात्रा ऊपर बताई गई है)
गाय के घी में भूनना
अब तैयार खोया को गाय के घी में भर्जन किया जाता है | घी की मात्रा 384 ग्राम बताई गई है | जब खोया का दाना अलग – अलग दिखाई दे तब इस प्रक्रिया को रोक दें |
चासनी तैयार करना
अब 1.440 किग्रा शक्कर की चासनी तैयार करें | चासनी अच्छी तरह तैयार होने के पश्चात अगली स्टेप पर जाया जाता है |
औषध द्रव्य मिलाना
अच्छी तरह चासनी तैयार होने के पश्चात शेष औषध जड़ी – बूटियों का चूर्ण तैयार करलें | अब चासनी में भुना हुआ खोया एवं शेष जड़ी – बूटियों का चूर्ण मिलाकर ढककर रखें | इस प्रकार से Soubhagya Sunthi pak का निर्माण होता है |
सौभाग्य शुंठी पाक के फायदे / उपयोग
यह मुख्य रूप से सूतिकारोग, मन्दाग्नि, अतिसार, गृहणी, आमवात, ज्वर एवं खांसी आदि की समस्या में प्रयोग की जाती है | प्रसूता स्त्रियों को आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा मुख्यत: प्रयोग करवाई जाती है |
यह औषधि यकृत को बल देने वाली, भूख बढ़ाने वाली, कांतिदायक, प्रदर नाशक, बलदायक, एवं पुरुषों में वीर्य को बढ़ाने वाली होती है | इसके निम्न फायदे है
- माताओं में स्तन्य को बढ़ाने में फायदेमंद है |
- अग्निदीपक के रूप में कार्य करती है ; अत: भूख न लगने की समस्या में लाभदायक है |
- वात एवं कफ का शमन करने वाली है ; अत: सर्दी – जुकाम एवं खांसी आदि में फायदेमंद है
- आम का पाचन करती है ; अत: आमवात में लाभदायक औषधि है |
- सूतिका रोगों में फायदेमंद |
- इसे आयुर्वेदिक टॉनिक कहा जा सकता है, क्योंकि यह पुरुषों में वीर्य वर्द्धि करती है |
- सौभाग्य शुंठी पाक बलकारक, आयुवर्द्धक एवं कान्ति दायक आयुर्वेदिक औषधि है |
- प्रसुताओं में होने वाले योनी विकार एवं मासिक धर्म की समस्या में अमृत समान लाभदायक है |
सेवन की विधि एवं सावधानियां
सौभाग्य शुंठी पाक का सेवन 12 ग्राम तक की मात्रा में दूध के साथ सुबह – शाम किया जा सकता है | इसका सेवन करते समय खट्टी, तेलिय एवं अधिक मिर्च – मसाले वाली अर्थात पित्त को बढाने वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए |
आयुर्वेदिक चिकित्सक का परामर्श अवश्य लें |
नुकसान
प्रमुखत: इस आयुर्वेदिक योग का सेवन अगर सिमित मात्रा में किया जाए तो कोई नुकसान नहीं है | यह पूर्णत: आयुर्वेदिक योग है लेकिन फिर भी रोग एवं रोगी की स्थिति के आधार पर इसका सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक रोक सकते है | जैसे जिन प्रसूता महिलाओं में पित्त की अधिक समस्या जैसे सीने में जलन, खट्टी डकारें आदि हो तो उनको इसका सेवन नहीं करना चाहिए |
धन्यवाद |