नागरबेल क्या है ? जानें इसके फायदे एवं स्वास्थ्य लाभ

नागरबेल को नागर बेल का पान, ताम्बुल या बंगला पान आदि नामों से भी जाना जाता है | साधारण भाषा में इसे पान कहते है जिसका प्रयोग हमारे भारत में कत्थे एवं चुने के साथ खाने के लिए किया जाता है |

यह स्वाद में चरपरा, कडवा, गरम एवं मधुर स्वाभाव का होता है | आयुर्वेद चिकित्सा में इसके प्रयोग से विभिन्न रोगों का शमन किया जाता है |

आयुर्वेद चिकित्सा के साथ साथ तंत्र विद्या एवं संस्कारों में हिन्दू इसका विशेष महत्व मानते है | विभिन्न संस्कारों में पान के पते को शुभ माना जाता है |

नागरबेल का पौधा – यह एक लता होती है जो भारत में बंगाल आदि क्षेत्रों में पाई जाति है | पान की मुख्यत: दो किस्मे है 1. कपूरी पान एवं 2. मालबारी | इसमें से कपूरी पान छोटे एवं सौम्य होते है जबकि बंगला पान बड़े एवं तीखे होते है |

हमारे देश में हर जगह पान में कत्थे एवं चुने को रखकर खाया जाता है | शुभ अवसर पर नागरबेल के पान का इस्तेमाल किया जाता है |

नागरबेल (पान) के औषधीय गुण

आयुर्वेद के अनुसार यह चरपरा, कडवा, गरम, मधुर, क्षारगुणयुक्त, कसैला तथा वात, कृमि, कफ और दुःख को दूर करने वाला होता है | यह कामशक्ति को बढाता है | कफ, साइनस, वात एवं खांसी में इसका सेवन फायदेमंद रहता है |

यह रुचिकारक है, दाह्जनक और अग्निदीपक है | भावप्रकाश के मतानुसार पान विषघ्न, रुचिकारक, तीक्षण, गरम, कसैला, सारक, वशीकरण, चरपरा, रक्तपितकारक, हलका, वाजीकरण तथा कफ, मुंह की दुर्गन्ध, मल, वात और श्रम को दूर करता है |

पुराना पान – पुराना पान अत्यंत रसभरा, रुचिकारक, सुगन्धित, तीक्षण, मधुर, हृदय को हितकारी, जठराग्नि को दीप्त करने वाला, कमोदिपक, बलकारक, दस्तावर और मुख को शुद्ध करने वाला है |

नया पान – नवीन पान त्रिदोष्कारक, दाह्जनक, अरुचिकारक, रक्त को दूषित करने वाला, विरेचक और वमनकारक है | वाही पान अगर बहुत दिनों तक जल से सींचा हुआ हो तो श्रेष्ठ होता है | यह रूचि को उत्पन्न करता है | शरीर के वरण को सुन्दर करता है और त्रिदोष नाशक होता है |

नागरबेल (पान) के स्वास्थ्य उपयोग या फायदे

  • पान का उपयोग कफज रोगों में प्रमुखता से किया जाता है | यह श्वांश, फुफ्फुस नलिका की सुजन एवं कफ की समस्या में नागरबेल के पतों का रस निकाल कर पिलाया जाता है | साथ ही पान के पतों को गरम करके छाती पर बांधने से भी लाभ मिलता है |
  • बच्चों में सर्दी लगने पर अरंडी के तेल को पान के पतों पर लगाकर उन्हें थोडा गरम करके सिने पर बांधने से इस रोग में राहत मिलती है |
  • गठानो की सुजन पर पान को गरम करके बांधने से सुजन और पीड़ा की कमी होकर गठान बैठ जाती है | वर्णों के ऊपर पान को बांधने से व्रण सुधर जाते है | इसका रस एक प्रभावशाली पीबनाशक द्रव्य है | यह मवाद को तुरंत प्रभाव से खत्म करता है | अत: गठानो एवं घावों में उपयोगी रहता है |
  • अगर रतौंधी की समस्या है तो नागरबेल के पतों का रस निकाल कर आँखों में डालना फायदेमंद रहता है | इससे नेत्रभिश्यंद भी ठीक होता है |
  • पान के पतों से निकाले गए तेल को नजले की समस्या में नाक में डालने से लाभ मिलता है | यह तेल कृमि समस्या में भी उत्तम रहता है |
  • ज्वर एवं माता से पीड़ित व्यक्तियों को पानी में पान के पते डालकर स्नान करवाने से लाभ मिलता है |
  • खून के जमाव, यकृत के रोग और बच्चों के फेफड़ों की तकलीफ में पान को गरम करके उन पर तेल लगाकर बांधने से फायदा होता है |
  • स्तनों से दूध का बहाव होता हो या स्तनों की ग्रंथियों में सुजन हो तो नागरबेल के पतों को गरम करके बांधने से इन समस्याओं से निजात मिलती है |
  • टांगो के स्लिपद में इसके पतों के पानी को लेकर उसमे सेंधा नमक डालकर गरम पानी के साथ छानकर प्रात: काल सेवन करने से अत्यंत लाभ मिलता है |
  • बच्चों में अगर कब्ज और बादी की समस्या हो तो पान के डंठल पर तेल चुपड़कर बच्चों की गुदा में रखने से कब्ज टूट जाती है |

अन्य फायदे

  • पान की जड़ो को काली मिर्च के साथ पीसकर लेने से गर्भ रहना बंद हो जाता है |
  • ज्वर अर्थात बुखार की समस्या में 3 माशे की मात्रा में नागरबेल का अर्क पिलाने से बुखार जल्दी ही उतर जाती है |
  • जुकाम में पान के पतों पर तेल चुपड़ कर आग पर गरम करके सीने पर बांधने से जुकाम और सीने के दर्द से राहत मिलती है | इसी प्रयोग से दिल और जिगर में जमा हुआ खून भी बिखर जाता है |
  • आँखों में होने वाला बादी का दर्द में पान के अर्क की बूंद आँखों में डालने से आँखों में होने वाला दर्द मिट जाता है |
  • पान का रस आँखों में लगाने से रतौंदी जाती रहती है |
  • बच्चों की सुखी खांसी में नागर बेल के पतों के रस को शहद के साथ चटाने से बच्चों की सुखी खांसी जाती रहती है |

लेख क्रेडिट – प्रेम शर्मा जी

धन्यवाद |

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