गोरखमुंडी / Gorakhmundi के 15 अद्भुत फायदे एवं इसकी पहचान, औषधीय गुण धर्म

गोरखमुंडी के पौधे आधे से डेढ़ फीट तक ऊँचे होते है | ये धान के खेतों में अधिकतर देखने को मिलते है | हिमाचल प्रदेश एवं उतरी हिमालय के तटीय क्षेत्रों में अधिकतर पाए जाते है |

आयुर्वेद के अनुसार यह वात रोग, आँखों के रोग, नपुंसकता एवं स्त्री समस्याओं में फायदेमंद औषधि है | आज हम गोरखमुंडी के 15 अद्भुत फायदों के बारे में बताएँगे | फायदे जानने से पहले इसके औषधीय गुण के बारे में जानना भी आवश्यक है |

गोरखमुंडी

गोरखमुंडी के औषधीय गुण

आयुर्वेद अनुसार यह स्वाद में कशैली, चरपरी एवं तासीर में उष्ण वीर्य होती है अर्थात गरम स्वाभाव की होती है | यह तीक्ष्ण, मधुर, हल्की दस्तावर, बुद्धिवर्द्धक , धातुपरिवर्तक, अजीर्ण, वायु नालियों की जलन, पागलपन, खून की कमी, पीलिया, बवासीर एवं पत्थरी में फायदेमंद होती है |

इसे महिलाओं की योनी सम्बन्धी व्याधियां, विष विकार, कोढ़, दस्त, छाती का ढीलापन, गुदा द्वार का दर्द एवं आधा शीशी जैसे रोगों में भी प्रयोग की जाती है |

गोरखमुंडी की पहचान का तरीका

इसका पौधा आधा से डेढ़ फीट तक ऊँचा होता है | पौधा विशेषकर जमीन पर फ़ैल कर बढ़ता है | इस सारे पौधे पर सफ़ेद रंग के रोये होते है | गोरखमुंडी की जड़ के सीरे पर से इसकी शाखाएं निकलती है जो सुतली के समान मोती होती है |

इसके पते आधे से 2 इंच तक लम्बे होते है, जो किनारों से थोड़े कटे हुए रहते है | पौधे के पते गेंदे के पतों के समान दिखाई पड़ते है | पत्र हल्के हरे रंग के होते है | इसके फुल पौधे की डालियों के सिरे पर गुलाबी या बैंगनी रंग लगे रहते है | गोरख मुंडी के फूलों से तीव्र गंध आती है |

विभिन्न भाषाओँ में नाम

संस्कृत – अरुणा, महामुंडी, मुडिरिका, नील्कद्म्बिका, तपस्वनी, श्रावणी |

हिंदी – गोरखमुंडी |

बंगाली – गोरखमुंडी, मुरमुरिया |

मराठी – मुंडी, मुंदरी |

गुजराती – गोरखशुंडी, मुंडी, बढियोकलर

पंजाबी – मुंडी, ख़मद्रुस, जख्मेहयात |

तमिल – कोटकरंडाई |

गोरखमुंडी के 15 अद्भुत फायदे

1 . वात – रक्त एवं कुष्ठ में गोरखमुंडी के फायदे

इसके पंचांग का चूर्ण करके 6 माशे से लेकर एक टोला तक, 1 तोला घी और 4 माशे शहद के साथ मिलाकर दिन में दो बार खाने से और ऊपर से नीम गिलोय का क्वाथ पीने से भयंकर वात रक्त एवं कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है |

2. आमवात (गठिया) – सोंठ, गोरखमुंडी को समान मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बनाकर गरम पानी के साथ लेने से आमवात का रोग ठीक होता है | इसके चूर्ण को लौंग के साथ मिलाकर मालिश करने से गठिया से राहत मिलती है |

3. पेट के कीड़ों में – पेट में होने वाले कीड़ों की समस्या में गोरखमुंडी के बीजों का चूर्ण बना कर 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करना लाभदायक होता है | इससे पेट के एवं आंतो के कीड़े मर जाते है |

4. बवासीर – बवासीर एक बहुत ही पीड़ादायी रोग है | गोरखमुंडी के सेवन से खुनी एवं बादी दोनों बवासीर में फायदा मिलता है | बवासीर की समस्या में इसके छाल का चूर्ण बना लें एवं इसे मट्ठे (छाछ) के साथ पिलाने से बवासीर में राहत मिलती है |

5. नपुंसकता – इसकी ताजा जड़ को पानी के साथ पीसकर लुगदी सी बना लें | इस लुगदी को कलईदार पीतल के बर्तन में रखें और लुगदी से 4 गुना काले तील का तेल एवं तेल से 4 गुना जल मिलाकर मंद आंच पर पकावे |

जब पूरा पानी भाप बन कर उड़ जाए एवं केवल तेल बचे तब इसे आंच से निचे उतार कर छान लें | इस तेल की दिन में 2 – 3 बार कामेन्द्रिय (लिंग) पर मालिश करने से नपुंसकता मिटती है | यह ढीली मांशपेशियों को ताकत देकर कड़ेपन लाने का कार्य भी करता है |

6. आँखों के लिए – आँखों की द्रष्टि एवं रोगों से बचने के लिए इसके ताजे फल को 3 – 4 की मात्रा में चबाकर निगलने से आँखों की द्रष्टि बढती है |

  • दुसरे प्रयोग के रूप में आप इसकी जड़ को छाया में सुखाकर उसका चूर्ण बना लें | इस चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से आँखों के कई रोग मिटते है |

7. गुल्म (वायु गोला / आफरा) – गुल्म की शिकायत में इसकी एक तोला जड़ को पीसकर एवं छानकर मट्ठे के साथ मिलाकर पीने से अत्यंत लाभ मिलता है |

8. गंडमाला – कुटकी के चूर्ण के साथ गोरखमुंडी के चूर्ण को मिलाकर शहद या घी के साथ मिलाकर लेप करने एवं इसका रस पीने से गण्डमाला में लाभ मिलता है |

9. कम्पवात – कम्पवात की समस्या में लौंग का चूर्ण बना ले एवं समान मात्रा में गोरखमुंडी का चूर्ण बना कर दोनों को मिलाकर सेवन करने से इस रोग में काफी फायदा मिलता है |

10. वीर्य विकार – वीर्य विकारों में इसके चूर्ण में सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर नित्य 10 रोज तक सेवन करने से वीर्य पुष्ट होकर इसके सभी विकार दूर होने लगते है |

11. संधिवात – संधिवात में भी इसके चूर्ण का सेवन फायदा देता है | 8 माशा की मात्रा में नित्य गरम जल के साथ इस चूर्ण का सेवन करने से संधिवात में लाभ मिलता है |

12. योनी कंडू (खुजली) – महिलाओं में होने वाली योनी की खुजली में गोरखमुंडी बहुत फायदेमंद है | रात के समय इसके फलों को पानी में भिगों दें एवं सुबह भापुती से इसका अर्क खिंच लें | इस अर्क का सेवन करने से शरीर में कंही पर भी होने वाली खुजली से राहत मिलती है |

साथ ही आँखों की समस्या, हृदय की असामान्य धड़कन , सुखी एवं गीली खुजली आदि की समस्या से निजात दिलाता है | इस अर्क का सेवन करते समय गरम – मसालेदार भोजन एवं मैथुन कर्म से बचना चाहिए |

१३. श्वेतकुष्ठ – एक भाग मुंडी एवं आधा शीशी समुद्रशोथ का चूर्ण बना कर 3 से 9 माशे तक मात्रा में सेवन करना फायदेमंद रहता है | इससे श्वेत कुष्ठ रोग मिटता है |

14. पेट दर्द – गोरखमुंडी की जड़ को चार गुना जल में उबाल कर क्वाथ बना लें | इस काढ़े का सेवन करने से पेट दर्द की समस्या से राहत मिलती है |

15. फिरंग रोग – गोरखमुंडी एवं गिलोय दोनों को समान मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना लें | इस चूर्ण का नित्य 3 से 5 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से फिरंग रोग में लाभ मिलता है |

आपके लिए अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां

1 –दिव्य औषधि – पाषाणभेद

2 – आयुर्वेदिक भस्मों के चमत्कार

3 – गिलोय का औषधीय परिचय

धन्यवाद |

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