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महारास्नादि काढ़ा / Maharasnadi Kwath in Hindi
[wpsm_update date=”2020.09.20″ label=”Update”][/wpsm_update]आयुर्वेद में क्वाथ कल्पना से तैयार होने वाली औषधियों का अपना एक अलग स्थान होता है | महारास्नादि काढ़ा भी क्वाथ कल्पना की एक शास्त्रोक्त औषधि है जिसका वर्णन आयुर्वेदिक ग्रन्थ शारंगधर संहिता के मध्यम खंड 2, 90-96 में किया गया है | यह सर्वांगवात, संधिवात, जोड़ों का दर्द, आमवात, अर्धान्ग्वात, एकान्ग्वात, गृध्रसी, लकवा, आँतो की व्रद्धी, वीर्य विकार एवं योनी विकार आदि में प्रयोग किया जाता है | इस काढ़े को गर्भकर माना जाता है | जिन माताओं – बहनों को गर्भ न ठहर रहा हो , उन्हें चिकित्सक अन्य आयुर्वेदिक दवाओ के साथ महारास्नादि काढ़े का प्रयोग करना बताते है | इसके सेवन से शरीर में स्थित दोषों का संतुलन होता है , बढ़ी हुई वात शांत होती है एवं इसके कारन होने वाले दर्द से छुटकारा मिलता है |
आयुर्वेद की क्वाथ औषधियां शरीर पर जल्द ही अपना असर दिखाना शुरू कर देती है | यहाँ हमने इस काढ़े के घटक द्रव्य, स्वास्थ्य लाभ, सेवन का तरीका, बनाने की विधि एवं फायदों के बारे में शास्त्रोक्त वर्णन किया है | तो चलिए जानते है सबसे पहले इसके घटक द्रव्य अर्थात इसके निर्माण में कौन कौन सी जड़ी – बूटियां पड़ती है ?
महारास्नादि काढ़ा के घटक द्रव्य
इस आयुर्वेदिक क्वाथ में लगभग 27 आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों का सहयोग होता है | इनके संयोग से ही इसका निर्माण होता है | आप इस सारणी से इनका नाम एवं मात्रा को देख सकते है –
क्रमांक | द्रव्य का नाम | मात्रा |
---|---|---|
1. | रास्ना | 50 भाग |
2. | धन्वयास | 1 भाग |
3. | बला | 1 भाग |
4. | एरंड मूल | 1 भाग |
5. | शटी | 1 भाग |
6. | देवदारु | 1 भाग |
7. | वासा | 1 भाग |
8. | वचा | 1 भाग |
9. | शुंठी | 1 भाग |
10. | चव्य | 1 भाग |
11. | हरीतकी | 1 भाग |
12. | मुस्ता | 1 भाग |
13. | लाल पुर्ननवा | 1 भाग |
14. | गिलोय | 1 भाग |
15. | वृद्धदारु | 1 भाग |
16. | शतपुष्पा | 1 भाग |
17. | गोक्षुर | 1 भाग |
18. | अश्वगंधा | 1 भाग |
19. | अतिविष | 1 भाग |
20. | आरग्वध | 1 भाग |
21. | शतावरी | 1 भाग |
22. | पिप्पली | 1 भाग |
23. | सहचर | 1 भाग |
24. | धान्यक | 1 भाग |
25. | कंटकारी | 1 भाग |
26. | बृहती | 1 भाग |
27. | जल | 2700 भाग |
महारास्नादि काढ़े को बनाने की विधि
- भगवान् ब्रह्म के निर्देशानुसार महारास्नादी काढ़ा का निर्माण किया जाना चाहिए |
- क्वाथ कल्पना का प्रयोग संहिता काल से ही होता आया है |
- क्वाथ निर्माण के लिए सबसे पहले इन औषधियों की बताई गई मात्रा में लेना चाहिए एवं इसके पश्चात इनका प्रथक – प्रथक यवकूट चूर्ण करके आपस में मिलादेना चाहिए |
- निर्देशित मात्रा में जल लेकर इसमें महारास्नादि क्वाथ को डालकर गरम किया जाता है |
- जब पानी एक चौथाई बचे तब इसे ठंडा करके छान कर प्रयोग में लिया जाता है |
- इस प्रकार से महारास्नादि काढ़े का निर्माण होता है | सभी प्रकार के क्वाथ का निर्माण इसी प्रकार से किया जाता है | पानी को 1/4 या 1/8 भाग बचने तक उबला जाता है |
महारास्नादि काढ़ा के फायदे / लाभ / Maharasnadi Kwath Benefits in Hindi
- सर्वांगवात अर्थात सभी प्रकार की प्रकुपित वात में इसका सेवन लाभ देता है |
- अर्धांगवात एवं एकांगवात में इसका सेवन लाभकारी होता है |
- यह आंतो की व्रद्धी में भी फायदेमंद है |
- जोड़ो के दर्द, घुटनों के दर्द एवं अन्य सभी प्रकार के वातशूल में लाभ देता है |
- शरीर में बढे हुए आम दोष का शमन करता है |
- वीर्य विकारों में भी इसका सेवन करवाया जाता है |
- योनी विकारों को दूर कर के गर्भ ठहराने में फायदेमंद है |
- लकवा एवं गठिया रोग में भी इसका सेवन फायदा पहुंचता है |
- फेसिअल पाल्सी, आफरा एवं घुटनों के दर्द में इसका आमयिक प्रयोग किया जाता है |
- घुटनों के दर्द में योगराज गुग्गुलु के साथ इसका अनुपान स्वरुप प्रयोग करना लाभदायक होता है |
- बाँझपन में भी इसका सेवन करवाया जाता है |
- कुपित वात का शमन करता है एवं शरीर में स्थित दोषों का हरण करता है |
- महिलाओं के योनीगत विकारों में प्रयोग करवाया जाता है |
महारास्नादि काढ़ा के स्वास्थ्य उपयोग / Maharasnadi Kadha Uses in Hindi
यह काढ़ा / क्वाथ सभी वात जनित विकारों में अत्यंत लाभ देता है | प्रकुपित वायु के कारण शरीर में होने वाली पीडाओं में इसका विशेष महत्व है | हाथ पैरों में दर्द, कमर दर्द, गठिया, एकांगवात, सर्वांगवात आदि दर्द में आराम दिलाता है | आमवात अर्थात गठिया रोग में इसका सेवन करने से त्रिदोष संतुलित होते है, बढ़ी हुई वायु साम्यावस्था में आती है एवं रोग में आराम मिलता है | इसके अलावा महिलाओं में गर्भविकार, योनी विकार एवं पुरुषों के वीर्य विकारों में भी इसका सेवन फायदेमंद रहता है |
क्या है महारास्नादि काढ़ा के सेवन की विधि ?
इसका सेवन 20 से 40 मिली. तक सुबह एवं शाम दो बार चिकित्सक के परामर्शानुसार किया जाता है | अनुपान स्वरुप शुंठी, योगराज, पिप्पली, अजमोदादी चूर्ण एवं एरंड तेल आदि का सेवन किया जाता है | कड़वाहट न सहन करने वालों को इसमें शक्कर मिलाकर सेवन करना चाहिए , लेकिन मधुमेह के रोगी को इससे परहेज करना चाहिए | अगर चिकित्सक के परामर्शानुसार सेवन किया जाये तो इसके कोई नुकसान नहीं होते | आयुर्वेदिक मेडिसिन स्टोर पर यह बैद्यनाथ, पतंजलि , डाबर आदि कंपनियो के उपलब्ध है | इनका प्राइस लगभग 100 से 150 रूपए के बीच है | आप किसी भी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर से इन्हें खरीद सकते है |वैसे महारास्नादि काढ़ा बाजार में सिरप रूप एवं महारास्नादि वटी रूप में भी उपलब्ध है, लेकिन गुणवता के लिए इसे सुखा ही खरीदना चाहिए |आपके लिए अन्य स्वास्थ्य जानकारियां
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धन्यवाद |
महारास्नादि हम घुटनों में दर्द के लिए ले रहे हैं इसको कब तक सेवन करना चाहिए यह जानकारी भी चाहिए
सर्वेश अवस्थी जी,
घुटनों के दर्द या अन्य किसी वातशूल में महारास्नादी क्वाथ का सेवन किया जा सकता है | इसे रोग की स्थिति एवं रोगी की प्रकृति के अनुसार 15 से 45 दिन तक सेवन करवाया जा सकता है | अधिक जानकारी के लिए आप अपने नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक या हमें कॉल कर सकते है |
धन्यवाद
Thanks for sharing this amazing knowledge
मैंने बैध्यनाथ का काढ़ा लिया है | मगर ये पीने में मीठा लगता है | क्या सुगर के मरीज इस दवा का सेवन कर सकते है |
चिकन गुनिया का विकार 26डिसेम्बर 2020को हुआ,बुखार नही, सर्दी, खांसी बिलकुल नही थी, हाडियोंमे जकड आयी हलचलमे अभितक थोडी परेशानी हैं.महारास्नादी क्वाथ लेना उचित
कितने समय तक लेना.बोनस्पेलिस्ट ने सुझाव दिया की चिकन गुणियाका दर्द 6महतक होता हैं
Whether diabetic patient may use it or not
निश्चित रूप से वैद्य के परामर्श से सेवन कर सकते है | ध्यान दें बाजार में महारास्नादी क्वाथ सुखा (रॉ) एवं सिरप फॉर्म में मिलता है | सिरप में आने वाला महारास्नादी क्वाथ शुगर युक्त है अत: आपके लिए यह नुकसान युक्त हो सकता है | आप महारास्नादी क्वाथ रॉ फॉर्म में लेकर इसका काढ़ा बना कर सेवन कर सकते है |
धन्यवाद |
Mere ko joint pain hota he kadha pine se realif hogha
मेरी बीबी को शीहान सिंड्रोम की समस्या है श्री मान जी आयुर्वेद मैं इसका कोई समाधान है