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हरिद्रा खंड Haridrakhand in Hindi
आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि है | खुजली में इस आयुर्वेदिक दवा का विशेष उपयोग किया जाता है | शीतपित, त्वचा के चकते, एनीमिया, एलर्जी, विस्फ़ोट एवं कृमिरोग में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है | त्वचा एलर्जी के दौरान अचानक उठने वाले चकतों एवं खुजली में इसके सेवन से चमत्कारिक लाभ मिलता है | सर्दियों में अधिकतर इसका सेवन किया जाता है | बाजार में बैद्यनाथ, पतंजलि, एवं डाबर कंपनी के “हरिद्रा खंड वृहत” नाम से मिलता है | बाजार में मिलने वाले सभी हरिद्रा खंड चूर्ण या ग्रेनुल्स रूप में ही मिलते है |
लेकिन अगर इसे घर पर शास्त्रोक्त विधि से बना कर सेवन किया जाये तो अधिक फायदेमंद साबित होता है | हरिद्रा खंड को बनाने की विधि जानने से पहले आयुर्वेद की खंड कल्पना को समझना आवश्यक है |
खंड कल्पना क्या है :- आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में विभिन्न औषधियों के निर्माण की कई विधियाँ होती है | खंड पाक कल्पना भी उन्ही में से एक है | इस कल्पना में गुड या शक्कर को औषधियों के क्वाथ में मिलाकर पाक किया जाता है | अच्छी तरह पाक होने पर खंड पाक कल्पना से औषधि का निर्माण माना जाता है | इस प्रकार की दवाएं खाने में रुचिकारक एवं स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होती है |
हरिद्रा खंड के घटक द्रव्य
इसके निर्माण में मुख्य घटक हरिद्रा (हल्दी) होती है इसीलिए हरिद्रा खंड के नाम से जाना जाता है |
मुख्य घटक
- हरिद्रा (हल्दी) = ४ पल या 240 ग्राम
- गौघृत = ३ पल या 144 ग्राम
- गोदुग्ध = लगभग 2 किलो
- शर्करा (पाक के लिए) = 1.165 किलोग्राम
प्रक्षेप द्रव्य
- शुंठी चूर्ण – 24 ग्राम
- पिप्पली चूर्ण – 24 ग्राम
- कालीमिर्च – 24 ग्राम
- सुक्ष्मैला चूर्ण – 24 ग्राम
- पत्र चूर्ण – 24 ग्राम
- त्वक चूर्ण – 24 ग्राम
- विडंग चूर्ण – 24 ग्राम
- त्रिवृत चूर्ण – 24 ग्राम
- आंवला चूर्ण – 24 ग्राम
- विभितकी चूर्ण – 24 ग्राम
- हरीतकी चूर्ण – 24 ग्राम
- नागकेशर चूर्ण – 24 ग्राम
- लौह भस्म – 24 ग्राम
- मुस्ता चूर्ण – 24 ग्राम
- जल – आवश्यकतानुसार
हरिद्रा खंड बनाने की विधि
सबसे पहले उपर बताई गई मात्रा में औषध द्रव्यों को लें | अब कच्ची हल्दी के ऊपर के छिलकों को हटाकर उसका कल्क (मिक्सी में पीसकर चटनी स्वरुप) बना लें | इस कल्क को घी में अच्छी तरह भुने | अच्छी तरह भूनने से तात्पर्य कल्क से घी अलग दिखाई देना चाहिए | जब हल्दी के कल्क से घी अलग हो जाये तब इसका अग्निपाक करें |
एक कडाही में शक्कर, दूध और जल मिलाकर शर्करापाक (चासनी) तैयार करें और इसमें घी में भुनी हुई हल्दी को डालदें और मंद आंच पर अग्निपाक करें | अच्छी तरह पाक होने पर ऊपर बताये गए प्रक्षेप द्रव्यों को मिलाएं |
थोड़ी देर और मंद आंच पर चलाने के बाद अच्छी तरह पाक होने पर इसे आंच से निचे उतार ले और ठंडा करके कांच के मर्तबान में सहेजें |
इस प्रकार से घर पर ही हरिद्रा खंड को शास्त्रोक्त तैयार किया जा सकता है | इस योग में हरिद्रा मुख्य घटक होने एवं शर्करापाक होने से इसको हरिद्राखंड नाम से जाना जाता है | बाजार में यह विभिन्न कम्पनियों जैसे पतंजलि, बैद्यनाथ एवं डाबर आदि का आसानी से उपलब्ध हो जाता है | ये कम्पनियां इन्हें चूर्ण रूप में ही बनाती है क्योंकि चूर्ण लम्बे समय तक उपयोग किये जा सकते है एवं जल्दी ख़राब नहीं होते |
हरिद्रा खंड की सेवन विधि
इसका सेवन सर्दियों में विशेषकर किया जाता है | हरिद्रा खंड को 10 ग्राम की मात्रा में गरम दूध या गरम जल के साथ सेवन करना चाहिए | दूध के साथ सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है | चिकित्सक के परामर्शानुसार सुबह एवं शाम सेवन किया जा सकता है | किसी भी औषध का सेवन चिकित्सक के परामर्श से करना अधिक लाभदायक होता है |
हरिद्रा खंड के फायदे / Health Benefits of Haridrakhanda in Hindi
इस आयुर्वेदिक दवा का उपयोग त्वचा की एलर्जी, शीतपीत्त एवं कृमिरोग में प्रमुखता से किया जाता है | सर्दियों में इसका सेवन करने से त्वचा में निखार आता है | अगर महीने भर तक चिकित्सक के परामर्शानुसार सेवन किया जाये तो सभी प्रकार के त्वचा विकारों में लाभ मिलता है |
- खुजली एवं त्वचा के चकतों में हरिद्रा खंड के सेवन से फायदा मिलता है |
- यह एलर्जी में कारगर शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक दवा है |
- सुजन में भी आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका प्रयोग करवाते है |
- खून की कमी को दूर करती है |
- कोष्ठों की शुद्धि करने में सहायक है |
- वात एवं कफ का शमन करती है |
- सर्दियों में इसे खाने से जुकाम एवं खांसी की समस्या नहीं होती |
- वातशूल (प्रकुपित वायु के कारण होने वाले शारीरिक दर्द) में भी आराम मिलता है |
- सम्पूर्ण स्वास्थ्य दायक आयुर्वेदिक योग है |
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धन्यवाद |