प्रेगनेंसी में खून की कमी (Anemia) के कारण, लक्षण, एवं उपचार

प्रेगनेंसी में खून की कमी – गर्भावस्था हर महिला के लिए एक अलग अनुभव लेकर आता है | हरेक गर्भिणी माता अपने आने वाले बच्चे के लिए कई प्रकार के सपने संजोये होती है | वह गर्भावस्था में सुकून को महसूस करती है लेकिन इस दौरान बहुत सी गर्भिणी माताओं को कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है | इसमें सबसे अधिक एवं आम समस्या खून की कमी (हिमोग्लोबिन) होना होता है |

प्रेगनेंसी में खून की कमी

अधिकतर महिलाओं को इस बात का भी पता नहीं होता की गर्भिणी में कितना खून होना चाहिए | अत: वे हमेशां इस दुविधा में रहती है कि प्रेगनेंसी में कितना हिमोग्लोबिन होना चाहिए ?

W.H.O के अनुसार गर्भवती महिला (प्रेगनेंसी) में 11 ग्राम हिमोग्लोबिन होना चाहिए |

अगर 11 ग्राम से कम है तो महिला एनीमिया से पीड़ित हो सकती है | लेकिन अधिकतर गर्भवतियों को इस बात का पता ही नहीं चलता एवं वे इस समय भी बिना किसी परेशानी के काम करती रहती है | परन्तु जब रक्त 8.5 ग्राम से कम होता है तब उन्हें साँस फूलना, चक्कर आना आदि लक्षण महसूस होते है |

अत: एसी स्थिति को प्रेगनेंसी में खून की कमी (एनीमिया) कहा जाता है |

प्रेगनेंसी में खून की कमी के कारण

गर्भावस्था के दौरान खून की कमी बहुत से कारणों से हो सकती है | हमारे देश में इसका सबसे बड़ा कारण कुपोषण को माना जा सकता है | लेकिन कुपोषण के अलावा भी कुच्छ कारण है जो प्रेगनेंसी में हिमोग्लोबिन की कमी का कारण बनते है जैसे

  • भोजन में आयरन की कमी होना |
  • फोलिक एसिड या विटामिन b12 कमी |
  • गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव होना |
  • आंतो के विकार
  • अर्श या भगंदर के कारण रक्त निकलना |
  • बच्चे की व्रद्धी होने के कारण आयरन की आवश्यकता बढ़ जाती है, इस समय गर्भवती एवं बच्चे दोनों को लगभग 500 से 600 ग्राम अतिरिक्त आयरन की आवश्यकता होती है |
  • शरीर में विटामिन एवं प्रोटीन की अधिकता होने से भी आयरन का अवशोषण नहीं हो पाता जिस कारण से भी खून की कमी होने लगती है |
  • आंतो एवं मूत्र संसथान में विकार होने से आयरन का अवशोषण ठीक ढंग से नही हो पाता और गर्भवती के शरीर में खून की कमी होने लगती है |

प्रेगनेंसी में खून की कमी के लक्षण

गर्भवती महिला में जब हिमोग्लोबिन निचे स्तर पर जाने लगता है तो कई समस्याएँ खड़ी करता है | अगर हिमोग्लोबिन 8.5 के स्तर तक आ गया तो गर्भवती को चक्कर आना, साँसे फूलना आदि लक्षण प्रकट होते है और हिमोग्लोबिन का स्तर 5 ग्राम तक आ जाये तो महिला को हृदयपात (cardiac attack) की सम्भावना हो जाती है | गर्भवती में खून की कमी होने पर निम्न लक्षण प्रकट हो सकते है –

  • त्वचा में पीलापन |
  • चक्कर आना |
  • भूख न लगना |
  • वजन कम हो जाना |
  • शारीरिक एवं मानसिक थकावट |
  • ज्यादा नींद आना |
  • शरीर के अंगों में एंठन होना |
  • चलते समय साँसे फूलना |
  • भोजन में अरुचि |
  • चिडचिडा स्वाभाव |
  • शरीर में उर्जा की कमी एवं आलस आना |
  • बार – बार थूकना |
  • हृदय की गति बढ़ना (तेज धड़कन)
  • बालों का झड़ना |

प्रेगनेंसी में खून की कमी के उपचार या इलाज 

गर्भावस्था के दौरान खून की कमी को पूरा करने के लिए आयरन की गोलियां , फोलिक एसिड की गोलियां एवं विटामिन बी 12 की दवाओं का सेवन किया जा सकता है | लेकिन इन दवा का सेवन चिकित्सक से परामर्श लेकर ही करना चाहिए |

आयुर्वेद चिकित्सा में गर्भिणी के शरीर में आई खून की कमी को पूरा करने के लिए विभिन्न औषध योगों का इस्तेमाल किया जाता है | यहाँ हमने कुछ आयुर्वेदिक दवाओं के नाम बताये ही जिनका उपयोग चिकित्सक गर्भवती महिला में खून की कमी को पूरा करने के लिए प्रयोग करते है | इन औषधियों का उपयोग योग्य वैद्य के परामर्श से ही किया जाना चाहिए |

  1. ताप्यादी लौह |
  2. मंडूर भस्म |
  3. पुनर्नवादी मंडूर
  4. दात्री लौह |
  5. सप्ताम्रित लौह |
  6. सुधाष्टक योग |
  7. द्राक्षारिष्ट |
  8. अश्वगंधारिष्ट |
  9. गोदंती भस्म |
  10. गोमूत्र की भावना दी हुई लौह भस्म |
  11. हरीतकी चूर्ण |
  12. शंख भस्म |

 

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