महानारायण तेल / Mahanarayan Tail in Hindi
इस प्रशिद्ध आयुर्वेदिक तेल का वर्णन भैषज्यरत्नावली – वातव्याधि 26/343-354 में किया गया है | इसे वातव्याधियों में उत्तम माना गया है | मुख्य रूप से इस तेल का उपयोग मालिश के लिए किया जाता है | जोड़ों के दर्द, गठिया, कम्पवात, एकांगवात, बदनदर्द, कमरदर्द एवं सभी प्रकार की वातव्याधिशूल में इसकी मालिश से अच्छे परिणाम मिलते है | आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा पद्धति में इसका उपयोग बस्ती एवं अभ्यंग के लिए प्रमुखता से किया जाता है |
आयुर्वेदिक ग्रंथों में महानारायण तेल को संतानकर, पुष्टिकर, बल्य एवं रसायन कर्मों से युक्त बताया गया है | इस तेल का प्रयोग अधिकतर बाह्य रूप से ही किया जाता है | महानारायण तेल के निर्माण मे कुल 57 औषध जड़ी – बूटियों का प्रयोग किया जाता है जिसमे कुछ का प्रयोग क्वाथ बनाने के लिए एवं कुछ का प्रयोग कल्क निर्माण के लिए होता है | वैसे महानारायण तेल को बनाने की विधि थोड़ी कठिन है लेकिन फिर भी यहाँ हमने आम जन को आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण कैसे होता है बताने के लिए इसकी विधि का वर्णन किया है |
बाजार में बैद्यनाथ महानारायण तेल, पतंजलि, डाबर एवं धूतपापेश्वर आदि कम्पनियों का आसानी आयुर्वेदिक मेडिक्ल स्टोर पर मिल जाता है |
महानारायण तेल के घटक द्रव्य / Ingredients of Mahanarayan Tail
क्वाथ द्रव्य |
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1.
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बिल्व मूल त्वक
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240 ग्राम
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2.
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अश्वगंधा
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240 ग्राम
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3.
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श्योनाक की जड़ की छाल
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240 ग्राम
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4.
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गोखरू
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240 ग्राम
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5.
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बला मूल
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240 ग्राम
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6.
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पटला मूल
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240 ग्राम
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7.
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गंध प्रसारणी
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240 ग्राम
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8.
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अग्निमंथ मूल
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240 ग्राम
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9.
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पुनर्नवामूल
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240 ग्राम
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10.
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कंटकारी
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240 ग्राम
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11.
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अतिबला मूल
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240 ग्राम
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12.
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परिभद्र त्वक
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240 ग्राम
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13.
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बृहती मूल
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240 ग्राम
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पाक द्रव्य
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14.
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जल
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24.56 लीटर
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15
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मुर्च्छित तिल तेल
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1.536 लीटर
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16.
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गोदुग्ध
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1.536 लीटर
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17.
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शतावरी क्वाथ
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1.536 लीटर
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कल्क के लिए उपयोग होने वाली जड़ी – बूटियां
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18.
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अश्वगंधा
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24 ग्राम
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19.
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रास्ना
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24 ग्राम
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20.
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शतपुष्पा
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24 ग्राम
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21
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देवदारु
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24 ग्राम
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22.
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कुष्ठ
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24 ग्राम
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23.
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शालिपर्णी
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24 ग्राम
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24.
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पृशिनपर्णी
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24 ग्राम
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25.
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माषपरिणि
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24 ग्राम
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26.
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मुद्गपर्णी
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24 ग्राम
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27.
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अगरु
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24 ग्राम
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28.
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नागकेशर
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24 ग्राम
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29.
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सैन्धव लवण
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24 ग्राम
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30.
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जटामांसी
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24 ग्राम
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31.
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हरिद्रा
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24 ग्राम
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32.
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दारूहरिद्रा
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24 ग्राम
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33.
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लालचन्दन
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24 ग्राम
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34.
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शैलेयकं
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24 ग्राम
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35.
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पुष्करमूल
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24 ग्राम
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36.
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इलायची
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24 ग्राम
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37.
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मंजिष्ठ
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24 ग्राम
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38.
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तेजपता
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24 ग्राम
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39.
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मुस्ता
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24 ग्राम
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40.
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भृंगराज
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24 ग्राम
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41.
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जीवक
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24 ग्राम
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42.
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ऋषभक
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24 ग्राम
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43.
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काकोली
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24 ग्राम
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44.
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क्षीरकाकोली
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24 ग्राम
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45.
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मेदा
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24 ग्राम
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46.
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महामेदा
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24 ग्राम
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47.
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ऋद्धि
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24 ग्राम
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48.
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वृद्धि
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24 ग्राम
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49.
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हृबेर
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24 ग्राम
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50.
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वचा
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24 ग्राम
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51.
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पलाश बीज
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24 ग्राम
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52.
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गंधपर्णी
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24 ग्राम
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53.
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पुनर्नवा
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24 ग्राम
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54.
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चोरक
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24 ग्राम
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सुगन्धित द्रव्य
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55.
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कर्पुर
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12 ग्राम
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56.
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केशर
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12 ग्राम
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57.
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कस्तूरी
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12 ग्राम
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महानारायण तेल बनाने की विधि
- सबसे पहले बताये गए क्वाथ द्रव्यों का यवकूट चूर्ण तैयार किया जाता है |
- एक कडाही में निर्देशित जल को डालकर उसमे इन क्वाथ द्रव्यों के यवकूट चूर्ण को मिलाया जाता है | मन्दाग्नि पर चौथा भाग बचने तक पकाया जाता है एवं क्वाथ द्रव्य का निर्माण किया जाता है |
- अब इस तैयार क्वाथ में निर्देशित तिल तेल को मिलाकर गोदुग्ध मिलाते है |
- कल्क के लिए निर्देशित जड़ी – बूटियों से कल्क (लुगदी) का निर्माण किया जाता है |
- इस तैयार कल्क को क्वाथ एवं तेल मिश्रित कडाही में डालकर तेल पाक किया जाता है |
- जब कडाही में स्थित तेल से क्वाथ एवं पानी उड़ जाए अर्थात केवल तेल बचे तब इसे आंच से उतार कर ठंडा कर लिया जाता है |
- ठन्डे होने के पश्चात सुगन्धित द्रव्यों जैसे केशर एवं कपूर को मिलाया जाता है |
- इस प्रकार से महानारायण तेल का निर्माण होता है |
- इस तेल को बनाने की विधि थोड़ी कठिन एवं महँगी है | अत: बाजार में बैद्यनाथ, पतंजलि एवं डाबर आदि का महानारायण तेल आसानी से मिल जाता है उसका उपयोग ही उचित रहता है |
महानारायण तेल के फायदे या स्वास्थ्य उपयोग
इसका उपयोग बाह्य रूप से मालिश के लिए ही अधिकतर किया जाता है | शरीर में कंही पर भी होने वाले दर्द, संधिशूल, वातशूल, जोड़ो का दर्द एवं एंठन एवं कमर दर्द आदि में इसकी मालिश से फायदा मिलता है | पंचकर्म चिकित्सा के अंतर्गत वातव्याधियों के लिए महानारायण तेल से अभ्यंग एवं बस्ती कर्म किया जाता है |
- यह तेल सुगन्धित होता है अत: इसकी मालिश से शरीर से आने वाली दुर्गन्ध से मुक्ति मिलती है |
- सभी प्रकार के जोड़ो के दर्द में इस तेल की मालिश करने से आराम मिलता है |
- शरीर में प्रकुपित वायु अधिकतर दर्द को जन्म देती है | इसके इस्तेमाल से वातविकारों में आराम मिलता है |
- शुक्रक्षय में भी इसका प्रयोग लाभदायक होता है |
- उन्माद (पागलपन) में आमयिक प्रयोग किया जाता है |
- बुखार के कारण शरीर में आयी कमजोरी एवं कृशता में महानारायण तेल की मालिश से जल्द ही आराम मिलता है |
- कोष्ठगत वात में इसका आमयिक इस्तेमाल बताया गया है |
- मन्यास्तम्भ एवं हनुस्तम्भ में महानारायण तेल का प्रयोग फायदेमंद होता है |
- स्त्रियों में बाँझपन की समस्या में इसका उपयोग किया जाता है |
- महानारायण तेल की मालिश से शरीर में बल की व्रद्धी होती है |
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विधारा से तेल बनाने की विधि के बारे में जानकारी देने की कृपा करें, धन्यवाद |
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