Post Contents
कैशोर गुग्गुलु / Kaishore Guggulu in Hindi
आयुर्वेद चिकित्सा में गुग्गुलु कल्पना के तहत बनाई जाने वाली आयुर्वेदिक दवा है | कैशोर गुग्गुलु का प्रयोग वातरक्त , गठिया , मन्दाग्नि, शोथ एवं शरीर में यूरिक एसिड की व्रद्धी होने पर किया जाता है | गाउट, पेट सम्बन्धी विकार, कब्ज, शोथ (सुजन), कुष्ठ एवं घावों में आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका प्रयोग करवाते है |
आज इस आर्टिकल में हम कैशोर गुग्गुल के घटक द्रव्य , फायदे एवं इसका निर्माण कैसे होता है कि सम्पूर्ण जानकारी देंगे | बाजार में यह डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, धुतपापेश्वर एवं श्री मोहता जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों का आसानी से उपलब्ध हो जाता है | इसका उपयोग चिकित्सक की रायनुसार ही करना चाहिए |
कैशोर गुग्गुलु के घटक द्रव्य
इसके निर्माण के लिए लगभग 15 आयुर्वेदिक औषध द्रव्यों का इस्तेमाल होता है –
- हरीतकी (768 ग्राम)
- विभितकी (768 ग्राम)
- आमलकी (768 ग्राम)
- गुडूची (768 ग्राम)
- क्वाथ के लिए जल – 18.432 लीटर , जो क्वाथ निर्माण के पश्चात 9.216 लीटर बचना चाहिए
- शुद्ध गुग्गुलु (768 ग्राम)
- त्रिफला -(96 ग्राम)
- शुंठी 24 ग्राम
- त्रिवृत मूल (12 ग्राम)
- दन्तिमुल (12 ग्राम)
- कालीमिर्च (24 ग्राम)
- पिप्पली (24 ग्राम)
- गिलोय (48 ग्राम )
- विडंग (24 ग्राम)
- घृत (150 ग्राम या आवश्यकतानुसार)
कैशोर गुग्गुलु बनाने की विधि
सबसे पहले हरितकी , विभितकी , आमलकी एवं गिलोय इन तीनो को यवकूट करले | अब 18.432 लीटर जल में इन्हें डालकर क्वाथ का निर्माण करें | जब जल आधा बचे तब इसे निचे उतार कर ठंडा करके छान लें | इस छने हुए क्वाथ में गुग्गुलु डालकर मन्दाग्नि पर पाक किया जाता है | पाक करते समय जब सम्पूर्ण गुग्गुलु पिघल जाता है तब इसे छान कर फिर से मन्दाग्नि पर पाक किया जाता है | धीरे – धीरे यह घोल गाढ़ा होने लगता है | जब अच्छी तरह घोल गाढ़ा हो जाता है तो बाकी बचे औषध द्रव्यों का कपडछान चूर्ण डालकर अच्छी तरह से मिलाया जाता है | अंत में इमाम दस्ते में घी डालकर इस योग को कूटकर मुलायम किया जाता है | अच्छी तरह मुलायम करने के पश्चात इस योग से 1 – 1 ग्राम की गोलियां बना ली जाती है | इन वटीयों को हमेशां छाया में सुखाया जाता है |
मात्रा एवं सेवन विधि
कैशोर गुग्गुलु का प्रयोग चिकित्सक के बताये अनुसार गरम जल के साथ सेवन करना चाहिए | गर्भवती महिलाओं एवं 5 साल से कम उम्र के बच्चों को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए | विभिन्न रोगों के अनुसार कैशोर गुग्गुलु का अनुपान अलग – अलग होता है तभी इसके स्वास्थ्य लाभ अच्छे मिलते है , जैसे
रोग | अनुपान |
---|---|
त्वचा विकारों में | खादिरादी क्वाथ के साथ |
कब्ज | गरम जल के साथ |
पाचन सम्बन्धी समस्या | गुनगुने जल के साथ |
उदर विकार (पेट के रोग) | गुनगुने जल के साथ |
गठिया या वातरक्त की समस्या | मंजिष्ठादी क्वाथ के साथ |
कैशोर गुग्गुल के फायदे या स्वास्थ्य लाभ
आयुर्वेद चिकित्सा में इसका प्रयोग निम्न रोगों में किया जाता है |
- वातरक्त या यूरिक एसिड की व्रद्धी होने पर
- कुष्ठ
- व्रण (घाव)
- पेट में वायु का गोला बनना
- प्रमेह
- प्रमेह पीडिका
- उदररोग
- खांसी
- खून की कमी
- सुजन
- भूख कम लगना |
धन्यवाद |
वास्तविक सूचना हेतु विश्वसनीय स्थान प्रतीत होता है।
धन्यवाद राजवीर जी,