अविपत्तिकर चूर्ण – हाइपर एसिडिटी एवं अजीर्ण रोग में आयुर्वेद पद्धति का सबसे विश्वनीय चूर्ण है | अधीक अम्लीय पदार्थो के सेवन एवं आहार में अम्लता की अधिकता के कारण शरीर में हाइपर एसिडिटी जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है | हाइपर एसिडिटी के कारण सीने में जलन, कब्ज, अजीर्ण एवं अपच जैसे रोगों से व्यक्ति पीड़ित हो जाता है |
भूख की कमी, भोजन ठीक ढंग से न पचना, सीने में जलन एवं कब्ज जैसे रोगों में अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से जल्द ही आराम मिल जाता है | बाजार में यह दिव्य अविपत्तिकर चूर्ण, बैद्यनाथ, पतंजलि एवं डाबर कंपनी के आसानी से उपलब्ध हो जाते है | लेकिन पूर्ण विश्वनीयता के लिए आप इस चूर्ण का निर्माण घर पर भी कर सकते है |
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अविपत्तिकर चूर्ण के घटक द्रव्य
इस चूर्ण के निर्माण में निम्न घटक द्रव्यों का समावेश होता है | ये सभी द्रव्य घर पर भी आसानी से मिल जाते है, अत: इसके निर्माण में अधिक जुगत की आवश्यकता नहीं पड़ती |
1. कालीमिर्च – 1 भाग
2. सोंठ – 1 भाग
3. पिप्पली – 1 भाग
4. आंवला (आमलकी) – 1 भाग
5. बहेड़ा (विभितकी) – 1 भाग
6. हरड (हरीतकी) – 1 भाग
7. नागरमोथा – 1 भाग
8. वायविडंग – 1 भाग
9. विड लवण – 1 भाग
10. इलायची – 1 भाग
11. तेजपत्र – 1 भाग
12. लौंग – 10 भाग
13. निशोथ – 40 भाग
14. मिश्री – 60 भाग
अविपत्तिकर चूर्ण बनाने की विधि
इस चूर्ण के निर्माण के लिए ऊपर बताये गए सभी द्रव्यों को आवश्यकता में ले लीजिये | अब सबसे पहले इन सभी घटक द्रव्यों को थोड़ी धुप देकर इमाम दस्ते में अच्छे से कूट पीसकर महीन चूर्ण बनालें | सभी चूर्णों को आपस में मिलाले | आपका अविपत्तिकर चूर्ण तैयार है | इस चूर्ण को किसी कांच की शीशी में सहेज लें |
सेवन कैसे करें ?
अविपत्तिकर चूर्ण लेने का सही समय खाना खाने से पहले सुबह एवं शाम करना चाहिए | इसे 3 से 6 ग्राम की मात्रा में गरम जल , शहद या दूध के साथ लेना चाहिए | सेवन से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए |
अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे या चिकित्सकीय उपयोग
- हाइपर एसिडिटी या अम्लपित की समस्या में इसका सेवन लाभदायक होता है |
- भूख की कमी
- अजीर्ण एवं अपच
- कब्ज में अविपत्तिकर चूर्ण के प्रयोग से लाभ मिलता है |
- यह शरीर में बढे हुए पित्त को संतुलित करके पाचन को सुधारने का कार्य करता है |
- गैस के कारण होने वाले दर्द से आराम मिलता है |
- सीने की जलन में यह चमत्कारिक – नुकसान रहित आयुर्वेदिक औषधि है |
- खट्टी डकारों से राहत मिलती है |
- मूत्र विकारों में भी लाभदायक है |
आपके लिए अन्य लाभदायक जानकारियां
2 – आयुर्वेदिक आसव “कुमार्यासव”
3 – सितोपलादि चूर्ण
4 – बवासीर का काल – अर्शान्तक चूर्ण
अविपत्तिकर चूर्ण के बारे में सामान्य सवाल – जवाब
यह अम्लपित, गैस एवं एसिडिटी की बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा है | कब्ज, गैस, आम की समस्या, भूख न लगना, सीने में जलन आदि रोगों में फायदेमंद है |
निश्चित रूप से इस आयुर्वेदिक चूर्ण के कोई दुस्प्रभाव नहीं देखे गए है | यह पूर्णत: सेफ मेडिसिन है | लेकिन फिर भी चिकित्सक निर्देशित मात्रा में सेवन करना लाभदायक रहता है |
आयुर्वेद के अनुसार इसका सेवन गर्भावस्था में आयुर्वेदिक वैद्य के परामर्श से कर सकती है |
अमूमन किसी भी आयुर्वेदिक दवा को कितने समय तक लेने का निर्धारण रोगी की प्रकृति, रोग की स्थिति एवं शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है | वैद्य परामर्श से इसे 7 से 45 दिन तक नियमित सेवन किया जा सकता है
धन्यवाद ||
Ser Mera name ramkishor he Meri age 30year he mujhe ser 2year se asid bhut banta he eske elaj ke leye upchar btaye
आप स्वदेशी फेंनेल अर्क (सौंफ अर्क) का सेवन करें , राहत मिलेगी |
Ram Kishore hi avipattikar churned me muktashukti bhasm,kamdudha ras,motipishti,kapardak bhasham milakar 1-1 chammach subh khalited air Raat ko some se pehle 1mahine tak let apki problem dove ho Jayega Sath hi alovera juice 2-dhakan piye medicine patanjali par mil jayegi jai Shri Ram
Nive
Very good knowledge
Sarasi kuchh samasya mere bhi Aisa kya Karen ki ek sal se pareshan hai sar pet mein jalan padati hai khana nahin pachta hai bahut duble Patle Ho Gaya gussa bahut aata khana bilkul bhook lagti hi nahin hai