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वायविडंग (vaividang) / Embelia Ribes Hindi
वायविडंग क्या है :- वायविडंग एक आयुर्वेदिक औषधीय द्रव्य है | भारत में अधिकतर हिमालय के प्रदेशों, दक्षिणी भारत के पर्वर्तीय परदेशो एवं इसके साथ – साथ नेपाल , चीन और पाकिस्तान तक इसके वृक्ष पाए जाते है | श्रीलंका एवं सिंहपुर के क्षेत्रों में भी इसके वृक्ष देखने को मिलते है | विडंग को बेहतरीन कृमिनाशक माना जाता है | उदर कृमि, अग्निमंध्य, आद्मान, गृहणी , शूल एवं प्रमेह जैसे रोगों में विशिष्ट उपयोगी औषधि है |
औषधीय उपयोग में अधिकतर इसके फल का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कई जगह जड़ का प्रयोग भी किया जाता है | फल गुच्छों के रूप में कालीमिर्च के सामान गोल और छोटे होते है, जो पकने पर लाल और सूखने पर काले हो जाते है | फल कालीमिर्च के सामान होने के कारण ये कालीमिर्च का आभास करवाते है |
इसके पते 3 इंच तक लम्बे और 1.5 इंच तक चौड़े होते है | ये आगे से नुकीले एवं अंडाकार आकृति के होते है | विडंग के फुल सफेद या हरिताभ शाखाओं के अग्रिम प्रान्तों में गुच्छो के रूप में लगे रहते है |
फलों में एन्बेलिक एसिड , एम्बेलिन एवं उड़नशील तेल पाया जाता है |
वायविडंग के गुण धर्म
रस – तिक्त एवं कटु
गुण – तीक्ष्ण , रुक्ष एवं लघु |
वीर्य – उष्ण |
विपाक – कटू |
रोग्प्रभाव एवं सेवन की मात्रा
वायविडंग का सेवन 1 से 6 ग्राम तक चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन किया जा सकता है | आयुर्वेदिक औषधीय उपयोग में इसके फल का इस्तेमाल किया जाता है | विडंग द्रव्य के इस्तेमाल से विडंगादी चूर्ण, विडंगाडी लौह, विडंगारिष्ट, हरितक्यादी योग, कृमिमुद्गर रस आदि का निर्माण किया जाता है |
वायविडंग के उपयोग या फायदे
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में विडंग का निम्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है |
- पेट के कीड़ों के लिए आयुर्वेद में वायविडंग का इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता है | इसके प्रयोग से सभी प्रकार के कृमि (कीड़े) जैसे गोलकृमि, धागाकृमि एवं टेपवर्म आदि का आसानी से उपचार किया जा सकता है |
- रक्तशोधक गुणों से युक्त होने कारण रक्त की अशुद्धियों को दूर करने के साथ – साथ शरीर से टोक्सिनस को बाहर निकालने में भी उपयोगी है |
- विडंगादी चूर्ण के इस्तेमाल से पाचन ठीक होता है एवं अग्निमंध्य की समस्या से छुटकारा मिलता है |
- वायविडंग में एंटीफंगल एवं एंटीबैक्टीरियल गुण होते है जो इसे त्वचा विकारों में फायदेमंद साबित करते है |
- कफ जनित कृमि के उपचार में विडंग का इस्तेमाल लाभदायक होता है |
- मधुमेह के उपचार में भी यह फायदेमंद साबित होता है |
- सभी प्रकार की वातव्याधि में इसका प्रयोग किया जाता है |
- अजीर्ण एवं अरुचि में लाभदायक है |
- विडंग शिरोविरेचन गुणों से युक्त होता है अर्थात इसके इस्तेमाल से सिर के दोषों का नाश होता है | आयुर्वेद के षड्बिन्दु तेल और अणुतेल में विडंग सहायक औषध द्रव्य होता है |
- वायविडंग के पतों का इस्तेमाल मुंह के छालों और गले के विकारों में किया जाता है |
- यह शरीर की अतिरिक्त फैट को भी घटाता है | इसलिए मेदोहर औषधि के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है |
- अस्थमा एवं क्षय रोग में भी विडंग का इस्तेमाल फायदेमंद होता है |
धन्यवाद |
Mujhe chaiye