योग / Yoga(कृपया पूरा लेख पढ़ें आप योग को भली प्रकार से समझ सकेंगे) – योग विश्व इतिहास का सबसे पुराना विज्ञानं है , जिसने व्यक्ति के अध्यात्मिक और शारीरिक क्रिया – कलापों के लिए नए द्वार खोले | योग का जन्म कब हुआ ? यह प्रश्न इतना महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि इसका अविर्भाव हम ज्ञात नहीं कर सकते | वेदों एवं जैन ग्रंथों में योग का वर्णन मिलता लेकिन फिर भी योग इससे पहले भी विद्यमान था, भले ही वो किसी ग्रंथो में न लिखा गया हो | क्योंकि उस समय ऋषि परम्परा के कारण योग एक ऋषि से दुसरे ऋषि तक मौखिक ही पंहुच जाता होगा | इसलिए योग के आविर्भाव का पता लगाना बहुत मुश्किल है , एवं इसकी कोई आवश्यकता भी नहीं है |
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योग क्या है ? What is Yoga in Hindi ?
योग शब्द का शाब्दिक अर्थ – जुड़ना या मिलना होता है लेकिन अगर इसका व्यवहारिक अर्थ देखेंगे तो यह बहुत विस्तृत विज्ञानं स्वरूप है | क्योंकि इसके सभी कर्म और क्रियाएँ मनुष्य को शारीरक और आत्मिक रूप से पूर्ण योगी बनाती है या यूँ कहे की आत्मा से परमात्मा करना योग में सिद्ध हो सकता है | वैसे योग की परिभाषा विभिन्न ऋषियों ने अलग – अलग दी है लेकिन उनका अर्थ आप देखेंगे तो निश्चित ही समान पाएंगे –
योग की विभिन्न परिभाषाएँ / Definition of Yoga
पतंजलि के अनुसार योग की परिभाषा –“योगश्चित्तवृतिनिरोध:” अर्थात पतंजलि के अनुसार चित की वृतियों का निरोध ही योग कहलाता है |”
योग वशिष्ठ के अनुसार
” संसार सागर से पार होने के उपाय को ही योग कहा जाता है |”
वेदांत के अनुसार
” आत्मा का परमात्मा से पूर्ण रूप से मिलन होना ही योग कहलाता है |”
प्रत्यभिज्ञानानुसार
” शिव और आत्मा के अभेद्य ज्ञान का नाम ही योग है |”
योग की इन सभी परिभाषाओं में शब्द चाहे अलग – अलग हो लेकिन सबके अर्थ एक सामान ही निकलते है | योग की सिद्धि से व्यक्ति शारीरक ही नहीं वरन आत्मिक रूप से भी पूर्ण निरोगी होकर आत्मा से परमात्मा का स्वरुप प्राप्त कर लेता है | व्यक्ति की शारीरक और मानसिक शुद्धि के लिए योग परम आवश्यक युक्ति है |
योग के प्रकार / Type of Yoga
प्राचीन ग्रंथो में योग के अनेक प्रकारों का वर्णन मिलता है | योग प्रदीप में योग के विभिन्न प्रकारों का वर्णन मिलता है, जैसे – राज योग (अष्टांग योग), हठ योग, लय योग, ध्यान योग, भक्ति योग, क्रिया योग, कर्म योग, मन्त्र योग एवं ज्ञान योग आदि | योग के मुख्य 4 प्रकार है –
- राज योग (अष्टांग योग) – योग का प्रमुख प्रकार है | इसे अष्टांग योग से भी परिभाषित किया जा सकता है | इसके आठ अंग है – यम , नियम, आसन, प्राणायाम, धारण, प्रत्याहार, ध्यान और समाधी |
- कर्म योग – यह योग का दूसरा प्रकार है | कर्म योग का अर्थ है वर्तमान में हमारे द्वारा किये जाने वाले कर्म हमें भविष्य में कैसा परिणाम देंगे ये हमारे कर्मो पर ही निर्भर करता है | अगर आज वर्तमान में हम कुछ अच्छे कर्म करते है तो भविष्य में हमें परिणाम भी सुखद प्राप्त होते है |
- भक्ति योग – ये योग भक्ति के मार्गो का वर्णन करते है | एवं हमें भक्ति की और बढाते है |
- ज्ञान योग – सबसे कठिन योग है , क्योंकि ध्यान के मार्ग पर चलना हर किसी के बस में नहीं होता , इसके लिए सयंम और सामर्थ्य की आवश्यकता होती है | इसीलिए यह सबसे कठिन योग की श्रेणी में आता है | इस योग को ऋषि, महर्षि चुनते है एवं इसके मार्ग पर आगे बढतें है |
योग अपनाने से क्या लाभ प्राप्त होतें है ? / Benefits of Yoga
योग के क्या लाभ है ? ये बता पाना थोडा मुश्किल है , क्योंकि योग के लाभों का पता तो तब ही चलेगा जब आप इसे प्रयोग में लायेंगे | लेकिन फिर भी अगर शाब्दिक अर्थों में देखें तो योग के अनगिनत लाभ है | विभिन्न रोग जैसे – अपच, अजीर्ण, हृदय, मोटापा, दमा, दाह, स्त्रियों की समस्याएँ, आँखों के रोग, गैस आदि बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है | साथ ही मानसिक विकार एवं अध्यात्मिक क्षेत्र में भी अनगिनत लाभ मिलते है | आपको योग से होने वाले लाभों को समझने के लिए इसके विभिन्न आसनों का ज्ञान होना भी जरुरी होता है | क्योंकि योग के अनगिनत आसन, मनुष्य को भिन्न – भिन्न प्रकार से लाभ प्रदान करते है | कुछ आसन एसे है जो हृदय विकारों में लाभकारी है एवं वहीं दुसरे आसन किसी अन्य रोग में लाभ प्रदान करते है | योग से होने वाले कुछ लाभों को हमने इन बिन्दुओ में वर्णित किया है –
योग के लाभ / फायदे
- नियमित योग को अपनाने से विभिन्न रोग – जैसे अस्थमा, जुकाम, एलर्जी, अपच, अजीर्ण, हृदय रोग, कैंसर, आँखों की कमजोरी, स्मरण कमजोरी, स्नायु रोग, धातु रोग, अशांति, मानसिक विकार एवं एड्स जैसी विभिन्न जानलेवा बिमारियों से व्यक्ति को बचाता है |
- योग का नियमन व्यक्ति की उम्र को बढाता है |
- श्वास के नियंत्रण को शारीरिक रूप से पुष्ट रखता है |
- ध्यान को अपनाने से मानसिक स्थिरता बढ़ कर सभी प्रकार के मानसिक रोग दूर होते है , एवं व्यक्ति अध्यात्म की और बढ़ता है |
- योग को अपनाने से व्यक्ति में जाग्रति, चेतना एवं सजगता बनी रहती है | जिससे व्यक्ति गलत कर्मो की तरफ नहीं बढ़ता |
- योग को अपनाने से व्यक्ति दृढ संकल्पि, सकारात्मक एवं एकाग्रचित बनता है , यही गुण उसे सबसे अलग और आगे खड़ा करते है |
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योगासनों के अनगिनत स्वास्थ्य लाभ है
- व्यक्ति की नकारात्मक सोच धीरे – धीरे खत्म होने लगती है एवं वह अपने लक्ष्य की और तीव्रता से बढ़ता है |
- गलत आहार – विहारों का ज्ञान होता है एवं आत्मिक शक्ति प्रबल होती है | जिससे व्यक्ति नशे या गलत व्यसनों को आसानी से अपनी मर्जी से छोड़ देता है |
- सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोगों या विकारों का शमन होता है |
- नियमित योगी शांत स्वाभाव एवं निर्मल मन का होता है |
- सर्वांगीन स्वास्थ्य की प्राप्ति होती , शरीर हष्ट-पुष्ट बनता है , मन शांत रहता है एवं सभी और से व्यक्ति को सफलता मिलती है |
- पवनमुक्तासन समूह एवं शक्ति बंध की क्रियाओं को अपनाने से व्यक्ति का शरीर मजबूत बनता है | पुरे शरीर में फुर्ती आती है , संधियों के जोड़ खुल जाते है एवं सम्पूर्ण शरीर क्रियाशील बनता है जिससे पुरे शरीर के विकारों का हरण होता है |
- खड़े होकर किये जाने वाले योगासनों से शरीर की मांसपेशियों में मजबूती आती है जिससे गठिया, कम्पवात, मांसपेशियों का दर्द एवं अकडन, चली जाती है | साथ ही इन योगासनों को अपनाने से घुटने एवं जॉइंट्स की सभी बीमारियों में लाभ मिलता है |
- वज्रासन समूह के योगासनों को अपनाने से स्त्रियों के मासिक धर्म, उनके जननांगो के विकारों में लाभ मिलता है | साथ ही वज्रासन में बैठ कर किये जाने वाले असनो से व्यक्ति का श्रोणी प्रदेश, प्रजनन अंग एवं पाचन अंगो में सुचारू ढंग से रक्त संचार बढ़ता है , जिससे प्रजनन अंगो के रोग जैसे – हर्निया, धातु – दुर्बलता, शुक्राणुओं की कमी, बवासीर, अंडकोष का बढ़ना, एवं जननांगो की स्थिलता आदि रोगों का हरण होता है |
इस प्रकार योग के विभिन्न लाभ है लेकिन इनका पता तब ही चलता है जब हम योग को अपनाएं | अब कोई कहे की योग से मुझे इतना फायदा मिला तो क्या आप उसे मानेंगे – शायद मन भी जाएँ लेकिन तर्क – वितर्क तो जरुर करेंगे | अत: योग के लाभों को पूर्ण जानने के लिए योग को दैनिक जीवन में लाना जरुरी है , तभी योग से होने वाले वास्तविक लाभों के बारे में पहचान पाएंगे |
योग का मानव जीवन पर प्रभाव
अधिकतर हमने योग को सिर्फ व्यायाम, योगासन, प्राणायाम या शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने की क्रिया मात्र समझ रखा है | लेकिन अगर योग को हम गहराई से समझें तो हमें इसके लाभों के साथ – साथ इसके प्रभावों का ज्ञान भी होता है | योग आज के विज्ञानं की तरह नहीं है की इसके सिद्धांत बदल सके | यह हमारे हजारों महान ऋषियों की उपलब्धि है जिसे उन्होंने अपने पूर्ण जीवन को समर्पित करके प्राप्त की थी | तभी इसके सिद्धांत भी अकाट्य है , क्योंकि ऋषियों ने निश्चित ही इसके सभी पहलुओं को महसूस किया था और यही कारण है कि आज हमारे सामने योग विद्यमान है |
दरशल योग को हम किसी धर्म विशेष में नहीं बांध सकते , यह तो सभी धर्मो से ऊपर है | धर्म हमें सिर्फ जीना सिखा सकते है , कुछ नियम सिखा सकते या फिर धार्मिकता सिखा सकते है | लेकिन योग हमें उत्तम तरीके से जीवन यापन करने के साथ – साथ आत्मा से परमात्मा को उपलब्ध होने का तरीका बताता है जो इस मानव जीवन के लिए परम आवश्यक है | आज का वातावरण कितना प्रदूषित है ये हम सभी जानते है | वर्तमान समय में प्रदूषित वातावरण, प्रदूषित पर्यावरण, फ़ास्ट – फ़ूड का सेवन, कृत्रिम (रसायनों से निर्मित या सहेजे गए) भोज्य पदार्थ, डिब्बा बंद भोज्य पदार्थ, एवं बदलते परिवेश में मनुष्य को मानसिक विकृत एवं शारीरक रूप से अस्वस्थ बना दिया है | भले ही आधुनिक वैज्ञानिको ने नए – नए उपचार एवं सुविधाएँ खोजी हो लेकिन इनसे होने वाले साइड इफ़ेक्ट से हम सभी भली प्रकार से परिचित है | अत: एसे समय में योग एवं आयुर्वेद ही एसी विद्या है जिसको अपनाकर हम अपने मानव जीवन को स्वस्थ एवं सार्थक बना सकते है |
धन्यवाद |