बच्चों में इम्यून पाॅवर को बनाये रखना आज के समय में चुनौति से कम नहीं है। माँ-बाप बस इसी चिन्ता में रहते हैं कि क्या वजह है जो उनके बच्चे जल्द ही बिमार पड़ जाते हैं। अच्छे हेल्थ विटामिन्स और प्रोटिन्स का प्रयोग करने के बाद भी बच्चे छोटे से मौसम परिवर्तन को नही सहन कर पाते और वे बिमार पड़ जातें हैं।
वातावरण में फैले अत्यधिक पाॅल्यूशन, खान-पान के सामान में भारी मिलावट, बाजारू भोज्य पदार्थों का सेवन आदि कारण हैं जो बच्चों की इम्यूनीटि पाॅवर को कमजोर बना रहीं हैं। 7 से 8 साल तक के बच्चे इन सभी कारणों से अपनी इम्यूनीटि पाॅवर को खो रहें हैं। छोटे बच्चों पर उनकी माँ के स्वास्थ्य का असर भी जल्दी पड़ता है और आजकल की मांए कितनी स्वस्थ हैं ! ये हम सभी जानते हैं।
इन आयुर्वेदिक तरिकों से बढ़ाया जा सकता है इम्यूनीटि पाॅवर
नवजात बच्चे और बाल्यावस्था के बच्चों में सबसे अधिक कफ और जुकाम की समस्याऐं होती हैं। ये समस्याऐं आम हैं लेकिन लम्बे समय तक सर्दी-जुकाम की शिकायत रहना बच्चों के लिए खतरनाक सिद्ध होती हैं। इनसे बच्चों की ग्रोथ रूक जाती है। उनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है। कमजोर रोगप्रतिरोधक क्षमता के बालकों को अन्य स्वास्थ्य समस्याऐं जैसे पेट दर्द, बुखार, अस्थमा, एलर्जी आदि भी जल्दी हो जाती हैं। इसलिए आयुर्वेद के इन सर्वमान्य हेल्थ प्रोडक्टस का इस्तेमाल करके आप अपने बच्चों की इम्यून पाॅवर बूस्ट कर सकती हैं।
» स्वर्णप्राशन संस्कार
जन्म से लेकर 14 साल तक के बच्चों में यह संस्कार किया जाता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में जैसे विभिन्न रोगों से बचाव के लिए वैक्सिन्स का प्रयोग किया जाता है उसी प्रकार आयुर्वेद में स्वर्ण-प्राशन का इस्तेमाल एक इम्यूनाईजेशन की प्रक्रिया के तौर पर किया जाता है। स्वर्ण-प्राशन मुख्यतया आयुर्वेद का एक वैक्सिनेशन है जो बच्चों को सामान्य तौर पर होने वाली सभी बिमारियों से बचाता है।
- स्वर्ण-प्राशन में स्वर्ण भष्म, शहद, गुडुची, ब्राम्ही, शंखपूष्पी, मधुयष्टि, बहेड़ा, आवंला और गाय के शुद्ध घी का इस्तेमाल होता है जो इसे बच्चों के लिए लाभदायक बना देता है।
- हर महिने के पुष्य नक्षत्र को यह संस्कार किया जाता है।
- बच्चों कि रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर उन्हे सामान्य बिमारियों से बचाता है।
- स्वर्ण प्राशन का इस्तेमाल करने वाले बच्चे शारीरिक रूप से मजबुत होते हैं।
- स्वर्ण प्राशन में शंखपूष्पी और ब्राम्ही का प्रयोग होता है। इसलिए यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है।
- पाचन शक्ति अच्छी रहती है।
- बच्चे जल्दी बिमार नहीं पड़ते।
» च्यवनप्राश
बच्चों को सदा स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेदिक च्यवनप्राश भी मुख्य कार्यकारी औषधी है। बच्चों में इम्यूनीटि पाॅवर को बनाये रखने का इससे सस्ता तरिका और कोई नहीं है। च्यवनप्राश के निर्माण में लगभग 40 प्रकार की देशी जड़ी-बूटियां काम में ली जाती हैं। इसके अलावा इसमे अमृत फल आंवला, शहद, देशी घी आदि भी मौजुद रहते हैं जो इसकी उपयोगिता को बढाते हैं। बच्चों को सर्दी-जुकाम से बचाने, पाचन क्रिया को सुधारने के लिए च्यवनप्राश से फायदेमंद कोई चीज नहीं है। सर्दियों के मौसम मे बच्चों को च्यवनप्राश का इस्तेमाल करवाना चाहिए। क्योंकि इस समय बच्चे के शरीर में आन्तरिक गर्मी की आवश्यकता होती है जो उसे च्यवनप्राश के सेवन से मिलती है।
- इसका सेवन बच्चों को सर्दि-जुकाम से बचाता है।
- बच्चों की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर उन्हे स्वस्थ रखता है।
- च्यवनप्राश में बहुत से एंटी आॅक्सिडेन्ट गुण होते हैं जो इसे अधिक उपयोगी बनातें है।
- बच्चों कि पाचन प्रणाली को अच्छा बनाता है। जिससे बच्चे पाचन से सम्बधित रोगों से बचें रहें।
- बच्चों की बुद्धि को बढ़ाने में भी च्यवनप्राश उपयोगी सिद्ध होता है।
- बैक्टिरिया के इन्फेक्शन से होने वाले रोगों से बच्चों को बचाता है।
- रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
जल्द ही सर्दियाँ शुरू होने वाली है | इस मौसम में बच्चों की देखभाल अच्छे से न की जाए तो वे जल्द ही बीमार पड़ जाते है | आयुर्वेद के इन तरीकों को अपना कर आप अपने बच्चो को स्वस्थ रख सकती है |
धन्यवाद |
अच्छा लेख ! मैंने अमृता फार्मा के अमृत जीवन च्यवनप्राश का प्रयोग किया है और यह भारत का सर्वश्रेष्ठ च्यवनप्राश है। “अमृत जीवन च्यवनप्राश” मे प्रभावी और शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं, जो उम्र बढ़ने में देरी करता है और इम्युनिटी भी बढ़ाता है। आपको निश्चित रूप से यह प्रयास करना चाहिए।
क्या चयवनप्राश गर्मी के मौसम मे भी दिया जा सकता है
7-8साल के बच्चो को
प्रिय राजेश जी
च्यवनप्राश को सभी मौसम में लिया जा सकता है | लेकिन अधिकतर सर्दियों की शुरुआत में च्यवनप्राश का सेवन करवाना अधिक फायदेमंद सिद्ध होता है और हाँ च्यवनप्राश अगर किसी वैद्य द्वारा शास्त्रोक्त निर्मित हो तो सोने पे सुहागा सिद्ध होता है |
4 month ke baby ko de sakte hai
Nahi 6month k baad 1/2gram ki matra me de sakte hain